कुरुक्षेत्र का नाम तो आप सभी जरुर जानते ही होंगे क्योंकि कुरुक्षेत्र में ही महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। कुरुक्षेत्र भारत के हरियाणा राज्य के अंतर्गत आता है, जो अपने ऐतिहासिक महत्व तथा पौराणिक महत्व के लिए विश्व विख्यात है।
कुरुक्षेत्र एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण शहर भारत के इतिहास में दर्ज है। क्योंकि इसी शहर में भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
भगवान श्री कृष्ण के द्वारा दिए गए उपदेश के आधार पर आधारित श्रीमद्भागवत गीता सनातन धर्म के सबसे पवित्र पुस्तक अथवा ग्रंथ है।
महाभारत काल के कौरव और पांडव हस्तिनापुर के राज्य शासन के लिए हरियाणा के इसी कुरुक्षेत्र में लड़े थें। इस युद्ध को दुनिया का सबसे बड़ा सबसे भयंकर युद्ध बताया गया है। क्योंकि यहां पर लाशों के इतने ढेर लग गए कि उन लाशों का अंतिम संस्कार करने के लिए भी लोग कम पड़ गए थे।
इसलिए पुरानी कथा कहानियां और सनातन धर्म के अंतर्गत स्थान अत्यंत महत्व रखता है। महाभारत काल में इस भीषण युद्ध को धर्म की स्थापना के लिए लड़ा गया था। भगवान श्री कृष्ण ने भी इस युद्ध में धर्म का पक्ष लेते हुए पांडवों का साथ दिया था।
कुरुक्षेत्र में पौराणिक काल के अलावा ऐतिहासिक काल और प्राचीन काल का इतिहास भी जानने को मिलता है। यहां पर समय-समय पर भारत पर आक्रमण करने वाले विदेशी आक्रमणों से युद्ध करते हुए यहां के देसी राजा महाराजाओं ने इतिहास लिखा था।
कुरुक्षेत्र को ब्रह्म क्षेत्र भी कहते हैं, जिसका अर्थ होता है ब्रह्मा की भूमि। ब्रह्मदेव, उत्तरा देवी और धर्म क्षेत्र इन सभी नामों से कुरुक्षेत्र को जाना जाता है।
कुरुक्षेत्र ना केवल हरियाणा बल्कि संपूर्ण भारत में सबसे पवित्र तथा धर्म की दृष्टि से सनातन धर्म के अंतर्गत पौराणिक स्थान की सूची में विशेष महत्व रखता है।
इस लेख में कुरुक्षेत्र कहां है, कुरुक्षेत्र के दर्शनीय स्थल, कुरुक्षेत्र में घूमने की जगह (kurukshetra tourist places in hindi), कुरुक्षेत्र कैसे पहुंचे आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।
कुरुक्षेत्र के बारे में रोचक तथ्य
कुरुक्षेत्र का इतिहास पुराना है क्योंकि पौराणिक काल में महाभारत के समय कुरुक्षेत्र का वर्णन बड़े पैमाने पर किया गया है। महाभारत काल में हुई दुनिया की सबसे भीषण और दुनिया की सबसे बड़ी लड़ाई कौरव और पांडवों के बीच लड़ी गई थी, जो इसी कुरुक्षेत्र में हुई थी।
कुरुक्षेत्र बहुत ज्यादा सांस्कृतिक महत्व रखता है। इस भूमि की उत्पत्ति को लेकर एक पौराणिक कथा इस प्रकार प्रचलित है कि भगवान ब्रह्मा ने सबसे पहले इसी पवित्र भूमि पर यज्ञ किया था। इसीलिए यह भूमि काफी ज्यादा महत्व रखता है।
कुरुक्षेत्र शहर का नाम कौरवों और पांडवों के पूर्वजों के नाम पर रखा गया था। लेकिन इस शहर के अन्य और भी कई नाम है जैसे नागहद, रामहद, ब्रह्मवेदी, ब्रह्मव्रत और समन्तपंचक।
कुरुक्षेत्र को सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव स्थल भी माना जाता है। क्योंकि इस क्षेत्र के आसपास की खुदाई के दौरान सिंधु घाटी सभ्यता के अस्तित्व को दर्शाता हुआ कई अवशेष प्राप्त हुए हैं।
कुरुक्षेत्र में 5 प्रमुख सरोव है ब्रह्म सरोवर, स्टैनवार, कलेसर, सन्निहित सरोवर और ज्योतिसर।
यहां पर ही भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। बता दें कि कुरुक्षेत्र का नाम महाभारत काल के कौरव और पांडवों के पूर्वज राजा गुरु के नाम पर रखा गया था।
कुरुक्षेत्र यह वही स्थान है, जहां पर पांच पांडवों ने कौरवों को मारकर यहां पर विजय पताका लहराई थी, जिसके बाद अधर्म के ऊपर धर्म की विजय हुई थी। यहां पर दो पवित्र नदियां बहती हैं, जिनका नाम द्रविड़वती और सरस्वती है।
कुरुक्षेत्र के मैदान में ना केवल कौरव और पांडव, बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष के सभी राजा महाराजा सभी शासक और योद्धा भीषण युद्ध में शामिल हुए थे।
कुरुक्षेत्र में घूमने की जगह (Kurukshetra Me Ghumne ki Jagah)
राजा कर्ण का किला
कुरुक्षेत्र के मैदान में स्थित अत्यंत प्राचीन इस किले की खुदाई वर्ष 1921 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा की गई, जिनमें विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त हुई है।
भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के अनुसार यह किला चौथी शताब्दी के समय का है। इस किले को तीन सांस्कृतिक अयोध्या से संबंधित माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस किले का निर्माण महाभारत काल के दौरान राजा कर्ण ने करवाया था। बता दे कि दुर्योधन ने सूर्यपुत्र कर्ण को राजा बनाने के लिए एक राज्य दिया, जहां पर करण ने इस किले का निर्माण करवाया।
इसलिए यह अत्यंत प्राचीन किला है, जिसे खुदाई करके भारतीय पुरातात्विक विभाग सर्वेक्षण द्वारा उजागर किया गया है।
शेख चिल्ली का मकबरा
कुरुक्षेत्र में एक ऐतिहासिक संरचना शेख चिल्ली का मकबरा है। यह मकबरा सूफी संत अब्दुल रहीम का विश्राम स्थल हुआ करता था। इस मकबरे का निर्माण 17वीं शताब्दी में किया गया था।
बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बना यह नाशपाती के आकार के गुंबद में फारसी वास्तुकला देखने को मिलता है। अब्दुल रहीम शेख चिल्ली के नाम से जाने जाते थे और मुगल सम्राट शाहजहां के सबसे बड़े पुत्र दादा सीखोह इनके बहुत बड़े भक्त हुआ करते थे।
यह मकबरा एक विशाल क्षेत्र में स्थित है, जिसमें इस मकबरे के अतिरिक्त एक मदरसा, मुगल गार्डन और शेख चिल्ली और उनकी पत्नी का मकबरा है।
इसके अतिरिक्त इस इमारत के परिसर में एक पुरातात्विक संग्रहालय भी है, जहां पर कुरुक्षेत्र में खुदाई के दौरान मिली प्राचीन वस्तुओं को संग्रहित करके रखा गया है। यह मकबरा कुरुक्षेत्र के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।
पैनोरमा और विज्ञान केंद्र
अगर आप बच्चों के साथ कुरुक्षेत्र घूमने जाते हैं तो बच्चों के विज्ञान के ज्ञान को बढ़ाने के लिए आप पैनोरमा और विज्ञान केंद्र घूमने के लिए जा सकते हैं।
यह विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र के रेलवे स्टेशन से तकरीबन 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस विज्ञान केंद्र की स्थापना धार्मिक मान्यताओं पर विज्ञान के प्रभाव को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से किया गया था।
यहां पर आपको महाभारत की घटनाएं और विज्ञान के रहस्यों के बारे में विस्तृत जानकारी देखने को मिलती है। इस विज्ञान केंद्र के सेंटर के ग्राउंड फ्लोर में अद्भुत विज्ञान प्रदर्शन को प्रदर्शित किया जाता है।
इसके अतिरिक्त यहां पर महाभारत के महाकाव्य युद्ध का चित्रण गीता के श्लोकों के जाप, लाइट एंड साउंड तकनीक और युद्ध की आवाजों के साथ किया जाता है।
जिससे ऐसा लगता है मानो आप महाभारत काल में जी रहे हो। यह विज्ञान केंद्र सप्ताह के सातों दिन सुबह 10:00 बजे से शाम के 5:30 बजे तक खुला रहता है।
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कुरुक्षेत्र का बिरला मंदिर
कुरुक्षेत्र में एक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थान बिरला मंदिर है। यह मंदिर स्वामीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। राधा कृष्ण को समर्पित इस मंदिर में अन्य कई हिंदू देवी देवताओं की भी प्रतिमा विराजमान है, जो दिखने में बिल्कुल जीवंत लगती है।
मंदिर की वास्तुकला भी बहुत आकर्षक है और उसके आसपास का वातावरण बहुत ही शांतिपूर्ण और दिव्य है। यहां पर आप घंटों समय बिता सकते हैं लेकिन आपको पता भी नहीं चलेगा।
ब्रह्मसरोवर झील
ब्रह्म सरोवर झील कुरुक्षेत्र की सबसे प्राचीनतम और लोकप्रिय झील है, जो अपने इतिहास के महत्व को संजोकर बहती है। ब्रह्मसरोवर एक सुरम्य झील है, जो अत्यंत खूबसूरत दिखाई देती है।
इस झील के आसपास अत्यंत प्राचीन मंदिर बने हुए है, जहां पर हर वर्ष हजारों की संख्या में भक्तों का जन सैलाब देखने को मिलता है।
प्राचीन किताबों में भी ब्रह्मसरोवर झील का वर्णन मिलता है। यहां का वातावरण काफी आकर्षक और अद्भुत लगता है। इसीलिए यहां पर देश-विदेश के पर्यटक घूमने हेतु आते हैं। यहां का नजारा बारिश के समय स्वर्ग जैसा लगता है।
सरस्वती वन्य जीव अभ्यारण्य
अगर आप विभिन्न तरह के पशु पक्षियों को देखना चाहते हैं, जंगल की सफारी करना चाहते हैं तो आप कुरुक्षेत्र में सरस्वती वन्य जीव अभ्यारण घूमने जा सकते हैं।
यह अभ्यारण कुरुक्षेत्र से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस अभ्यारण को हरियाणा राज्य का तीसरा सबसे बड़ा जंगल माना जाता है।
यह अभ्यारण 4452. 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। 29 जुलाई 1988 को इस क्षेत्र को अभ्यारण के रूप में मान्यता मिली थी।
छिलछिला वाइल्ड लाइफ सेंचुरी
प्रकृति प्रेमियों और पशु पक्षियों के प्रति लगाव रखने वाले लोगों के लिए कुरुक्षेत्र में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल छिलछिला वाइल्ड लाइफ सेंचुरी अभ्यारण है। यह अभ्यारण्य तकरीबन 28.92 हेक्टेयर भूमि क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
1986 में इसे पंछी अभ्यारण के रूप में घोषित किया गया था। इस अभ्यारण को सोंथी रिजर्व फॉरेस्ट के नाम से भी जाना जाता है।
यह अभ्यारण कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पास स्थित है। इस अभ्यारण में पंछियों की 57 से भी अधिक प्रजाति पाई जाती है।
अगर आप विभिन्न तरह के पंछियों के बारे में जानना चाहते हैं, इनकी खूबसूरती अपने कैमरे में कैप्चर करना चाहते हैं तो कुरुक्षेत्र की यात्रा के दौरान आप इस अभ्यारण को विजिट जरूर करें।
भीष्म कुंड
भीष्म कुंड भारत का पौराणिक दृष्टि से एक अत्यंत पवित्र स्थान है क्योंकि महाभारत काल के दौरान यहां पर पितामह भीष्मा को बाणों की शैया पर अर्जुन ने लेटा दिया था।
उसी दौरान दसवें दिन अर्जुन ने बाणों की शैया पर सो रहे पितामह भीष्म की प्यास बुझाने के लिए तीर से धरती माता की गोद से जल प्रकट किया और पितामह भीष्म की प्यास बुझाई।
इसीलिए यहां पर वर्तमान समय में एक विशालकाय कुंड बना हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी कुंड से पानी की धार धरती से निकलकर पितामह भीष्म की प्यास बुझाई थी।
सनहित सरोवर
सनहित सरोवर कुरुक्षेत्र से तकरीबन 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक पावन सरोवर है। इसे 7 नदियों का संगम कहा जाता है। मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान विष्णु का स्थाई निवास है।
यहां पर 7 नदियों का पानी शामिल होने के कारण यह सरोवर कुरुक्षेत्र में खास महत्व रखता है। इस सरोवर का उल्लेख महाभारत में भी किया गया है और कहा जाता है कि हर अमावस्या के दिन इस सरोवर में सभी तीर्थों का जल आकर मिलता है।
इसीलिए अमावस्या और सूर्यग्रहण के दौरान श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ यहां पर रहती है और वे इस सरोवर में स्नान करते हैं।
कहा जाता है कि महाभारत का युद्ध जब समाप्त हुआ था तो महाभारत के युद्ध में वीरगति पाने वाले योद्धाओं के मुक्ति के लिए इसी सरोवर में पिंडदान किया गया था।
इसीलिए यहां पर लाखों लोग आकर अपने पूर्वजों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान करते हैं।
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नरकातारी
नरकातरी कुरुक्षेत्र में स्थित एक पावन और पवित्र स्थान है। धार्मिक दृष्टि से यह स्थान कुरुक्षेत्र में काफी ज्यादा महत्व रखता है।
क्योंकि यह स्थान महाभारत काल का वही स्थान है, जहां पर गंगा पुत्र भीष्म पितामह अर्जुन के बाणों की शैया पर लेटे हुए थे और महाभारत समाप्ति के बाद उन्होंने यहां पर अपने इच्छा अनुसार प्राण त्यागा था।
उस दौरान सभी पांडव भाई अपने परिवार सहित भीष्म पितामह से मिलने पहुंचे थे और भीष्म पितामह ने उन्हें शांति का संदेश दिया था।
स्थानेश्वर महादेव मन्दिर
कुरुक्षेत्र का प्रसिद्ध दार्शनिक स्थल स्थानेश्वर मंदिर बड़े भूभाग में फैला हुआ है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
कहा जाता है कि बिना इस मंदिर की यात्रा किये कोई व्यक्ति वापस लौट जाता है, तो उसकी कुरुक्षेत्र की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
भारत के प्रमुख प्राचीनतम मंदिरों में से इस मंदिर को एक माना जाता है। यहां पर पर्यटक श्रद्धा और आस्था के प्रतीक के तौर पर आते हैं।
इसके अलावा इतिहास के प्रेमी भी यहां भारतीय ऐतिहासिक वास्तु कला को देखने के लिए आते हैं। इस मंदिर की वास्तुकला काफी अद्भुत और आकर्षक दिखाई देती है।
श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर
कुरुक्षेत्र में बना हुआ 18वीं शताब्दी का श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर अत्यंत प्राचीन वास्तुकला के साथ समृद्धि से खड़ा है। देश के कोने-कोने से लोग इस पवित्र मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं।
हर वर्ष हजारों की संख्या में यहां पर श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है। यह मंदिर भगवान श्री हरि नारायण और देवी लक्ष्मी माता को समर्पित है।
कहा जाता है कि इस मंदिर के 4 चक्कर लगाने वाले लोगों की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। इस मंदिर का निर्माण चोल राजवंश के शासकों ने अपने शासन के दौरान करवाया था।
इस मंदिर पर की गई अद्भुत और आकर्षक कलाकृतियां चोल राजवंश के शासन काल की है जो भारत के अतीत को दर्शाती है।
गढ़रथेश्वर तीर्थ
कुरुक्षेत्र में कई सारे घूमने लायक प्रमुख स्थान है। उन स्थानों में से ज्यादातर स्थान महाभारत काल से जुड़े हुए हैं। महाभारत काल से जुड़ा हुआ एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान गढ़रथेश्वर तीर्थ है।
यह स्थान कुरुक्षेत्र से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है, जहां पर अर्जुन ने कर्ण का वध किया था।
यहां पर एक सरोवर भी मौजूद है। इस सरोवर को लेकर एक पौराणिक कथा इस प्रकार प्रचलित है कि जब अर्जुन ने अपने बाणो से कर्ण को घायल कर दिया था।
तब कर्ण अंतिम सांस लेते वक्त उन बाणो से धरती पर प्रहार किये थे और उसी से बाणगंगा का निर्माण हो गया।
हर्ष का टीला
हर्ष का किला कुरुक्षेत्र में एक ऐतिहासिक किला है। इस किले का निर्माण छठवीं शताब्दी के दौरान किया गया था। इस किले में कई ऐतिहासिक और प्राचीन कलाकारी और नक्काशीयों को देखने को मिलता है।
किले में मौजूद म्यूजियम में कई प्राचीन चीजों को संग्रहित करके रखा गया है। यहां आस-पास के खुदाई के दौरान मिली कई मूर्तियां यहां पर संग्रहित है और वह मूर्ति पाषाण काल के आरंभ से मुगल काल तक की संस्कृति का एक विशिष्ट क्रम दर्शाता है।
यहां पर उस समय के राजशी जीवन, उनका रहन-सहन इसके साथ ही उस समय उपयोग होने वाले औजार और अन्य कई चीजें यहां पर देखने को मिलती है।
भद्रकाली मंदिर
भद्रकाली मंदिर कुरुक्षेत्र का एक पवित्र और धार्मिक स्थान है। यह मंदिर मां काली को समर्पित है। यहां पर मां काली की प्रतिमा विराजमान है।
इस मंदिर को देशभर में मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर मां सती का तखना गिरा था इसीलिए यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए बहुत ही महत्व रखता है।
कुरुक्षेत्र घूमने आने वाले पर्यटक इस पवित्र स्थान पर जरूर आते हैं, जहां वे मां का दर्शन करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
श्रीकृष्ण संग्रहालय
भारत की संस्कृति और भारत के गौरवशाली इतिहास में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए कुरुक्षेत्र में एक आदर्श स्थान श्री कृष्ण संग्रहालय हैं।
यह संग्रहालय कुरुक्षेत्र में पैनोरमा और विज्ञान केंद्र के पास में स्थित है। यह संग्रहालय हिंदू देवी देवता को समर्पित है। क्योंकि यहां पर भगवान विष्णु के कई अवतारों को दर्शाया गया है।
महाभारत और भागवत पुराण में वर्णित उनके कई अवतार के चित्र, मूर्तियां, पांडुलिपि, प्राचीन अवशेष और अन्य कई वस्तुओं को यहां पर प्रदर्शित किया गया है।
इसके अतिरिक्त इस संग्रहालय में कई लघु चित्र, प्राचीन मूर्ति कला और नक्काशी भी मौजूद है। यह विशाल संग्रहालय संग्रहालय की स्थापना 1987 में की गई थी और इसका उद्घाटन भारत के पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन के हाथों किया गया था।
उसके बाद फरवरी 2012 में इस संग्रहालय में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के द्वारा दो नए ब्लोक खोले गए इसका नाम है गीता गैलरी और मल्टीमीडिया महाभारत। यह संग्रहालय सुबह 10:00 बजे से शाम के 5:00 बजे तक पर्यटकों के लिए खुले रहते हैं।
ज्योतिसर
ज्योति साल स्थल भारत के प्रमुख पवित्र स्थलों में से एक है। क्योंकि यह स्थल महाभारत काल के दौरान भगवान कृष्ण में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
तब यहां पर उपस्थित एक बरगद के पेड़ में भी ज्ञान प्राप्त किया था। इसी पेड़ के जगह पर यहां स्थित स्थल उपस्थित है।
यहां पर बड़े भूभाग में फैला हुआ यह क्षेत्र संपूर्ण भारत में पौराणिक तथा पवित्रता की दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। यहां पर संगमरमर पत्थर की एक विशाल मूर्ति बनी हुई है, जिसके ऊपर भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए दिखाई देते हैं।
यहां पर आने वाले पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। यहां का वातावरण काफी शुभम और सरवन दिखाई देता है। यहां पर आने वाले लोगों को शांति का अनुभव होता है।
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कुरुक्षेत्र घूमने जाने का सही समय
कुरुक्षेत्र घूमने हेतु जाने का सही समय आपको पता कर लेना चाहिए क्योंकि आपको कुरुक्षेत्र घूमने के दौरान किसी भी तरह की कोई भी परेशानी ना हो। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि कुरुक्षेत्र घूमने का उचित वातावरण होना चाहिए।
अगर आप कुरुक्षेत्र घूम रहे तो जाने का प्लान बना चुके हैं तो हम आपको बता दें कि कुरुक्षेत्र घूमने के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी माह के बीच का है। क्योंकि इन दिनों भारत में सर्दी का मौसम होता है तथा उत्तर भारत अत्यंत ठंडा इलाका है।
इसीलिए सर्दी के मौसम में आप यहां पर अनुकूल वातावरण के अनुसार कुरुक्षेत्र का भ्रमण कर सकते हैं। इन दिनों आपको किसी भी तरह की कोई भी परेशानी नहीं होगी।
आप आसानी से अपना भ्रमण करेंगे और अपनी यात्रा संपन्न करके सकुशल अपने घर लौट जाएंगे।
कुरुक्षेत्र में कहाँ रुके?
हर रोज सैकड़ों लोग कुरुक्षेत्र की यात्रा करते हैं। इसलिए आपको इस बात से बिल्कुल परेशान नहीं होना चाहिए कि अगर हम कुरुक्षेत्र घूमने के लिए जा रहे हैं, तो वहां पर कहां रुकेंगे वहां रुकने की क्या व्यवस्था है।
बता दें कि कुरुक्षेत्र अपने पौराणिक महत्व के लिए जाना चाहता है। इसलिए वहां पर रुकने की उत्तम व्यवस्था की हुई है। आप अपने बजट के अनुसार अपनी सुविधा के अनुसार वहां पर बने हुए होटल में रुक सकते हैं।
कुरुक्षेत्र के प्रत्येक दार्शनिक स्थल और घूमने वाली जगह के आसपास होटल बने हुए हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार अपनी पसंद के अनुसार और अपने बजट के अनुसार सामान्य होटल, वीआईपी होटल, लोकल होटल, लग्जरी होटल, पांच सितारा होटल इत्यादि तरह-तरह के होटल में रुक सकते हैं।
कुरुक्षेत्र का स्थानीय भोजन
कुरुक्षेत्र शहर हरियाणा प्रांत के अंतर्गत आता है। इसीलिए आपको यहां पर मुख्य रूप से हरियाणवी स्थानीय भोजन खाने के लिए मिलेगा, जो काफी प्रसिद्ध हैं। इनमें मुख्य रूप से बाजरे की रोटी गेहूं के रोटी, मकई की रोटी प्रसिद्ध है।
इसके अलावा सांगरी की सब्जी, मिश्रित दाल, कढ़ी पकोड़ा, चोलिया इत्यादि यहां के प्रमुख और प्रसिद्ध भोजन खाने के लिए मिलता है। कुरुक्षेत्र के प्रसिद्ध हरियाणवी स्थानीय लोकल भोजन का स्वाद काफी लाजवाब है।
इसके अलावा आपको यहां पर चूरमा, आलू की रोटी, चना भटूरा, राजमा, कुल्चा, अमृतसरी पनीर, दाल मखनी, मालपुए, खीर, इत्यादि प्रसिद्ध हरियाणवी उत्तरी भोजन देखने के लिए ले जाते हैं।
अगर आप हरियाणा के कुरुक्षेत्र में घूमने के लिए जा रहे हैं लेकिन आपको यहां का स्थानीय भोजन पसंद नहीं है, तो आप यहां पर स्थित बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में दूसरा खाना भी खा सकते हैं। जिनमें दक्षिण भारतीय, मध्य भारतीय, चाइनीस, नेपोलियन, इटालियन इत्यादि सभी तरह के व्यंजन और भोजन उपलब्ध है।
आप अपनी इच्छा के अनुसार अपनी रूचि के अनुसार अपने स्वाद के अनुसार और अपने बजट के अनुसार किसी भी तरह का कोई भी पोषण कर सकते हैं।
कुरुक्षेत्र घूमने का खर्चा
अगर आप कुरुक्षेत्र घूमने की योजना बना रहे हैं तो आप निश्चित ही एक बजट तय करके जाएंगे। वैसे कुरुक्षेत्र घूमने का ज्यादा खर्चा नहीं है। यहां पर ठहरने के लिए होटल्स काफी सस्ते दाम में मिल जाते हैं।
यहां पर न्यूनतम 1000 में आपको होटल में रूम मिल जाते हैं। यहां तक कि यहां पर धर्मशालाएं भी है जहां पर आप मात्र ₹500 में ठहर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त यहां पर प्रतिदिन खाने-पीने का खर्चा ₹500 से ₹600 से ज्यादा नहीं जाएगा। इसके अतिरिक्त कुरुक्षेत्र के पर्यटन स्थलों को विजिट करने के लिए अगर आप स्कूटर या अन्य वाहन किराए पर लेते हैं तो उसका कुछ चार्ज आपको लगेगा।
इस तरह देखा जाए तो कुरुक्षेत्र घूमने का खर्चा कम से कम 3 दिन का एक व्यक्ति के लिए न्यूनतम ₹9500 होता है। वैसे अगर आप अपने किसी दोस्त के साथ आते हैं तो आपके होटल का किराया और वाहन का किराया बट जाएगा।
कुरूक्षेत्र कैसे घूमें?
कुरुक्षेत्र में तकरीबन 12 से 20 किलोमीटर के क्षेत्र में सभी तरह के पर्यटन स्थल उपलब्ध है। कुरुक्षेत्र के विभिन्न पर्यटन स्थलों को घूमने के लिए, कुरुक्षेत्र को एक्सप्लोर करने के लिए आपको वाहन की जरूरत पड़ेगी और इसके लिए आप ऑनलाइन ऑटो या कार बुक कर सकते हैं।
यहां पर तकरीबन 800 से 1200 ऑटो बुक कर सकते हैं। वहीं 1500 से 2000 में आप प्राइवेट कार भी बुक कर सकते हैं।
कुरुक्षेत्र घूमने के लिए कितने दिन की योजना बनाएं?
कुरुक्षेत्र के सभी पर्यटन स्थल तकरीबन 15 से 20 किलोमीटर के रेंज में ही है, जिसके कारण आपको कुरुक्षेत्र के सभी पर्यटन स्थलों को घूमने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
अगर आप कुरुक्षेत्र घूमने जाने की योजना बना रहे हैं तो आप न्यूनतम 2 दिन या 3 दिन के लिए योजना बना सकते हैं। 2 से 3 दिन में आप पूरे कुरुक्षेत्र को अच्छे से एक्सप्लोर कर पाएंगे।
कुरुक्षेत्र कैसे जाएं?
कुरुक्षेत्र अपने पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां पर विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल हैं, जो अपने आप में विशेष महत्व रखते हैं।
यही वजह है कि लोग कुरुक्षेत्र घूमने हेतु जा रहे हैं। अगर आप भी कुरुक्षेत्र घूमने जा रहे हैं लेकिन आप इस बात से परेशान हो रहे हैं कि कुरुक्षेत्र घूमने के लिए कैसे जाएं?
तो हम आपको बता दें कि कुरुक्षेत्र घूमने हेतु आप विभिन्न तरीकों से जा सकते हैं। जैसे- सड़क मार्ग, रेल मार्ग इसके अलावा हवाई मार्ग से भी जा सकते हैं। तो इनके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं।
फ्लाइट से कुरुक्षेत्र कैसे पहुंचे?
कुरुक्षेत्र घूमने के लिए अगर आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं। तो हम आपको बता दें कि कुरुक्षेत्र में कोई भी हवाई अड्डा नहीं है बल्कि आप फ्लाइट से कुरुक्षेत्र घूमने के लिए दिल्ली या चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर लैंड कर सकते हैं। क्योंकि यह कुरुक्षेत्र के लगभग नजदीकी है।
इसलिए आप यहां पर लैंड करने के बाद लोकल टैक्सी की मदद से कुरुक्षेत्र पहुंच सकते हैं। हवाई यात्रा के जरिए लंबी दूरी को कम समय में तय कर लिया जाता है।
इसीलिए ज्यादातर लोग फ्लाइट से ही यात्रा करते हैं। परंतु फ्लाइट से यात्रा करना काफी महंगा होता है।
ट्रेन से कुरुक्षेत्र कैसे पहुंचे?
कुरुक्षेत्र घूमने जाने के लिए आप रेल मार्ग का चुनाव कर सकते हैं। बता दें कि वर्तमान समय में कुरुक्षेत्र देश के सभी राज्यों और शहरों से रेल मार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है। इसलिए आप ट्रेन से कुरुक्षेत्र को महत्व पहुंच सकते हैं।
इसके लिए आपको अपने नजदीकी रेलवे स्टेशन या अपने शहर के रेलवे स्टेशन से कुरुक्षेत्र को जाने वाली ट्रेन के बारे में जानकारी प्राप्त करनी होगी।
उसके बाद उस ट्रेन में टिकट लेकर यात्रा करनी है। इस तरह से आप ट्रेन के जरिए कुरुक्षेत्र घूमने हेतु कौन सकते हैं।
बस से कुरुक्षेत्र कैसे पहुंचे?
कुरुक्षेत्र घूमने हेतु जाने के लिए आप सड़क मार्ग का चुनाव कर सकते हैं। क्योंकि वर्तमान समय में कुरुक्षेत्र काफी ज्यादा विकास कर चुका है।
इसलिए कुरुक्षेत्र वर्तमान समय में देश के सभी शहर और राज्यों से सड़क मार्ग के के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है।
आप भारत के किसी भी कोने से भारत के किसी भी राज्य से भारत के किसी भी शहर से यहां भारत के किसी भी जगह से कुरुक्षेत्र घूमने हेतु सड़क मार्ग के जरिए पहुंचा सकते हैं।
आप चाहें तो अपने खुद के वाहन को लेकर अथवा बस या टैक्सी के जरिए सड़क मार्ग से होते हुए कुरुक्षेत्र घूमने हेतु पहुंच सकते हैं।
जगह का नाम | दूरी |
---|---|
हस्तिनापुर से कुरुक्षेत्र की दूरी | 174.3 KM (via NH709A) |
दिल्ली से कुरुक्षेत्र की दूरी | 153.5 KM (via NH 44) |
FAQ
कुरुक्षेत्र हरियाणा राज्य के 21 जिलों में से एक है। इस जिले का क्षेत्रफल 48 वर्ग मील है।
कुरुक्षेत्र में पवित्र सरोवर सरोवर ब्रह्मसरोवर स्थित है और कहा जाता है कि जब सूर्य ग्रहण होती है, उस समय सभी देवी देवता कुरुक्षेत्र में मौजूद रहते हैं। इसीलिए सूर्य ग्रहण के दौरान हजारों लोगों की भीड़ होती है ब्रह्मसरोवर में स्नान करने के लिए। कहते हैं इस सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कुरुक्षेत्र में घूमने के बहुत सारे जगह है यहां पर कृष्ण संग्रहालय, ब्रह्मसरोवर, ज्योतिसार, स्थानेश्वर महादेव मंदिर, सन्निहित सरोवर, भद्रकाली मंदिर आदि दर्शनीय स्थल है।
कुरुक्षेत्र ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है। यह हिंदू धर्म के वेदों और वैदिक संस्कृतियों से जुड़ा हुआ है। महाभारत जैसे विश्व का सबसे बड़ा युद्ध इसी भूमि पर हुआ है। भगवान श्री कृष्ण ने इसी भूमि पर अर्जुन को कर्म और धर्म का ज्ञान दिये थे, जो आज भागवत गीता में संग्रहित है।
कुरुक्षेत्र में हर 12 साल के बाद महाकुंभ का मेला लगता है, जो भारत में चार अलग-अलग स्थानों पर लगता है और यह मेला बहुत ही विशाल मेला होता है।
हां, कुरुक्षेत्र के मिट्टी का रंग हल्का लाल रंग का दिखाई देता है। मिट्टी के लाल रंग होने पर लोगों का धार्मिक विश्वास है कि महाभारत युद्ध के दौरान लाखों सुरवीरों का रक्त यंहा बहा है। इसके अतिरिक्त इस भूमि पर अनेक हाथियों और घोड़ों का भी रक्त बहा है। इसीलिए यहां की मिट्टी आज भी लाल है।
कुरुक्षेत्र महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। इस भूमि के नाम का शाब्दिक अर्थ होता है कुरुओं की भूमि। इस भूमि को ब्रह्मवेदी, नागहद और रामहद के नाम से भी जाना जाता है।
निष्कर्ष
कुरुक्षेत्र में वर्तमान समय में अनेक सारे ऐसे स्थान और स्मारक उपलब्ध हैं, जिन्हें महाभारत काल से जोड़कर देखा जा रहा है।
इसीलिए वर्तमान समय में कुरुक्षेत्र का प्रभाव तथा महत्व काफी ज्यादा है। कुरुक्षेत्र अपने पौराणिक महत्व के लिए सनातन धर्म ही नहीं बल्कि संपूर्ण दुनिया में विशेष महत्व रखता है।
यहां पर कुरुक्षेत्र पर्यटन स्थल (Kurukshetra Me Ghumne ki Jagah) के बारे में विस्तार से बताया है। उम्मीद करते हैं आपको यह लेख पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरुर करें। इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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