10+ केदारनाथ में घूमने की जगह और कब जाएँ?

Kedarnath Me Ghumne ki Jagah: केदारनाथ उत्तराखंड राज्य में स्थित एक शहर है, जो मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है। यह केदारनाथ मंदिर के कारण काफी प्रसिद्ध है। यह हिमालय श्रृंखला के बीच में स्थित हिंदुओं के चार धाम यात्रा में से एक है। भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ मंदिर मनुष्य के मोक्ष का प्रवेश द्वार माना जाता है। इसीलिए यहां पर हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर का दर्शन करने के लिए आते हैं।

केदारनाथ ऋषिकेश से 223 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है, जो 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ धार्मिक स्थान के अतिरिक्त पर्यटक स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। बर्फ से ढके पहाड़ियों के बीच स्थित इस शहर में केदारनाथ मंदिर के अतिरिक्त कई सारे पर्यटक स्थल है।

Kedarnath Me Ghumne ki Jagah
Image: Kedarnath Me Ghumne ki Jagah

यदि आप केदारनाथ यात्रा की योजना बना रहे हैं तो बिल्कुल सही लेख पर आए हैं। क्योंकि आज के लेख में हम आपको केदारनाथ की यात्रा से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी देने वाले हैं। जिसमें केदारनाथ के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल (Kedarnath Me Ghumne ki Jagah), वहां का स्थानीय लोकप्रिय भोजन और केदारनाथ से जुड़ी कुछ रोचक तथ्य को भी बताने वाले हैं। तो लेख को अंत तक पढ़े।

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केदारनाथ में घूमने की जगह | Kedarnath Me Ghumne ki Jagah

केदारनाथ के बारे में रोचक तथ्य

केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों के द्वारा करवाया गया था, जिसके बाद फिर आदिशंकराचार्य ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। केदारनाथ में स्थित केदारनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के बीच काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर को बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए पत्थरों को एक दूसरे से इंटरलॉकिंग तरीके का इस्तेमाल करके जोड़ा गया है, जो इतना मजबूत है कि आज भी वह उसी स्वरूप में खड़ा है।

इसके अतिरिक्त मंदिर के तीनों तरफ पहाड़ हैं, जो इस मंदिर को काफी आकर्षक और भव्य बनाते हैं। यह मंदिर मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षिरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगोरी जैसे पांच नदियों के संगम किनारे स्थित है।

केदारनाथ मंदिर पांच अलग-अलग मंदिरों का समूह है, जिसके कारण इसे पंच केदार के नाम से भी जाना जाता है।

केदारनाथ धाम का नाम भी काफी महत्व रखता है। हालांकि इस नाम को लेकर कई सारी अलग-अलग कहानी है। लेकिन सबसे प्रसिद्ध कहानी सतयुग युग में शासन करने वाले राजा केदार की है, उन्हीं के नाम पर इस स्थान का नाम केदार पड़ा।

माना जाता है महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों को अपने भाइयों के साथ युद्ध करके पाप की अनुभूति हो रही थी। इसीलिए वे अपने पाप से मुक्त होने के लिए भगवान शिव के चरणों में गए थे। लेकिन भगवान शिव उनसे प्रसन्न थे, जिसके कारण वे उन्हें चकमा देकर चले जाते हैं। परंतु पांडव भगवान शिव का पीछा करते हुए केदारनाथ पहुंच जाते हैं और भगवान शिव फिर यहीं पर पांडवों को बेल के रूप में दर्शन देते हैं।

केदारनाथ में भगवान शिव ने पांडवों को बेल के रूप में दर्शन दिया था, जिसके बाद वहां वह शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी और तब से ही आज तक इस शिवलिंग की पूजा की जा रही हैं।

केदारनाथ में प्रसिद्ध पर्यटक स्थल (Kedarnath Tourism Place in Hindi)

केदारनाथ में केदारनाथ मंदिर के अतिरिक्त इस शहर में कई सारे पर्यटक स्थल है, जिनमें कई सारी झील और भगवान की मंदिर स्थित है। यदि आप केदारनाथ के 2 से 3 दिन की यात्रा के आयोजन बना रहे हैं तो केदारनाथ की सभी पर्यटक स्थलों को आराम से दर्शन कर सकते हैं। तो आइए केदारनाथ के कुछ प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों को जानते हैं।

भैरवनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित भैरव नाथ का मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। भगवान भैरव भगवान शिव के मुख्य गण थे, जिसके कारण केदारनाथ आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर का दर्शन करना नहीं भूलते हैं।

bhukund bahirav mandir in kedarnath
bhukund bahirav mandir in kedarnath

पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस मंदिर के दर्शन करने आए पर्यटक आसपास की हिमालय और नीचे की पूरी केदारनाथ घाटी के शानदार दृश्य देखने का लुफ्त उठा सकते हैं।

त्रियुगी नारायण मंदिर

त्रिपुरी नारायण एक गांव है, जो सोनप्रयाग से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर त्रियुगीनारायण मंदिर भी है, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षक का केंद्र है।

Triyugi Narayan Temple
Triyugi Narayan Temple

माना जाता है इसी स्थान पर भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इस विवाह की सारी व्यवस्था भगवान विष्णु ने पार्वती माता के भाई के रूप में की थी और भगवान ब्रह्मा एक पुजारी के रूप में मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह करवाए थे। इसीलिए भगवान विष्णु के सम्मान में त्रियुगीनारायण मंदिर बनवाया गया था।

गौरीकुंड

मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित गौरीकुंड सोनप्रयाग से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो समुद्र तल से लगभग 2000 मीटर की ऊंचाई पर है। यह स्थान को मोक्ष और आध्यात्मिकता का प्रवेश द्वार माना जाता है।

Gaurikund Kedarnath
Gaurikund Kedarnath

यहां वासुकी गंगा की वजह से आसपास का नजारा काफी हरियाली से भरा हुआ है, जिससे यहां पर आए श्रद्धालुओं को काफी सुकून और शांति का अनुभव होता है।

चोराबारी झील

गौरीकुंड से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह चोराबारी झील पर्यटक के लिए प्रसिद्ध केंद्र है। इस झील को गांधी ताल के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है 1948 में महात्मा गांधी की अस्थियों को इसी जेल में वर्जित किया गया था। यह झील चोराबारी नामक ग्लेशियर से निकलती है।

chorabari lake
chorabari lake

यहां पर भगवान भैरव की लोकप्रिय मंदिर भी है। यह स्थान काफी महत्व रखता है क्योंकि माना जाता है इस स्थान पर भगवान शिव सप्तर्षियों को योग का उपदेश देते थे। केदारनाथ मंदिर से एक छोटे ट्रेक के माध्यम से यहां पर पहुंचा जा सकता है। इसलिए यदि केदारनाथ यात्रा पर जाएं तो इस स्थान का दर्शन करना बिल्कुल ना भूलें। क्योंकि इस क्षेत्र का यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल में से एक है।

सोनप्रयाग

केदारनाथ से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थान शानदार बर्फ से ढकी हुई चोटियों से घिरा हुआ है। यह 1829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। माना जाता है यहां पर भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था।

Sonprayag Kedarnath
Sonprayag Kedarnath

यहां पर मंदाकिनी नदी बासुकी नदी से मिलती है और ऐसा भी माना जाता है कि यहां व्यक्ति के मात्र जल स्पर्श से ही उसे बैकुंठ धाम प्राप्त हो जाता है, इसीलिए केदारनाथ आए श्रद्धालु इस जगह पर आना नहीं भूलते।

वासुकी ताल झील

केदारनाथ से 8 किलोमीटर के ट्रेकिंग से वासुकी ताल झील पहुंचा जा सकता है। केदारनाथ जाने वाले पर्यटक के लिए वासुकी ताल आकर्षक केंद्र है। यहां का हिमालय पर्वत माला और शांति झील के आसपास का प्राकृतिक दृश्य पर्यटकों को काफी लुभाता है।

Vasuki Tal
Vasuki Tal

इसके अलावा यहां आसपास के इलाके ट्रेकिंग के लिए भी काफी अच्छे हैं। वासुकी ताल से पुरानी कथा भी जुड़ी है कि भगवान विष्णु रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर इसी ताल में स्नान किए थे, इसीलिए इसका नाम वासुकी ताल पड़ा।

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केदारनाथ में प्रसिद्ध भोजन

उतराखंड में स्थित केदारनाथ एक धार्मिक स्थल है, जिसके कारण यहां पर शराब और मांसाहारी भोजन शख्त रूप से वर्जित है। इसके इसके अतिरिक्त आपको यहां भारत सहित चाइनीस फास्ट फूड यहां देखने को मिल जाएंगे।

यहां पर खास करके स्थानीय गढ़वाली और कुमाऊंनी व्यंजन परोसे जाते हैं, जिनका स्वाद आपको यहां के अतिरिक्त कहीं भी नहीं मिलेगा। केदारनाथ में कई सारे ढाबे और स्टाल है, जहां पर आपको कई प्रकार के स्थानीय स्वादिष्ट व्यंजन देखने को मिल जाएंगे, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

आलू के गुटके कुमाऊंनी

आलू के गुटके उत्तराखंड के हर एक शहर के स्ट्रीट फूड में शामिल होता है। यह एक प्रसिद्ध कुमाऊनी व्यंजन है, जिसे तैयार करने की विधि काफी आसान है और यह दिखने से भी काफी स्वादिष्ट लगता है। इस चटपटे व्यंजन को तले हुए आलू, लाल मिर्च के गुच्छे, धनिया पत्ती और अन्य मसाले को शामिल करके बनाया जाता है।

Uttarakhand Aloo Ke Gutke
Uttarakhand Aloo Ke Gutke

यज्ञ पहाड़ी पर रहने वाले लोगों के लिए काफी आदर्श भोजन माना जाता है और केदारनाथ जाने वाले पर्यटकों के लिए बेहतरीन स्वाद का आनंद लेने के लिए यह बहुत लाजवाब व्यंजन है।

चौंसु

यह एक गढ़वाली व्यंजन है, जो एक तरह का ग्रेवी होता है। इस ग्रेवी को काली दाल से बनाया जाता है। सबसे पहले काली दाल को हल्का सा भून कर उसे पीसा जाता है और फिर कई प्रकार के मसालों के साथ मिलाकर पकाया जाता है और फिर इसे चावल या रोटी के साथ खाया जाता है। यदि आप केदारनाथ जाते हैं तो इस स्वादिष्ट व्यंजन का स्वाद का अनुभव जरूर लें।

Urad Dal Chaunsa
Urad Dal Chaunsa

कोड की रोटी

इस व्यंजन के बारे में आप निश्चित ही पहली बार सुन रहे होंगे। लेकिन उत्तराखंड के स्थानीय गढ़वाल समुदायों में यह काफी प्रसिद्ध व्यंजन है। यह एक तरह की रोटी होती है, जिसे स्थानीय अनाज जिसे कोड या रागी के नाम से जाना जाता है, उससे तैयार किया जाता है और दाल के साथ मिलाया जाता है। यह स्वाद में लाजवाब होने के अतिरिक्त आयरन और फाइबर से भरपूर होता है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभकारी होता है।

दुबुकी

यह उत्तराखंड का एक पारंपरिक व्यंजन है, जिसे विशेष अवसरों पर बनाया जाता है। उत्तराखंड में आपको हर रेस्टोरेंट के मैन्यू में यह दिख जाएगा। यह एक तरह की दाल की ग्रेवी होती है, जिसमें अरहर या अन्य कई दाल पसंद के अनुसार शामिल करके बनाया जाता है।

इसे बनाने के लिए दालों की स्टॉक में चावल के आटे मिलाकर धीमी आंच पर सीधे पकाया जाता है और ऊपर से सुगंधित मसाले डाले जाते हैं, जिसके कारण इसका स्वाद काफी लाजवाब हो जाता है।

कुमाउनी रायता

कुमाऊनी रायता उत्तराखंड में काफी प्रसिद्ध है और यह वहां के आम व्यंजनों में से एक है, जो काफी स्वादिष्ट और ताजा भोजन होता है। इस रायता को ककड़ी, धनिया, स्थानीय जड़ी-बूटी और दही इत्यादि को मिलाकर तैयार किया जाता है। साथ ही इसमें अन्य कई प्रकार की सब्जियों के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर शामिल किए जाते हैं।

Kumaoni raita
Kumaoni raita

इस व्यंजन को सुबह, दोपहर व रात के खाने में भी खाया जा सकता है। यह रायता उत्तराखंड के अतिरिक्त और कहीं भी देखने को नहीं मिलता। इसलिए यदि आप केदारनाथ जाते हैं तो इस रायता का स्वाद जरूर ले यह आपको तरोताजा कर देगा।

भट्ट की चुरकनी

यह उत्तराखंड के कुमाऊनी समुदायों में सबसे प्रसिद्ध व्यंजन है। इस व्यंजन को स्थानीय रूप से उगाई गई काली सोयाबीन से तैयार किया जाता है, जिसे चावल के साथ मिलाकर गाढ़ा पेस्ट तैयार किया जाता है, जिसमें स्वाद बढ़ाने के लिए और भी कई प्रकार की जड़ी बूटी और मसालों को शामिल किया जाता है।

Bhatt Ki Churkani
Bhatt Ki Churkani

यह पूरी तरीके से प्रोटीन और फाइबर से समृद्ध रहता है। साथ ही स्वाद में भी लाजवाब होता है। इसी के कारण केदारनाथ के पर्यटकों के लिए भी यह काफी लोकप्रिय व्यंजन है।

केदारनाथ कैसे पहुंचे?

केदारनाथ की यात्रा के लिए आप सड़क, हवाई और रेलवे तीनों में से किसी भी मार्ग का चयन कर सकते हैं। उत्तराखंड के कई बड़े शहर इन तीनों मार्ग से भारत के विभिन्न शहरों से जुड़े हुए हैं।

केदारनाथ की यात्रा के लिए यदि आप रेलवे मार्ग का चयन करना चाहते हैं तो बता दें कि केदारनाथ जाने के लिए आपको सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश की टिकट बुक करनी पड़ेगी, जो केदारनाथ से 216 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आपको गौरीकुंड तक जाने के लिए कई बस या टैक्सी मिल जाएंगे, जिसके जरिए आप केदारनाथ तक पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश के लिए आपको ट्रेन भारत के कई प्रमुख शहरों के रेलवे स्टेशन से आसानी से मिल जाएंगे।

यदि आप केदारनाथ जाने के लिए हवाई मार्ग का चयन करना चाहते हैं तो बता दें कि केदारनाथ शहर में आपको कोई भी हवाई अड्डा नहीं मिलेगा। केदारनाथ से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून में स्थित जौलीग्रांट हवाई अड्डा है, जहां से भारत के विभिन्न बड़े शहर जैसे नई दिल्ली, कोलकाता और मुंबई जैसे शहरों से नियमित रूप से हवाई जहाज उड़ान भरती है। जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से गौरीकुंड के लिए टैक्सी लेनी पड़ती है। इसके बाद 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित केदारनाथ मंदिर के दर्शन के लिए ट्रैकिंग या फिर घोड़े की सवारी लेनी पड़ती है।

केदारनाथ जाने के लिए आप बस का भी चुनाव कर सकते हैं। उत्तराखंड के हर बड़े शहर देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, उत्तरकाशी और चमोली आदि आसपास के सभी शहरों से गौरीकुंड के लिए आपको बस मिल जाएगी। आप चाहे तो यहां से किराए पर भी वाहन ले सकते हैं।

केदारनाथ में ठहरने की जगह

केदारनाथ में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए जाते हैं। ऐसे में यहां पर श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए एक विशाल टेंट सरकार द्वारा संचालित की जाती है। इसके अलावा और यहां कई सारे धर्मशाला है, जहां पर पर्यटक ठहर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त यहां पर कई होटल और गेस्ट हाउस भी है। केदारनाथ के नजदीक के रामपुर, गौरीकुंड और सीतापुर आदि जगहों पर काफी अच्छी सुविधाओं के साथ और अच्छी किराए पर रूम मिल जाते हैं। जो भी पर्यटक केदारनाथ जाना चाहते हैं वे एक बार ऑनलाइन होटल के बारे में और उनके रूम रेंट के बारे में जान सकते हैं।

केदारनाथ घूमने कब जाएं?

केदारनाथ में खराब मौसम के कारण साल में केवल 6 महीने केदारनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। ऐसे में यदि आप केदारनाथ जाना चाहते हैं तो सबसे अच्छा समय है सितंबर और अक्टूबर के बीच का महीना और फिर मई से जून का महीना।

क्योंकि इस दौरान यहां पर बर्फ पिघल चुके होते हैं, जिसके कारण ज्यादा ठंड भी नहीं होती और ना ही बारिश की ज्यादा संभावना होती है। इससे यात्रा भी अच्छे से हो जाता है।

FAQ

केदारनाथ की चढ़ाई कितने किलोमीटर की है?

केदारनाथ की चढ़ाई 18 किलोमीटर है।

केदारनाथ के बारे में क्या प्रसिद्ध है?

केदारनाथ उत्तर भारत में स्थित पवित्र तीर्थ स्थल है, जो चार धाम में से एक है। माना जाता है कि यहां केदारनाथ बाबा का दर्शन करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं।

केदारनाथ कौन से राज्य में स्थित है?

केदारनाथ उत्तराखंड में स्थित एक शहर है। यहां पर भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ मंदिर है।

निष्कर्ष

आज के लेख में हमने आपको केदारनाथ कहाँ है (Kedarnath Kahan Hai) और केदारनाथ की यात्रा से जुड़ी आवश्यक जानकारी दी। हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपकी यात्रा को सुगम बनाने में मदद करेगी।

यदि आपको इस लेख केदारनाथ में घूमने की जगह (Kedarnath Me Ghumne ki Jagah) से संबंधित कोई भी समस्या हो तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं और यदि लेख अच्छा लगा हो तो इसे सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अपने दोस्तों में जरुर शेयर करें।

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