अगर आप हिमाचल प्रदेश में घूमने की योजना बना रहे हैं तो पालमपुर की सैर करना ना भूले। आज के लेख में हमने ‘टी सिटी’ के नाम से प्रसिद्ध पालमपुर में घूमने की जगह (Palampur Me Ghumne ki Jagah) के बारे विस्तार से जानकारी दी हैं।
भारत का राज्य हिमाचल प्रदेश हिमालय की गोद में बसा एक बहुत ही खूबसूरत राज्य है, जो प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र यहां के कई मनोरम स्थल है।
पालमपुर हिमाचल प्रदेश राज्य के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है। पालमपुर एक हिल स्टेशन के साथ ही खूबसूरत शहर भी है, जो समुद्र तल से 1.3km की ऊंचाई पर स्थित हैं।
यहां चाय के बागान और देवदार के जंगल इसके सौंदर्य को बढ़ा देते हैं। पालमपुर में नदियां, झरने, सुहावना मौसम, हरी भरी घाटियां, बर्फीली पहाड़ियां, सर्पीली सड़कें और बड़े-बड़े चाय बागान पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
पालमपुर के बारे में रोचक तथ्य
- पालमपुर इतिहास के बारे में देखा जाए तो पता चलता है कि यह पहले यह एक सिख राज्य का हिस्सा था, जो बाद में अंग्रेजों के अधिकार में आ गया था और यह अंग्रेजों के व्यापार का केंद्र बन गया।
- सन 1905 में आये भूकंप से काफी नुकसान हुआ और इसके बाद अंग्रेज 2000 हेक्टेयर में फैले चाय के बागानों को स्थानीय लोगों को सौंप कर छोड़कर चले गए। पालमपुर हिमाचल प्रदेश के कांगडा जिले के अंतर्गत बसा एक खुबसूरत हिल स्टेशन है।
- पालमपुर धौलाधार पर्वत श्रेणी से पूरा घिरा हुआ है।
- पालमपुर से धौलाधार की पर्वत श्रेणियां पूरी तरह से बर्फ से ढकी हुई दिखाई पड़ती है।
- पालमपुर में चाय के बागान 2000 हेक्टेयर में फैले हुए हैं।
- पालमपुर से 30km दुर दलाई लामा का शहर मैकलोडगंज हैं।
- पालमपुर के पास स्थित कांगडा किला भारत का सबसे प्राचीन किला है।
पालमपुर का मौसम
पालमपुर का मौसम हमेशा ठंडा रहता है। इसका कारण इसका पहाड़ी क्षेत्र और हिमालय की गोद में बसा होना है।
गर्मियों में इस शहर की का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 29 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, जबकि सर्दियों में यह तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से -4 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है और वर्षा ऋतु में यहां अधिक बारिश होती हैं।
पालमपुर टूरिस्ट प्लेस (Palampur Tourist Places in Hindi)
धौलाधार पर्वत माला के सुंदर दृश्य के लिए प्रसिद्ध पालनपुर हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला से कुछ एक पहाड़ी नगर है। उत्तर के चाय के बागान से हरे भरे मैदान जो वातावरण हमेशा पर्यटकों में ताजगी भर देता है।
इसके अलावा न्यूगल पार्क, विंध्यवासिनी मंदिर, घुघुर, लांघा, आर्ट गैलरी और गोपालपुर का चिड़ियाघर यहां का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है, जो धर्मशाला-पालमपुर मार्ग पर स्थित है। यहां पर वनस्पतियां और जीवो की सुंदरता इसकी सुंदरता पर चार चांद लगा देते हैं।
कांगड़ा किला
कांगड़ा किला, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा नगर के बाहर की ओर धर्मशाला शहर से 20km दूर है। कांगडा फोर्ट त्रिगर्त साम्राज्य की उत्पत्ति को बताता है, जिसका उल्लेख वेदव्यास द्वारा रचित महाकाव्य महाभारत में मिलता हैं।
यह हिमालय क्षेत्र का सबसे बड़ा किला और संभवतः भारत का सबसे प्राचीन किला है। यह किला व्यास नदी के किनारे पर स्थित है। एक समय ऐसा था जब इस किले में अपार धन था, जिसकी वजह से इस किले पर कई बार हमले हुए।
आर्ट गैलरी
यह आर्ट गैलरी विश्व भर में प्रसिद्ध है। शोभा सिंह के द्वारा बनाए चित्रों में कांगडा दुल्हन, सोहनी महिवाल और गुरूनानक देव के चित्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त चित्र है।
विंध्यवासिनी मंदिर
न्यूगल पार्क से 2.5 km की दूरी पर यह मन्दिर स्थित है। धार्मिक दृष्टि से यह मन्दिर बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
वज्रेश्वरी मंदिर
कांगड़ा जिले के प्रमुख मंदिरों में से एक मन्दिर ब्रजेश्वरी मंदिर है। यह मंदिर पर्यटकों को बहुत ही ज्यादा आकर्षित करता है और आध्यात्मिक व धार्मिक रूप से ज्ञानवर्धक स्थलों में से है।
यह मन्दिर भारत की 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ होने के कारण अपने आप में अलग ही महत्व रखता हैं।
न्यूगल पार्क
यह पार्क 150 मीटर ऊंची पहाड़ी पर है, जो न्यूगल नदी के किनारे पर स्थित है। यहां एक घास का लॉन और एक नहर है, जिसकी सुंदरता सैलानियों को आकर्षित करती है।
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घुघुर
यह पालमपुर से 1 km की दूर है। यहां काली माता, रामकृष्ण तथा संतोषी माता के मंदिर दर्शनीय है।
लांघा
लांघा समुद्र तल से 7000 फीट ऊंचाई पर स्थित एक रमणीय स्थल है। यहां जखनी माता का मंदिर हैं, जो गोलाकार मैदान में हैं। यहां दूर-दूर लोग पिकनिक मनाने आते हैं।
गोपालपुर
धर्मशाला-पालमपुर मार्ग पर स्थित गोपालपुर चिड़ियाघर पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां पर शेर, हिरण, भालू, याक, खरगोश, जंगली बिल्ली आदि वन्य जीव और रंग बिरंगे पक्षी है, जिनको हम बहुत ही नजदीक से देख सकते है।
करेरी झील
करेरी झील धर्मशाला के लगभग 9 किमी उत्तर पश्चिम में कांगडा जिले में धौलाधार श्रेणी में स्थित ताज़े पानी की एक ऊथली झील है, जो समुद्र तल से 2934 मीटर की ऊंचाई पर है।
करेरी झील एक प्रमुख पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ धौलाधार रेंज में एक बेहद लोकप्रिय ट्रैकिंग स्थान भी है। इस झील में पानी बर्फ पिघलकर आता हैं।
इसमें पानी की दृश्यता के साथ ही कैफ उथली झील हैं। पालमपुर में अधिकांश पर्यटक इंद्रहार पास सर्किट और बैकपैकर्स ट्राइंड ट्रेकिंग के लिए आते हैं।
धौलाधार रेंज
कांगडा जिले पास आकर्षक ट्रेकों में सबसे लोकप्रिय ट्रेक धौलाधार रेंज ट्रेक हैं। ये रेंज कांगड़ा शहर के उत्तर में स्थित है और हिमालय के दक्षिणी हिस्से को पूरा कवर करती हैं।
अगर आपको यहां सैर करने का मौका मिले तो यहां ट्रेकिंग जरूर करें यहां आपको अद्भुत दृश्य मिलेगा।
ज्वालाजी मंदिर
इस मंदिर को ज्वालामुखी या ज्वाला देवी के नाम से भी जानते है। ज्वालाजी मंदिर राज्य की कांगड़ा घाटी के दक्षिण की ओर 30 किलोमीटर दूर और धर्मशाला से 56 किलोमीटर दूर है। ज्वालाजी मंदिर ज्वालामुखी को समर्पित जो एक हिन्दू देवी है।
ज्वाला देवी मंदिर की नौ अनन्त ज्वालाएं जलती है। कांगड़ा की घाटियों में, जो पूरे हिन्दुस्तान के हिंदू तीर्थयात्रियों के आकर्षण का केंद्र बन जाता है। ये नौ अनन्त ज्वालाएं बिना ईंधन के चमत्कारीक रूप से जलती रहती है।
बीर बिलिंग
भारत में पैराग्लाइडिंग राजधानी के नाम से जाना जाने वाला बीर हिमाचल प्रदेश का एक छोटा सा गांव हैं। इस गांव का वातावरण, मौसम, हरियाली और पहाड़ पैराग्लाइडिंग के अनुकूल है।
इसके साथ ही यह एक टेक-ऑफ साइट हैं और बिलिंग यहां से करीब 14 km की दूरी पर स्थित है, जो एक लैंडिंग साइट हैं। 2015 का पैराग्लाइडिंग विश्व कप बीर-बिलिंग में ही आयोजित किया गया था।
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चामुंडा देवी मंदिर
इस मंदिर का निर्माण सन 1762 में तत्कालीन राजा उम्मेदसिंह ने चंबा जिले में करवाया था। यह एक प्राचीन और प्रमुख पर्यटक स्थल के साथ आस्था का प्रमुख केन्द्र है।
यह बानेर नदी के तट पर लाहला और पाटीदार के जंगल में स्थित यह मंदिर पूरी तरह से लकड़ी का बना हुआ है। यह मंदिर काली मां को समर्पित है, जो युद्ध की देवी के रूप में प्रसिद्ध हैं।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर में दर्शन करने के लिए 400 सीढियां चढ़कर जाना पड़ता हैं।
बैजनाथ मंदिर
बैजनाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश के सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में ‘हिलिंग के देवता’ के रूप में भगवान शिव की पूजा होती हैं। भक्तों के दुख और पीड़ा हरने वाले बैजनाथ शिव का अवतार माना जाता हैं।
शिव भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता हैं। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के जल में बिमारियों को ठीक करने के औषधीय गुण पाए जाते हैं। यही कारण है कि हर साल यहां लाखों सैलानी यहां आते हैं।
मैकलोडगंज
हिमाचल के पालमपुर और धर्मशाला के पास एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है। यहां की संस्कृति में तिब्बती संस्कृति के सुन्दर मिश्रण के साथ ही कुछ ब्रिटीश प्रभाव भी देखने को मिलता हैं।
मैकलोडगंज एक खुबसूरत शहर हैं, जो आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का शहर होने के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है, जो राजसी पहाड़ियों और हरियाली के बीच स्थित मैकलोडगंज को छोटे ल्हसा के नाम से जाना जाता है। यहां तिब्बती बस्तियां होने के कारण यह सांस्कृतिक रुप से तिब्बती प्रभाव से परिपूर्ण हैं।
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कांगड़ा कला संग्रहालय
कांगड़ा संग्रहालय में आपको बौद्ध संस्कृति के चमत्कार और बौद्ध इतिहास की पुरी जानकारी मिल जाएगी और साथ में ही तिब्बती कलाकृतियां और इनका समृद्ध इतिहास की जानकारी मिल जाएगी।
यह स्थान धर्मशाला के बस स्टैंड के बाहर की और स्थित है। कांगडा संग्रहालय में आप पुराने और दुर्लभ सिक्के, पूराने गहने, मूर्तियां, पेंटिंग और मिट्टी के अनेकों बर्तन देखने को मिलेंगे।
कालेश्वर महादेव मंदिर
भगवान शिव को समर्पित कालेश्वर महादेव मंदिर प्रागपुर गांव से 8 किलोमीटर दूर स्थित हैं। इस मंदिर में आकर्षण केन्द्र जमीनी स्तर पर स्थित ‘लिंगम’ हैं। यह मंदिर सुंदर मूर्तियों से सुसज्जित होने के कारण पर्यटक इस और खींचें चले आते हैं।
पालमपुर का प्रसिद्ध त्यौहार होली
पालमपुर की होली को राज्य स्तरीय दर्ज़ा प्राप्त हैं। पालमपुर की होली विश्वप्रसिद्ध होली है। इसलिए यहां की होली देखने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं।
होली के अवसर पर शहर को एक दुल्हन की तरह सजाया जाता हैं। यहां देर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिससे यहां का वातावरण संगीतमयी हो जाता है।
पालमपुर का लोकप्रिय स्थानीय भोजन
पालमपुर में भोजन के अनेकों विकल्प है, यहां जैन भोजन और पहाड़ी भोजन आसानी से उपलब्ध हो जाता है। यहां के बहुत से भोजनालयों और रेस्टोरेंटों में कॉनटीनेंटल के साथ उतर भारतीय, चाईनीज खाना मिलता है।
इसके साथ ही यहां स्थानीय भोजन भी हमारे स्वाद को बढ़ा देता हैं। यहां के प्रसिद्ध स्थानीय भोजन में छोला-भटूरा, सेपू वड़ी, ट्राउट मछली, चना मदरा, मोमोज, मीठे चावल, कड्डु का खट्टा, पटंडे, चिकन अनारदाना आदि शामिल हैं।
पालमपुर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Palampur)
पालमपुर भौगौलिक दृष्टि से जंगलों तथा पहाड़ों बीच स्थित है। वैसे तो पुरे वर्ष घुम्ने के लिए उचित समय है लेकिन मार्च, अप्रैल, मई, सितंबर, अक्टूबर और नवंबर महीनों में घूमने के अनुकूल मौसम रहता है।
पालमपुर कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग
पालमपुर का निकटतम हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है। अगर आप फ्लाइट से पालमपुर जाना चाहते हैं तो गग्गल हवाई अड्डा पालमपुर से 25 किलोमीटर दूर स्थित है। यह हवाई अड्डा देश के अधिकांश हवाई अड्डो से कनेक्ट हैं।
इस हवाई अड्डे से पालमपुर जाना के लिए बस से कांगड़ा पहुंच कर वहां से टैक्सी या ऑटो ले सकते हैं। हवाई अड्डे से पालमपुर तक जाने में एक घंटे का समय लगता हैं।
रेलमार्ग
जो भी पर्यटक ट्रेन के माध्यम से यहां की यात्रा करना चाहते हैं तो उनकी जानकारी के लिए बता दें कि पालमपुर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट रेलवे स्टेशन है, जो पालमपुर से 120 किमी की दूरी पर स्थित हैं। पठानकोट रेलवे स्टेशन से पालमपुर के लिए बस से यात्रा करना सबसे अच्छा रहेगा।
सड़क मार्ग
सड़क मार्ग से आप पालमपुर की यात्रा चाहते हैं तो आपको जानकर ख़ुशी होगी कि हिमाचल प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से पालमपुर अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आपको पालमपुर के लिए सीधी बसें मनाली, धर्मशाला, कांगड़ा, चंडीगढ़ और शिमला से चलती हैं।
FAQ
पालमपुर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है।
वैसे तो यह बात आप पर निर्भर करती है कि आप इस सफर को किस प्रकार से कर रहे हैं। लेकिन अगर अंदाज से बताया जाए तो इस सफर में आपको 15 हजार से 20 हजार रुपए तक का खर्चा आ सकता है।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने हिमाचल प्रदेश राज्य के एक खुबसूरत जगह पालमपुर के दर्शनीय स्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी हैं।
साथ ही इस आर्टिकल में हमने आपको पालमपुर के स्थानीय भोजन, पालनपुर कैसे पहुंचे, पालमपुर में रुकने की जगह, पालमपुर के दर्शनीय स्थल प्रसिद्ध मंदिर व प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में विस्तार से जानकारी दी हैं।
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