10+ गया में घूमने की जगह और दर्शनीय स्थल

गया शहर बिहार राज्य का एक लोकप्रिय जिला है। इसके साथ ही एक ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन स्थल भी है।

भगवान बुद्ध के कारण यह शहर काफी ज्यादा लोकप्रिय है। क्योंकि इसी शहर में स्थित बोधगया में भगवान बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की थी।

इसके अतिरिक्त गया में स्थित फल्गु नदी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है, जहां पर देश भर से लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए आते हैं।

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गया शहर तीन ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां पर कई सारे मठ, मंदिर एवं अन्य घूमने लायक स्थान है। अगर आप गया घूमने की योजना बना रहे हैं तो आपको इस लेख को पूरा जरूर पढ़ना चाहिए।

क्योंकि इस लेख में हमने गया के बारे में कुछ रोचक तथ्य, गया में घूमने की जगह (Gaya me Ghumne ki Jagah), गया घूमने का सही समय एवं घूमने कब जाए उससे संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी है।

गया के बारे में रोचक तथ्य

  • गया शहर भगवान बुध के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है। क्योंकि गया जिले में स्थित बोधगया में भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
  • गया शहर में फल्गु नदी स्थित है, जहां पर मां सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया था।
  • बिहार का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा गया में ही स्थित है।
  • गया जिले के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया है।
  • गया शहर तीन तरफ से छोटी-छोटी पथरीली पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिन्हें मंगला गौरी, श्रृंग स्थान, रामशिला और ब्रह्मयोनि के नाम से जाना जाता है।
  • गया शहर बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, जहां पर ज्यादातर निवासी मगही भाषा बोलते हैं।

गया में घूमने की जगह (Gaya me Ghumne ki Jagah)

विष्णुपद मंदिर

गया में फाल्गुनी नदी के तट पर स्थित विष्णुपद मंदिर संपूर्ण भारत में एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर है। पिंडदान के लिए देश भर से श्रद्धालु यहां पर आते हैं।

माना जाता है कि भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण इस मंदिर का दौरा किए थे, जिस कारण इस मंदिर को त्रेतायुग का बताया जाता है।

Vishnupad Mandir Gaya
विष्णुपद मंदिर

लेकिन वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1878 ईस्वी में इंदौर के मराठा शासक देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।

यह मंदिर गया में भगवान विष्णु जी को समर्पित एक लोकप्रिय गंतव्य स्थान है। सुबह 6:00 बजे से लेकर रात के 9:00 बजे तक इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।

सीता कुंड गया

गया में विष्णुपद मंदिर के सामने फल्गु नदी के दूसरे किनारे पर सीता कुंड स्थित है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर भगवान श्री राम जी ने अपने पिता राजा दशरथ जी का पिंडदान किया था।

इस स्थान पर मां सीता, भगवान राम और लक्ष्मण जी की प्राचीन प्रतिमा भी स्थापित है। यहां पर पास में ही नागकूट पहाड़ी भी स्थित है और इस मंदिर से नागकूट पहाड़ी का दृश्य बहुत ही सुंदर लगता है।

Sita Kund Gaya
सीता कुंड गया

इस मंदिर में भगवान शिव की भी प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के आस पास बहुत सारी प्रसाद की दुकानें स्थित है, जहां से श्रद्धालु प्रसाद एवं श्रृंगार का सामान खरीद कर मां सीता को श्रृंगार का सामान चढ़ाते हैं। प्रतिदिन इस मंदिर में श्रद्धालुओं का काफी आना-जाना रहता है।

मंगला गौरी मंदिर

मंगला गौरी मंदिर गया में स्थित एक समृद्ध धार्मिक विरासत है। इस मंदिर के बारे में वायु पुराण, मार्कंडेय पुराण, पद्मपुराण जैसे कई हिंदू ग्रंथों में जिक्र किया गया है, जिसके कारण यह मंदिर देशभर में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।

ऐतिहासिक महत्व के कारण साल भर इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। इस मंदिर में खास करके नवरात्रि के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।

Mangla Gauri Mandir Gaya
मंगला गौरी मंदिर

यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है, जिसमें दुर्गा मां की महिषासुरमर्दिनि अवतार को दर्शाया गया है और यहां उनके स्तनों के आकार में पूजा की जाती है, जो जीविका का प्रतिक है।

इसके अतिरिक्त मंदिर में मां काली, भगवान हनुमान जी, गणेश जी और भगवान शिव को समर्पित मंदिर भी मंगला गौरी मंदिर के मैदान परिसर में स्थित है। इस मंदिर में श्रद्धालु सुबह 6:00 बजे से रात के 8:00 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।

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दुख हरनी मंदिर

गया शहर में मुख्य आकर्षण और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक दुख हरनी मंदिर है, जो मां दुर्गा को समर्पित है यह मंदिर गया और पटना के बीच स्थित है।

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इस मंदिर एवं जामा मस्जिद दोनों की दीवार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, जो हिंदू और मुसलमान के लिए सद्भावना का प्रतीक है।

Dukh Harni Mandir Gaya
दुख हरनी मंदिर

इस मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। सुबह 4:00 बजे से शाम के 6:00 बजे तक मंदिर में श्रद्धालुओं का आवागमन होता है।

महान बुद्ध प्रतिमा

गया में मुख्य आकर्षण का केंद्र महान बुद्ध प्रतिमा है, जो देश भर में प्रसिद्ध है। गया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटक स्थलों में से सबसे ज्यादा लोकप्रिय भगवान बुद्ध की प्रतिमा ही है।

यह प्रतिमा 64 फुट ऊंची है, जिसमें भगवान बुद्ध को ध्यान मुद्रा में दिखाया गया है। इस मूर्ति का निर्माण 18 नवंबर 1989 को चौथे दलाई लामा ने किया था।

Great Buddha Statue
महान बुद्ध प्रतिमा

भगवान बुध के विशाल प्रतिमा के चारों और उनके 10 सबसे महत्वपूर्ण शिष्यों की छोटी मूर्तियां भी विराजमान है।

भगवान बुध की इस प्रतिमा का निर्माण करने वाले प्रसिद्ध मूर्तिकार का नाम वैद्यनाथ गणपति थे, जो तमिलनाडु के रहने वाले थे।

इस प्रतिमा को देखने के लिए सुबह 7:00 बजे से दोपहर के 12:00 बजे तक प्रवासियों की एंट्री होती है।

महाबोधि मंदिर

गया में एक सुखद और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करने के लिए देश भर से पर्यटक महाबोधि मंदिर का दर्शन करने के लिए जाते हैं।

साल 2002 में इस मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के सूची में भी शामिल किया गया है।

Mahabodhi Temple
महाबोधि मंदिर

गया का महाबोधि मंदिर सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थान है, जहां पर देश भर से श्रद्धालु आते हैं विशेष रुप से बौद्ध धर्म को मानने वाले श्रद्धालु की यहां पर हमेशा ही भीड़ रहती है।

इस मंदिर के पीछे बोधि वृक्ष स्थित है, जहां पर बैठकर भगवान बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की थी।

हालांकि वह वृक्ष नष्ट हो चुका है। वर्तमान वृक्ष इस पीढ़ी का चौथा वृक्ष है। उस वृक्ष को देखने के लिए भी यहां पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है।

सुजाता स्तूप

गया में स्थित सुजाता स्तूप वही स्थान है, जहां पर भगवान बुध ने आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए कठिन उपवास रखे थे।

कहा जाता है कि उस दौरान सुजाता नाम की एक महिला थी, जो गाय चराया करती थी। जिन्होंने भगवान बुद्ध को उपवास के कारण उनके कमजोर काया को देखा।

Sujata Stupa in Bodh Gaya
सुजाता स्तूप

उन्होंने अपने घर से एक प्याला खीर लाया और भगवान बुध को खाने के लिए दिया। भगवान बुध ने खीर को ग्रहण किया।

जिसके बाद उन्हें ताकत मिली और उन्हें मध्य मार्ग के पालन करने की प्रेरणा भी मिली, जिसके बाद वे इस स्थान से उठकर बोधि वृक्ष के पास गए और वहां पर लंबे समय तक ध्यान लगाया। अंतः उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।

इस तरह उसी दिन से यह स्थान सुजाता गढ़ के नाम से लोकप्रिय हो गया। स्तूप से थोड़ी दूर आगे जाने पर सुजाता कुटी भी देखने को मिलता है। हालांकि गया में बहुत से पर्यटकों को अभी भी इस स्थान के बारे में अच्छे से जानकारी नहीं है।

ब्रह्मयोनि पहाड़ी मंदिर

गया में हरे-भरे पेड़ पौधों और सुंदर प्रकृति के बीच पहाड़ों पर स्थित ब्रह्म योनि हिल मंदिर गया का लोकप्रिय मंदिर है, जहां पर विशेष रूप से श्रद्धालु अपने पैतृक कुकर्म और माता-पिता को श्राप से मुक्त करने के लिए दर्शन करने के लिए जाते हैं।

Brahmayoni Temple Bodhgaya
ब्रह्मयोनि पहाड़ी मंदिर

यह मंदिर 2 शब्दों से बना है ब्रह्मा और योनि। इस मंदिर में प्राकृतिक चट्टान छिद्र है, जिसे भगवान ब्रह्मा की स्त्री शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

पुरातत्व संग्रहालय बोधगया

गया जिले के बोधगया में महाबोधि मंदिर के पास ही पुरातत्व संग्रहालय स्थित है। यह संग्रहालय इतिहास प्रेमियों के लिए गया में लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।

इस संग्रहालय में भगवान बुद्ध की सोने की, पत्थर की एवं अन्य कई धातु से बनी प्रतिमा रखी गई है। इसके अतिरिक्त भगवान विष्णु के 10 अवतारों को भी यहां पर प्रदर्शित किया गया है।

Archaeological Museum of Bodhgaya
पुरातत्व संग्रहालय बोधगया

इस संग्रहालय में टेराकोटा के भी कई सारे सामग्री को संग्रहित करके रखा गया है। खुदाई के दौरान प्राचीन काल की जो भी चीजें मिली है, उन तमाम चीजों को यहां पर प्रदर्शित किया गया है।

इस संग्रहालय की स्थापना 1956 में की गई थी। सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक यह संग्रहालय पर्यटकों के लिए खुले रहते हैं, जहां पर ₹10 प्रवेश शुल्क लगता है।

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डुंगेश्वरी गुफा मंदिर

भगवान बुद्ध की आध्यात्मिक यात्रा से संबंधित जानने के इच्छुक पर्यटकों के लिए गया में स्थित डुंगेश्वरी गुफा मंदिर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।

कहा जाता है कि बोधगया जाने से पहले भगवान बुद्ध ने इस गुफा में 6 वर्षों का समय बिताया था।

Dungeshwari Cave Temple Bodh Gaya
डुंगेश्वरी गुफा मंदिर

यहां पर भगवान बुद्ध से संबंधित कई कहानियों को चित्रित किया गया है। यहां पर पास में एक छोटा सा मानसून जलप्रपात भी स्थित है।

प्रेतशिला मंदिर

गया में पहाड़ियों पर स्थित प्रेतशिला मंदिर एक धार्मिक और लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर मृत्यु के देवता भगवान यमराज को समर्पित है।

Pretshila Gaya
प्रेतशिला मंदिर

माना जाता है इस मंदिर का निर्माण इंदौर की रानी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था। इस पहाड़ के ढलान पर रामकुंड नाम का एक तालाब भी है।

कुछ लोगों का कहना है कि इस तालाब में भगवान राम ने एक बार स्नान भी किया था। प्रेतशिला मंदिर में हर साल आश्विन महीने के दौरान आयोजित पितृपक्ष मेला काफी प्रसिद्ध है।

वाट थाई मॉनेस्ट्री बोधगया

वाट थाई मॉनेस्ट्री गया जिले के बोधगया में स्थित एक मुख्य पर्यटन स्थल है, जिसे थाई वस्तु कला में निर्मित किया गया है। इसके बाहर एक ड्रैगन की प्रतिमा स्थापित है।

इस मंदिर के अंदर भगवान बुद्ध की भी बहुत ही खूबसूरत प्रतिमा को स्थापित किया गया है। इसके पीछे एक तालाब भी है।

Wat Thai Buddhagaya
वाट थाई मॉनेस्ट्री बोधगया

हालांकि बोधगया में कई सारी मठे हैं, जिनमें से जैपनीज मंदिर, कंबोडिया मॉनेस्ट्री, भूटान मॉनेस्ट्री, सिक्किम मंदिर, चीनी मॉनेस्ट्री प्रमुख है।

इन्हें जिन-जिन शैली में बनाया गया है, उसी के नाम पर इन मठों का नाम रखा गया है। मठों में लोग कुछ पल शांत वातावरण में मेडिटेशन करते हैं।

गया जाने का सही समय

अगर आप गया को अच्छे से घूमना चाहते हैं, गया शहर के विभिन्न पर्यटन स्थलों के सुंदरता से वाकिफ होना चाहते हैं तो यहां के मौसम की अनुकूलता के हिसाब से आपको गया घूमने जाने की योजना बनानी चाहिए।

मार्च से लेकर जून जुलाई के महीने तक बिहार राज्य में काफी ज्यादा गर्मी रहती है। ऐसे में गया कि यात्रा थोड़ी कठिन हो सकती है।

इसलिए गया जाने का सबसे अनुकूल समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है। क्योंकि इस दौरान मौसम ठंड वाली रहती है और बारिश भी नहीं होता है।

इस तरीके से गया के विभिन्न पर्यटन स्थलों को विजिट करने के लिए यह समय बिल्कुल अनुकूल होता है।

गया कैसे पहुंचे?

गया बिहार का एक लोकप्रिय शहर होने के साथ ही भारत भर में प्रसिद्ध एक धार्मिक स्थान है, जहां पर देशभर से लोग भगवान बुध्द के आध्यात्मिक यात्रा से परिचित होने के लिए आते हैं।

जिसके कारण गया पहुंचने के लिए सड़क, रेलवे एवं हवाई तीनों मार्ग की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

  • अगर आप गया पहुंचने के लिए सबसे सस्ता और सुलभ मार्ग रेल मार्ग का चयन करना चाहते हैं तो बता दे कि गया जंक्शन गया का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो कोलकाता, रांची, नागपुर, पारसनाथ, कानपुर, जोधपुर, अहमदाबाद, पुणे, जमशेदपुर, ग्वालियर, भुनेश्वर जैसे कई प्रमुख शहरों से रेल मार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है।
  • गया पहुंचने के लिए हवाई मार्ग की भी सुविधा है। गया में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो बिहार का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यहां से प्रतिदिन दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों से विमान उड़ान भरती है। इसके अतिरिक्त नेपाल, भूटान, सिंगापुर जैसे अन्य देशों के लिए भी विमान उड़ान भरती हैं।
  • अगर आप सड़क मार्ग के जरिए गया पहुंचना चाहते हैं तो यह बिहार राज्य का एक प्रमुख शहर होने के कारण बिहार के लगभग सभी शहरों से गया के लिए बसे उपलब्ध होती है।

गया में रुकने की जगह

चुंकी गया बिहार का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन चुका है, जहां पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में यात्री गया घूमने के लिए आते हैं।

जिस कारण गया में रुकने के लिए कई होटल की सुविधा उपलब्ध हो चुकी है। यहां पर बजट के अनुसार एसी और नॉन एसी वाले होटल बहुत ही आसानी से मिल जाते हैं।

FAQ

गया में पिंडदान करने का क्या महत्व है?

वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार माता सीता ने फल्गु नदी के किनारे ही बैठकर राजा दशरथ जी का पिंडदान किया था। इसीलिए अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए गया में फल्गु नदी के किनारे पिंड दान करने का विशेष महत्व है।

गया किस लिए प्रसिद्ध है?

गया शहर भगवान बुद्ध के लिए प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त पिंडदान करने के लिए भी काफी प्रसिद्ध है।

गया में कौन से मठ है?

गया जिले के बोधगया में भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के केंद्र के रूप में भूटान, मंगोलिया, कंबोडिया, तिब्बत, ताइवान, नेपाल सहित कई देशों के नागरिकों के द्वारा कई मठ और मंदिरों का निर्माण किया गया है, जिन्हें अलग-अलग स्थापत्य शैली में बनाया गया है। जिनमें थाई मंदिर और निप्पॉन मंदिर प्रमुख है।

गया कहां पर स्थित है?

गया बिहार राज्य का एक प्रमुख जिला है। यह बिहार का दूसरा सबसे बड़ा जिला है।

निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में आपने बिहार राज्य का एक प्रमुख जिला और धार्मिक स्थल गया में पर्यटन स्थल (Gaya Tourist Places in Hindi) के बारे में जाना।

इसके साथ ही गया से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, गया घूमने कब जाएं, गया घूमने कैसे जाएं और गया में रुकने की जगह के बारे में बताया।

हमें उम्मीद है कि इस लेख के जरिए गया की यात्रा संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपको मिल गई होगी।

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