गर्मी शुरू होते ही लोग ऐसे स्थानों पर घूमने जाने की योजना बनाते हैं, जहां पर ठंडी हवाएं और प्रकृति की सुंदरता का आनंद मिल सके। यह सब कुछ आपको हिल स्टेशन पर मिल जाता है।
भारत में बहुत सारे हिल स्टेशन है और ऐसा ही एक हिल स्टेशन कोटद्वार हिल स्टेशन है, जिसके बारे में आज के इस लेख में हम बात करने वाले हैं।
कोटद्वार हिल स्टेशन गर्मियों में घूमने के लिए सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला हिल स्टेशन है। यहां पर आपको ठंडी हवा और प्रकृति की सुंदर हरियाली आपके पूरे थकान और चिंता को दूर कर देगी।
परिवार के साथ, बच्चों के साथ गर्मियों के मौसम में घूमने जाने के लिए कोटद्वार एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यह उत्तराखंड राज्य में स्थित है और दिल्ली से तकरीबन 242 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस हिल स्टेशन के आसपास भी बहुत सारे खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं, जिसे आप विजिट कर सकते हैं।
इस लेख में कोटद्वार में घूमने की जगह (Places To Visit In Kotdwar), कोटद्वार के आसपास घूमने की जगह, कोटद्वार स्थानीय भोजन, कोटद्वार में कहां रुके, कोटद्वार जाने का सही समय और कोटद्वार कैसे जाएं आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
कोटद्वार के बारे में रोचक तथ्य
- उत्तराखंड राज्य के पूरे गढ़वाल जिले में स्थित कोटद्वार को पहले खोहद्वार के नाम से जाना जाता था। क्योंकि खोह नदी के किनारे स्थित है।
- 2011 के जनगणना के अनुसार कोटद्वार की कुल जनसंख्या 33035 हैं।
- कोटद्वार को गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
- 1940 से 50 के बीच कोटद्वार एक छोटे से गांव के रूप में था। लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इस जगह का काफी ज्यादा विकास हुआ।
- कोटद्वार के आसपास कण्लाश्रम, बुद्धा पार्क, लैंसडाउन, सुखरौन देवी मंदिर, श्री कोटेश्वर महादेव, श्री सिद्धबली धाम मंदिर, और सेंट जोसेफ चर्च जैसे कई पर्यटन स्थल है।
कोटद्वार में घूमने की जगह (Kotdwar me Ghumne ki Jagah)
कोटद्वार खुद में ही एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। इसके अतिरिक्त इसके आसपास कई खूबसूरत पर्यटन स्थल है।
यहां पार्क और कई प्राचीन मंदिरे भी मौजूद है। कोटद्वार के कुछ प्रमुख घूमने लायक जगह इस प्रकार है:
कण्वाश्रम
कोटद्वार में घूमने लायक सबसे ज्यादा लोकप्रिय स्थान कण्व आश्रम है। पहाड़ों के बीच में मौजूद स्थान एक खूबसूरत पर्यटन स्थल होने के साथ ही धार्मिक स्थल भी है।
यह कोटद्वार से 14 किलोमीटर की दूरी पर मालिनी नदी के तट पर स्थित है। इस स्थान के बारे में वेदों में भी उल्लेखित किया गया है।
कहा जाता है कि यह स्थान सम्राट भरत का जन्म स्थान था। क्योंकि इसी स्थान पर विश्वामित्र ने तपस्या की थी, जिनकी तपस्या से चिंतित होकर उनकी तपस्या को भंग करने के लिए भगवान इंद्र ने मेनका को भेजा था, जो उनकी तपस्या को भंग करने में सफल रही और बाद में वही मेनका कन्या रूप में जन्म लेकर स्वर्ग में वापस आई।
कालांतर में वह शकुंतला के नाम से जानी गई, जिसका विवाह हस्तिनापुर के महाराज से हुआ। बाद में उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम भरत रखा गया और उसी के नाम पर हमारे देश का नाम पड़ा। अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं तो आपको यहां जरूर घूमने आना चाहिए।
बुद्धा पार्क
बुद्धा पार्क कोटद्वार के आसपास घूमने लायक खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। यह स्थान पर्यटकों के बीच काफी ज्यादा प्रसिद्ध है और न केवल भारतीय पर्यटक बल्कि विदेश से भी पर्यटक इस पार्क में घूमने के लिए आते हैं।
यह कोटद्वार से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका नाम बुद्धा पार्क इसलिए पड़ा है क्योंकि इस पार्क के बीचो-बीच भगवान बुद्ध की 130 फीट प्रतिमा स्थापित की गई है।
इस पार्क के चारों तरफ खूबसूरत पेड़ पौधों के कारण यहां चारों तरफ हरियाली देखने को मिलती हैं। यह पार्क सप्ताह में सोमवार से शुक्रवार तक खुला रहता है।
अगर आप बच्चों के साथ कोटद्वार घूमने जा रहे हैं तो आपको बुद्धा पार्क जरूर विजिट करना चाहिए। यह बच्चों के साथ बड़ों के लिए भी एक मनमोहित करने वाला स्थान है।
लैंसडून हिल स्टेशन
कोटद्वार के आसपास खूबसूरत दर्शनीय स्थलों में से एक लैंसडून हिल स्टेशन है। घने जंगलों से घिरा हुआ यह हिल स्टेशन उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल इलाके में है।
यह कोटद्वार से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां का शांत वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
यह हिल स्टेशन समुद्र तल से 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से प्रकृति का सुंदर दृश्य बहुत ही सुहावना लगता है।
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मेदानपुरी देवी
कोटद्वार में स्थित मैदान पूरी देवी मंदिर कोटद्वार में स्थित एक धार्मिक स्थल है। यह मंदिर 1657 मीटर की ऊंचाई पर एक पहाड़ी पर स्थित है और चारों तरफ से घने पेड़ पौधों की हरियाली से घिरा हुआ है।
इस मंदिर का नाम मेदानपूरी है और मैदान का शाब्दिक अर्थ दही होता है। इस मंदिर को लेकर एक किंवदंती इस प्रकार है कि एक बार मारोरा गांव में रहने वाले एक परिवार के यहां उनके चुल्हे में दही के कटोरे में देवी प्रकट हुई थी।
उन्होंने परिवार के मुखिया को उस स्थान के बारे में बताया, जहां पर वह दोबारा प्रकट होने वाली थी। कहा जाता है उसी स्थान पर मां को समर्पित एक मंदिर का निर्माण किया गया।
मां दुर्गा को समर्पित इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। अष्टमी के समय यहां पर बहुत बड़े मेले का भी आयोजन किया जाता है। ऋषिकेश से यह मंदिर मात्र 37 किलोमीटर की दूरी पर है।
सुखरौन देवी मंदिर
सुखराम देवी मंदिर मां दुर्गा को समर्पित मंदिर है। यह मंदिर कोटद्वार में लाल ढंग मार्ग देवी रोड पर स्थित है। कहा जाता है कि द्वापर युग में महाराज दुष्यंत के द्वारा पहला मंदिर यहां पर स्थापित किया गया था।
उस समय यह इलाका पूरी तरीके से पीपल और वट के पेड़ों से भरा हुआ करता था। धीरे-धीरे यहां पर लोगों ने बस्तियां बनाना शुरू किया।
पेड़ काटने लगे और उसी दौरान गांव वालों को यहां पर दो छोटी-छोटी मूर्तियां दिखी, जिनको लोग पूजा करने लगे।
उसके बाद गांव वालों की मदद से ही यहां पर सबसे पहले एक छोटा सा मंदिर बनवाया गया और मंदिर में मां की मूर्ति को स्थापित करने के लिए गर्भ ग्रह भी काटा गया।
बाद में एक समिति का गठन करके इस मंदिर को अच्छे तरीके से बनाया गया। मंदिर में मां दुर्गा के अतिरिक्त मां पार्वती, राधा कृष्ण, भगवान शिव और अन्य कई देवताओं की सुंदर मूर्तियां स्थापित है।
श्री कोटेश्वर महादेव
कोटद्वार में स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर 1428 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
इस मंदिर को लेकर एक प्रसिद्ध किवदंती यह है कि इस गांव की एक महिला अनजाने में खुदाई करते समय एक शिवलिंग से टकरा गई थी, जिससे दिव्य आवाज सुनाई दी।
यहां पर गांव वालों की मदद से भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर का निर्माण किया गया। यह मंदिर पूर्व में हिमालय पर्वत, पश्चिम में हरिद्वार और दक्षिण में सिद्ध पीठ मैदान पूरी देवी मंदिर से घिरा हुआ है। यह मंदिर निसंतान श्रद्धालुओं के बीच काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
कहा जाता है कि जो भी निसंतान महिलाएं यहां पर आकर भगवान शिव की पूरी आस्था और भक्ति से पूजा करती हैं उस पर भगवान शिव जी का आशीर्वाद पड़ता है। खासकर के सावन के महीने में इस मंदिर में काफी ज्यादा भीड़ रहती है।
श्री सिद्धबली धाम मंदिर
भगवान हनुमान जी को समर्पित सिद्धबली धाम मंदिर कोटद्वार का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र पर्यटन स्थल है। कहा जाता है कि इसी रास्ते से भगवान हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय गए थे।
यह भी माना जाता है कि एक सिद्ध पुरुष इसी स्थान पर तपस्या कर रहे थे। तपस्या करने के बाद उन्हें भगवान हनुमान जी की सिद्धि प्राप्त हुई, जिसके बाद उन्होंने हनुमान जी की एक विशाल प्रतिमा की स्थापना की।
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में सच्चे दिल से अपनी इच्छा लेकर आता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। यही कारण है कि यहां पर श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर आते हैं, जिसके कारण मंदिर में काफी भीड़ रहती है।
इस मंदिर में भंडारा का भी आयोजन किया जाता है और यह इतना ज्यादा प्रसिद्ध है कि यहां पर भंडारे के लिए 2025 तक के लिए बुकिंग पहले से ही निश्चित हो चुकी है। इस भंडारे के ल बूकिंग मंदिर समिति की ओर से की जाती है।
चरेख डंडा
कोटद्वार के आसपास में घूमने लायक प्रमुख स्थानों में से एक चरेख डंडा है। यह एक व्यू प्वाइंट है, जो पर्यटकों के बीच काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
अगर आप कोटद्वार के अद्भुत नजारों का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो आपको चरेठ डंडा एक बार जरुर विजिट करना चाहिए।
इस जगह से आप कोटद्वार के पूरे प्राकृतिक सुंदरता को एक बार में निहार सकते हैं। सेल्फी के लिए यह जगह काफी ज्यादा फेमस है।
पर्यटक यहां पर आते हैं और खूबसूरत सेल्फी लेकर बेहतरीन पलों का आनंद लेते हैं। यहां के आसपास की हरियाली और खुली हवा लोगों को मनमोहित करती हैं।
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सेंट जोसेफ चर्च
कोटद्वार में घूमने लायक बेहतरीन स्थानों में से एक सेंट जोसेफ चर्च है। पहाड़ों के बीच मौजूद यह चर्च सभी धर्मों के पर्यटको के बीच प्रसिद्ध है। कोटद्वार आने वाले सेनानी इस चर्च की खूबसूरती को निहारने के लिए जरूर आते हैं।
इसके चारों तरफ एक खूबसूरत पार्क भी मौजूद है, जहां पर पेड़ पौधों की हरियालियों के बीच सेनानी ठंडी हवा का लुफ्त उठाते हैं। यह चर्च एशिया के टॉप टेन चर्चा में भी शामिल हो चुका है।
दुर्गा देवी टेंपल
कोटद्वार में तकरीबन 9 किलोमीटर की दूरी पर खोह नदी के किनारे स्थित दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
मां दुर्गा को समर्पित यह मंदिर कोटद्वार आने वाले सभी पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है। यह मंदिर पौड़ी जाने वाले मार्ग के पास एक पहाड़ी के तिरछे स्थान पर पड़ता है।
यह मंदिर समुद्र तल से 600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। स्थानीय श्रद्धालु हर दिन मंदिर में आकर मां की पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां पर भक्तों की सबसे ज्यादा भीड़ रहती है।
उस दौरान यहां पर भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। इस मंदिर के चारों तरफ मौजूद पेड़-पौधों की हरियाली इस मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है।
इस मंदिर के पास में स्थित गुफा में एक शिवलिंग भी स्थापित है, जहां पर लंबे समय तक धूनी जलती रहती है।
ज्वाल्पा देवी मंदिर
कोटद्वार के आसपास घूमने लायक प्रमुख स्थानों में कई सारे मंदिर भी शामिल है। ऐसे ही एक धार्मिक मंदिर ज्वालपा देवी मंदिर है।
यह मंदिर कोटद्वार से तकरीबन 72 किलोमीटर की दूरी पर पोड गढ़वाल क्षेत्र में नवलीका नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर एक लोकप्रिय सिद्ध पीठ है। मंदिर देवी ज्वालपा एक देवी शक्ति के रूप को समर्पित है।
कहा जाता है कि इस स्थान पर एक राक्षस की बेटी देवराज इंद्र से शादी करने के लिए देवी शक्ति का सच्चे दिल से प्रार्थना करती है। तब देवी उससे प्रसन्न होकर वह आशीर्वाद देती है कि उसका विवाह देवराज इंद्र हो जाएगा।
इस मंदिर में हर साल 2 बार नवरात्रि होती है शारदीय नवरात्रि और चार नवरात्रि। इसके अतिरिक्त यहां बसंत पंचमी मेले का भी आयोजन किया जाता है । अगर आप उस दौरान आते हैं तो मेले में भी शामिल हो सकते हैं।
इसके अतिरिक्त जन्माष्टमी समारोह का भी बहुत अच्छे तरीके से यंहा आयोजन किया जाता है। इसके अलावा स्थानीय लोग मंदिर में विवाह समारोह भी आयोजित करते हैं।
तारकेश्वर मंदिर
कोटद्वार से 68 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तारकेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित कोटद्वार का एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यह मंदिर अट्ठारह सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
मंदिर में पहले भगवान शिव की शिवलिंग की पूजा की जाती थी लेकिन यहां पर भगवान शिव की मूर्ति की भी खोज की गई, जिसके बाद उस मूर्ति को इस मंदिर में स्थापित किया गया और उसी दिन से भगवान शिव की मूर्ति की भी पूजा यहां होने लगी।
इस मंदिर के परिसर में एक आश्रम और धर्मशाला भी है। इस मंदिर को लेकर एक किंवदंती इस प्रकार है कि तारकासुर नाम का एक राक्षस इसी स्थान पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या किया था।
भगवान शिव उससे प्रसन्न होकर उसे अमरत्व का वरदान दे दिए थे। लेकिन वह राक्षस पूरे पृथ्वी पर हाहाकार मचाने लगा था तब भगवान शिव मां पार्वती से विवाह करते हैं और उनसे उनका पुत्र कार्तिकेय होता है, जो आगे चलकर तारकासुर का वध करता है।
भगवान शिव से क्षमा मांगते हुए अंत समय में तारकासुर जिस स्थान पर भगवान शिव का ध्यान लगाया था, वहां पर भगवान शिव को समर्पित मंदिर का नाम इससे जोड़ने की निवेदन करता है। इसीलिए इस मंदिर का नाम ताकेश्वर पड़ा।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क
कोटद्वार के आसपास घूमने लायक विभिन्न पर्यटन स्थलों में सबसे ज्यादा प्रमुख और लोकप्रिय जिम जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क है। यह पार्क उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित भारत का सबसे पुराना उद्यान है।
1936 में इस पार्क का उद्घाटन एक हेली राष्ट्रीय उद्यान के रूप में किया गया था। बाद में इस पार्क का नाम राम गंगा नेशनल पार्क रखा गया।
यह नेशनल पार्क 521 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और समुद्र तल से 4000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस पार्क में 488 से भी ज्यादा विभिन्न प्रजाति के जानवर और 580 प्रजातियों की पंछी पाई जाती है।
प्रकृति प्रेमी एवं जीव जंतुओं से लगाव रखने वाले पर्यटकों के बीच जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कोटद्वार में घूमने के लिए एक प्रमुख स्थान है।
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कोटद्वार घूमने के लिए अच्छा समय
जैसे हमने आपको पहले ही बताया कि कोटद्वार उत्तराखंड में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जिस कारण ज्यादातर पर्यटक गर्मियों के मौसम में ही कोटद्वार घूमने के लिए आते हैं ताकि वे गर्मियों के चिंचीनाती धूप से बच सके।
लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपको सस्ते में रूम मिल जाए और कम बजट में आप कोटद्वार अच्छी तरीके से घूम ले तो आप बारिश के मौसम में भी आ सकते हैं।
क्योंकि उस दौरान यहां पर पर्यटकों की थोड़ी कम भीड़ रहती है, जिसके कारण यहां के होटल में आपको रूम थोड़े सस्ते में मिल जाते हैं और भी कई सारी चीजें सस्ते में उपलब्ध हो जाती है।
कोटद्वार कैसे पहुंचे?
कोटद्वार के लिए हवाई सड़क, रेलवे और हवाई तीनों मार्गो की सुविधा है। अगर आप कोटद्वार रेलमार्ग से जाना चाहते हैं तो कोटद्वार रेलवे स्टेशन के लिए टिकट बुक कर सकते हैं। यह रेलवे स्टेशन दिल्ली, नजीबाबाद जैसे कई रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है।
अगर आपका बजट हाय हैं और आप कम समय में कोटद्वार पहुंचना चाहते हैं तो आप हवाई मार्ग का चयन कर सकते हैं। कोटद्वार पहुंचने के लिए यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट हवाई अड्डा है।
यह कोटद्वार से तकरीबन 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के बाद आपको कोटद्वार के लिए टैक्सी या बस आसानी से मिल जाएगी।
कोटद्वार पहुंचने के लिए आप सड़क मार्ग का भी चयन कर सकते हैं। कोटद्वार उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख स्थान है। दिल्ली, नजीबाबाद, उत्तर प्रदेश से कोटद्वार के लिए सीधे बसे उपलब्ध है।
कोटद्वार कैसे घूमे?
कोटद्वार के आसपास मौजूद विभिन्न पर्यटन स्थल 50 से 55 किलोमीटर के दायरे में है। अगर आप सभी और खूबसूरत पर्यटन स्थलों की यात्रा करना चाहते हैं तो कोटद्वार में आप चाहे तो आप 1 दिन के लिए कार भी किराए पर ले सकते हैं।
हो सकता है इसके लिए आपको कुछ डॉक्यूमेंट की भी जरूरत पड़ सकती है। खास करके अपने साथ एक पहचान पत्र जरूर रखें।
इसके अतिरिक्त यहां पर आप ऑनलाइन कैब बुक भी कर सकते हैं। यात्रा से घंटा पहले यहां पर आपको आरामदायक कैब बुक करने की भी सुविधा मिलती है।
कोटद्वार का प्रसिद्ध स्थानीय भोजन
किसी भी पर्यटन स्थल पर जाते समय हर एक पर्यटक के मन में वहां की स्थानीय भोजन का विचार जरूर आता है। क्योंकि भोजन का स्वाद आपकी यात्रा को और भी ज्यादा मजेदार बना देता है।
अगर यात्रा के दौरान आपको स्वादिष्ट और लजीज भोजन खाने को मिल जाए तो यात्रा में चार चांद लग जाती है। वैसे कोटद्वार में आपको स्वादिष्ट भोजन की कमी नहीं होगी।
कोटद्वार के स्थानीय भोजन में गढ़वाल का पन्हा, कफुली, फानू, भांग की चटनी, बड़ी, चैनसू, आलू का झोल, डुबुक, झंगोरा की खीर, गुलगुला, कंडाली का साग, कुमौनी रायता, अरसा और सिंहोरी जैसे स्वादिष्ट और लजीज भोजन शामिल है।
यहां पर आपको विभिन्न तरह की मिठाइयों के स्वाद का भी लुफ्त उठाने का मौका मिल जाता है।
कोटद्वार में रुकने की जगह
अगर आप कोटद्वार 2 से 3 दिन की योजना बना कर जा रहे हैं तो निश्चित ही आपको वहां पर ठहरने के लिए एक अच्छे रूम की जरूरत होगी।
क्योंकि कोटद्वार उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है और गर्मियों के दौरान यहां पर सेनानियों की काफी ज्यादा भीड़ रहती है।
ऐसे में यहां पर कई सारे होटल्स और रिसॉर्ट मौजूद है, जहां पर आपको लो से हाय बजट के रूम विभिन्न सुविधाओं के साथ मिल जाते हैं।
कोटद्वार में होटल वालेनट, कॉर्बेट हिल व्यू ओपन स्काई, कॉर्बेट मिस्ट की रूपरेखा और होटल स्पा नेस्ट जैसे कुछ प्रमुख होटल्स है, जहां आपको एसी और नॉन एसी दोनों तरह के कमरे मिल जाते हैं। आप ऑनलाइन ही यहां रूम बुक कर सकते हैं।
FAQ
अगर आप कोटद्वार से केदारनाथ जाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको नई दिल्ली के लिए जाना होगा और फिर वहां से हल्द्वानी के लिए रवाना होना होगा और फिर वहां से आप केदारनाथ पहुंच सकते हैं, जिसमें आपको 18 घंटे से भी ज्यादा समय लगेगा।
कोटद्वार सुंदर पेड़ पौधे और प्राकृतिक वादियों के लिए प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त यहां पर कई खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जो पर्यटकों को आकर्षित करती है। यहां के विभिन्न पर्यटन स्थलों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध पवित्र सिद्धबली मंदिर है, जो कोटद्वार से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान हनुमान जी को समर्पित मंदिर है।
दिल्ली से कोटद्वार 242 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, निजी वाहन से यात्रा करने पर 6 घंटे 30 मिनट का समय लगता है।
कोटद्वार उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है। कोटद्वार खोह नदी के किनारे बसा हुआ है। इसीलिए इसे पहले खोहद्वार के नाम से जाना जाता था।
बिल्कुल कोटद्वार के स्थानीय भोजन लाजवाब होते हैं। यहां पर गढ़वाल का पन्हा, कफुली, चैन्सू, भांग की चटनी का स्वाद, कंडाली का साग और कुमौनी रायता का स्वाद आपको जिंदगी भर याद रहेगा।
निष्कर्ष
इस लेख में उत्तराखंड राज्य में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन कोटद्वार की यात्रा से संबंधित सभी जानकारी दी।
इस लेख में कोटद्वार में घूमने की जगह (Kotdwar me Ghumne ki Jagah), कोटद्वार घूमने के लिए कब जाएं, कोटद्वार में रुकने की जगह, कोटद्वार कैसे जाएं और कोटद्वार के स्थानीय भोजन के बारे में बताया।
हमें उम्मीद है कि यह लेख कोटद्वार की यात्रा को आसान बनाने में आपकी मदद करेगा।
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