भारत में तिरुपति बालाजी का दर्शन बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है। भारत में प्रमुख धार्मिक स्थलों की सूची में तिरुपति बालाजी मंदिर का नाम आता है। भगवान वेंकटेश्वर मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में चितुर जिले के तिरुपति स्थित है।
यह मंदिर तिरुमाला पहाड़ी पर स्थित एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर है, जो पूरे भारत में प्रसिद्ध है। दक्षिणी भारत में स्थित तिरुपति बालाजी का मंदिर एक पर्यटन स्थल की तरह खूबसूरत समुद्री तटों के किनारे बसा हुआ है और यहां का प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा जबरदस्त और देखने लायक है।
तिरुपति बालाजी जाने वाले अधिकतर लोग भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे सिर्फ पर्यटक बन कर तिरुपति बालाजी मंदिर जाते हैं।
इस लेख में तिरुपती बालाजी दर्शन से जुड़ी जानकारी शेयर कर रहे हैं, जिसमें तिरुपति बालाजी मंदिर कहा है, तिरुपति बालाजी दर्शन के नियम, तिरुपति बालाजी दर्शन टाइमिंग, तिरुपति बालाजी के दर्शन कैसे करे, तिरुपति बालाजी दर्शन टिकट, तिरुपति बालाजी में ठहरने की व्यवस्था आदि से जुड़ी जानकारी जानेंगे।
तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में जानकारी (Tirupati Balaji Mandir)
तिरुपति बालाजी मंदिर जो हिंदू धर्म के लिए एक लोकप्रिय प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। तिरुपति बालाजी मंदिर की मान्यता हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत अधिक है। यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए महिमा का अपार कहा जाता है। हर व्यक्ति अपने जीवन में एक बार तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन करके अपने जीवन को सफल बनाने की इच्छा रखता है।
ऐसा माना जाता है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति अपने जीवन में सफल हो जाता है। समुद्र के तल से करीब 853 फीट की ऊंचाई पर बना यह मंदिर जिसके आसपास सात चोटियां स्थित है। इसी वजह से इस मंदिर को “सात पहाड़ियों का मंदिर” भी कहा जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर को देश का सबसे अमीर मंदिर भी कहा जाता है। अमीर मंदिर कहने की वजह यहां पर प्रतिवर्ष करोड़ों में दान लोगों द्वारा पेश किया जाता है। हर साल यहां की दानपेटी जब खुलती है तो करीब 10 से 15 दिन तक सिर्फ नोटों की गिनती ही होती रहती है।
तिरुपति बालाजी में आने वाले करोड़ों रुपए के दान से कई अनाथ आश्रम के बच्चों का जीवन यापन होता है और विकट परिस्थिति में जैसे कोरोना की स्थिति में सरकार को भी तिरुपति बालाजी मंदिर से करोड़ों रुपए भेंट किए गए थे।
हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु पुराने जमाने में धरती पर पाप बढ़ जाने की वजह से धरती पर प्रकट हुए थे और इस मंदिर को देश भर में बने सभी विष्णु भगवान के मंदिर का आखिर मंदिर माना जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर की वास्तुकला
दक्षिणी भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित भगवान वेंकटेश्वर जी का मंदिर यानी कि तिरुपति बालाजी का मंदिर जो अद्भुत वास्तुकला का एक अनोखा उदाहरण बना हुआ है। तिरुपति बालाजी का मंदिर जहां मंदिर पर की गई कारीगरी बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध मानी जाती हैं।
काले रंग की मूर्ति किसी ने यहां पर बनाई नहीं है, यह धरती से स्वयं प्रकट हुई है। लेकिन इसके अलावा जो मंदिर के चारों तरफ की गई कारीगरी और वास्तुकला वह बहुत ही ज्यादा अद्भुत है और देखने लायक है।
तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास
अगर तिरुपति बालाजी मंदिर के इतिहास को खंगाला जाए तो तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण 300 ईसवी में शुरू हुआ था। कई राजाओं के द्वारा इस मंदिर के भविष्य निर्माण कार्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई।
18वीं सदी में मराठा जनरल रघुजी भोसले ने मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने के बाद मंदिर की व्यवस्था और देखरेख के लिए एक स्थाई प्रबंधन समिति का आयोजन किया और इस समिति के जरिए मंदिर की देखरेख करने और मंदिर में व्यवस्था बनाए रखने के उचित प्रबंधन किए गए।
आज के समय में भी यह प्रबंधन समिति सुचारू रूप से काम कर रही है। इस प्रबंधन समिति का नाम तिरुमला तिरुपति देवस्थानम रखा गया है। इस समिति को 1935 में टीटी के अधिनियम के माध्यम से और अधिक विकसित किया गया। वर्तमान में यह समिति पूरे मंदिर कार्यक्रम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और मंदिर परिसर में व्यवस्था बनाए रखने के लिए तत्पर है।
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े तथ्य
भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े तथ्य के बारे में यदि बात की जाए तो, तिरुपति बालाजी मंदिर के कई ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में हर व्यक्ति नहीं जानता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े रहस्य और महत्वपूर्ण तथ्य कुछ इस प्रकार से हैः
- तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक जादुई छड़ी रखी हुई है, जो पिछले हजारों सालों से उसी तरह से चमक रही है, जैसा पहले चमक रही थी। ऐसा माना जाता है कि भगवान माता लक्ष्मी को ढूंढते हुए जब धरती पर आए तो यह जादुई छड़ी उन्हें माता का पता बताने में मदद कर रही थी और आज यह मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगी हुई है।
- तिरुपति बालाजी मंदिर को लेकर एक रोचक तथ्य यह भी है कि मंदिर के गर्भ ग्रह को ठंडा रखने के बावजूद बालाजी मूर्ति का तापमान 110 फॉरेनहाइट रहता है, जिसके कारण उनकी मूर्ति पर पसीने की बूंदे भी दिखाई देती है, जो काफी रहस्यमई है।
- तिरुपति बालाजी मंदिर को लेकर एक तथ्य यह भी है कि जब भक्तजन इस मंदिर के गर्भ गृह के बाहर होते हैं तब उन्हें भगवान की प्रतिमा दाएं दिशा में दिखाई देती है। लेकिन गर्भ ग्रह में प्रवेश करते ही प्रतिमा गर्भ ग्रह के मध्य में दिखाई देने लगता है और यह भ्रम ना केवल 1 श्रद्धालु बल्कि सभी के साथ होता है।
- कहा जाता है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान को भोग लगाने के लिए जो भी फल फूल भी मंगवाए जाते हैं, वह एक गांव से मंगवाए जाते हैं, जो मंदिर से तकरीबन 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में कोई भी बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता है। गांव के लोग पुराने जीवन शैली के अनुसार रहते हैं।
- तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी एक और रोचक तथ्य इस प्रकार है कि इस मंदिर की प्रतिमा पर हर दिन एक कपूर लगाया जाता है, जिसका नाम पचाई कपूर है। यह एक विशेष प्रकार का कपूर होता है, जिसे अगर किसी पत्थर पर घिसा जाए तो कुछ समय के बाद उस पत्थर में दरारे पड़ जाती हैं लेकिन मूर्ति पर इस कपूर का कोई असर नहीं होता।
- तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी एक चौंकाने वाली बात यह है कि यहां पर किसी भी प्रकार की लाइट का प्रयोग रोशनी के लिए नहीं किया जाता है। यहां दीपक जलाकर बालाजी मंदिर को चमकाया जाता है।
- भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर की मूर्ति पर हर गुरुवार को चंदन का लेप लगाने की प्रथा लंबे समय से चली आ रही है।
- भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर के पास समुद्र की लहरों से अक्सर आवाज सुनाई देती है। ऐसा माना जाता है कि यह आवाज बैकुंठ धाम से आती रहती है।
- मंदिर के अंदर एक दीपक जो हजारों साल से चल रहा है। आज तक उस दीपक में किसी ने तेल व घी नहीं डाला लेकिन फिर भी यह दीपक हजारों वर्ष से उसी उज्वलित है।
- भगवान वेंकटेश्वर जी की मूर्ति स्वयं धरती से निकल कर बाहर आई थी। इस मूर्ति को किसी भी मनुष्य के द्वारा नहीं बनाया गया है और इस मूर्ति के सर पर असली रेशम के बाल लगे हुए हैं। इसके अलावा इस मूर्ति में मुंह पर चोट के गहरे निशान भी है, जहां औषधि के रूप में रोजाना चंदन लगाया जाता है।
- भगवान वेंकटेश्वर जी की मूर्ति को नीचे धोती और ऊपर साड़ी पहनाकर सजाया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस वेंकटेश्वर बालाजी की मूर्ति में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी दोनों एक मूर्ति में विराजमान है और इसी वजह से इस मूर्ति को स्त्री व पुरुष दोनों के कपड़े एक साथ पहना कर सजाया गया है।
तिरुपति बालाजी मंदिर की कहानी
भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर की कहानी के बारे में अगर विस्तार से देखा जाए तो भगवान तिरुपति बालाजी का अस्तित्व आज से लाखों साल पहले ही इस धरती पर हो गया था। पुराने कई इतिहास के पन्नों में और पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी जो भगवान विष्णु से नाराज होकर बैकुंठ धाम छोड़ कर चली गई।
तब माता लक्ष्मी की नाराजगी की वजह से प्रभु विष्णु को निंद्रा में बैकुंठ धाम ने अपने पैरों से मार दिया था। यह नजारा देखकर माता लक्ष्मी को बहुत ही ज्यादा दुख हुआ और उन्होंने भगवान विष्णु जी के द्वारा ऋषि मुनि को श्राप देने की बजाय उस ऋषि मुनि को माफ किया गया। इस बात से माता जी काफी निराश हो गई थी। उसके पश्चात भगवान विष्णु जी माता लक्ष्मी जी को ढूंढने लगे।
कई दिनों तक माता लक्ष्मी को ढूंढने के बाद भगवान को पता चलता है कि लक्ष्मी जी एक कन्या के अवतार पर पृथ्वी लोक पर जन्म ले चुकी है। माता लक्ष्मी जिन्होंने कन्या के रूप में धरती पर पद्मावती के नाम से अवतार लिया और उसके पश्चात प्रभु ने खुद धरती पर जन्म लेने का निर्णय ले लिया। भगवान ने वेंकटेश्वर महाराज के रूप में धरती पर जन्म लिया।
उसके पश्चात भगवान विष्णु जी जो वेंकटेश्वर महाराज के अवतार में थे। उन्होंने लक्ष्मी जी जाने की पद्मावती से शादी का प्रस्ताव उनके माता-पिता के सामने रखा। उनके माता-पिता ने शादी के प्रस्ताव को खुशी-खुशी स्वीकार करते हुए भगवान विष्णु जी और लक्ष्मी जी की शादी यानी कि वेंकटेश्वर महाराज और पद्मावती जी की शादी का आयोजन कर दिया।
शादी के समय भगवान को धन की जरूरत पड़ी। ऐसे में भगवान विष्णु जी ने सभी प्राणियों और देवताओं से धन उधार लिया था। इसी मान्यता के पीछे आज के समय में जब भी कोई श्रद्धालु वहां पहुंचता है तब अपनी इच्छा के अनुसार धन भेंट करके आता है।
ऐसा माना जाता है कि तिरुपति बालाजी में धन भेट करने के बाद मनुष्य के धन में वृद्धि होती है। मनुष्य को कभी भी धन की कमी नहीं होती है और इसीलिए हर व्यक्ति तिरुपति बालाजी मंदिर अपने जीवन में एक बार जाने की इच्छा रखता है।
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तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल दान करने की सच्चाई
तिरुपति बालाजी मंदिर में जब भी कोई श्रद्धालु भक्तों के रूप में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करने के लिए पहुंचता है तो वहां पर बाल दान करके आता है। भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर जाने के बाद लोगों के महान दान करने की परंपरा के पीछे क्या वजह है? इसके बारे में यदि जिक्र किया जाए तो बाल दान करने की ऐसी कोई खास वजह नहीं है।
लेकिन ऐसा माना जाता है कि भगवान तिरुपति मंदिर जाने के बाद व्यक्ति को अपने घमंड और अहंकार को क्या देना चाहिए और इसीलिए वहां पर लोग अपने बाल को दान कर के अहंकार घमंड और बुरे को त्यागने का एक प्रण लेते हैं। यह बाल दान करने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। यहां जाने वाला प्रत्येक श्रद्धालु बाल दान करता है।
तिरुपति में घूमने की जगह
अगर आप बालाजी घूमने के लिए जा रहे हैं तो यहां का मुख्य आकर्षण तो एक कंटेश्वर मंदिर ही है, जिसे तिरुपति बालाजी मंदिर कहा जाता है लेकिन इसके आसपास भी कई खूबसूरत पर्यटन स्थल है।
आप तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन करने के बाद इन खूबसूरत पर्यटन स्थलों की खूबसूरती को भी देख सकते हैं। यहां पर तिरुपति के आसपास घूमने लायक कुछ स्थानों के बारे में बताया गया है।
श्री हनुमान मंदिर
बालाजी मंदिर के आसपास कई अन्य धार्मिक मंदिर है, जिसमें से एक भगवान हनुमान जी का मंदिर है। यह मंदिर बालाजी मंदिर के समीप में ही है और इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा लोकप्रिय है।
कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ यहां पर आकर कुछ समय के लिए विश्राम किए थे।
पदमावती अम्बावरी मंदिर
पद्मावती अम्बावरी मंदिर आंध्र प्रदेश में चितूर जिले में 5 किलोमीटर की दूरी पर बालाजी तिरुपति मंदिर के समीप तिरूचनूर नामक गांव में स्थित है। यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी पद्मावती जो मां लक्ष्मी की अवतार हैं, उनको समर्पित मंदिर है। धन और वैभव प्रदान करने वाली मां लक्ष्मी का यह मंदिर श्रद्धालुओं के बीच काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि वेंकटेश्वर मंदिर का दर्शन करने के बाद जब तक श्रद्धालु इस मंदिर का दर्शन नहीं करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी नहीं होती है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के भाई बलराम, सूर्य नारायण स्वामी और सुंदर राज स्वामी की भी मंदिर स्थित है।
कपिला तीर्थम
तिरुपति बालाजी के आसपास घूमने लायक लोकप्रिय और धार्मिक स्थानों में से एक कपिला तीर्थम है। यहां पर मौजूद मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। शिवरात्रि के दौरान यहां पर काफी ज्यादा भीड रहती है। इस दौरान यंहा पर आपको तिरुपति के लोगों के रीति-रिवाजो से परिचित होने का मौका मिलता है।
हिन्दूओं के लिए यह एक पवित्र स्थान है। कहा जाता है इसी स्थान पर ऋषि कपूर ने तपस्या की थी। यह स्थान मंदिर से करीबन 22 से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
गोविंदराज स्वामी मंदिर
तिरुपति बालाजी मंदिर से कुछ ही दूर स्थित गोविंद राज स्वामी मंदिर तिरुपति बालाजी के आसपास घूमने लायक प्रमुख धार्मिक और पवित्र स्थान है। यह तिरुपति बालाजी के बाद दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है, जो भगवान गोविंद राज को समर्पित है।
कहा जाता है कि गोविंद राज भगवान वेंकटेश्वर के बड़े भाई थे। यहां पर आकर्षक मंदिर है और मंदिर के दीवारों पर भागवत गीता और रामायण की पंक्तियों को चित्रित किया गया है।
तुम्भुरु तीर्थम
प्रकृति प्रेमियों के लिए तिरुपति मंदिर के आसपास घूमने लायक खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक तुम्भुरु तीर्थम है। यह पूरी तरीके से पेड़ पौधों के हरियाली से घिरा हुआ है।
यह पर्यटन स्थल मंदिर से 12 से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर आप प्रकृति के खूबसूरत वादियों को देखने का लुफ्त उठा सकते हैं। अपने परिवार या पार्टनर के साथ कुछ बेहतरीन पल बिताने के लिए तिरुपति के आसपास यह सबसे लोकप्रिय स्थान है।
हिरण पार्क
अगर आप अपने परिवार या बच्चों के साथ तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन करने आते हैं तो मंदिर के दर्शन करने के बाद प्रकृति के बीच शांति का आनंद लेने के लिए आप हिरण पार्क घूमने जा सकते हैं, जो इस शहर का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
यह पार्क मंदिर से तकरीबन 15 से 20 मिनट की दूरी पर तिरुमाला पहाड़ियों के आधार के पास स्थित है। इस पार्क में आप टहल सकते हैं। इसके साथ ही यहां पर हिरन, मोर और कई जानवरों को खाना भी खिला सकते हैं। पार्क में एक खेलने का मैदान है और इसके अतिरिक्त कई छोटी-छोटी दुकानें भी हैं।
श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान
श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान उन पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय घूमने लायक स्थान है, जिन्हें प्रकृति और प्रकृति से जुड़े जीव जंतुओं से लगाव है। वेंकटेश्वर मंदिर से तकरीबन 8 से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान 178 से भी ज्यादा प्रजातियों के पक्षियों का घर है। यहां पर हाथी, तेंदुआ, भालू हिरण जैसे कई जानवर रहते हैं।
इस राष्ट्रीय उद्यान में शोरिया थंबर्गगिया, रेड सैंडर्स और चंदन जैसे कई स्थानिक पौधे मौजूद है। यह राष्ट्रीय उद्यान 5000 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। अगर आप इस राष्ट्रीय उद्यान को घूमने आते हैं तो अपने साथ एक दूरबीन भी जरूर लेकर आएं ताकि आप इस राष्ट्रीय उद्यान को बारीकी से निहार सके।
इस नेशनल पार्क में एक झरना भी है, जिसका नाम तालकोना है। यह झड्रना 82 मीटर की ऊंचाई से गिरता है, जिसे भारत के सबसे ऊंचे झरनों में से एक माना जाता है। माना जाता है यह झरना कई जड़ी-बूटी और औषधियों से समृद्ध है। यहां तक कि इसके पानी से कई स्किन संबंधित रोग दूर हो जाते हैं।
स्वामी पुष्करिणी झील
तिरुपति बालाजी मंदिर के पास में स्थित स्वामी पुष्कर्णी झील हिंदुओं का एक पवित्र कुंड है। इसे पुष्करणी तीर्थ भी कहा जाता है। इस कुंड में स्नान करने के बाद ही श्रद्धालु बालाजी मंदिर का दर्शन करने के लिए जाते हैं।
इस झील को लेकर एक कथा इस प्रकार भी है कि इसी झील में सबसे पहले भगवान विष्णु जी पृथ्वी लोक में स्नान किए थे। इस झील को एक गरुड़ के द्वारा धरती पर लाया गया था। इन्हीं धार्मिक कारणों से श्रद्धालु इस झील में स्नान करते हैं।
चंद्रगिरी
अगर आप तिरुपति बालाजी मंदिर का दर्शन करने जाते हैं तो दर्शन पूरा होने के बाद आप चंद्रगिरी घूमने जरूर जाएं। यह तिरुपति के से तकरीबन 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा शहर है।
कहा जाता है कि यह विजयनगर साम्राज्य की चौथी राजधानी हुआ करती थी। यहां पर दो आकर्षक महल और एक किला भी है। किला एक विशाल चट्टान पर बना हुआ है, जहां से आप इस शहर के खूबसूरत दृश्य को देख पाएंगे। इस किले का निर्माण विजयनगर शासकों के द्वारा ही किया गया था।
देवस्थानम गार्डन
देवस्थानम गार्डन तिरुपति के आसपास घूमने लायक लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। यह गार्डन 450 एकड़ के विशाल क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
यहां गार्डन विभिन्न प्रजाति के रंग-बिरंगे फूलों से सुशोभित है। गार्डन में कई और तालाब भी मौजूद है, जिसके पास में बैठ कर आप यहां के सुनहरे वातावरण में खो सकते हैं।
क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र
अगर आप अपने बच्चों के साथ तिरुपति बालाजी मंदिर का दर्शन करने जाते हैं तो मंदिर के दर्शन के बाद आप क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र घूमने के लिए जरूर जाएं। इस विज्ञान केंद्र में बच्चों को विज्ञान से संबंधित कई जानकारी मिलेगी।
यहां पर एक तारामंडल भी है, जिसमें हमारे सौर्य मंडल और अंतरिक्ष से संबंधित फिल्म दिखाया जाता है। इसके अतिरिक्त इस विज्ञान केंद्र में विज्ञान से जुड़ी अन्य कई रोचक चीजें देखने व जानने को मिलती है। इस विज्ञान केंद्र में प्रवेश करने के लिए ₹150 का शुल्क लगता है।
सिलाथोरनाम
तिरुपति बालाजी के आसपास घूमने लायक स्थानों में से एक सिलाथोरनाम भी है। यह दुनिया के 3 प्राकृतिक रॉक में से एक है। यह चट्टान तकरीबन 150 करोड़ वर्ष से भी ज्यादा पुराना है।
इस चट्टान से संबंधित रोचक तथ्य यह है कि जब इस चट्टान को दूर से देखा जाता है तो इसका आकार बिल्कुल एक नाग और संक्ख के समान दिखने में लगता है।
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तिरुपति बालाजी कैसे पहुंचे?
तिरुपति बालाजी जाने के लिए व्यक्ति के पास अलग अलग तरीके से हर सुविधा मौजूद है। व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार किसी भी एक रास्ते को अपनाते हुए तिरुपति बालाजी मंदिर बिलकुल आसानी से पहुंच सकता है।
रेल मार्ग के माध्यम से
भारत का रेलवे नेटवर्क देश के हर लोकप्रिय शहर पूरी तरह से जुड़ा हुआ है। तिरुपति बालाजी मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए ट्रेन का सफर सबसे बेहतरीन सफल माना जाता है। तिरुपति में रेलवे स्टेशन बना हुआ है। लेकिन यहां पर सीमित रेलगाड़िया ही रुकती है। इनके पास रेणिगुंटा जंक्शन तिरुपति से 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
यह काफी लोकप्रिय रेलवे स्टेशन है और यहां पर हर शहर से नियमित रूप से रेलगाड़ी आती रहती है। ऐसे में आप रेणिगुंटा जंक्शन तक रेलवे मार्ग के माध्यम से पहुंच सकते हैं और उसके पश्चात तिरुपति ट्रस्ट की बसें रेलवे स्टेशन पर मौजूद रहती है, जो हर आधे घंटे में रेलवे से आने वाले सभी श्रद्धालुओं को मंदिर तक फ्री में ले जाने का काम करती है।
सड़क मार्ग के माध्यम से
भारत का सड़क नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है। सड़क मार्ग के माध्यम से आप बसों के जरिए या अपनी खुद की गाड़ी के माध्यम से तिरुपति बालाजी मंदिर पहुंच सकते हैं।
इतना ही नहीं तिरुपति बालाजी मंदिर के लिए हर शहर से बस मिल जाती है। इसके अलावा आप किसी लोकप्रिय शहर जैसे बेंगलुरु, हुबली, चित्तूर से वाया तिरुपति यात्रा कर सकते हैं।
हवाई मार्ग के माध्यम से
तिरुपति बालाजी मंदिर हवाई मार्ग और फ्लाइट के माध्यम से जाने वाले यात्रियों के लिए तिरुपति अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बना हुआ है, जहां देश विदेशों से नियमित फ्लाइट लैंड होती है। आप हवाई मार्ग के जरिए भी तिरुपति बालाजी मंदिर बिलकुल आसानी से पहुंच सकते हैं।
तिरुपति बालाजी में भोजन की व्यवस्था
तिरुपति बालाजी में आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर के ट्रस्ट के द्वारा भोजन एवं प्रसाद की व्यवस्था कराई जाती है। यहां पर सुबह 9:00 से 11:00 तक श्रद्धालुओं को नाश्ता दिया जाता है। वहीं 11:00 से 4:00 तक दोपहर का लंच आयोजित किया जाता है।
तिरुपति जाने का सही समय
भगवान के दर्शन के लिए कोई उचित समय नहीं होता। तिरुपति बालाजी मंदिर में हमेशा ही श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। लेकिन अगर आप तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन करने के अतिरिक्त उसके आसपास के अन्य खूबसूरत पर्यटन स्थलों को भी घूमना चाहते हैं तो उसके लिए सही समय पर आना अच्छा होगा ताकि आप अपनी यात्रा को आनंददायक बना सके।
दरअसल जून-जुलाई के महीने में यहां पर काफी ज्यादा गर्मी रहती है, उस दौरान यहां का औसतन तापमान 43 डिग्री तक हो जाता है, जिससे यात्रा करने में थोड़ी तकलीफ होती है। इसके अतिरिक्त मंदिर में दर्शन करने के लिए भी भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, जिसके कारण लंबी कतारों में खड़े रहना पड़ता है।
इससे श्रद्धालुओं का हाल खराब हो जाता है। लेकिन अगर आप अक्टूबर से मार्च के महीने के बीच कभी भी आते हैं तो उस दौरान सर्दी होती है। सर्दियों के दौरान आपको गर्मी से परेशान नहीं होना पड़ता है।
तिरुपति बालाजी के दर्शन कैसे करें?
तिरुपति बालाजी के दर्शन करने वाले यात्रियों के लिए एक निश्चित प्रक्रिया का आयोजन किया गया है, जो तिरुपति बालाजी के दर्शन करने के लिए जरूरी है। तिरुपति बालाजी पर प्रतिदिन श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ होने की वजह से ऑनलाइन पहले से दर्शन के लिए टिकट बुक करने की सुविधा उपलब्ध की गई है।
इसके अलावा वहां पहुंचने के बाद भी आपको काउंटर से टिकट मिल जाएंगे, टिकट बिल्कुल फ्री है। लेकिन आपको बुक करके समय का प्रबंध पहले से करना होगा। तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन करने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार से नीचे दी गई हैः
तिरुपति बालाजी की ऑफिशियल वेबसाइट tirumala.org और जाकर आप इंटरनेट के माध्यम से अपना दर्शन बुकिंग E Pass बना सकते हैं। ऑनलाइन पास बनाने के लिए आपके पास अपना पहचान पत्र होना जरूरी है।
आपको ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर अपने समय के अनुसार अपने पहुंचने के समय को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन दर्शन के लिए टिकट बुक कर देना है। यह टिकट बिल्कुल फ्री है।
अब जो श्रद्धालु दर्शन के लिए टिकट बुक कर लेता है, उस श्रद्धालुओं को दर्शन करने से पहले की एक अद्भुत प्रक्रिया रखी गई है। तिरुमला पर्वत के मंदिर परिसर के पास में एक स्नान करने के लिए पुष्करण कुंड बना हुआ है। इस कुंड में सभी दर्शनार्थियों को दर्शन करने से पहले स्नान करना होता है।
अब आगे की प्रक्रिया के तौर पर सबसे पहले बाहर स्वामी का दर्शन करने का मौका दर्शनार्थियों को दिया जाता है और उसके पश्चात तिरुपति बालाजी स्वामी के दर्शन के लिए आपको आगे जाना होता है।
प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा होने की वजह से यहां पर लाइन लग सकती है। इसलिए आपको तिरुपति बालाजी के दर्शन करने के लिए जय गोविंदा का नारा लगाते हुए वेंकटेश्वर स्वामी दर्शन के लिए लगी लाइन में जुड़ जाना है। जब भी आपको लाइन के अनुसार दर्शन करने का मौका मिलता है। तब आप भगवान तिरुपति बालाजी के दर्शन कर सकते हैं।
हालांकि यहां पर कभी विशेष त्यौहार जैसे कि दीपावली और दशहरा पर दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की लाइन इतनी लंबी होती है, कि 2 दिन तक भगवान तिरुपति बालाजी के दर्शन करने का मौका नहीं मिलता है। जो 2 दिन तक लाइन में प्रतीक्षा करने के बाद आपको दर्शन करने का मौका मिलता है।
जो श्रद्धालु लंबी लाइन से बचना चाहता है, उनको ऑनलाइन करीब 90 दिन पहले तिरुपति बालाजी यात्रा के लिए योजना बनानी होगी। 90 दिन पहले अपने दर्शन की ऑनलाइन टिकट को बुक कर देना है ताकि भीड़ से आप बच सकें और आपको जल्द से जल्द दर्शन करने का मौका मिल जाए।
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तिरुपति बालाजी में ठहरने की व्यवस्था
भगवान वेंकटेश्वर जी यानी तिरुपति बालाजी के मंदिर जाने के बाद रुकने की व्यवस्था के लिए आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए तिरुपति बालाजी ट्रस्ट के द्वारा ठहरने की उत्तम व्यवस्था का आयोजन किया गया है।
यहां पर आपको चाय, नाश्ता, खाना, पानी सब बिल्कुल फ्री में उपलब्ध कराया जाता है। तीर्थ यात्री तिरुमाला बस स्टैंड के पास आपको केंद्रीय शिक्षण कार्यालय मिल जाता है। जहां आप संपर्क कर के छात्रावास हॉल में आराम से रुकने के लिए अपना बंद कर सकते हैं।
यहां पर खाने पीने के लिए भी ट्रस्ट के द्वारा सभी तरह की बेहतरीन व्यवस्था का आयोजन किया हुआ है। भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर पहुंचने के बाद यहां पर रुकने के लिए ट्रस्ट के अलावा भी बहुत सारे होटल मौजूद है। जहां आप अपने बजट के आधार पर तिरुपति में रुक सकते हैं।
तिरुपति बालाजी दर्शन में कितना समय लगता है
यदि आप काफी समय पहले बुकिंग के लिए आवेदन कर देते हैं। ऑनलाइन आवेदन काफी दिनों पहले किया जाता है तो ऐसे में आपको तिरुपति बालाजी दर्शन के लिए 1 दिन का समय लगता है। 1 दिन में आप सुबह पहुंच कर दिन भर में आराम से दर्शन करके शाम को वापस अपने घर की ओर रवाना हो सकते हैं।
लेकिन यदि आप वहां जाकर तिरुपति बालाजी दर्शन के लिए टिकट लेते हैं तो ऐसे में लाइन लंबी होने या भीड़ अधिक होने की वजह से आपको 36 घंटे का कम से कम समय लग सकता है। इसलिए आप 3 दिन का समय निकालकर तिरुपति बालाजी यात्रा के लिए निकले ताकि भगवान बालाजी के दर्शन आसानी से और अच्छे तरीके से हो सके।
तिरुपति बालाजी घूमने का खर्चा
तिरुपति बालाजी पहुंचने के लिए रास्तों के खर्चे को यदि साइड में रखा जाए तो यहां 2 दिन 3 दिन रुकने का खर्चा छात्रावास में रहने पर ₹1 भी नहीं आता है क्योंकि यहां खाने-पीने की सभी व्यवस्था रहने की संपूर्ण व्यवस्था बिल्कुल फ्री ट्रस्ट के माध्यम से आयोजित की गई हुई है।
आप ट्रस्ट के द्वारा बने हुए छात्रावास में रह सकते हैं और ट्रस्ट के द्वारा बनाए गए खाने का सेवन करके आराम से दो-तीन दिन रुक सकते हैं। लेकिन यदि आप आसपास होटल में रुकने का प्लान बना रहे हैं तो आपको 2 दिन रुकने का अनुमानित खर्चा ₹2500 से ₹3000 तक आ सकता है।
तिरुपति बालाजी दर्शन करते समय साथ में क्या रखें?
तिरुपति बालाजी दर्शन के लिए यदि आप जा रहे हैं तो आपको ऐसा कोई विशेष सामान साफ रखने की जरूरत नहीं है। तिरुपति बालाजी ट्रस्ट समिति के द्वारा हर वस्तु का इंतजाम यात्रियों के लिए किया गया है।
लेकिन उसके बावजूद भी आप लाइन लंबी होने के कारण लाइन के बीच में खाने के लिए थोड़ा बहुत कुछ सामान साथ रख सकते हैं या सफर में खाने-पीने की सामान्य चीजें साथ रख सकते हैं।
निष्कर्ष
भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर जिसे भगवान वेंकटेश्वर मंदिर के नाम से भी पहचाना जाता है। भगवान वेंकटेश्वर और तिरुपति बालाजी मंदिर हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। हिंदू धर्म के लोगों के लिए तिरुपति बालाजी दर्शन काफी महत्व रखता है।
हर व्यक्ति अपने जीवन में एक बार तिरुपति बालाजी मंदिर जाकर अपने जीवन के पाप से मुक्ति पाना चाहता है और एक सफल जीवन की शुरुआत करना चाहता है। भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कई रहस्य की जानकारी हमने इस आर्टिकल में आपको दी है।
इस लेख में तिरुपति बालाजी मंदिर कहा है, तिरुपति बालाजी दर्शन के नियम, तिरुपति बालाजी दर्शन टाइमिंग (tirupati darshan timings), तिरुपति बालाजी के दर्शन कैसे करे, तिरुपति बालाजी दर्शन टिकट, तिरुपति बालाजी में ठहरने की व्यवस्था, तिरुपति बालाजी दर्शन टाइम टेबल आदि से जुड़ी जानकारी विस्तार से प्राप्त की है।
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