विविधता में एकता वाले इस अनूठे देश भारत में धर्म-कर्म और भगवान के प्रति आस्था रखने वाले लोग निवास करते हैं। भारतीय संस्कृति और सभ्यता जितनी प्राचीन है, उतना ही प्राचीन महत्व यहां स्थित मंदिरों का भी है।
भारत में स्थित मंदिरों का ऐतिहासिक धार्मिक और राजनीतिक महत्व इन मंदिरों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देता है।
सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत में प्राचीन समय में कई ऐसे मंदिर रहे हैं, जो सबसे अमीर मंदिरों की श्रेणी में आते थे। इन्हीं मंदिरों में लगे हुए सोने, चांदी मुद्राओं और सिक्कों जैसी अपार संपदा के चलते कई विदेशी और मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इन्हें तोड़ा। हालांकि इनमें से अधिकतर मंदिरों का पुनर्निर्माण बाद में करवा लिया गया।
भारत के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग प्रकार की शैली के मंदिर देखने को मिलते हैं। उत्तर भारत का रुख करें तो नागर शैली और दक्षिण भारत का रुख करें तो द्रविड़ शैली के मंदिर बेहद आकर्षक और वास्तुकला के अनूठे उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
जम्मू कश्मीर और भारत के कुछ हिस्सों में स्थित बेसर शैली के मंदिर भी देखने को मिलते हैं। इन मंदिरों की बनावट और इन मंदिरों के पौराणिक और धार्मिक महत्व काफी अलग-अलग है।
वैसे तो भारत में अनेक मंदिर है, लेकिन कई मंदिर ऐसे भी हैं, जो विशेष महत्व रखते हैं। इसीलिए उन्हें फेमस मंदिरों की सूची में शामिल किया गया है।
आज अपने एक लेख में हम आपको भारत में सबसे प्रसिद्ध मंदिर कौन सा है, भारत में स्थित कुछ फेमस मंदिर, उनके नाम, उनकी जगह और उनके बारे में विस्तृत जानकारी देने वाले हैं।
भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिर (Bharat Ke Sabse Prasidh Mandir)
वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू कश्मीर
माता रानी के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध वैष्णो देवी का मंदिर मां दुर्गा का गुफा मंदिर है। भारत के सबसे फेमस मंदिरों में शुमार होने वाला यह मंदिर हर साल श्रद्धालुओं की टॉप लिस्ट में सबसे ऊपर होता है।
त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित वैष्णो देवी मां का यह मंदिर समुद्र तल से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर देवी मां के 108 शक्तिपीठों में से एक है।
हिंदू धर्म और देवी-देवताओं के प्रति आस्था रखने वाले लोगों के लिए माता का यह मंदिर अलग ही महत्व रखता है। इस मंदिर की छोटी-छोटी पहाड़ियों तक पहुंचने के लिए आपको 13 किलोमीटर तक पैदल जाना होता है।
यह मंदिर एक धार्मिक ट्रैकिंग डेस्टिनेशन है। ऐसी मान्यता है कि जब भक्त वैष्णो देवी मां का नाम सुनते हैं, तो उन्हें ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ने की शक्ति अपने आप ही मिल जाती है। हर साल कई सारे भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहां आते हैं।
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बैद्यनाथ धाम मंदिर, झारखंड
बाबा बैजनाथ धाम भारत के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर झारखंड राज्य के देवघर जिले में स्थित है। इस मंदिर को माता सती के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
बाबा बैद्यनाथ धाम के मंदिर में प्राचीन और आधुनिक दोनों वास्तुकला देखने को मिलती है। बाबा बैजनाथ धाम का मंदिर कई छोटे-छोटे मंदिरों का समूह है, जिनमें भगवान शिव जी का मंदिर प्रमुख है और वह लाल धागे से माता पार्वती के मंदिर से जुड़ा हुआ है।
यह मंदिर 72 फीट लंबा है, उसके ऊपर बहुत लंबा सा त्रिशूल लगा हुआ है। इस मंदिर के गर्भ ग्रह में भगवान शिव की शिवलिंग विराजमान है, जिसे कामना लिंग कहा जाता है।
बाबा बैजनाथ धाम मंदिर को रावणेश्वर, बैजनाथ और विदेश्वर आदि जैसे कई नामों से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा जी ने करवाया था।
वहीं कुछ इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1496 ईस्वी में गिद्धौर के राजा पूरणमल ने करवाया था।
इस मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है कि इस मंदिर में विराजमान भगवान शिव की शिवलिंग रावण ने भगवान शिवजी को प्रसन्न करके प्राप्त किया था और वह उसे लंका ले जाना चाहता था।
लेकिन बीच राह में वह इस शिवलिंग को एक बैजु नाम के ग्वाले के हाथ में थमा गया था, जिसने धरती पर शिवलिंग को रख दिया और हमेशा के लिए इसी स्थान पर यह शिवलिंग स्थापित हो गया।
सावन के महीने में यहां बोल बम यात्रा आयोजित होती है, जिसमें सुल्तानगंज से पवित्र गंगा के जल को लेकर श्रद्धालु भगवान शिव जी के शिवलिंग को समर्पित करने के लिए 100 किलोमीटर पैदल चलके देवघर पहुंचते हैं।
कोर्णाक का सूर्य मंदिर, उड़ीसा
कोर्णाक का सूर्य मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जो उड़ीसा राज्य के कोर्णाक शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान सूर्य देव को समर्पित है और मंदिर का आकार भी एक रथ के समान है, जिसे सात घोड़े खींचते हुए नजर आते हैं।
यह सात घोड़े सप्ताह के 7 दिन को दर्शाते हैं। वहीं रथ में कुल 24 पहिए बने हुए हैं, जिसे 1 दिन के 24 घंटे का प्रतीक माना जाता है। यह पहिए का व्यास 3 मीटर है और प्रत्येक पहिये पर सुंदर नक्काशी की गई है।
कोर्णाक के सूर्य मंदिर को 1984 में यूनेस्को के द्वारा विश्व धरोहर स्थल के सूची में शामिल किया गया था। इस मंदिर का निर्माण कलिंग वास्तुकला में हुआ है।
बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट पत्थर के उपयोग से इस मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर के विभिन्न हिस्सों पर नृत्य करती हुई नृत्यांगना , संगीतकार और कई जानवरों की सुंदर चित्रों को भी चित्रित किया गया है।
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
काशी बनारस की पवित्र भूमि पर पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित भगवान भोलेनाथ का यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से 12 ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
काशी विश्वनाथ का मंदिर सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर में विराजमान भगवान शिव को विश्वनाथ या विश्वेश्वर कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है ब्रह्मांड का शासक।
भोलेनाथ पूरे काशी के राजा यानी काशी नरेश कहे जाते हैं। भगवान महाकाल की भव्य पूजा और आरती यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सीधे भगवान से जोड़ती है।
भगवान शिव के मंदिर के अतिरिक्त मंदिर के परिसर में और भी कई छोटे-छोटे मंदिर है। भगवान भोलेनाथ के भक्तों और हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए काशी विश्वनाथ का मंदिर अलग ही महत्व रखता है।
केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग की गढ़वाल पर्वत श्रृंखला पर स्थित 3583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। केदारनाथ का मंदिर चारों धाम की यात्रा में भी शामिल है।
इसके अलावा भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे बड़ा ज्योतिर्लिंग माना जाता है। मूल रूप से केदारनाथ का मंदिर पांडवों द्वारा निर्मित है और यदि वर्तमान समय की बात करें तो आदि शंकराचार्य ने इसका निर्माण करवाया था।
भगवान शिव का यह मंदिर वास्तु कला का एक अनूठा उदाहरण है। हिंदू धर्म के आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता हुआ भगवान शिव का यह मंदिर एक रहस्यमई मंदिर भी है।
इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर अप्रैल से नवंबर के बीच ही खुलता है। बर्फीली पहाड़ियों से घिरे होने और भूस्खलन या बाढ़ जैसी समस्याओं से बचने के लिए साल के 6 महीने या मंदिर बंद रहता है।
इस मंदिर के खुलने और बंद होने का मुहूर्त भी निकाला जाता है। यह मंदिर अप्रैल में खुलता है और नवंबर में बंद हो जाता है।
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महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
भारत के मध्य प्रदेश के राज्य के उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर मंदिर भारत के प्रमुख प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
भारत का पवित्र उत्कृष्ट तीर्थ स्थान महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है, जहां हर सुबह भगवान शिव जी की भस्म आरती होती है।
इस मंदिर के निर्माण कला में मराठा, भूमिज और चालुक्य शैलियों का सुंदर व कलात्मक मेल देखने को मिलता है। यह मंदिर 5 मंजिले का मंदिर है, जिसमें से 1 मंजिला जमीन के अंदर स्थित है।
मंजिल के गर्भ ग्रह में भगवान शिव जी की विशाल प्रतिमा स्थापित है और मंदिर के ऊपरी हिस्से में ओमकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर का लिंग स्थापित है। नागेश्वर शिव मूर्ति का दर्शन केवल नागपंचमी के दौरान ही मिलता है बाकी समय इसके कपाट बंद रहते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान शिव का मुख दक्षिण की ओर है। महाकालेश्वर मंदिर के परिसर में एक बड़ा सा कुंड भी है।
मंदिर के बरामदे के उत्तरी भाग में एक कक्ष भी है, जहां पर भगवान श्री राम और देवी अवंतिका के चित्र को पूजा जाता है।
कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी
इक्षा की देवी या मनोकामना पूरी करने वाली कामाख्या देवी का यह मंदिर असम के गुवाहाटी की नीलांचल पहाड़ियों पर स्थित है। देवी मां का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में सबसे प्रमुख 4 शक्तिपीठों में से एक है।
देवी मां की प्रतिमा से रजस्वला का होना इस मंदिर की सबसे खास बात है। रजस्वला के रुकने के बाद श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए मरते हैं।
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में देवी मां की चट्टान रूपी योनि से रक्तस्राव होता रहता है। इस अद्भुत और चमत्कारी घटना की वजह से यह स्थान देवी मां के सारे मंदिरों में अलग ही महत्व रखता है।
यह मंदिर एक तरह से तांत्रिक क्रियाओं का केंद्र भी माना जाता है। इसके अलावा इस मंदिर में लोग दूर-दूर से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने आते हैं और देवी मां के अद्भुत और चमत्कारी मंदिर के दर्शन करके धन्य होते हैं।
अमरनाथ मंदिर, कश्मीर
कश्मीर के श्रीनगर शहर से 135 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर पूर्व दिशा में 13600 फीट ऊंची चोटी पर स्थित अमरनाथ मंदिर भारत का पवित्र स्थल है। इस स्थान को तीर्थ का तीर्थ भी कहा जाता है।
अमरनाथ मंदिर को मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है जहां पर मां सती का कंठ गिरा था। अमरनाथ मंदिर की गुफा 11 फीट ऊंची और 150 फीट क्षेत्र में फैली हुई है।
अमरनाथ मंदिर में गुफा के अंदर 10 से 12 फीट ऊंची भगवान शिवजी की बर्फ से बनी शिवलिंग है और आश्चर्य की बात यह है कि यह शिवलिंग स्वयं बनी हुई है।
शिवलिंग के ऊपर लगातार बर्फ की बूंदे टपकती रहती है और इसी बर्फ के बूंदों से इस शिवलिंग का निर्माण होता है। यह शिवलिंग चंद्रमा के कलाओं के अनुसार घटते बढ़ते रहता है।
पूर्णिमा के दिन यह शिवलिंग पूर्ण स्वरूप में दिखाई देता है और उसके बाद यह शिवलिंग की ऊंचाई धीरे-धीरे घटती चली जाती है और अमावस्या को यह काफी छोटी दिखाई देती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इसी गुफा में भगवान शिव जी ने मां पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी। इसीलिए काशी के बाद मोक्ष प्राप्ति करने के लिए इसी स्थान का सबसे ज्यादा महत्व है।
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सोमनाथ मंदिर, गुजरात
गुजरात के सौराष्ट्र में प्रभास पाटन में स्थित भगवान शिव को समर्पित सोमनाथ का मंदिर अत्यंत प्राचीन मंदिर है। इसके साथ ही यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं सुनने को मिलती है। ऐतिहासिक तौर पर देखा जाएं तो इस मंदिर को कई विदेशी आक्रमणकारियों ने बार-बार ध्वस्त किया था।
बाद में इसका निर्माण चालुक्य शैली में करवाया गया था। सोमनाथ मंदिर का प्राचीन इतिहास और वास्तुकला इसके प्रमुख आकर्षण के केंद्र हैं। प्राचीन काल से ही सोमनाथ का मंदिर भारत के विभिन्न मंदिरों की श्रेणी में सबसे ऊपर गिना जाता रहा है।
आज भी हिंदू धर्म को मानने वाले और भगवान शिव ने आस्था रखने वाले लोगों के लिए गुजरात के सोमनाथ का मंदिर विशेष महत्व रखता है।
रामेश्वरम मंदिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित रामेश्वर मंदिर भारत में प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। यह मंदिर हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से तीनों तरफ से घिरा हुआ है।
भगवान शिव जी को समर्पित यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो रामनाथ स्वामी मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है।
मंदिर का निर्माण द्रविड़ स्थापत्य शैली में किया गया है। मंदिर का प्रवेश द्वार 40 फुट ऊंचा है। मंदिर के अंदर कई सारे खंबे हैं और प्रत्येक खंभों पर कई सारी खूबसूरत कलाकृतियां की गई है।
मंदिर के गर्भ ग्रह में 2 शिवलिंग स्थापित है, जिसमें से एक शिवलिंग मां सीता के द्वारा निर्मित है, जिसे रामलिंगम शिवलिंग के नाम से जाना जाता है।
वहीं दूसरा शिवलिंग भगवान हनुमान जी के द्वारा कैलाश पर्वत से लाया गया था। इस शिवलिंग को विश्वलिंगम के नाम से जाना जाता है।
रामेश्वरम मंदिर के अंदर कई सारे कुंए भी बने हुए हैं। कहा जाता है इन कुओं का निर्माण भगवान राम जी ने स्वयं अपने बाणो से किया था और इन कुंओ में कई तीर्थ स्थानों का जल संग्रहित है। इसीलिए इन कुंओ का बहुत महत्व है।
रामेश्वर मंदिर के अंदर 12 तीर्थ है और पहला और मुख्य तीर्थ को अग्नि तीर्थ कहा जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के चित्तूर तिरुमाला पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन समय में आई विपदाओं को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने अवतार लिया था। यह मंदिर इसी बात का प्रमाण है।
हर साल भारी मात्रा में श्रद्धालु यहां दर्शन करने और अपने बालों को अर्पित करने आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों की श्रेणी में सबसे ऊपर आता है।
यहां चढ़ाए गए बालों से मंदिर को करोड़ों का फायदा होता है। भगवान विष्णु का यह अद्भुत और चमत्कारी मंदिर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने वाला मंदिर है।
ऐसा कहा जाता है कि जीवन में एक बार इस मंदिर के दर्शन कर लेने से व्यक्ति का जीवन सफल हो जाता है। समुद्र तल से 853 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर सात पहाड़ियों पर बना है। इसीलिए से सात पहाड़ियों का मंदिर भी कहा जाता है।
दिलवाड़ा का जैन मंदिर, राजस्थान
जैन समुदायों से संबंधित दिलवाड़ा का जैन मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू बस्ती में पहाड़ियों की एक श्रृंखला के बीच में स्थित है।
इस मंदिर का निर्माण राजा भीम शाह के द्वारा कराया गया था। उसके बाद 11वीं से 15वीं शताब्दी के बीच इस मंदिर का पुनः निर्माण किया गया।
दिलवाड़ा जैन मंदिर एक ही आकार के 5 मंदिर का समूह है और प्रत्येक मंदिर 1 मंजिली का है। इन मंदिरों में कुल 48 स्तंभ बनाए गए हैं और प्रत्येक स्तंभ पर विभिन्न मुद्रा में महिलाओं की सुंदर आकृति उकेरी गई है।
मंदिर का मुख्य आकर्षण रंग मंडप है, जो गुंबद के आकार में है और छत के बीच में झूमर जैसी खूबसूरत संरचना बनाई गई है।
इसके चारों और पत्थरों से बनी विद्या देवी की 16 मूर्तियां विराजमान है। मंदिर के सभी छत, दरवाजे, पैनल एवं स्तंभों पर खूबसूरत बारीक नक्काशी करके सजावट किया गया है।
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बद्रीनाथ मंदिर, उत्तराखंड
बद्रीनाथ मंदिर भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है, जो उत्तराखंड राज्य स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर हिंदू धर्म में वर्णित चार धामों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित है।
मंदिर के अंदर स्थापित भगवान विष्णु की चतुर्भुज ध्यान मुद्रा की प्रतिमा को शालग्रामशिला से बनाई गई है। कहा जाता है इस स्थान पर प्राचीन समय में बद्री यानी की बेर के वृक्ष हुआ करते थे, इसीलिए इस स्थान का नाम बद्रीनाथ पड़ा है।
बद्रीनाथ के पुजारी जिन्हें रावल कहा जाता है। यह मुख्य रूप से केरल के ब्राह्मण होते हैं और यह परंपरा की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी।
शीत ऋतु के दौरान बद्रीनाथ मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाता है। इस समय मंदिर के रावल साड़ी पहनकर मां पार्वती का श्रृंगार करके गर्भ ग्रह में प्रवेश करते हैं और उसके बाद यहां पर पूजा-अर्चना होती है और फिर कपाट खोले जाते हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर, महाराष्ट्र
सिद्धिविनायक मंदिर महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर में स्थित भारत का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है, जो 200 साल से भी अधिक पुराना है।
सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 1801 ईस्वी में लक्ष्मण विठू नाम के व्यक्ति के द्वारा किया गया था। सिद्धिविनायक मंदिर का वर्तमान रूप यहां पर बने प्राचीन मंदिर का नया डिजाइन है।
मंदिर के अंदर स्थापित भगवान गणपति की मूर्ति को छोड़कर बाकी सभी संरचना में बदलाव किया गया है। यह मंदिर 6 मंजिल की संरचना है, जिसके शीर्ष पर एक केंद्रीय गुंबद है और उस पर सोने की परत चढ़ी हुई।
मंदिर के पुनर्निर्माण में गुलाबी ग्रेनाइट और संगमरमर के पत्थरों का इस्तमाल किया गया है। मंदिर में तीन प्रवेश द्वार है। मंदिर के मुख्य द्वार का दरवाजा लकड़ी से बना हुआ है, जिस पर मंदिर के पीठासीन देवता अष्टविनायक के 8 स्वरूपों के मूर्ति को बहुत खूबसूरत तरीके से चित्रित किया गया है।
मंदिर के अंदर भगवान गणेश की मूर्ति को काले पत्थरों से तराश कर बनाया गया है और यह प्रतिमा चतुर्भुज स्वरूप में है।
प्रतिमा के दोनों ओर भगवान गणेश की दोनों पत्नी रिद्धि एवं सिध्दी जी की प्रतिमा स्थापित है। भगवान गणेश जी की मस्तिष्क पर तीसरी आंख उकेरी गई है, जो भगवान शिव जी का प्रतीक है।
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महाबोधि मंदिर, बोधगया
बिहार के बोधगया में स्थित यह मंदिर भगवान बुद्ध को समर्पित है। धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाला भगवान बुध का यह मंदिर वास्तुकला का अनूठा उदाहरण है।
जिस स्थान पर भगवान बुद्ध को आत्म ज्ञान प्राप्त हुआ था, यह मंदिर उसी जगह निर्मित है। इसी कारण यह मंदिर भगवान बुद्ध के मंदिरों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
वह वृक्ष जिसके नीचे बैठकर भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, मंदिर के बाई ओर स्थित है। शांति और सुकून का अनुभव देने वाला या मंदिर भगवान बुद्ध में आस्था रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए आस्था का केंद्र है।
पौराणिक कथाओं की माने तो भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार कहा जाता है। यह मंदिर 4.8 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
प्रेम मंदिर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित प्रेम मंदिर भारत का एक प्रसिद्ध मंदिर है और यह मंदिर नवनिर्मित मंदिर है, जो भगवान राधा कृष्ण और सीताराम को समर्पित है।
यह मंदिर पूरे ब्रज धाम में सबसे खूबसूरत संरचना है। इसका निर्माण साल 2001 में जगद्गुरु कृपालु जी महाराज के द्वारा किया गया था।
इस महल के भव्य रूप और सुंदर नक्काशी के कारण ही लाखों श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं।
मंदिर का निर्माण गुजराती और राजस्थानी स्थापत्य शैली में किया गया है। यह मंदिर 54 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर के निर्माण में पूरी तरह सफेद संगमरमर के पत्थर का इस्तेमाल किया गया है, जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है।
मंदिर के चारों तरफ भगवान श्री कृष्ण के जीवन को चित्रित करते हुए कई सारी प्रतिमाएं स्थापित है, जिसमें गोवर्धन पर्वत को कनिष्ठा उंगली पर उठाते हुए उनको दिखाया गया है। इस मंदिर के निर्माण में करीबन 150 करोड़ रुपए का खर्च हुआ है।
महाबलेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र
महाबलेश्वर मंदिर भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। महाराष्ट्र राज्य में स्थित यह मंदिर महाराष्ट्र का प्राचीन मंदिर है। भगवान शिव जी को समर्पित इस मंदिर को मराठा विरासत का एक खूबसूरत नमूना माना जाता है।
इस मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी के दौरान चंदा राव मोर वंश के द्वारा किया गया था। मंदिर का निर्माण हेमाडंत स्थापत्य शैली में किया गया है।
मंदिर में भगवान शिव की रुद्राक्ष रूप में 6 फीट की शिवलिंग स्थापित है, जिसे महालिंगम के नाम से जाना जाता है और यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं।
मंदिर में भगवान शिव जी का वाहन नंदी की खूबसूरत प्रतिमा भी स्थापित है, जिस पर खूबसूरत नक्काशी किया गया है। मंदिर के अंदर से करोड़ों साल पुराना त्रिशूल, डमरू और रुद्राक्ष भी रखा हुआ है।
अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली
स्वामीनारायण का अक्षरधाम मंदिर दिल्ली में स्थित है। बेहद खूबसूरत दिखने वाला यह मंदिर 2005 में खोला गया था। यह मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है।
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। इस मंदिर का निर्माण जटिल नक्काशी दार संगमरमर और बलुआ पत्थर से हुआ है।
इस मंदिर में भगवान स्वामीनारायण के अलावा 20000 दिव्य पुरुषों की प्रतिमाएं आपको देखने को मिलेंगी।
यमुना नदी के तट पर बसा भगवान स्वामीनारायण का यह मंदिर हिंदू धर्म में मान्यता रखने वाले व्यक्तियों के लिए अलग ही महत्व रखता है।
राजरानी मंदिर, उड़ीसा
राजरानी मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जो उड़ीसा राज्य के भुवनेश्वर शहर में स्थित है। इस मंदिर के निर्माण में लाल और पीले बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है, जिसे स्थानीय भाषा में राजरानी कहा जाता है। इसी कारण इस मंदिर का नाम भी राजरानी पड़ा।
इस मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी के मध्य में किया गया था। इस मंदिर का निर्माण पंचमट शैली में किया गया है, जिसमें दो सरचनाओ के साथ एक मंच पर इसका निर्माण किया गया है।
इसमें मध्य के मंदिर को विमान कहा जाता है। यह भारत की एकमात्र ऐसी मंदिर है, जिसके गर्भ ग्रह में कोई प्रतिमा नहीं है अर्थात इस मंदिर में किसी भी भगवान की पूजा नहीं की जाती हैं।
यह मंदिर पर महिलाओं और जोड़ों की की गई कामोत्तेजक नक्काशी के कारण ही यह मंदिर प्रसिद्ध है। इसके कारण इस मंदिर को स्थानीय रूप से प्रेम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
इतिहासकारों के अनुसार मध्य भारत के कई मंदिरों का निर्माण इसी राजरानी मंदिर को देखकर किया गया है, जिसमें खजुराहो का मंदिर प्रसिद्ध है।
हर साल ओडिशा सरकार के पर्यटन मंत्रालय के द्वारा 18 जनवरी से 20 जनवरी तक इस मंदिर में एक राजरानी संगीत समारोह का आयोजन होता है।
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त्रयंबकेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्रियंबक नगर में स्थित त्रयंबकेश्वर मंदिर भारत का एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित मंदिर है और भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
यह मंदिर 3 पर्वतों के बीच स्थित होने के कारण ही त्रियंबकेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। प्राचीन समय में इस मंदिर का निर्माण किया गया था लेकिन बाद में महाराष्ट्र के तीसरे पेशवा बालासाहेब ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था और 1755 ईसवी से लेकर 1786 के बीच इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ।
यह मंदिर नासिक शहर से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर के परिसर में एक कुंड है, जिसे एक कुशावर्धक कहा जाता है। मंदिर का निर्माण सिंधु आरी शैली में किया गया है।
मंदिर के गर्भ ग्रह में त्रिमुखी शिवलिंग है, जिसे भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है। मंदिर के निर्माण में काले पत्थरों का उपयोग किया गया है।
कहा जाता है कि इस मंदिर में बने शिवलिंग में महाभारत काल के दौरान पांडवों ने एक रत्न जड़ित मुकुट चढ़ाया था।
जगन्नाथ पुरी मंदिर, उड़ीसा
पुरी उड़ीसा के पूर्वी तट पर पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण यानी भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। जगन्नाथ का अर्थ होता है सारे संसार के स्वामी अर्थात भगवान जगन्नाथ।
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर के ऊपर लगा हुआ झंडा हमेशा हवा की उलटी दिशा में लहराता है और ऐसा क्यों होता है? इस बात का रहस्य आज तक पता नहीं चल पाया है।
वैष्णव संप्रदाय का यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण में आस्था रखने वाले भक्तों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। हर साल पर्यटन यात्रा और तीर्थ यात्रा पर निकलने वाले लोगों के लिए जगन्नाथ का यह मंदिर कुछ विशेष महत्व रखता है।
महालक्ष्मी मंदिर, महाराष्ट्र
महालक्ष्मी मंदिर महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर में स्थित भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिर में से एक हैं। महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण में हेमाडपंथी शैली का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें मंदिर के परिसर में पांच बड़ी मीनारें एवं एक मुख्य होल है।
मंदिर में चार प्रवेश द्वार है और एक मुख्य द्वार है, जिसे महाद्वार कहा जाता है। मंदिर के गर्भ गृह में माता लक्ष्मी की विशाल मूर्ति चार भुजाओं के साथ कमल के फूल के ऊपर खड़ी मुद्रा में स्थापित किया गया है और माता के पीछे पत्थर का शेर उनके वाहन के रूप में खड़ा है।
महालक्ष्मी माता के मुकुट पर शेषनाग और भगवान शिवलिंग की छवि भी बनी हुई है। महालक्ष्मी मंदिर के उत्तर व दक्षिण वाले मंदिरों में महाकाली और मां सरस्वती माता का मंदिर भी है।
इसके साथ ही इस मंदिर के परिसर में भगवान शिव जी को समर्पित नवग्रह मंदिर, विट्ठल मंदिर, रखुमाई मंदिर और शेष साईं मंदिर भी बना हुआ है।
इस मंदिर का इतिहास चालुक्य काल के समय का बताया जाता है। कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण 600 ईसवी में चालुक्य वंश के किसी शासक ने किया था। लेकिन आठवीं शताब्दी में भूकंप के कारण इस मंदिर का अधिकांश भाग नष्ट हो गया था।
1009 ईस्वी में कोंकण राजा कर्ण देव ने इस मंदिर की खोज की थी और 11वीं शताब्दी में इस मंदिर तक पहुंचने के लिए एक मार्ग का निर्माण किया था।
इसके साथ ही उन्होंने महाकाली मंदिर और सरस्वती मंदिर का भी निर्माण किया था। 18 वीं शताब्दी में मराठा शासन के दौरान इस मंदिर का दोबारा नवीनीकरण कार्य किया गया था।
मीनाक्षी मंदिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु के मदुरई में वैगई नदी के तट पर स्थित यह मंदिर भारत की सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण सन 1623 से लेकर 1655 के बीच कराया गया।
माता पार्वती को समर्पित यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती का मंदिर है। यहां माता पार्वती के पति आनी भगवान शिव को सुंदर ईश्वर कहा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती और भगवान शिव ने विवाह करने के लिए सुंदरेश्वर रूप में इस जगह का दौरा किया था। माता पार्वती का यह मंदिर अत्यधिक प्रसिद्ध मंदिर है।
यहां आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए मीनाक्षी मंदिर प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। माता पार्वती का जन्म स्थान होने की वजह से यह मंदिर विशेष महत्व रखता है।
यह मंदिर अत्यंत सुंदर है। इस मंदिर में 14 प्रवेश द्वार यानी कि गोपुरम, पवित्र गर्भ ग्रह और स्वर्ण टावर प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाला यह मंदिर वास्तुकला का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है।
भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में कैसे पहुंचे?
यदि आप भारत भ्रमण या फिर तीर्थ यात्रा या फिर किसी राज्य विशेष की यात्रा पर निकले हो तो वहां के प्रसिद्ध मंदिर आप घूम ही लेंगे।
यदि आप सिर्फ भारत के फेमस मंदिर घूमने निकले हैं, तो भी मंदिरों की स्थान तक पहुंचने के लिए आपके पास माध्यम वही तीन रहेंगे सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग।
आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार इन तीनों माध्यमों में से किसी को भी चुन सकते हैं। ट्रेन बस कार या हवाई जहाज से किसी भी स्टेट या राज्य पहुंचने के बाद आप वहां से वहां के लोकल ट्रांसपोर्टेशन जैसे कि टैक्सी बस या कैब के सहारे इन मंदिरों तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
यात्रा के समय रुकने की जगह
चाहे आप तीर्थ यात्रा पर निकले हो या फिर भारत भ्रमण करने पर या फिर प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा पर जाने की बात हो तो हर राज्य हर शहर में रुकने के लिए पर्याप्त होटल्स रिजॉर्ट्स, होमस्टे, डॉरमेट्री, आश्रम या धर्मशाला जैसी सुविधाएं जरूर होती है। इसीलिए आपको कहीं भी रुकने में परेशानी नहीं होगी।
यात्रा के समय खाने पीने की व्यवस्था
भारत के अलग-अलग राज्यों में स्थित प्रसिद्ध मंदिरों के आसपास के क्षेत्र में खाने पीने की छोटी छोटी दुकानों से लेकर बड़ी-बड़ी होटल उपलब्ध होते हैं।
किसी राज्य विशेष का स्थानीय और प्रसिद्ध भोजन या फिर स्ट्रीट फूड आपको हर एक राज्य में आसानी से मिल जाता है, इसीलिए खाने पीने की व्यवस्था को लेकर कोई परेशानी नहीं होगी।
भारत के फेमस मंदिर घूमने का खर्चा
यदि आप तीर्थ यात्रा पर निकले हैं और किसी पैकेज या ऑफर के तहत फेमस मंदिर घूमने निकले हैं, तो खर्च अपेक्षाकृत कम आएगा और यदि आप पूरा भारत घूमने निकले हैं तो खर्च थोड़ा ज्यादा आएगा।
इसके अलावा यदि आप सिर्फ और सिर्फ इन विशेष मंदिरों की यात्रा पर निकले हैं, तो आपको बता दें कि जितना खर्च पूरा राज्य या शहर घूमने में आता है उससे बहुत ही कम खर्च आएगा।
टोटल खर्च कितना आएगा, यह आपके घूमने की जगह घूमने के दिन रुकने की व्यवस्था और खाने-पीने के इंतजाम और आपके बजट पर निर्भर करता है।
यात्रा करते समय साथ में क्या रखें?
किसी भी जगह की यात्रा पर जाने से पहले सबसे जरूरी होता है पैसे रखना। तो भारत के फेमस मंदिरों की यात्रा पर निकलने से पहले भी आप अपने बजट और सुविधा के अनुसार पैसे रखना ना भूलें।
यात्रा से संबंधित कुछ विशेष दस्तावेज जैसे कि आपकी यात्रा का टिकट, आईडी कार्ड बगैरा रखना ना भूलें।
इसके अलावा कुछ कपड़े और सफर के दौरान खाने-पीने का कुछ हल्का फुल्का सामान इसके अलावा फर्स्ट एड बॉक्स और नॉर्मल सी दवाइयां जरूर साथ रखें।
इसके अलावा ठंडे प्रदेशों में जाने के लिए कुछ गर्म कपड़े और गर्म स्थानों पर जाने के लिए कुछ हल्के फुल्के ढीले ढाले कपड़े जरूर साथ रखें।
FAQ
वैसे तो भारत के प्रसिद्ध मंदिर बहुत सारे हैं लेकिन उनमें से कुछ प्रसिद्ध मंदिर जैसे कि वैष्णो देवी जम्मू कश्मीर, अमरनाथ मंदिर, केदारनाथ मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, लिंगराज मंदिर, स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर, सिद्धिविनायक मंदिर, इस्कॉन टेंपल, प्रेम मंदिर, ओमकारेश्वर मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर, त्रयंबकेश्वर मंदिर, भीमाशंकर मंदिर, जगन्नाथ पुरी मंदिर, दिलवाड़ा के मंदिर स्वर्ण मंदिर, कामाख्या देवी मंदिर, मीनाक्षी मंदिर, पद्मनाभस्वामी मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, अयोध्या का राम मंदिर, साईं बाबा मंदिर शिर्डी, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर इत्यादि।
बिहार के कैमूर में स्थित मुंडेश्वरी देवी मंदिर भारत का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। यह भगवान शिव और पार्वती का मंदिर है।
प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा में कितना खर्च आएगा यह नैतिक तौर पर बता पाना थोड़ा मुश्किल है। आप जिस भी जगह घूमने जा रहे हैं, वहां के फेमस मंदिर उस यात्रा के दौरान यदि घूमते हैं तो खर्च उस हिसाब से आएगा और आप यदि केवल अलग अलग राज्य जाकर अलग-अलग शहर में स्थित फेमस मंदिर घूमते हैं तो पूरा शहर घूमने से कम खर्च आएगा।
भारत के अलग-अलग हिस्सों में स्थित इन मंदिरों तक पहुंचने के लिए आपको सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग उपलब्ध है। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार इनमें से किसी भी मार्ग द्वारा भारत के विशेष राज्य में पहुंचकर वहां के प्रसिद्ध मंदिर घूम सकते हैं।
निष्कर्ष
इस लेख में भारत के प्रसिद्ध मंदिरों और उनसे जुड़ी कुछ जानकारी साझा की है। इन प्रसिद्ध मंदिरों की प्रसिद्धि के अपने-अपने कारण और महत्व है भारत जैसे विविधता वाले देश में प्रसिद्ध मंदिरों की भरमार है।
इस आर्टिकल की मदद से आप यह जान पाएंगे कि भारत के फेमस मंदिर किन-किन जगहों पर स्थित है? और फेमस क्यों है?
आशा है आपको इस आर्टिकल से भारत का सबसे प्रसिद्ध मंदिर (bharat ka sabse prasidh mandir) यात्रा से संबंधित सारी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। आपको यह लेख कैसा लगा, कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।
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