उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर क्रिकेट के सामान के लिए काफी फेमस है। मेरठ शहर दिल्ली से करीब 75 किमी की दूरी पर है। इस शहर का वर्णन इतिहास में भी किया गया है।
कहा जाता है कि महाभारत काल में हस्तिनापुर के कुछ अवशेष यहां पर प्राप्त हुए थे। इसके अलावा महाभारत काल में दुर्योधन और उसके भाइयों ने पांडवों को जलाने के लिए लाक्षा ग्रह का निर्माण भी मेरठ में किया था। इसके अलावा कई ऐतिहासिक घटनाएं भी मेरठ से ही शुरू हुई है।
यहां पर 10 मई 1857 को भारत ने अंग्रेजों के खिलाफ सबसे बड़े आंदोलन की शुरुआत की थी। इसके अलावा यह शहर औद्योगिक नगरी के रूप में भी जाना जाता है।
यहां पर बनने वाले क्रिकेट का सामान देश के अलावा विदेशों में काफी खरीदा जाता है। क्रिकेट खिलाड़ी यहां से बैट ले जाना नहीं भूलते हैं।
इस लेख में मेरठ में घूमने की जगह (Meerut Me Ghumne ki Jagah), मेरठ किसके लिए प्रसिद्ध है, मेरठ के आसपास घूमने की जगह (places to visit near meerut), मेरठ कैसे पहुंचे आदि के बारे में विस्तार से बताया है।
मेरठ का इतिहास
मेरठ शहर एक ऐतिहासिक और प्राची नगर है, जिसका जिक्र महाभारत और कई पौराणिक ग्रंथों में किया गया है।
हिंदू महाकाव्य रामायण और महाभारत के अनुसार त्रेता युग में मत नामक असुर के द्वारा यह नगर बसाया गया था। इसीलिए उस समय इस नगर को मयराष्ट्र के नाम से जाना जाता था।
कहा जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी इसी मय नामक राक्षस की पुत्री थी, जिसका विवरण रामायण में मिलता है। यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि महाभारत के दौरान पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ का निर्माण इसी राक्षस ने किया था।
रामायण में इस नगर को लेकर यह भी उल्लेख है कि यहां पर जब मय राक्षस का शासन था, उस दौरान श्रवण कुमार अपने माता पिता को तीर्थ लेकर जाते समय जब इस मयराष्ट्र से प्रवेश किए थे तब असुरशक्ति के कारण उन्होंने अपने माता-पिता को आगे ले जाने से मना कर दिया था।
लेकिन उनके माता-पिता ने समझाया तब उन्हें समझ में आया कि यह एक मायाजाल है, जो उन्हें अपने कर्तव्य से हटा रही है।
आगे भी मेरठ का गौरवशाली इतिहास रहा है। मेरठ शहर ने देश की आजादी के लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश को आजादी दिलाने के लिए पहले स्वतंत्रता संग्राम 1857 की शुरुआत इसी शहर से हुई थी।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम का जन्मदाता इसी महानगर को माना जाता है। स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे ने यहीं पर अंग्रेजों के हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोला था।
उन्होंने अन्य युवाओं को भी अंग्रेजों के खिलाफ किया था। इस तरह मेरठ की भूमि पर कई स्वतंत्रता सेनानियों ने जन्म लिया।
मेरठ के बारे में रोचक तथ्य
- यहां के हस्तिनापुर नगर में महाभारत काल के अवशेष प्राप्त हुए है।
- मेरठ के प्रसिद्ध बल्ले देश के अलावा विदेश में भी फेमस है।
- मेरठ एक इंडस्ट्रियल एरिया है।
- मेरठ शहर शिक्षा के मामले में भारत के सबसे बड़े शहरों में आता है। यहां पर कई बड़े-बड़े महाविद्यालय, कोचिंग और शिक्षा संस्थान है।
- मेरठ खेल उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां पर खेल से संबंधित सामानों के उत्पादन के लिए कई सारी फैक्ट्रियां है। यहां का क्रिकेट बैट्स पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां तक कि कई प्रख्यात भारतीय खिलाड़ी जैसे सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग मेरठ में बनने वाले उम्दा किस्म के बैट्स से खेलना पसंद करते हैं।
- मेरठ में ऐतिहासिक जगह के अलावा आपको मंदिर और दरगाह आदि देखने को मिल जायेगी।
- यहां पर कर्ण और द्रौपदी घाट बने हुए हैं।
मेरठ में घूमने की जगह (Meerut Me Ghumne ki Jagah)
सूरजकुंड
मेरठ का यह जगह काफी फेमस है। सूरजकुंड का निर्माण जवाहर नाम के व्यापारी ने करवाया था। लोगों के अनुसार पहले इस कुंड में नाला का पानी भरा हुआ था।
बाद में इस पानी को निकाल कर निर्मल गंगा के पानी से भर दिया गया था। कुंड के पास में ही मनोहर नाथ जी का मंदिर बना हुआ है।
हस्तिनापुर
यह जगह मेरठ शहर के पास में स्थित है। हस्तिनापुर का संबंध सीधे महाभारत काल से है। इसका वर्णन पुराण में किया गया है। पहले के समय यह नगर कुरु राज्य की राजधानी थी। हस्तिनापुर की कई घटनाएं यहां पर हुई थी।
जैसे कि कौरव के सभी पुत्रों का जन्म यही पर हुआ था। इसके अलावा और कई ऐतिहासिक जगह यहां पर है। हस्तिनापुर नगर में कर्ण घाट और द्रौपदी घाट बना हुआ है।
संग्रहालय
अगर आप इतिहास को जानने में रुचि रखते हैं, भारत के गौरवशाली इतिहास से परिचित होना चाहते हैं तो मेरठ यात्रा के दौरान आप मेरठ के संग्रहालय विजिट करने जरूर जाए। मेरठ का संग्रहालय मेरठ का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
यहां पर आपको महाभारत काल के कई ऐसे साक्ष्य देखने को मिलेंगे, जिससे आपको यकीन हो जाएगा कि टीवी सीरियल में दिखने वाले महाभारत की कहानी ना केवल कहानी है बल्कि भारत का गौरवशाली इतिहास है।
इसके अतिरिक्त यहां पर 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित कई जानकारी आपको मिलेगी और स्वतंत्रता सेनानियों के कई ऐसे सामान भी आपको मिलेंगे, जिससे आपको उन पर गर्व महसूस होगा।
विल्ववेश्वर मंदिर
मेरठ में स्थित विल्ववेश्वर मंदिर मेरठ का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। इसके साथ ही यह एक पवित्र धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित मंदिर है।
इस मंदिर का निर्माण 1820 ईसवी में मराठा शासकों के द्वारा कराया गया था। मंदिर के अंदर शिवलिंग को सुरक्षित रखने के लिए उसके ऊपर तांबे के कलश को चढ़ाया गया है।
मंदिर की वास्तुकला बहुत ही खूबसूरत है। मंदिर के आसपास का वातावरण पर्यटकों को मोहित करता है। मंदिर के पास में एक बहुत बड़ा संस्कृत महाविद्यालय भी है, जहां पर बच्चों को संस्कृत की शिक्षा दी जाती है।
सरधना का पांडव मंदिर
सरधना का पांडव मंदिर मेरठ का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह मेरठ के मुख्य शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
इस मंदिर का निर्माण महाभारत के पांच पांडव पुत्रों ने किया था जब वे हस्तिनापुर से लक्षागृहा जा रहे थे। उसी समय उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कर यहां पर भगवान शिव जी और उनकी शिवलिंग की स्थापना की थी।
मंदिर में श्रद्धालुओं की हर दिन भीड़ रहती है। स्थानीय लोग मानते हैं कि जो भी श्रद्धालु सच्चे दिल से यहां पर आकर भगवान की पूजा आराधना करते हैं, उनकी सभी इच्छा पूरी हो जाती है।
फैंटेसी वर्ल्ड वाटर पार्क
फेंटेसी वर्ल्ड वॉटर पार्क मेरठ में शहरी जीवन के शोर-शराबे से दूर आराम करने के लिए एक शानदार पर्यटन स्थल है। अपने परिवार व बच्चों के साथ मनोरंजन के समय बिताने के लिए फेंटेसी वर्ल्ड वॉटर पार्क मेरठ में बहुत ज्यादा लोकप्रिय हैं।
अगर आप गर्मियों के मौसम में मेरठ घूमने आते हैं तो गर्मी से राहत पाने के लिए फेंटेसी वर्ल्ड वॉटर पार्क घूमने के लिए आ सकते हैं और यहां पर रोमांचकारी पानी की सवारी का आनंद ले सकते हैं।
यह वाटर पार्क सुबह 10:30 बजे से शाम के 6:30 बजे तक खुला रहता है। यहां पर व्यस्को के लिए प्रवेश शुल्क ₹500 लगता है। वहीं शनिवार और रविवार के दिन ₹100 अतिरिक्त प्रवेश शुल्क लगता है।
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सेंट जॉन चर्च
सेंट जॉन चर्च काफी प्राचीन चर्च में से एक है। मेरठ की यह चर्च उत्तर भारत की सबसे पुरानी चर्च में से एक है। इस चर्च का निर्माण ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा करवाया गया था।
मेरठ में ऐसी कई जगह है, जहां पर भारतीय और अंग्रेजों के मध्य स्वतंत्रता संग्राम के कई लड़ाई हुई थी।
औघड़नाथ मंदिर
यह मंदिर मेरठ के प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। 1857 की संग्राम की घटना के समय इस मंदिर का विशेष योगदान रहा था। 1857 के संग्राम के समय अंग्रेज भारतीयों को काली पलटन कह कर पुकारते थे।
औघड़नाथ मंदिर मेरठ के बैरक के बिलकुल पास था। इस मंदिर को काली पलटन मंदिर के नाम के द्वारा भी जाना जाता था।
मंदिर के अंदर भगवान शंकर की मूर्ति स्थापित है। यहां पर शिवरात्रि और सावन में काफी बड़ी संख्या में शिव के भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं।
मंदिर के आस पास रहने वाले लोगों का कहना है कि शिवा जी की मराठा सेना किसी भी युद्ध में जाने से पहले इस मंदिर में दर्शन करना नहीं भूलती थी। इस मंदिर में पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।
शापिर
शापिर मेरठ में स्थित एक दरगाह है, जो पर्यटन की दृष्टि से पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है। इस दरगाह का निर्माण 1628 ईस्वी में मुगल काल के दौरान रानी नूरजहां ने करवाया था।
यह दरगाह जहांगीर के शिक्षक हजरत शाह पीर को समर्पित है, जो रानी नूरजहां के सलाहकार भी थे। स्मारक को लाल पत्थर से बनाया गया है, जिसके चारों ओर चार खंबे स्थित है।
सूर्यास्त के समय यहां पर बहुत खूबसूरत दृश्य उत्पन्न होता है। स्मारक के चारों ओर स्थित हरे भरे पेड़ पौधों से यहां पर एक मनोरम दृश्य उत्पन्न होता है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है। रमझान के दौरान यहां पर मुस्लिम श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ रहती है।
विदुर का टीला
विदुर का टीला मेरठ में स्थित खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यह टीला 55 से 60 फीट ऊंचा है। कहा जाता है कि महाभारत के समय इस किले में विदुर नामक एक बुद्धिमान विचारक रहा करते थे।
कहा जाता है कि वे लोगों के बीच काफी ज्यादा प्रख्यात थे। जो लोग अपने किसी भी समस्या को हल करने में असमर्थ रहते थे, दूर-दूर से इनके पास सलाह लेने के लिए आया करते थे।
यह टीला सूर्यास्त के समय खूबसूरत दृश्य उत्पन्न करता है। इसके आसपास का शांत वातावरण पर्यटको को यहां पर मंत्रमुग्ध कर देता है।
वाले मिया की दरगाह
इस दरगाह का निर्माण कुतुबदीन ऐबक ने वर्ष 1194 में करवाया था। मुस्लिमों की इस दरगाह पर प्रतिवर्ष उर्स का आयोजन किया जाता है।
यह प्राचीन दरगाह है, जो मेरठ से यह कुछ दूरी पर स्थित है। इसके पास में ही माता चंडी देवी का मंदिर भी बना हुआ है। आप इस जगह पर भी घूम सकते हैं।
अबू लेन
अगर आप मेरठ की यात्रा के दौरान कुछ खरीदारी करने की योजना बना रहे हैं तो मेरठ का यह अबू लेन एक प्रसिद्ध मार्केट है। यह मार्केट बहुत पुराना और थोड़ा तंग है लेकिन यहां पर सभी जरूरत की चीजें मिलती है।
यहां पर कई सारी दुकानें हैं, जहां से आप अपने मनपसंद की कोई भी चीजों की खरीदारी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त यहां पर स्ट्रीट फूड के भी ठेले लगे होते हैं, जहां पर आप स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड के चटकारे ले सकते हैं।
दिगंबर जैन मंदिर
अगर आप जैन धर्म के परंपराओं और उनकी संस्कृति में दिलचस्पी रखते हैं या उनसे परिचित होना चाहते हैं तो मेरठ की यात्रा के दौरान आप दिगंबर जैन मंदिर का दर्शन करने जा सकते हैं।
यह मंदिर जैन धर्म के प्रमुख दो संप्रदाय श्वेतांबर और दिगंबर में से दिगंबर संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर लगभग 100 साल पुराना है।
इस मंदिर में जैन धर्म के तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की 7 फीट ऊंची प्रतिमा को स्थापित किया गया है, जिस पर रेशम के कपड़े लपटे हुए हैं।
मंदिर के शीर्ष पर भी एक शांप की मूर्ति स्थापित है, जो मंदिर को और भी ज्यादा उल्लेखनीय बनाता है। मंदिर के दीवारों पर भी कई जटिल काम किए गए हैं, जो इस मंदिर को खूबसूरत बनाने में भूमिका निभाता है।
मनसा देवी मंदिर
मनसा देवी का यह प्रसिद्ध मंदिर मेरठ के मेडिकल कॉलेज के पास में स्थित है। माता के मंदिर के नवरात्र के समय काफी भीड़ रहती है।
लोगों का मानना है कि माता मनसा देवी की पूजा अर्चना करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर के अंदर मनसा देवी की बड़ी प्रतिमा स्थापित है।
गांधी पार्क
गांधी पार्क में ब्रिटिश सैनिकों का मनोरंजन करने का पार्क हुआ करता था। यह पार्क मेरठ के बीचों बीच शहर में स्थित है। पार्क के अंदर आपको हरियाली देखने को मिलेगी।
गांधी पार्क के अंदर म्यूजिकल फव्वारे, वनस्पति उद्यान, बच्चों के लिए कई सारे झूले भी लगे हुए हैं। सुबह शाम यहां पर रहने वाले लोग योगा आदि करने के लिए आते हैं।
शहीद स्मारक
मेरठ का यह शहीद स्मारक मेरठ में वेस्टेड रोड पर बना हुआ है। इस शहीद स्मारक की ऊंचाई 30 मीटर है, जो कि सफेद संगमरमर से बना हुआ है।
शहीद स्मारक के अंदर नहीं सारे पेड़-पौधे लगे हुए हैं। यदि आप इतिहास के जानने के बारे में रुचि रखते हैं तो आप इस जगह पर आ सकते हैं।
भोले की झाल
मेरठ में स्थित भोले की झाल मेरठ का एक प्रमुख बांध है। इतना ही नहीं यह बांध मेरठ में बिजली आपूर्ति का मुख्य स्त्रोत है।
अगर आप मेरठ की यात्रा के दौरान ऐसे जगह की तलाश कर रहे हैं, जहां पर आप शांति और सुकून के कुछ पल बिता सके तो आप इस बांध को विजिट कर सकते हैं। यहां पर कुछ पल सुकून के बिता सकते हैं।
यह बांध ज्यादा गहरा नहीं है, इसलिए यहां पर आप नाव सवारी का भी आनंद ले सकते हैं। शाम के समय यहां पर कई सारे स्टॉल भी लगाए जाते हैं। इस दौरान आप चटपटी नाश्तो का आनंद ले सकते हैं।
यहां विजिट करने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लगता, सुबह 6:00 बजे से शाम के 7:00 बजे तक इस बांध को आप विजिट कर सकते हैं।
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द्रौपदी की रसोई
मेरठ में स्थित द्रोपदी की रसोई मेरठ में एक अद्भुत स्मारक है, जो बडगंगा नदी के तट पर स्थित है। इतिहास प्रेमियों के लिए यह जगह मेरठ में बहुत ही लोकप्रिय है।
इस जगह को लेकर ऐसी एक कथा है कि अपने वनवास के दौरान पांचों पांडव भाइयों के लिए उनकी पत्नी द्रोपदी भोजन बनाया करती थी।
यहां तक कि एक बार भगवान श्री कृष्ण जब हस्तिनापुर की यात्रा करके लौट रहे थे, उस समय उन्होंने द्रोपदी से यहां पर भोजन मांगा था। लेकिन उनके पास भोजन बनाने के लिए कुछ नहीं था।
तब भगवान श्री कृष्ण ने एक ऐसा चित्र बनाया, जिसने इस रसोई में स्वादिष्ट भोजन की असीमित आपूर्ति प्रदान की। सप्ताह के सातों दिन यह स्मारक सुबह 8:00 बजे से शाम के 6:00 बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहता है और कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता।
मुस्तफा कैसल
यह मेरठ की दर्शनीय जगह में से एक है। नवाब मुस्तफा फारसी के महान कवि थे। इस जगह को खुद मुस्तफा नवाब ने बनाया था। करीब 30 एकड़ की भूमि पर इसका निर्माण है।
किले के अंदर सभी सुख सुविधाओं का विशेष ध्यान दिया गया है। किले के निर्माण में कई सारी शैली का इस्तेमाल किया गया है।
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मेरठ का प्रसिद्ध भोजन
मेरठ में खाने के लिए बहुत सी चीज है। सबसे पहले स्नैक्स की बात करें तो मेरठ की नॉन खटाई पूरे देश में फेमस है।
इसका अलावा यहां के समोसे को खाने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। मेरठ की हलीम बिरयानी, गजक, नॉन खटाई आदि पूरे देश में फेमस है।
मेरठ में रुकने की जगह
मेरठ में रुकने के लिए कई जगह है, जहां पर आप रुक सकते हैं। मेरठ एक टूरिस्ट क्षेत्र है तो यहां पर आपको रोकने के लिए कई सारे होटल मिल जाएंगे। आप अपने बजट के अनुसार होटल आदि में स्टे कर सकते हैं।
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मेरठ घूमने के लिए का सही समय
यदि आप मेरठ घूमने के लिए जाना चाहते हैं तो आपको सही समय पर जाना होगा। क्योंकि गर्मी के मौसम में यहां अधिक गर्मी होती है, जिसके कारण आप आसानी से इस जगह पर नही घूम पाएंगे। मेरठ जाने का सही समय नवंबर महीने से लेकर फरवरी महीने तक है।
मेरठ कैसे जाएं?
मेरठ जाने के लिए आप बस, ट्रेन और कार आदि जा सकते हैं। यदि आप दिल्ली से मेरठ जाना चाहते है तो आप 1 घंटे के अंदर बस या ट्रेन के द्वारा जा सकते हैं।
ट्रेन के द्वारा मेरठ कैसे जाएं?
ट्रेन के द्वारा यदि आप मेरठ जाना चाहते हैं, तो मेरठ यहां का प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यहां पर ट्रेन के द्वारा आ सकते हैं।
यदि आपको मेरठ आने के लिए डायरेक्ट ट्रेन न मिले तो आप दिल्ली के लिए ट्रेन बुक कर सकते हैं। दिल्ली से मात्र 70 किमी की दूरी पर मेरठ है।
बस द्वारा मेरठ कैसे जाएं?
यदि आप बस द्वारा मेरठ जाना चाहते हैं तो आप उत्तर प्रदेश सरकार की राज्य परिवहन की बस के द्वारा जा सकते हैं।
यदि आप अन्य किसी जगह से आ रहे हैं तो आप प्राइवेट और डिलक्स बस को बुक कर सकते हैं।
मेरठ कैसे घूमे?
मेरठ में घूमने के लिए कई सारी जगह है। इसके अलावा आपके पास 3 से 4 दिन का समय होना चाहिए।
आप लोकल बस, कैब या फिर ऑटो को बुक करके सभी पर्यटक स्थल पर घूम सकते हैं। यहां पर घूमने के लिए आपके पास कम से कम 4000 से 5000 रुपए होने चाहिए।
FAQ
मेरठ उत्तर प्रदेश राज्य का एक फेमस जिला है।
मेरठ घूमने के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर महीने का है।
बाबा औघड़नाथ मंदिर मेरठ का एक प्रमुख आकर्षक और धार्मिक स्थान है, जो भगवान शिव जी को समर्पित है। शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में लाखों भक्तों की भीड़ रहती है। मंदिर को खाली पलटन के नाम से भी जाना जाता है।
मेरठ से हस्तिनापुर 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
मेरठ शहर में सबसे अच्छे बल्ले मिलते हैं।
मेरठ घूमने जाने के लिए काम से कम 5000 रुपए होने चाहिए।
निष्कर्ष
मेरठ घूमने के हिसाब से बहुत खास जगह में से एक है। यह जगह हमें हमारी संस्कृति की याद दिलाती है। यहां के मंदिर काफी भव्य है।
इस लेख में मेरठ में घूमने की जगह (Meerut Me Ghumne ki Jagah), मेरठ किसके लिए प्रसिद्ध है, मेरठ के आसपास घूमने की जगह, मेरठ कैसे पहुंचे आदि के बारे में विस्तार से बताया है।
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