Dispur Me Ghumne ki Jagah: यदि आप चाय पीने के शौकीन है तो आपको पता होगा की भारत के असम राज्य में चाय का सर्वाधिक उत्पादन किया जाता हैं। असम राज्य की राजधानी दिसपुर हैं। असम में आपको मनोरम पहाड़ियां, आदिवासी जनजीवन के अलावा यहां की संस्कृति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
वर्ष 1973 में असम राज्य की राजधानी के रूप में दिसपुर को बनाया गया था। दिसपुर में चाय के कई सारे बाजार हैं। बारिश के मौसम के दौरान अधिक पर्यटक लोग दिसपुर में घूमने के लिए आते हैं। दिसपुर अपने आकर्षक पर्यटक के लिए काफी प्रसिद्ध हैं।
आज के इस लेख में हम आपको दिसपुर में घूमने की कौन कौन सी जगह हैं? दिसपुर में घूमने के लिए कब जाएं? दिसपुर कैसे जाएं?, दिसपुर का प्रसिद्ध भोजन क्या हैं?, दिसपुर के रोचक तथ्य क्या हैं? इन सभी प्रश्नों की जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी। इसके लिए आप लेख को अंत तक पढ़े।
दिसपुर में घूमने की जगह | Dispur Me Ghumne ki Jagah
दिसपुर के बारे में रोचक तथ्य
- माता कामख्या का विश्व प्रसिद्ध मंदिर यही पर बना हुआ हैं।
- चाय के बड़े बड़े बागान और चाय की नीलामी दिसपुर में सर्वाधिक रूप से होती हैं।
- असम की सबसे पहले राजधानी मेघालय हुआ करती थी लेकिन बाद में इसको बदलकर दिसपुर कर दी गई थी।
- राज्य पर मुगल की सेना ने कई बार आक्रमण किया था। जिसे अहोमो की सेना ने मारकर भगा दिया था। आज तक कोई भी मुस्लिम शासक असम पर कब्जा नहीं कर पाया हैं।
- असम राज्य में सबसे अधिक शासन अहोमो का रहा है, जिन्होंने लगभग 600 वर्षो तक असम राज्य पर अपना शासन चलाया हैं।
दिसपुर में लोकप्रिय पर्यटक स्थल ( Dispur Tourist Places in Hindi)
नवग्रह मंदिर
यह एक हिंदू मंदिर हैं। नवग्रह मंदिर असम के चित्रशाल की पहाड़ियों पर हैं। इस मंदिर को सौर मंडल के निर्माण के लिए इस मंदिर को बनाया गया हैं। मंदिर को पूर्णतया ग्रहों से संबंधित हैं। इस कारण खगोलविद और ज्योतिषाचार्य के लिए यह मंदिर काफी मत्वपूर्ण हैं। मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ रहती हैं।
दर्शन करने वाले भक्त अधिकतर ऐसे होते है, जिनकी ग्रह दशा सही नही होती हैं। मंदिर को बहुत ही शानदार ढंग से बनाया गया हैं। मंदिर के अंदर आपको खगोलीय पिंड देखने को मिल जाएंगे, जिनकी संख्या 8 हैं। इसके अलावा 9 स्वर्गीय खगोलीय पिंड भी हैं।
नवग्रह मंदिर में शिवभक्त का आना जाना लगा रहता हैं। नवग्रह मंदिर दिसपुर के सबसे ऊंची पहाड़ी की चोटी पर बसा हुआ मंदिर है, जिसका निर्माण 18वी में किया गया था। यहां पर ग्रह नक्षत्र के बारे में जानकारी रखने वाले अधिक आते हैं। नवग्रह मंदिर का निर्माण अहोम राजा राजेश्वर ने बनवाया था। मंदिर के बहुत ही शानदार ढंग से डिजाइन किया गया हैं। आप भी इस मंदिरों को देखने के लिए अपने दोस्त और रिश्तेदार के साथ जा सकते हैं।
उमानंद मंदिर
दिसपुर का यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं। इस मंदिर का निर्माण 17वी में किया गया था। शंकर जी के इस मंदिर का निर्माण अहोम के राजा गदापानी ने मयूर द्वीप पर इस मंदिर की स्थापना की थी। मयूर द्वीप का यह मंदिर सबसे आकर्षक मंदिर में से एक हैं।
यदि आप शंकर जी के इस मंदिर को देखना चाहते है, तो आपको मोटर बोट का इस्तेमाल करना होगा क्योंकि यह मंदिर द्वीप पर बना हुआ हैं। वहां जाने के लिए आपको बोट का इस्तेमाल करना होगा।
मयूर द्वीप सबसे सुंदर द्वीप में से एक हैं। बहुत से ऐसे पर्यटक होते है, जो प्रकृति प्रेमी है वो लोग इस जगह पर सबसे अधिक आते हैं असम का उमानन्द मंदिर भस्मकूट पहाड़ी पर स्थित हैं। इस मंदिर का निर्माण 1694 में किया गया था लेकिन वर्ष 1897 में भूकंप आने के कारण यह मंदिर टूट गया था।
बाद में व्यापारी लोगों को इस मंदिर का पुना निर्माण करवाया था। उमानंद मंदिर का निर्माण असम के कारीगरों के द्वारा किया गया था। मंदिर के अंदर भगवान शिव के अलावा अन्य 10 अन्य देवताओं की प्रतिमा लगी हुई हैं। अन्य मंदिर की तुलना में यहां पर शांति रहती हैं। आप इस जगह पर शांति से बैठ सकते हैं। अपने दोस्त और परिवारजनों के साथ इस जगह पर घूमने के लिए जा सकते हैं।
जनारदन मंदिर
असम का यह मंदिर शुक्लेश्वर पहाड़ी पर स्थित हैं। मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के आस पास किया गया था। बाद में 17वीं शताब्दी में इसका पुना निर्माण कराया गया था। इस मंदिर के अंदर हिंदू और बौद्ध धर्म धर्म के लोग आते हैं।
मंदिर हिंदू शैली और बौद्ध शैली की वास्तुकला का नमूना देख सकते हैं। मंदिर में हिंदू और बौद्ध धर्म दोनो धर्म के लोगों की काफी भीड़ लगी रहती है। आप दिसपुर में घूमने के लिए आते है तो इस मंदिर में जरूर आएं।
वसिष्ठ आश्रम
हिंदू धर्म में रामायण महाकाव्य की रचना गुरु वसिष्ठ ने की थी। पुराणों के अनुसार पता चला है की इस आश्रम का निर्माण खुद गुरु वसिष्ठ ने किया था। गुरु वसिष्ठ की मृत्यु भी इसी जगह पर हुई थी। गुरु वसिष्ठ का यह आश्रम संध्या, कांता और ललिता नदियों के संगम पर स्थित हैं। आश्रम में ही भगवान शंकर का मंदिर बना हुआ हैं। मंदिर को राजा राजेश्वर ने बनवाया था।
दिसपुर में घूमने वाली जगह में यह जगह भी काफी फेमस हैं। यदि आप इस जगह पर आते है तो आप चाय की नीलामी को जरूर देखे। आपकी जानकारी के लिए बता दे की भारत में सर्वाधिक मात्रा में चाय का उत्पादन किया जाता हैं। आश्रम के पास में खाने और रहने की उचित व्यवस्था की गई है। यदि आप इस जगह पर घूमने के लिए आते है तो ,आप वसिष्ठ जी के आश्रम में जाना न भूले।
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श्रीमंत शंकरदेव कला क्षेत्र
आप में से बहुत से लोग होते है, जो असम राज्य की संस्कृति के बारे में जानकारी करना चाहते हैं। तो इसके लिए आप दिसपुर के श्रीमंत शंकरदेव कला क्षेत्र में देखने के लिए जरूर जाए। शंकरदेव 5 वीं शताब्दी में दुष्टा थे। दिसपुर की इस संस्थान का उद्देश्य है की असम राज्य की कला और संकृति को लोग जाने।
आप इस जगह पर आकर असम की किसी भी संस्कृति के बारे में जानकारी कर सकते हैं। यह दिसपुर के पंजाबरी रोड पर स्थित हैं। असम राज्य के श्रीमत शंकर देव जी को भारतीय इतिहास में विशेष महत्व रखते हैं। शंकरदेव कला क्षेत्र में आपको असम राज्य के पारंपरिक वेशभूषा, हथियार, आभूषण, मूर्तिया, शिलालेख आपको यह सब कुछ संस्थान में देखने को मिल जाएगा।
क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र और संग्रहालय
जो छात्र विज्ञान और संग्रहालय विज्ञान में रुचि रखते है और शिक्षा के क्षेत्र में अधिक रुचि रखते हैं। वो छात्र इस संस्थान को देखने के लिए जरूर आए। इस संस्थान को वर्ष 1994 में बनाया गया था। इस जगह पर आपको विज्ञान के क्षत्र में ज्ञान और मनोरंजन करने का अवसर प्राप्त होगा।
यह संथान नोबेल पुरस्कार विजेता और भारतीय वैज्ञानिक के विकास के क्षेत्र में किए गए कार्य को प्रदर्शित करता हैं। प्रत्येक दिन यह संस्थान खुला रहता हैं जबकि होली और दीवाली के त्योहार पर यह संस्थान बंद रहता हैं। यदि आप विज्ञान के बारे में रुचि रखते है तो आप इस संस्थान में घूमने के लिए जरूर जाए। यहां पर आप अपने दोस्त, रिश्तेदार और परिवार के साथ घूमने के लिए जा सकते हैं। इस जगह पर जाने के लिए आपको किसी प्रकार की कोई टिकट नहीं लेनी होगी।
चिड़ियाघर
यदि आप दिसपुर में घूमने के लिए जा रहे है तो आप चिड़ियाघर घूमने के लिए जरूर जाए। दिसपुर का यह चिड़ियाघर 432 एकड़ में फैला हुआ हैं। यह असम राज्य का सबसे बड़ा चिड़ियाघर हैं। इस चिड़ियाघर में आपको तेंदुआ, सफेद बाघ, गैंडा, हिमालयन भालू आदि कहिंपराकर के जानवर आपको यहां पर देखने के मिलेगी।
दिसपुर में घूमने आने वाले सभी पर्यटक इस जगह पर घूमने के लिए जरूर आते हैं। चिड़ियाघर के अलावा और आप उद्यान के पास वन संग्रहालय, चिल्ड्रेन पार्क आदि घूमने के लिए अच्छी जगह हैं।
सुअलकुचि
यदि आप प्रकृति के नजारे देखना चाहते है तो आप इस जगह पर जरूर आएं। दिसपुर में घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए यह जगह काफी पसंदीदा हैं। यह गांव रेशम उत्पादन के लिए काफी फेमस हैं। यहां के लोग कुशल कारीगर हैं। यहाँ रहने वाले लोग रेशम के बने हुए उत्पाद को बेचकर अपनी जीवन यापन करते हैं।
सुअलकुचि को पूर्व का मैनचेस्टर के नाम से भी जानते हैं। गांव में ऐसे कई घर बने हुए है, जो की मिट्टी के बन हैं। इन घरों को बहुत ही सुंदर डिजाइन बनाई गई हैं। घर को इस प्रकार से बनाते है की गर्मी में ठंडे रहते है और सर्दी में गर्म। सुअलकुचि में आपकी कई भिन भिन्न प्रकार के जानवर देखने के मिल जाते हैं।
सुअलकुचि गांव को देखने के लिए पर्यटक दूर दूर से आते हैं। गांव के प्रत्येक घर में मंदिर और मठ बन हुए हैं, जो घूमने आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। दिसपुर में घूमने आने वाले पर्यटक इस गांव को देखने के लिए जरूर जाते हैं। यहां पर आपको अनेक डिजाइन देखने को मिल जाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे की गांव के प्रत्येक घर में आपको बेहतरीन क्वालिटी का कपड़ा देखने को मिल जाता हैं।
कामख्या देवी मंदिर
माता कामाख्या का यह मंदिर दिसपुर के नीलांचल पहाड़ी पर स्थित हैं। यह हिंदू धर्म के लोगों के सबसे प्रतिष्ठित मंदिर में से एक हैं। पुराड़ के अनुसार चार शक्तिपीठ प्रमुख बताए गए है, जिसमें एक माता कामख्या देवी का हैं। इस मंदिर तांत्रिक समुदाय के लोग अधिक पूजन आदि करते हैं।
मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी के आस पास किया गया था। तब से इस मंदिर को कई बार बनाया जा चुका हैं। मंदिर से आप अपने आस पास के शहर को आसानी से देख सकते हैं। आस पास के गांव में मिलाकर माता के करीब 20 मंदिर बने हुए हैं। लेकिन सबसे अधिक विशाल मंदिर यही बना हुआ हैं।
मंदिर के अंदर देवी की बड़ी सी प्रतिमा लगी हुई हैं। इसके अलावा मंदिर के चारो तरफ पेड़ पौधे लगे हुए हैं। पहाड़ी की चोटी पर स्थित होने के कारण यहां से आप पूरे शहर का नजारा देख सकते हैं। दिसपुर घूमने आने वाले सभी पर्यटक कामख्या देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए जरूर जाते हैं। यदि आप दिसपुर में घूमने के लिए जाते है तो आप माता के दर्शन करने के लिए जरूर जाएं।
सिद्धेवर मंदिर
दिसपुर शहर का यह मंदिर कई सारे देवी देवताओं के लिए फेमस हैं। मंदिर के अंदर आपको कई देवी देवताओं की प्रतिमा देखने को मिल जाती हैं। जैसा की आपको नाम से ही पता चल रहा होगा, की इस मंदिर के अंदर भगवान शिव की प्रतिमा लगी हुई है जिसमे भगवान शंकर की आराधना की जाती हैं।
यह मंदिर भी देवालय सिदेश्वरी पहाड़ी पर स्थित हैं। इस कारन से इसका नाम सिद्धेवर मंदिर के नाम से जानते हैं। सावन और नवरात्रि के अवसर भक्तों की काफी भीड़ रहती हैं।
हाजो
हाजों यह प्रमुख तीर्थ हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए हैं। इस स्थान की दूरी गुवाहाटी शहर से करीब 24 किमी की हैं। तीनों धर्म के लोग इस जगह पर दर्शन करने के लिए आते हैं।
इस कारण यहां पर अधिक भीड़ भाड़ रहती हैं। तीनों धर्म का प्रसिद्ध स्थान ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर स्थित हैं।
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दिसपुर घूमने का सबसे अच्छा समय
यदि आप दिसपुर में घूमने के लिए जाना चाहते है तो, आप सर्दियों के मौसम में जाएं। इस दौरान यहां का वातावरण काफी शानदार रहता हैं। दिसपुर में घूमने के लिए नवंबर महीने से लेकर मार्च महीने तक मौसम काफी अच्छा रहता हैं।
दिसपुर का प्रसिद्ध भोजन
यदि आप दिसपुर में घूमने के लिए जाना चाहते है, तो आप यहां के लजीज व्यंजन का लुफ्त जरूर ले। यहां के प्रसिद्ध भोजन की बात करें तो खार, डक मीट, मसोर टोंगा, आलू पिटिका, गोरूर पायस, पीथा, जाक अरु भाजी आदि इस जगह के प्रसिद्ध भोजन में से एक हैं।
किसी भी काम में यहां के लोग डक मीट का व्यंजन जरूर बनवाते है। इस व्यंजन के बिना उनका भोजन अधूरा रहता हैं। आप दिसपुर घूमने आने पर इन व्यंजन का स्वाद जरूर चखे।
दिसपुर घूमने जाने पर खर्चा
दिसपुर घूमने जाने के लिए आपके पास कम से कम 10,000 रुपए होना चाहिए।
दिसपुर में घूमने के लिए कैसे जाएं?
दिसपुर में जाने के लिए आप सड़क, वायुयान और रेल का प्रयोग करके जा सकते हैं।
रेल मार्ग : रेल मार्ग से दिसपुर जाने के लिए आपको गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा। इस स्टेशन से भारत के प्रमुख नगर से कई सारी ट्रेन आया करती हैं। गुवाहाटी स्टेशन से आप भारत के किसी भी राज्य से आ सकते हैं।
सड़क मार्ग : सबसे पहले आपको गुवाहाटी जाना होगा। गुवाहाटी से कई सारी बस दीपौर के लिए मिल जाती हैं। इसके अलावा आप सरकारी बस, टेंपो, और ऑटो रिक्शा का प्रयोग करके भी जा सकते हैं।
वायुयान : दिसपुर यदि आप हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो, आपको गुवाहाटी के लोकप्रिया गोपीनाथ बेरदोलोई एयरपोर्ट पर उतरना होगा। इस एयरपोर्ट से दिसपुर जाने के लिए आपको कम से कम 40 मिनट लगेंगे।
FAQ
दिसपुर में घूमने जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर महीने से लेकर मार्च महीने के बीच का हैं।
दिसपुर में घूमने के लिए कई सारी जगह हैं। इसके लिए आपको लेख को पूरा पढ़ना होगा, तभी आपको सारी जानकारी प्राप्त होगी।
दिसपुर में अधिक गर्मी नही होती हैं। बारिश एवम सर्दी अधिक होती हैं। यदि आप घूमने के लिए जा रहे हो तो नवंबर महीने के बीच में जाएं।
यहां पर सबसे खेती चाय की जाती हैं। आपको चारों तरफ चाय के बागान देखने को मिलेंगे।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने आपको गोवा का उत्तरी भाग अर्थात दिसपुर में घूमने की जगह ( Dispur Me Ghumne ki Jagah) से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी दी। हमें उम्मीद है कि दिसपुर की यह टूर गाइड आपकी दिसपुर की यात्रा को सुगम बनाने में मदद करेगा।
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