बोधगया में घूमने की जगह और दर्शनीय स्थल

बोधगया सभी धर्मों का तीर्थ स्थल है। यह स्थान भगवान बुद्ध के लिए लोकप्रिय है। क्योंकि इसी स्थान पर भगवान बुद्ध को पीपल के पेड़ के नीचे वैशाख महीने के पूर्णिमा के दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस पूर्णिमा को बोद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।

बोधगया में महाबोधि मंदिर जिसमें भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा स्थापित है साल 2002 में इस मंदिर को यूनेस्को के द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है।

राजा अशोक बौद्ध धर्म को मानते थे, जिसके कारण उन्होंने बोधगया में कई स्मारकों का निर्माण करवाया। आज वही स्मारक और मंदिर देश भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं।

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राजनीतिक उथल-पुथल के कारण कई शताब्दियों तक इस शहर के बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं थी, केवल आसपास के लोग इस स्थान पर आते थे।

लेकिन अब संचार प्रणाली और अन्य सुविधाओं के विकास के कारण देश भर से तीर्थयात्री एवं श्रद्धालु भगवान बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति के इस पवित्र धरती पर आध्यात्मिक वातावरण को महसूस करने के लिए आते हैं।

अगर आप भी इस तीर्थ स्थल पर आना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें। जिसमें हमने बिहार में स्थित बोधगया से संबंधित रोचक तथ्य, बोधगया कहां है, बोधगया में घूमने की जगह (Places to Visit in Bodhgaya), लोकप्रिय भोजन और बोधगया पहुंचने के माध्यम के बारे में विस्तार पूर्वक बताया है।

बोधगया के बारे में रोचक तथ्य

  • बिहार की राजधानी पटना से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण पूर्व दिशा में एक पवित्र और ऐतिहासिक शहर बोधगया स्थित है।
  • यह स्थान तेरहवीं शताब्दी तक भगवान बुद्ध के कारण काफी प्रसिद्ध रहा, जहां पर भगवान बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की थी।
  • बोधगया प्रसिद्ध फल्गु नदी के किनारे बसा हुआ एक आध्यात्मिकता से डूबा हुआ शहर है।
  • यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान बुध के पवित्र उपदेशों को पढ़ते हैं। यहां पर स्थित महाबोधि मंदिर का दर्शन करते हैं और चारों तरफ परिक्रमा करके वृक्ष के नीचे बोधि वृक्ष के नीचे मेडिटेशन करते हैं, जिससे उन्हें बहुत ही शांति की प्राप्ति होती है।
  • बोधगया में महाबोधि मंदिर के परिसर में स्थित बोधि वृक्ष लगभग 3 बार नष्ट हो चुके हैं। वर्तमान में मौजूद बोधि वृक्ष चौथी पीढ़ी का वृक्ष है।
  • बोधगया हिंदू धर्म में पिंडदान के लिए भी विशेष महत्व रखता है। क्योंकि इसी स्थान पर मां सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था।

बोधगया में घूमने की जगह (Places to Visit in Bodhgaya)

बोधि वृक्ष

गया में महाबोधि मंदिर के परिसर में स्थित बोधि वृक्ष पर्यटकों के लिए सबसे प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। क्योंकि इसी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

लेकिन असल में यह वह वृक्ष नहीं है, जिसके नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। असली बोधि वृक्ष को सम्राट अशोक की एक रानी ने कटवा दिया था। लेकिन कुछ सालों के बाद दोबारा वहां पर नया पेड़ उग आया।

Bodhi tree
बोधि वृक्ष

लेकिन दूसरी बार सातवीं शताब्दी में बंगाल के राजा शशांक बौद्ध धर्म का कट्टर दुश्मन होने के कारण उसे कटवा दिया और जड़ों में आग लगा दी। लेकिन कुछ साल के बाद फिर से उधर से नए पेड़ उग आए।

तीसरी बार 1876 में प्राकृतिक आपदा के कारण वह अपने आप नष्ट हो गया। बाद में 1880 में अंग्रेज लॉर्ड कनिंघम ने श्रीलंका के अनुराधापुर से बोधि वृक्ष की शाखा को मंगवा कर यहां पर स्थापित किया, जिसके कारण एक नया बोधि वृक्ष उगा।

रॉयल भूटान मठ

बोधगया में स्थित रॉयल भूटान मठ बोधगया का सबसे लोकप्रिय और खूबसूरत मठ है। इस मठ का निर्माण भगवान बुध को श्रद्धांजलि देने के लिए भूटान के राजा के द्वारा किया गया था।

उन्होंने इस मठ को उत्कृष्ट वास्तुकला में निर्माण किया है, जो बेहद खूबसूरत है। इस मठ के अंदर मिट्टी के नक्काशी में भगवान बुद्ध के जीवन काल को चित्रित किया गया है।

Royal Bhutan Monastery
रॉयल भूटान मठ

इस मठ में कई भूटान के भिक्षुओं के द्वारा बुद्ध के जीवन एवं उनकी शिक्षाओं पर प्रवचन दिए गए हैं, जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं को काफी आकर्षित करती है। इस मठ में एक विश्रामगृह भी है, जहां पर्यटक ठहर सकते हैं।

महाबोधि मंदिर

बोधगया में मुख्य आकर्षण महाबोधि मंदिर है, जो देश भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर के अंदर भगवान बुद्ध की भव्य मूर्ति स्थापित है और वह मूर्ति उसी मुद्रा में स्थापित है, जिस अवस्था में भगवान बुद्ध ने तपस्या की थी।

Mahabodhi Temple
महाबोधि मंदिर

इस मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक के द्वारा सातवीं शताब्दी में बोधि वृक्ष के चारों ओर करवाया गया था। इस मंदिर में स्थापित भगवान बुद्ध की मूर्ति के ही रूप को विक्रमशिला और नालंदा के मंदिर में भी स्थापित किया गया है।

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राजगीर

राजगीर बोधगया से कुछ किलोमीटर दूर स्थित एक ऐतिहासिक नगर है, जो प्राचीन समय में राजगृह के नाम से जाना जाता था। यह कभी मगध साम्राज्य की राजधानी थी।

बाद में मौर्य साम्राज्य का उदय यहीं से हुआ और इस भूमि से कई प्राचीन राजाओं का संबंध है। राजगीर के बारे में ऋग्वेद, अथर्ववेद, महाभारत, वायु पुराण और वाल्मीकि रामायण जैसे कई पौराणिक ग्रंथों में भी जिक्र किया गया है।

Rajgir
राजगीर

इसी स्थान पर सबसे पहले बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था। इस स्थान पर भगवान बुद्ध कई वर्षों तक ठहरे थे और यहां पर उन्होंने महत्वपूर्ण उपदेश भी दिए थे। इसी स्थान पर भगवान बुद्ध के उपदेशों को लिपिबद्ध किया गया।

राजगीर में ग्रीधरकूट पहाड़ी पर स्थित विश्वशांति स्तूप बेहद खूबसूरत देखने लायक स्थल है, जहां तक पहुंचने के लिए यहां पर रोपवे की सुविधा भी हैं। इसके अतिरिक्त प्रसिद्ध सप्तपर्णी गुफा भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।

इंडोसन निप्पॉन जापानी मंदिर

गया के मुख्य शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जापानी मंदिर गया में देखने लायक एवं लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को लकड़ी से बनाया गया है।

Indosan Nippon Japanese Temple
इंडोसन निप्पॉन जापानी मंदिर

मंदिर के परिसर में भगवान बुद्ध के उपदेशों को उकेरा गया है। इस मंदिर का निर्माण 1972 में किया गया था। संपूर्ण मंदिर जापानी वास्तुकला में बनाया गया है। इस मंदिर को इंडोसन निप्पॉन के नाम से जाना जाता है।

मंदिर में लकड़ियों पर की गई नक्काशी और उनकी खूबसूरत पेंटिंग्स यहां आने वाले दर्शकों को बेहद ही आकर्षित करती हैं।

तिब्‍बतियन मठ

बोधगया में तिब्बतियन मठ काफी प्रसिद्ध मठ है। यह काफी बड़ा और पुराना मठ है। इस मठ का निर्माण भगवान बुध को श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया था।

इस मठ का निर्माण जापानी मंदिर की वास्तुकला को ध्यान में रखकर किया गया है, जिसके कारण यह जापानी मंदिर से काफी मिलता-जुलता है। इस मठ के अंदर भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा स्थापित है।

Tibetan Monastery
तिब्‍बतियन मठ

मठ के अंदर भगवान बुद्ध के जीवन के कई महत्वपूर्ण घटनाओं को चित्रित किया गया है, जो काफी ज्यादा आकर्षक है। इस मठ के छत को सोने से ढक दिया गया है, जिसके कारण इसे गोल्डन मठ के नाम से भी जाना जाता है।

आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम

अगर आप बोधगया की यात्रा के दौरान वहां के इतिहास से परिचित होना चाहते हैं तो आप गया में स्थित आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम घूमने जा सकते हैं।

फैमिली के साथ गया में देखने लायक लोकप्रिय स्थानों में से एक है। इस म्यूजियम में तीन हॉल है, जिसके अंदर हिंदू और बौद्ध धर्म की कई कलाकृतियां एवं मूर्तियों को संग्रहित कर के रखा गया है।

Archaeological Museum
आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम

इसके अतिरिक्त समय समय पर खुदाई के दौरान जो भी प्राचीन चीजें मिली है, उन्हें भी यहां पर दर्शकों के लिए रखा गया है। इस म्यूजियम के जरिए आपको बौध्द धर्म से संबंधित कई नई चीजों के बारे में जानकारी मिलेगी।

दुंगेश्वरी हिल्स

बोधगया में घूमने लायक लोकप्रिय स्थलों में से एक दुर्गेश्वरी हील्स है। यह जगह बोद्धगया से काफी दूर पहाड़ी स्थल पर स्थित है।  यहां पर बोध्द, हिंदू स्तूप और कई सारे मंदिर है।

कहा जाता है कि बोधगया आने से पहले भगवान बुध इसी जगह पर कई साल अपना जीवन व्यतीत किए थे। इन गुफा में भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी स्थापित है। अन्य गुफाओं में हिंदू देवी देवता एवं दुर्गेश्वरी देवी की प्रतिमा स्थापित है।

Dungeshwari Hills
दुंगेश्वरी हिल्स

उपरोक्त लोकप्रिय स्थानों के अतिरिक्त बोधगया में नागार्जुन गुफा, गेंदन फ्लैग्लिंग मठ, रूट इंस्टीट्यूट, बराबर गुफा, प्रेतशिला पहाड़ी, विष्णुपद मंदिर, टर्गर मठ, फोवा सेंटर, ताइवानी मंदिर, बोधगया मल्टीमीडिया संग्रहालय और कर्मा मंदिर घूमने लायक स्थान है।

बोधगया घूमने का सबसे अच्छा समय

अगर आप बोधगया घूमने जाने का विचार कर रहे हैं और बोधगया घूमने का सबसे अच्छे समय के बारे में जानना चाहते हैं तो बता दें कि बोधगया में सबसे ज्यादा भीड़ बुध पूर्णिमा के दिन होता है।

क्योंकि उस दिन ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, जिस कारण देशभर से बौद्ध धर्म के अनुयाई यहां पर भगवान बुद्ध की जयंती मनाने के लिए आते हैं।

यह समय गर्मियों का होता है, जिसके कारण इस दौरान आने वाले पर्यटकों को सूती के कपड़े पहन कर आना चाहिए।

वैसे अगर आप बोधगया के अन्य पर्यटन स्थलों को अच्छे से घूमना चाहते हैं तो आपको यहां पर अक्टूबर से मार्च के महीने के दौरान आना चाहिए। क्योंकि मौसम के अनुसार यह महीना बोधगया घूमने का सबसे बेहतरीन समय होता है।

इस दौरान गर्मी भी नहीं होती है और ना ही बारिश होती है। यह  बोधगया घूमने के लिए बहुत ही अनुकूल समय होता है और भीड़भाड़ भी बहुत कम होती हैं।

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बोधगया कैसे पहुंचे?

बोधगया भारत का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल एवं धार्मिक तीर्थ स्थान होने के कारण साल भर यहां पर सेनानी आते हैं, जिसके कारण बोधगया पहुंचने के लिए हवाई मार्ग, रेलवे मार्ग एवं सड़क मार्ग तीनों की सुविधाएं हैं।

हवाई मार्ग के जरिए बोधगया

बोधगया हवाई मार्ग से पहुंचने के लिए यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा गया हवाई अड्डा है, जो बोधगया से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

यहां से जहाज कोलकाता के लिए नियमित रूप से उड़ान भरती है। इसके अतिरिक्त पटना एयरपोर्ट से भी आप बोधगया आ सकते हैं।

पटना से बोधगया 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पटना एयरपोर्ट के लिए भारत के लगभग हर एक शहरों से घरेलू विमान नियमित रूप से उड़ान भरती है।

रेलवे मार्ग के जरिए बोधगया

अगर आप बोधगया पहुंचने के लिए सस्ता माध्यम की तलाश में है तो इसके लिए रेलवे मार्ग सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।

बोधगया का निकटतम रेलवे स्टेशन बोधगया से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गया जंक्शन है, जहां से भारत के सभी राज्यों से ट्रेन गुजरती है।

रेलवे स्टेशन से आपको आसानी से बोधगया के लिए टैक्सी मिल जाती हैं। इसके अतिरिक्त पटना जंक्शन से भी बोधगया आ सकते हैं। पटना जंक्शन से 110 किलोमीटर की दूरी पर बोधगया है।

सड़क मार्ग के जरिए बोधगया

सड़क मार्ग के जरिए बोधगया बहुत ही आसानी से पहुंचा जा सकता है। पटना से बोधगया के लिए प्रतिदिन दो बार बिहार राज्य पर्यटन निगम की बसें चलती हैं।

इसके अलावा वाराणसी, राजगीर, नालंदा शहर से भी बोधगया के लिए बस उपलब्ध है। अन्य शहरों से भी बोधगया के लिए कई बसें उपलब्ध रहती हैं। इसके अतिरिक्त निजी वाहन से भी बोधगया पहुंच सकते हैं।

गया का लोकप्रिय भोजन

अगर आप गया घूमने आते हैं तो यहां पर आप बिहार की कई पारंपारिक स्वादिष्ट व्यंजनों को चखने का आनंद प्राप्त कर सकते हैं। यहां के लोकप्रिय व्यंजनों में लिट्टी चोखा को वैश्विक पहचान मिली है।

इसके अतिरिक्त बैंगन भरता, मरुआ का रोटी, पुआ, दाल बड़ी, सत्तू का रोटी, कोपाल, कोफ्ता, चाट, पेठा इत्यादि काफी ज्यादा लोकप्रिय हैं। यहां के पारंपरिक भोजन में चावल और कढ़ी भी काफी लोकप्रिय हैं।

बात करे यहां के मीठे व्यंजन की आमतौर पर सेवई और खीर यहां पर परोसे जाते हैं। इसके अतिरिक्त लाई, केसरीरिया, तिलकूट, पेडा, खाजा और अनरसा काफी लोकप्रिय है।

गया की मिठाई की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इन मिठाइयों को चीनी की चाशनी में ना भिगोकर काफी सूखा रखा जाता है, जिसके कारण इन्हें आसानी से पैक करके कई दिनों तक खाया जा सकता है। गया आने वाले पर्यटक अपने साथ कम से कम एक बॉक्स मिठाई का जरूर लेकर जाते हैं।

बोधगया में रुकने की जगह

चुंकी बोधगया एक पवित्र स्थान होने के साथ ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है, जहां पर देश भर से हर साल कई सेनानी भगवान बुध के ज्ञान प्राप्ति भूमि पर महाबोधि मंदिर का दर्शन करने के लिए आते हैं।

जिसके कारण यहां पर सेनानियों को ठहरने के लिए कई सारे होटल और गेस्ट हाउस की सुविधा है। यहां पर आपको एसी और नॉन एसी दोनों प्रकार के होटल और गेस्ट हाउस मिल जाते हैं।

कम कीमत से लेकर महंगे कीमत पर आप यहां पर रूम किराए पर ले सकते हैं, जिसमें आपको भोजन सहित कई बेहतरीन सुविधा मिल जाती है। यहां पर आपको न्यूनतम ₹200 में भी ठहरने के लिए बहुत अच्छा कमरा मिल जाता है।

FAQ

बोधगया क्यों प्रख्यात है?

बोधगया भगवान बुद्ध के लिए प्रसिद्ध है। इसी स्थान पर भगवान बुद्ध को पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

बोधगया जाने के लिए कितने दिन चाहिए?

अगर आप बैधगया को अच्छे से घूमना चाहते हैं और उसके आसपास के अन्य पर्यटन स्थलों को भी देखना चाहते हैं तो कम से कम 2 दिन के लिए आपको बोधगया की यात्रा की योजना बनाना चाहिए।

क्या अशोक बौद्ध धर्म को मानते थे?

हां, राजा अशोक बौद्ध धर्म को मानते थे और भगवान बुध के ज्ञान प्राप्ति के 250 साल के बाद वे बोधगया भी गए थे।

बोधगया में कौन से भगवान का मंदिर है?

बोधगया में भगवान बुध को समर्पित प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर है, जिसे साल 2002 में यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट के रूप में घोषित किया गया।

बोधगया कहां स्थित है?

पवित्र स्थान बोधगया बिहार राज्य की राजधानी पटना शहर से दक्षिण पूर्व दिशा में लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

बोधगया में स्थित भगवान बुद्ध की प्रतिमा कितनी ऊंची है?

बोधगया में भगवान बुद्ध की 80 फीट की प्रतिमा स्थापित है, जिसे 1989 में दलाई लामा के द्वारा स्थापित किया गया था। यह देश की भगवान बुद्ध की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है।

निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में आपने भगवान बुद्ध से संबंधित पवित्र स्थल बोधगया की यात्रा के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त की।

इस लेख में आपने बोधगया से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, बोधगया में घूमने की जगह (Places to Visit in Bodhgaya), बोधगया कहां है, बोधगया के लोकप्रिय भोजन, बोधगया में ठहरने की जगह, बोधगया पहुंचने के माध्यम के बारे में जाना।

हमें उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से बोधगया की यात्रा आपके लिए सुलभ होगी। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ जरूर शेयर करें। इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो आप हमें कमेंट में लिखकर जरूर बताएं।

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