उत्तराखंड में स्थित हरिद्वार श्रद्धालुओं के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां पर हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं। प्रयागराज, उज्जैन और नासिक के अलावा यहां पर भी कुंभ का मेला आयोजित होता है।
सावन के मौसम में यहां पर बहुत ज्यादा भीड़ रहती है क्योंकि उस समय कांवडीया यहां गंगा नदी का जल लेने के लिए आते हैं। प्रकृति के सुंदर वातावरण में शांति अनुभव करने के लिए और परिवार के साथ कुछ समय बिताने के लिए इससे अच्छी जगह और क्या हो सकती है।
इस लेख में हरिद्वार में घूमने की जगह (Haridwar me Ghumne ki Jagah), हरिद्वार के दर्शनीय स्थल, हरिद्वार के आसपास घूमने की जगह, हरिद्वार के आसपास के दर्शनीय स्थल, हरिद्वार कब जाना चाहिए, हरिद्वार घूमने का सही समय, हरिद्वार में कहाँ ठहरें आदि के बारे में विस्तार से जानकारी शेयर करेंगे।
हरिद्वार के बारे में रोचक तथ्य
- गौमुख से गंगा नदी निकलती हुई पहाड़ी गलियारों से होते हुए, वह सबसे पहले हरिद्वार में ही मैदानी समतल भूमि पर बहती है।
- हरिद्वार को पृथ्वी का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। कहा जाता है यहां पर ब्रह्मांड के रचयिता ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवता उपस्थित हुए हैं, जिसके कारण यह भूमि काफी पवित्र हो गया है।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान हरिद्वार में भी अमृत की बूंदे गिरी थी। यह अमृत की बूंदे चार अलग-अलग जगहों पर गिरी थी इलाहाबाद, उज्जैन, नाशिक और चौथा हरिद्वार है। इस कारण भी यह जगह बहुत पवित्र मानी जाती है।
- कहा जाता है कपिलमुनि, सप्त ऋषि और विश्वामित्र ने हरिद्वार में कठोर तपस्या की थी। इसीलिए इसे ऋषि मुनियों की तपोभूमि भी कहा जाता है।
- हरिद्वार का अर्थ भी काफी पवित्र है। हरिद्वार दो शब्द हरी और द्वार से मिलकर बना हुआ है, जिसका अर्थ भगवान का द्वार होता है।
- हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार की गंगा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं। क्योंकि मान्यता है कि यहां स्नान करने से लोगों के सारे पाप धुल जाते हैं। साथ ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- हरिद्वार में शांतिकुंज नाम का प्रसिद्ध आश्रम है, जो आयुर्वेद पर अनुसंधान के लिए दुनिया भर में विख्यात है।
- हरिद्वार भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है, जिसकी स्थापना 1780 ईशा पूर्व से भी पहले हुई थी।
हरिद्वार में घूमने की जगह (Haridwar me Ghumne ki Jagah)
दक्ष महादेव मंदिर
दक्ष महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित हरिद्वार के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। गंगा नदी के किनारे पर स्थित इस मंदिर में हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। मंदिर की वास्तुकला बेहद ही आकर्षक है।
इस मंदिर का नाम मां सती के पिता राजा दक्ष प्रजापति के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है, जहां पर राजा प्रजापति ने पवित्र यज्ञ आयोजित किया था और यहीं पर अग्निकुंड में मां सती ने खुद को भस्म कर लिया था।
मंदिर की दीवारों पर बेहद खूबसूरत कारीगरी की गई है। यहां आसपास का वातावरण बहुत ही दिव्य रहता है, जिससे श्रद्धालुओं को यहां काफी शांति का अनुभव होता है।
सप्तऋषि आश्रम
हरिद्वार में अगर आप मेडिटेशन करने का अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं तो सप्तऋषि आश्रम आपके लिए एक बेहतरीन जगह साबित हो सकता है। यह स्थान दुनिया भर के ऋषि, संतों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
यह आश्रम हरिद्वार से तकरीबन 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थान का नाम सप्त ऋषि आश्रम इसलिए रखा गया है। क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर सात महान ऋषि कश्यप, वशिष्ठ, विश्वामित्र, जमदग्नि, भारद्वाज, अत्रि और गौतम तप किया करते थे।
कहा जाता है कि इन ऋषियों को तप करने में परेशानी ना हो और वे गंगा की परवाह की आवाज से विचलित ना हो, इसीलिए गंगा नदी यहां पर 7 जल धाराओं में विभाजित हो जाती है। इसीलिए इस स्थान को सप्त सरोवर या सप्त ऋषि कुंड भी कहा जाता है।
पावन धाम
हरिद्वार रेलवे स्टेशन से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर सप्त सरोवर रोड पर बना यह मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर पूरी तरीके से कांच से बना हुआ है।
मंदिर की नक्काशी काम भी कांच पर इतने अच्छे से किए गए हैं कि एक ही प्रतिमा कई बार दिखाई पड़ती है। यहां पर हिंदू देवी देवताओं की सुंदर झांकियां भी सजाई गई है। यहां पर अक्सर लोग शांति और ध्यान लगाने के लिए आते हैं।
हर की पौड़ी
हरिद्वार में स्थित हर की पौड़ी एक खूबसूरत और पवित्र धार्मिक स्थल है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इसी स्थान पर समुद्र मंथन के दौरान अमृत गिरा था।
हर की पौड़ी को ब्रह्मकुंड के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस कुंड का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने अपने बड़े भाई ब्रिथरी की याद में करवाया था।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव और भगवान विष्णु प्रकट हुए थे। इसलिए इस स्थान को बहुत ही पवित्र माना जाता है। यहीं पर हर 12 साल के बाद कुंभ मेले का आयोजन होता है। यह स्थान हर दिन गंगा आरती के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है।
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कनवा ऋषि आश्रम
हरिद्वार आने वाले पर्यटक जो एकांत में कुछ पल बिताने के लिए खूबसूरत शांत जगह की तलाश में है, उन लोगों के लिए हरिद्वार से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह कण्व ऋषि आश्रम है।
प्रकृति प्रेमियों के लिए यह बेहद ही शानदार जगह है। इसे हरिद्वार का सबसे पसंदीदा गेटवे भी कहा जाता है। शांति की अनुभूति करने के लिए यह बेहद ही आकर्षक जगह है।
स्वामी विवेकानंद पार्क
हरिद्वार में एक खूबसूरत पर्यटन स्थल स्वामी विवेकानंद पार्क है। यह पार्क भारतीय दर्शनशास्त्री और धार्मिक नेता स्वामी विवेकानंद को समर्पित है, जो कि एक लोक प्रसिद्ध संत थे। इस पार्क में स्वामी विवेकानंद का सबसे बड़ा स्टेचू भी स्थापित है।
यहां पर बहुत ही शांत वातावरण की अनुभूति होती है, जिसके कारण यहां पर ध्यान लगाने के लिए कई लोग आते हैं। अगर आप हरिद्वार की यात्रा के दौरान शांति की अनुभूति चाहते हैं तो इस पार्क में कुछ पल बिता सकते हैं।
पारद शिवलिंग
पारद शिवलिंग हरिद्वार में स्थित एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है। यह हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में स्थित है, जो हरिद्वार से तकरीबन 2 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पर स्थित भगवान शिव की शिवलिंग को 150 किलो के पारा से बनाया गया है।
सामान्य तापमान पर पारा द्रव अवस्था में रहता है। इसीलिए उसे विशेष प्रक्रियाओं के द्वारा ठोस बनाकर तत्काल शिवलिंग बना दिया जाता है। मंदिर के प्रांगण में तीन बड़े दर्शनीय स्थान है, जिसमें मृत्युंजय महादेव मंदिर, परदेश्वर मंदिर और रुद्राक्ष वृक्ष है।
हर साल यहां पर महाशिवरात्रि का मेला भी आयोजित होता है। कहा जाता है कि नवग्रहों का जो अनिष्ट प्रभाव का भय होता है, उससे यहां पर मुक्ति मिल जाती है। इसीलिए श्रद्धालुओं की यहां बहुत ज्यादा भीड़ रहती हैं।
कहा जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन करने से जितना पुण्य मिलता है, उतना ही पुण्य यहां पर इस मंदिर में पूजा करने से मिल जाता है।
झिलमिल कंजर्वेशन रिजर्व
यह जगह गंगा नदी के बाएं तट पर 3783 हेक्टेयर जमीन में फैला हुआ है, जो बारहसिंघा का एकमात्र घर है। यहां पर आकर बारहसिंघा वाले हिरणों को देख सकते हैं।
चंडी देवी मंदिर
मंदिरों की नगरी हरिद्वार में कई सारे मंदिर है। उन्हीं में से एक चंडी देवी मां का मंदिर है, जो नील पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर से भी पौरानिक कथा जुड़ी हुई है।
माना जाता है कि शुभ और निशुंभ नाम के दो राक्षस धरती पर जब प्रलय मचा रहे थे तब उन्हें हराने में जब भगवान सफल नहीं हो पाए तब उन्होंने मां चंडी को खंभ रूप में प्रकट होकर दोनों राक्षसों का वध करने के लिए आग्रह किया गया था।
तब मां चंडी देवी यहीं पर विराजमान होकर राक्षसों का वध की थी। यह मंदिर मां चंडी देवी को समर्पित शक्तिपीठ है। हरे भरे प्राकृतिक वातावरण के बीच स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं को शांती का एहसास देती है।
भारत माता मंदिर
भारत माता मंदिर जिसे मदर इंडिया टेंपल भी कहा जाता है। यह हरिद्वार का एक प्रमुख आकर्षण है। भारत माता मंदिर तकरीबन 180 फीट ऊंचा और 8 मंजिले का मंदिर है।
हर एक मंजिल में विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमा और उनसे जुड़ी पौराणिक कथा जानने को मिलती है। यह मंदिर भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को भी समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण स्वामी सत्यामित्रानंद गिरी के द्वारा किया गया था।
1983 में इस मंदिर का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथों हुआ था। हरिद्वार आने वाले पर्यटक इस मंदिर का दर्शन करने के लिए जरूर आते हैं।
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पतंजलि योग पीठ
दिल्ली हरिद्वार के राजमार्ग पर पतंजलि योगपीठ स्थित है। यह हरिद्वार में देखने लायक एक अच्छी जगह है। क्योंकि यहां पर आप अपने सेहत और योग से जुड़ी कई विभिन्न जानकारी हासिल कर सकते हैं।
यह संस्थान ऋषि रामदेव की प्रमुख परियोजना है। इस केंद्र पर योग और आयुर्वेद पर शोध किए जाते हैं। यह संस्थान विशाल क्षेत्रफल में फैला हुआ है और दो परिसरों में विभाजित है।
इस संस्थान में पतंजलि के विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाते हैं और देश के विभिन्न कोने में भेजे जाते हैं। यहां पर आप पतंजलि के कई प्रोडक्ट खरीद सकते हैं।
चिल्ला वन्यजीव अभ्यारण्य
प्रकृति प्रेमियों के लिए हरिद्वार में चिल्ला वन्य जीव अभ्यारण एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। इस अभ्यारण की स्थापना 1977 में की गई थी और 1983 में इसे राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से जोड़ दिया गया था।
यह अभ्यारण हरिद्वार में गंगा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। यह तकरीबन 249 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
हरिद्वार से तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चिल्ला वन्य जीव अभ्यारण में हाथी, भालू , बाघ, छोटी बिल्लियां और भी कई विभिन्न प्रजाति के पशु पंछी निवास करते हैं। यहां पर आप वन्य जीव सफारी का लुफ्त उठा सकते हैं।
माया देवी मंदिर
माया देवी मंदिर माता सती को समर्पित एक शक्तिपीठ है, जो हरिद्वार के हर की पौड़ी से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पौरानिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि माता सती के पिता प्रजापति दक्ष ने एक बार बहुत बड़ा अज्ञ आयोजित किया था, जिसमें उन्होंने सभी देवताओं को निमंत्रित किया।
परंतु भगवान शिव को निमंत्रित नहीं किया, जिससे मां सती को काफी क्रोध आया और वह यह के स्थान पर जाकर अपने पिता से इसका कारण पूछती है।
तब प्रजापति दक्ष भगवान शिव के बारे में बहुत अपमानजनक शब्द बोलते हैं, जिससे क्रोध में आकर मां सती अग्नि कुंड में कूद कर आत्महत्या कर लेती है। जिससे भगवान शिव क्रोधित हो जाते हैं और माता सती के पार्थिव शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में तांडव करने लगते हैं।
तब भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के टुकड़े कर देते हैं और इस तरीके से उनके शरीर का अंग जहां-जहां पर गिरता है, वहां पर एक शक्तिपीठ स्थापित हो जाता है। इस तरीके से कुल 51 शक्तिपीठ हुए हैं, उन्हीं में से एक माया देवी मंदिर है।
भीमगोड़ा कुंड
हरिद्वार में कई सारे कुंड है और ऐसे ही एक प्रसिद्ध और पवित्र कुंड भीमगोडा कुंड है। यह हरिद्वार का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। क्योंकि आसपास का वातावरण पर्यटकों को मोहित करता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि भीम ने एक बार इस स्थान पर अपना घुटना जोर से दे मारा था, जिसके कारण पताल का पानी ऊपर जमीन पर आ गया और उसी समय इस कुंड का निर्माण हुआ। इस कुंड में स्नान करना पवित्र समझा जाता है। इसीलिए हरिद्वार आने वाले पर्यटक इस कुंड में स्नान जरूर करते हैं।
पिरान कलियर
पिरान कलियर हरिद्वार के दक्षिणी भाग में स्थित एक खूबसूरत दरगाह है। इस दरगाह का निर्माण दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी ने करवाया था।
यह दरगाह 13वीं शताब्दी के चिश्ती संप्रदाय के संत हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद ‘साबिर’ को समर्पित है। दरगाह की वास्तुकला बेहद ही आकर्षक और खूबसूरत है।
नील धारा हरिद्वार
हरिद्वार में स्थित यह जगह श्रद्धालुओं के लिए काफी प्रसिद्ध है। यह जगह काफी पवित्र मानी जाती है। मां गंगा के सुंदर वातावरण के बीच और दोनों छोर से पहाड़ों से ढका हुआ यह जगह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
इस घाट के एक ओर मां चंडी देवी का मंदिर वहीं दूसरे छोर पर मनसा देवी का मंदिर स्थित है, जिसके कारण इन मंदिरों के दर्शन के लिए यहां पर श्रद्धालुओं की हमेशा भिड़ जमी रहती है।
मनसा देवी मंदिर
हरिद्वार से तकरीबन 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मनसा देवी मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर जमीन से 178 मीटर की ऊंचाई पर शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित है।
मां मनसा को वासुकी नाग की पत्नी बताया जाता है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मनसा देवी इसी स्थान पर निवास किया करती हैं। इसीलिए यहां पर उनको समर्पित मंदिर का निर्माण किया गया है।
इस स्थान पर एक पेड़ है। कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु अपनी इच्छा लेकर यहां पर आते हैं, उन्हें इस पवित्र पेड़ में पवित्र भाग्य को बांधना पड़ता है और फिर जब इच्छा उनकी पूरी हो जाती है तो दोबारा आकर उस धागे को उन्हें खोलना पड़ता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए केबल कार की भी सुविधा यहां पर है।
क्रिस्टल वर्ल्ड
अगर आप अपने परिवार या बच्चों के साथ हरिद्वार घूमने के लिए जाते हैं तो उनके साथ एक बेहतरीन पल बिताने के लिए क्रिस्टल वर्ल्ड एक शानदार जगह है। यह हरिद्वार का सबसे बेस्ट एंटरटेनमेंट डेस्टिनेशन है।
यह क्रिस्टल वर्ल्ड तकरीबन 18 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है, जहां पर आप पांच प्रसिद्ध डी वॉटराइड का लुफ्त उठा सकते हैं। इसके साथ यहां पर 18 से भी अधिक रोमांचकारी जल की सवारी है और भी कई तरह के खेल यहां पर उपलब्ध है।
शादी और निजी पार्टियों की भी मेजबानी यह वॉटर पार्क करता है। गर्मियों के मौसम में हरिद्वार में मजेदार समय बिताने के लिए यह अच्छी जगह है।
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हरिद्वार के प्रसिद्ध भोजन
हरिद्वार सांस्कृतिक और धार्मिक स्थान के अलावा अपने मसालेदार और चटपटे व्यंजनों के लिए भी काफी प्रख्यात है। यहां के स्ट्रीट फूड यहां के पर्यटकों को काफी आकर्षित करते है, जिससे वे उन्हें चखे बिना रह नहीं पाते।
यहां पर उत्तर भारतीयों के व्यंजनों की पेशकश करने के लिए असंख्य ठेले और रेस्टोरेंट देखने को मिल जाते हैं। यदि आप हरिद्वार जाते हैं तो वहां के स्ट्रीट फूड के बारे में आपको थोड़ी बहुत जानकारी होनी चाहिए। तो चलिए वहां के कुछ प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड के बारे में जानते हैं।
आलू पूरी
पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध आलू पूरी आपको हरिद्वार में जरूर देखने को मिलेगा। यह वहां के सभी लोगों के लिए लोकप्रिय व्यंजन है। इसे पूरी को तलकर मसालेदार और चटपटी आलू की सब्जी के साथ परोसा जाता है, जो आपके मुंह में पानी ला सकता है।
भरवां पराठे
भरवां पराठे हरिद्वार के प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड में से एक बन हैं। आलू, पनीर, प्याज और गोभी की स्टाफिंग करके इसे बनाया जाता है।
यह बेहद स्वादिष्ट होता है, वहां के निवासियों के लिए यह मुख्य नाश्ते की तरह इस्तेमाल होता है। इसे दही के साथ परोसा जाता है, जो इसके स्वाद को और भी ज्यादा बढ़ा देता है।
कचौड़ी
हरिद्वार वहां के कचोरी के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। कचोरियों को सब्जियां या चटनी के साथ परोसा जाता है। आप सुबह ब्रेकफास्ट की तरह या फिर लंच या डिनर में भी इसे शामिल कर सकते हैं।
हरिद्वार के स्ट्रीट फूड में कचोरी काफी पसंद किया जाने वाला व्यंजन है। इसीलिए हरिद्वार जाए तो इ्वंहा मिलने वाले कचोरी के स्वाद का अनुभव लेना ना भूलें।
छोले भटूरे
हरिद्वार में स्ट्रीट फूड के कई सारे विकल्प आपको मिल जाएंगे लेकिन वहां के लोगों के लिए सबसे पसंदीदा व्यंजन छोला भटूरा है। खट्टे, मिठे और तिखे छोले आपका दिन बना देंगे।
यहां के होटल और रेस्टोरेंट की तुलना में ठेले पर मिलने वाले छोले भटूरे का स्वाद काफी अनोखा होता है। इसीलिए जब हरिद्वार जाए तो वहां के मसालेदार छोले भटूरे जरूर खाएं। स्वाद बढ़ाने के लिए आप खीर या लस्सी भी शामिल कर सकते हैं।
कुल्फी
यदि आप हरिद्वार जाते हैं तो वहां तेल मसालों में बनी स्वादिष्ट व्यंजन के अतिरिक्त आपको सड़कों पर कुल्फी के ठेले भी काफी देखने को मिल जाएंगे, जो मलाई, पिस्ता, केसर, इलायची और आम जैसे विभिन्न वैरायटी वाले स्वाद के साथ कुल्फी बेचते हैं, जिसे चखे बिना आप रह नहीं सकते। अगर हरिद्वार जाए तो इन ठंडे-ठंडे कुल्फी का आनंद जरूर लें।
चटपटे और मसालेदार व्यंजनों के अतिरिक्त हरिद्वार जलेबी, रबड़ी और रसमलाई जैसे मिठाइयों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है, जो शुद्ध घी से बनाए जाते हैं और ताजा-ताजा परोसा जाता है। हरिद्वार जाए तो इन सभी व्यंजनों को जरूर चखें। यह आपकी यात्रा को और भी ज्यादा आनंददायक बना देगा।
हरिद्वार कैसे पहुंचे?
हरिद्वार जाने के लिए आप रेल, सड़क या हवाई मार्ग का चयन कर सकते हैं। भारत के लगभग सभी बड़े शहरों से हरिद्वार इन सभी मार्गों से सिधा जुड़ा हुआ है, जिससे बिना रुकावट के आप सीधे हरिद्वार जा सकते हैं।
आप अपने शहर के रेलवे स्टेशन से हरिद्वार के लिए टिकट बुक कर सकते हैं और यदि आपके शहर के स्टेशन से हरिद्वार की टिकट नहीं मिलती है तो आप पहले दिल्ली आकर हरिद्वार जा सकते हैं।
दिल्ली से हरिद्वार लगभग 210 किलोमीटर पड़ता है। इसके अतिरिक्त आप देहरादून से हरिद्वार जा सकते हैं, जहां से 43 किलोमीटर दूर हरिद्वार पड़ता है।
इसके अतिरिक्त आप सड़क मार्ग का भी चयन कर सकते हैं। आप अपने निजी वाहन या फिर बस से हरिद्वार की यात्रा के लिए जा सकते हैं। यदि आप हवाई मार्ग का चयन करते हैं तो हरिद्वार से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का एयरपोर्ट पड़ता है।
हरिद्वार कब जाना चाहिए?
हरिद्वार घूमने के लिए कोई एक निश्चित समय नहीं है। हरिद्वार घूमने के लिए आप साल भर में कभी भी जा सकते हैं। पूरे साल यहां पर पर्यटकों का आना जाना रहता है। हालांकि सावन के महीने में यहां ज्यादातर श्रद्धालु आते हैं।
हरिद्वार में कहाँ ठहरें?
हरिद्वार में रुकने के लिए आपको एक से बढ़कर एक कई होटल मिल जाएंगे, जहां पर आपको मिनिमम रूम चार्ज के साथ खाने पीने की अच्छी फैसिलिटी मिल जाएगी। हालांकि होटल में रुकने के लिए आपको प्रतिदिन न्यूनतम ₹800 से ₹1000 का चार्ज लग सकता है।
आप चाहे तो हरिद्वार में आश्रम में भी रुक सकते हैं, वहां की शांति कुंज आश्रम में रहना और खाना पीना सब कुछ फ्री होता है।
हालांकि पर्यटक चाहें तो अपनी तरफ से कुछ पेमेंट भी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सप्त ऋषि आश्रम भी है, जहां पर बहुत कम बजट के साथ आपको रहने और खाने-पीने की अच्छी सुविधा मिल जाती है।
हरिद्वार कैसे घूमे?
जब आप हरिद्वार पहुंचते हैं तो वहां के रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड या फिर एयरपोर्ट के बाहर आपको कई सारी बाइक और टैक्सी किराए पर मिल जाएगी।
वहां पर न्यूनतम ₹500 के रिचार्ज पर 1 दिन के लिए बाइक किराए पर दी जाती है। वहीं टैक्सी का किराया लगभग 600 से 800 तक पूरे दिन का हो सकता है।
आप यदि अकेले हैं तो बाइक की सवारी से पूरे हरिद्वार की यात्रा कर सकते हैं। यदि आप अपने परिवार के साथ है तो टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। यदि आपको इससे भी सस्ता चाहिए तो टूरिस्ट बस से भी पूरे हरिद्वार के पर्यटन स्थल का दर्शन कर सकते हैं।
आप जो भी गाड़ी किराए पर लेंगे, उसके लिए आपको आपका ओरिजिनल डॉक्यूमेंट सिक्योरिटी के तौर पर जमा करना होगा, जो बाद में वाहन के रिटर्न करने पर आपको वह वापस लौटा दिया जाएगा।
हरिद्वार घूमने का कितना खर्चा लगेगा?
हरिद्वार घूमने का ज्यादा खर्चा नहीं लगेगा। आप कम बजट में हरिद्वार का आसानी से यात्रा कर सकते हैं। हरिद्वार को पूरा घूमने के लिए आपको 2 दिन का समय निकालना पड़ेगा।
आप यहां पर ऑटो या टैक्सी किराए पर लेकर 1500 से 2000 के बीच में आप 2 दिन की यात्रा आराम से कर सकते हैं। यदि आप होटल में ठहरते हैं तो आपको कम से कम प्रतिदिन का ₹1000 होटल चार्ज लग सकता है।
साथ ही होटल में खाने पीने की फैसिलिटी का चार्ज अलग से जुड़ता है। लेकिन यदि आप कम खर्चे में हरिद्वार घूमना चाहते हैं तो आप वहां के आश्रम शांतिकुंज में रह सकते हैं, जो एक ट्रस्ट है और वहां पर सब कुछ फ्री होता है।
हालांकि आप चाहे तो अपने हिसाब से पेमेंट कुछ कर सकते हैं। इस तरीके से आप हरिद्वार 2 दिन की यात्रा लगभग दो हजार से पच्चीस में आराम से कर सकते हैं।
वहीं यदि आप किसी दूर प्रदेश से हरिद्वार घूमने के लिए आते हैं तो ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा जोड़कर ₹3000 से ₹4000 का खर्च आ सकता है।
FAQ
हरिद्वार में कोई ज्योतिर्लिंग नहीं है। लेकिन हरिद्वार से 150 मील दूर केदारनाथ में हिमालय पर्वत पर ज्योतिर्लिंग स्थित है।
हरिद्वार ज्यादातर श्रद्धालु यहां पर डुबकी लगाने के लिए आते हैं। कहते हैं कि यहां से जो भी स्नान करता है, उसके करोड़ों जन्म का पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसका कभी अकाल मृत्यु नहीं होती।
लोगों की मान्यता है कि हरिद्वार में सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा, विष्णु और महेश उपस्थित होकर इस भूमि को पवित्र बना दिए हैं।
शांतिकुंज हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे स्थित एक प्राचीन आश्रम है। यहां पर रहने के लिए पर्यटकों को छोटे-मोटे कार्य करने पड़ते हैं।
हर की पैड़ी जो कि हरिद्वार में स्थित है, इसे ब्रह्मकुंड के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान पर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत गिरा था, इसीलिए इसी स्थान पर कुंभ मेले का आयोजन होता है।
हां, धर्म ग्रंथों के अनुसार हरिद्वार का प्राचीन नाम मायापुरी है। इसके अतिरिक्त इसे कपिलस्थान और गंगाद्वार जैसे विभिन्न नामों से भी पुकारा गया है।
232.3KM via NH734
निष्कर्ष
इस लेख में हरिद्वार में घूमने की जगह (Haridwar me Ghumne ki Jagah), हरिद्वार के दर्शनीय स्थल, हरिद्वार के आसपास घूमने की जगह, हरिद्वार के आसपास के दर्शनीय स्थल, हरिद्वार कब जाना चाहिए, हरिद्वार घूमने का सही समय, हरिद्वार में कहाँ ठहरें आदि के बारे में विस्तार से बताया है।
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