एलोरा की गुफा का इतिहास, इमेज और घूमने की सम्पूर्ण जानकारी

एलोरा की गुफा महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं। यह गुफाएं देश के अलावा विदेश में भी काफी फेमस हैं। गुफा के अंदर कई सारे हिन्दू मंदिर बने हुए हैं।

हिंदू मंदिर के अलावा जैन और बौद्ध धर्म से संबंधित कई सारे अवशेष यहां मिले हैं। इसकी खोज भारत के खोजकर्ता ने करीब 600 ई पूर्व की थी।

एलोरा की गुफा (ellora ki gufa) में शिवाजी की एक बड़ी प्रतिमा बनी हुई हैं और यहां पर 100 से भी ज्यादा गुफा हैं। लेकिन पर्यटकों के लिए सिर्फ 34 ही गुफाएं खोली गई हैं।

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Ellora Caves In Hindi
Image: Ellora Caves In Hindi

इस गुफा में हिंदू धर्म की 17 गुफाएं, बौद्ध धर्म की 12 गुफाएं, जैन धर्म की 5 गुफाएं हैं। एलोरा की गुफा में जाने के लिए आपको टिकट लेनी होगी।

गुफा के अंदर जाने के लिए 10 रुपए की टिकट लेनी होगी, वहीं यदि कोई विदेशी पर्यटक जाएगा तो उसको 25 रुपए की टिकट लेनी होगी।

एलोरा केव्स के बारे में बहुत से लोगों का मानना है की इस गुफा का अंतिम निर्माण यादव वंश ने करवाया था।

इस लेख में एलोरा की गुफा की जानकारी (Ellora Caves In Hindi), एलोरा की गुफाएं कितनी है, एलोरा की गुफा कहां स्थित है, एलोरा गुफाएं के टिकट, एलोरा की गुफा इमेज, एलोरा में घूमने की कौन कौन सी जगह हैं, एलोरा घूमने कैसे जाएं, एलोरा गुफा घूमने का सही समय आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Table of Contents

एलोरा गुफा का इतिहास

माना जाता है कि एलोरा की गुफाओं में जैन गुफाओं का निर्माण यादव वंश द्वारा और हिन्दू और बौद्ध गुफाओं का निर्माण राष्ट्रकूट राजवंश के शासनकाल के समय 600 से 1000 सीई के मध्य किया गया था। अभी तक यह पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं है कि किस गुफा को सबसे पहले बनाया गया था।

यहां पर 17 हिन्दू गुफाएं, 5 जैन गुफाएं और 12 बौद्ध गुफाएं हैं, जिनमें नक्काशी, देवताओं और मठ भी शामिल है, जो सभी धर्मों को दर्शाते हैं।

पुरातात्विक सर्वेक्षणों के अनुसार इन गुफाओं का निर्माण 3 चरणों में पूर्ण हुआ, जो कि निम्न था:

  • पहला चरण 550 से 600 सीई तक
  • दूसरा चरण 600 से 730 सीई तक
  • अंतिम चरण 730 से 950 सीई तक

एलोरा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • एलोरा केव्स एलुरा के नाम से भी लोकप्रिय है।
  • एलोरा की गुफाएं ज्वालामुखी से निर्मित बेसाल्ट चट्टानों को काटकर बनाया गया है।
  • एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में स्थित है, जिसे 6वीं से 8वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया है।
  • एलोरा की गुफाओं में 100 से भी अधिक गुफाएं हैं।
  • इसमें 27 हिंदू गुफाएं है, शेष अन्य धर्मों की गुफाएं हैं।
  • एलोरा गुफा के अंदर बनी हुई मूर्तियां को हथौड़ी और छेनी के द्वारा तराशा गया हैं।
  • गुफा में 16 नंबर गुफा को पहाड़ को काटकर तराशा गया हैं।
  • भगवान विष्णु के दसवतार गुफा में 10 चित्र बने हुए हैं।

एलोरा गुफाएं के टिकट (Ellora Caves Ticket Price)

एलोरा के गुफा में सभी भारत के वासियों के लिए टिकट शुल्क ₹40 है। वहीं विदेशी नागरिकों के लिए टिकट शुल्क ₹600 है। अगर कोई वीडियो कैमरा अंदर लेकर जाता है तो उसके लिए उन्हें अतिरिक्त ₹25 का भुगतान करना पड़ता है।

एलोरा की गुफाएं कितनी है?

एलोरा की गुफाएं 100 से भी ज्यादा गुफा हैं। लेकिन पर्यटकों के लिए सिर्फ 34 ही गुफाएं खोली गई हैं। इस गुफा में हिंदू धर्म की 17 गुफाएं, बौद्ध धर्म की 12 गुफाएं और जैन धर्म की 5 गुफाएं हैं।

एलोरा गुफा घूमने की जगह (Places to Visit Ellora Caves)

एलोरा गुफा की विश्वकर्मा गुफा

एलोरा केव्स के अंदर कई सारी गुफा है। इस कारण से प्रत्येक गुफा को अलग-अलग गुफा नाम से जाना जाता हैं। विश्वकर्मा गुफा जाने के लिए आपको गुफा 10 में जाना होगा।

विश्वकर्मा गुफा को लोग बढ़ाई की झोपड़ी के नाम से भी जानते हैं। वहां के रहने वाले लोग बढ़ाई विश्वकर्मा जी की पूजा करते हैं।

vishvkarma gufa
विश्वकर्मा गुफा

विश्वकर्मा गुफा यहां की प्रसिद्ध गुफा में से एक हैं। गुफा में एक गेट से जाने का मार्ग हैं, वही दूसरी तरफ से निकले का मार्ग हैं। इसके बीच में ही एक आंगन बना हुआ हैं, जिससे बौद्ध मंदिर में भी जा सकते हैं।

विश्वकर्मा मंदिर 81 फिट लंबा और 43 फिट चौड़ा हैं। मंदिर में करीब 28 खंभे बने हुए हैं। विश्वकर्मा जी की इस गुफा के दर्शन करने के लिए आ सकते हैं।

एलोरा की प्रसिद्ध गुफा 33-34

एलोरा केव्स नंबर 33 एक जैन गुफा हैं। यह गुफा जैन धर्म के मानने वाले लोगों के लिए प्रसिद्ध गुफा हैं। गुफा नंबर 33 से गुफा नंबर 34 छोटी हैं।

Ellora Caves
गुफा 33-34

33 को जगन्नाथ सभा के नाम से भी जाना जाता हैं। इस गुफा को जैन धर्म की दूसरी सबसे बड़ी समूह में से एक हैं।

गुफा 33 में 5 मंदिर बने हुए हैं। मंदिर में 4 खंभों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर की दाई तरफ गोमाता तथा बाई और पार्श्वनाथ के साथ बीच में महावीर स्वामी की प्रतिमा लगी हुई है।

एलोरा की इंद्र सभा

एलोरा की इंद्र सभा गुफा नंबर 32 में हैं। इस गुफा के अंदर जैन धर्म से संबंधित सभी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। यह गुफा दो मंजिला बनी हुई है।

इसकी उपरी सतह में बेहतर नकाशी और निचली सतह को बिलकुल सादा रखा गया हैं। इंद्र सभा में जाने के लिए साधारण सा प्रवेश द्वार बनाया गया हैं।

Ellora Cave 32 (Indra Sabha)
गुफा नंबर 32 इंद्र सभा

मंदिर के प्रवेश द्वार को बेहतरीन ढंग से डिजाइन किया गया हैं, जिसमें किनारे पर शेर और हाथी का लाटो को उकेरा गया हैं। गुफा के बीच में एक अखंड मंदिर बनाया गया हैं।

गुफा के बीचो-बीच एक स्तंभ बना हुआ हैं, जिसको मान स्तंभ के नाम से जानते हैं। इस स्तंभ की ऊंचाई 28 फिट है। इंद्र सभा की प्रमुख मूर्ति अंबिका देवी की है। अंबिका देवी की गोद में एक छोटा बच्चा बैठा हुआ है।

उपर की तरफ एक पेड़ है और नीचे की तरफ एक शेर बैठा हुआ हैं। इसके अलावा इंद्र जी अपने वाहन हाथी पर बैठे हुए हैं।

एलोरा का तीन ताल गुफा

एलोरा के तीन ताल गुफा गुफा नंबर 12 के द्वारा जानी जाती हैं। यह गुफा महाराष्ट्र के सबसे बड़े मठ परिसर के रूप में जानी जाती हैं।

यह मंदिर तीन मंजिला इमारत का बना हुआ हैं। मंजिल होने के कारण स्थानीय लोग इसे तीन ताल गुफा के नाम से भी जानते हैं। मंदिर में प्रवेश करने के लिए सबसे बड़ा मुख्य द्वार बना हुआ है।

Teen Taal Gufa
तीन ताल गुफा

मुख्य द्वार के अंदर प्रवेश करते ही पहली मंजिल पर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। तीन ताल की सबसे ऊपरी मंजिल बौद्ध गुफाओं में सबसे आकर्षित मानी जाती हैं।

पहली मंजिल पर 13 कमरे बने हुए है और 8 खंभे लगे हुए हैं। इस गुफा में बौद्ध की एक बड़ी प्रतिमा लगी हुई हैं। इसके अलावा दूरी मंजिल में बौद्ध की 7 मूर्तियां भूमिस्पर्श करती हुई हैं।

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एलोरा का घूमर लेना

यह गुफा हिंदू धर्म के लोगों के लिए हैं। इसको गुफा 29 के द्वारा भी जाना जाता हैं। इसके अलावा गुफा 29 को घूमर लेना के नाम से भी जाना जाता हैं।

इस मंदिर की खुदाई 250 फिट तक की गई थी। मंदिर में जाने के लिए चार प्रवेश द्वार बने हुए हैं। जब मंदिर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं तो सीढ़ियों के पास दो शेर बन हुए है, जिनके पंजे के नीचे दो छोटे-छोटे हाथी बने हैं, जो सीढ़ियों की रखवाली करने के लिए बनाए गए हैं।

Ellora Caves
घूमर लेना

मंदिर के हॉल में भगवान शिव की विभिन्न कलाओं का चित्रण किया गया हैं। मंदिर में दो गड्ढे भी देखने को मिलेंगे। पहला गड्ढा उत्तर की तरफ है तो दूसरा दक्षिण की तरफ हैं।

इस मंदिर के अंदर वैदिक वेदिया भी बनी हुई हैं, जो कि विभिन्न अनुष्ठान करवाने के लिए उपयोग में लाई जाती हैं।

रावण की खाई

एलोरा में घूमने लायक जगह में से एक रावण की खाई है। यह जगह कैलाश मंदिर से 350 मीटर की दूरी पर स्थित है।

एलोरा की गुफाओं में 14 नंबर की गुफा के अंदर रावण की खाई स्थित है, जो गुफा नंबर 12 के नजदीक है।

Ravan Ki Khai
रावण की खाई

गुफा संख्या 13 से 29 हिंदू धर्म से संबंधित है। इस प्रकार यह गुफा भी हिंदू धर्म को प्रदर्शित करता है।

एलोरा की रामेश्वर गुफा

इस गुफा को गुफा नंबर 21 के द्वारा भी जाना जाता हैं। यह गुफा 16 नंबर और 29 नंबर के बीच में स्थित हैं। इस गुफा को रामेश्वरम गुफा के नाम से भी जाना जाता हैं। रामेश्वरम गुफा की खुदाई 6वीं शताब्दी के आसपास की गई थी।

Ellora-Caves
रामेश्वर गुफा

इस मंदिर का निर्माण कलचुरी वंश के शासक के द्वारा किया गया था। यह मंदिर अपनी सुंदर मूर्तियों के लिए बेहद ही प्रसिद्ध है। मंदिर के बरामदे के दोनों खंभों को बेहद ही सुंदर नक्काशी से सुशोभित किया गया है।

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जहां पर उनके शिवलिंग की पूजा की जाती है और ठीक सामने उनके वाहन नंदी को स्थापित किया गया है।

मंदिर के प्रवेश द्वार घर पर गंगा और यमुना नदी के देवी की मूर्ति स्थापित हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो द्वारपालों का चित्रण किया गया हैं।

इस मंदिर के प्रवेश द्वार को बहुत ही विस्तृत बनाया गया है, जिसे अलग-अलग खंडों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक खंड को बेहद ही गहराई से नक्काशी करके सुशोभित किया गया है। इस मंदिर का गर्भ ग्रह आयताकार आकार में है और इसका मंडप 16 फीट ऊंचा है।

एलोरा में कैलाश मंदिर

एलोरा केव्स में स्थित तीन प्रकार की गुफाएं पौराणिक हिंदू गुफा, महायानी बुध गुफा और दिगंबर जैन गुफाओं में से एक 16 नंबर की गुफा कैलाश मंदिर के नाम से जाना जाता है।

इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के द्वारा किया गया था जब उन्होंने पल्लव पर जीत हासिल की थी। यह भगवान शिव जी को समर्पित है, जिसे दक्षिणी द्रविड़ शैली में निर्मित किया गया है।

Kailash Temple
कैलाश मंदिर

कैलाश मंदिर गुप्त काल के बाद बना सबसे भव्य और आलीशान निर्माण है। कैलाश मंदिर की नक्काशी बहुत ही सुंदर है। इस मंदिर को विरुपाक्ष मंदिर से प्रेरित होकर बनाया गया है। यह मंदिर 175 फुट चौड़ा और 300 फुट लंबा है।

इस मंदिर की खासियत यह है कि जहां अन्य मंदिरों को नीचे से ऊपर की ओर काट कर बनाया गया है, वहीं इस मंदिर को ऊपर से नीचे की ओर काटते हुए बनाया गया है।

इस मंदिर का निर्माण मात्र एक छैन्नी और हथौड़ी से किया गया है। कैलाश मंदिर भारतीय वास्तुकला का एक बेजोड़ नमूना है।

एलोरा की दशावतार गुफा

एलोरा की गुफा नंबर 15 को दशावतार गुफा के नाम से जानते हैं। यह गुफा एलोरा की प्रसिद्ध गुफाओं में से एक हैं। यह गुफाएं मंदिर के केंद्र परिसर के पास में स्थित हैं।

इसके अलावा गुफा 15 के द्वारा भी जानते हैं। गुफा के अंदर भगवान शिव तथा विष्णु के विभिन्न आकृतियां देखने को मिलेगी। इस गुफा 2 मंजिल की बनी हुई हैं।

Dashavtar Gufa
दशावतार गुफा

इस जगह पर पहले बौद्ध मठ था, लेकिन बाद में इसको शिव मंदिर के रूप में परिवर्तित कर दिया। गुफा की पहली मंजिल पर बौद्ध धर्म की कुछ आकृतिया हैं। दूसरी मंजिल पर शिव की मूर्ति बनी हुई हैं।

शिव और विष्णु के अलावा गणेश, सूर्य, शिव, पार्वती, भवानी, दुर्गा और काली आदि की मूर्ति स्थापित हैं। उपर के हॉल को दो भागों में डिवाइड किया गया हैं।

उपर मंजिल के हॉल की दीवारों को छह-छह भागो में बाटा हैं, जिसमें शिव के अलग-अलग रूपों को दिखाया गया हैं। इसके अलावा भगवान विष्णु के कई अवतार दिखाए गए हैं।

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एल्लोरा की ऐतिहासिक दो ताल गुफा

एलोरा में देखने लायक स्थानों में से एक दो ताल गुफा है, जो गुफा संख्या 11 के नाम से जाना जाता है। यह गुफा बौद्ध धर्म से संबंधित 12 गुफाओं में से एक है।

दो ताल गुफा कैलाश मंदिर से 600 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह गुफा संख्या 10 के ठीक बगल में ही स्थित है। यह गुफा दो मंजिलें का होने के कारण इसे दो ताल गुफा के नाम से जाना जाता है।

लेकिन 1876 ईसवी में इस गुफा के अंदर एक और तहखाने का स्तर भी खोजा गया, जिससे यह गुफा अब तीन मंजिले का हो गया है। लेकिन अब तक यह गुफा दो तल के नाम से ही लोकप्रिय हैं।

घृष्णेश्वर मन्दिर

एलोरा के आसपास घूमने लायक प्रमुख स्थानों में से एक घृष्णेश्वर मन्दिर मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर एलोरा गुफा से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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घृष्णेश्वर मन्दिर

शिव पुराण में वर्णित 12 ज्योतिर्लिंग में से एक यह मंदिर माना जाता है, जो महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के वेरुल गांव में स्थित है। इस गुफा का निर्माण छत्रपति शिवाजी के दादा श्री मालोजी राजे भोसले के द्वारा 16वीं शताब्दी में किया गया था।

एलोरा की 1 से 5 नंबर की गुफा

एलोरा की गुफाओं में हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध और जैन धर्म की गुफा बनी हुई हैं। एलोरा गुफा की सर्वप्रथम खुदाई बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों ने की थी, जो कि लगभग 450 ईस्वी से लेकर 700 ईस्वी तक की थी।

इस दौरान बौद्धों ने करीब 12 गुफाओं की खुदाई की थी। इस कारण से इसको अलग-अलग भागों में बाटा गया हैं। जिसमें गुफा नंबर 1 से गुफा 5 को अलग और दूसरा 6 से 12 तक अलग हैं।

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1 से 5 नंबर की गुफा

इन गुफाओं में अलग-अलग संतो की मूर्ति आदि बनी हैं। गुफा नंबर 2 को भगवान बुद्ध की गुफा के नाम से जाना जाता है। गुफा 3 और 4 को अभी नहीं खोला जाता है। गुफा 5 को महारवाड़ा गुफा के नाम द्वारा जाना जाता है।

एलोरा की गुफा संख्या 17 से 20

एलोरा में घूमने लायक प्रमुख स्थानों में से एक गुफा संख्या 17 से 20 है। यह कैलाश मंदिर के उत्तर में स्थित एक विशाल गुफा है। यह गुफा भगवान शिव को समर्पित है।

गुफा संख्या 17 का द्वार और स्तंभ बहुत ही आकर्षक और लोकप्रिय हैं, जिसमें 4 खंभों की 3 पंक्तियां और पीछे एक गलियारे का समावेश होता है।

इस मंदिर के दरवाजे का निर्माण साहसिक द्रविड़ शैली में किया गया है। गुफा संख्या 18 आठवीं शताब्दी के राष्ट्रपति गर्भाधन की निशानी मानी जाती है, जो एक समतल गुफा है।

वहीं गुफा संख्या 19 चौकोर आकार में एक विशाल गड्ढे में स्थित बहुत बड़ा लिंगम है। गुफा संख्या 20 एक छोटा लिंग मंदिर है।

एलोरा का औरंगजेब का मकबरा

औरंगजेब का मकबरा एलोरा रोड पर स्थित है। यह भी एलोरा के प्रसिद्ध जगहों में से एक हैं। औरंगजेब की 88 वर्ष की आयु में मृत्यु हो जाने पर उनके बड़े पुत्र मोहम्मद आजम शाह के द्वारा उनके ताबूत को औरंगजेब के गुरु के पास दफना दिया गया था।

Tomb of Mughal Emperor Aurangzeb Alamgir
औरंगजेब का मकबरा

औरंगजेब की कब्र के पास अन्य लोगों की कब्र बनी हुई हैं। इसकी कब्र के पास उसके बेटे तथा बहू की भी कब्रें बनी हुई है।

एलोरा की गुफा संख्या 22 से 28

गुफा संख्या 22 से 28 एलोरा में स्थित बहुत ही आकर्षक और लोकप्रिय गुफाएं हैं, जिनमें गुफा संख्या 22 नीलकंठ के नाम से जाना जाता है और इस गुफा में नंदीश्वर की एक मूर्ति भी खड़े मुद्रा में स्थापित है, जो वर्तमान में क्षतिग्रस्त है।

इसके साथ ही इस गुफा के होल की दीवारों पर भगवान गणेश, 3 देवियां और चार सशस्त्र विष्णु भगवान की मूर्ति भी स्थापित है। इसके गर्भ ग्रह में अत्याधिक पॉलिश किया हुआ एक लिंग भी स्थापित है, जिस पर नीली धारियां बनी हुई।

गुफा संख्या 23 में आंशिक रूप से दोहरा बरामदा है और 5 दरवाजे हैं जो एक छोटे कक्ष की और प्रवेश करते हैं। उनमें से एक में एक गोल आसन और लिंग है और उनके पीछे की दीवार पर त्रिमूर्ति स्थापित है।

वहीं गुफा संख्या 24 में तेलमैन की चक्की, तेली-का-गण नामक पांच निम्न कोशिकायें हैं। गुफा संख्या 25 भगवान सूर्य देव को समर्पित है।

इसके साथ ही सात घोड़े के द्वारा खींचा जा रहा एक रथ अंकित किया गया है। इसे कुंवरवाड़ा के नाम से भी जाना जाता है। गुफा संख्या 26 के गर्भ ग्रह में बहुत बड़ा सा चौकोर आकार में लिंग स्थापित है।

वहीं गुफा संख्या 27 मिल्कमेड के नाम से प्रख्यात है। गुफा संख्या 28 में भगवान विष्णु, लक्ष्मी, ब्रह्मा, शिव, महिषासुरमर्दिनि और वराह की नक्काशी की गई है।

एलोरा की भद्र मारुति मंदिर

यह एक हिंदू मंदिर है, जो कि औरंगजेब के मकबरे के पास में ही स्थित है। यह भी एलोरा की प्रसिद्ध जगह में से एक हैं। इस मंदिर के अंदर हनुमान जी की विशाल प्रतिमा देखने को मिलेगी।

मंदिर के अंदर हनुमान जी की मूर्ति को सोने या लेटने के रूप में प्रदर्शित किया गया हैं। प्राचीन कथा के अनुसार यहां का राजा भद्रसेन हुआ करता था, जोकि राम भगवान की स्तुति किया करता था।

Shri Bhadra Maruti Temple
भद्र मारुति मंदिर

एक दिन हनुमान जी आकाश में विचरण कर रहे थे। राम भक्ति सुन कर वो वहां पर सोने की अवस्था में लेट गए। जब राजा ने हनुमान जी को देखा तो उन्होंने कहा कि आप हमेशा यही रहे और आने वाले भक्तों पर अपना आशीष बनाए रखें।

हनुमान जी की यह मूर्ति नारंगी कपड़े से ढकी हुई हैं। राम नवमी और हनुमान जयंती पर भक्तों की काफी भीड़ रहती हैं।

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एलोरा गुफाएं के मशहूर स्थानीय भोजन

एलोरा की गुफा महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में है और औरंगाबाद शहर पर मुगलों और निजामों का शासन हुआ करता था, जो स्वादिष्ट और लजीज भोजन के शौकीन हुआ करते थे।

जिस कारण आज भी एलोरा गुफा के लोकल फूड के रूप में उत्तर भारत और हैदराबादी व्यंजन काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। वहां की हर रेस्टोरेंट और होटल में आपको हैदराबादी व्यंजन की पेशकश की जाएगी।

इसके अतिरिक्त वहां पर प्रसिद्ध नवाबी बिरयानी और सुगंधित पुलाव काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। एलोरा की गुफा (ellora ki gufa) की यात्रा के दौरान एक बार वहां के स्वादिष्ट भोजन का स्वाद जरूर लें।

यहां पर लोकल लोगों के द्वारा मांसाहारी भोजन काफी ज्यादा पसंद किए जाते हैं। इसलिए मांसाहारी भोजन खाने वाले लोगों के लिए यहां पर एक से बढ़कर एक व्यंजन की पेशकश की जाती है।

एलोरा गुफा घूमने कब जाएं? (Best Time to Visit Ellora Caves)

एलोरा की गुफाएं (alora ki gufa) पर्यटकों के लिए वर्ष भर खुली रहती है, लेकिन यदि आप यहां जाना चाहते है तो आप अक्टूबर से लेकर मार्च के महीने में जाए।

इस दौरान यहां पर न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी होती है। इस दौरान यहां पर पर्यटकों की अधिक भीड़ रहती हैं।

एलोरा में रुकने की जगह

एलोरा एक टूरिस्ट जगह है तो यहां पर रुकने के लिए औरंगाबाद में रुकना होगा। यहां पर आपको रुकने के लिए आप अपने बजट के अनुसार रुक सकते हैं। यहां पर कई सारे होटल बने हुए हैं, जिसमें आप रुक सकते हैं।

एलोरा कैसे पहुंचे? (How to Reach Ellora Caves)

यदि आप एलोरा घूमना चाहते है तो यहां पर जाने के लिए कई तरीके हैं। आप बस, ट्रेन और वायुयान के द्वारा यहां पर पहुंच सकते हैं। यहां का जलगांव रेलवे स्टेशन एलोरा की सबसे नजदीक का स्टेशन हैं।

बस द्वारा एलोरा कैसे जाएं?

बस द्वारा यदि एलोरा की गुफा को देखना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले औरंगाबाद जाना होगा। औरंगाबाद से एलोरा की गुफा की दूरी 30 किलोमीटर हैं।

एलोरा की गुफा तक जाने के लिए आप किराए पर टैक्सी आदि को बुक करके यहां पर पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप महाराष्ट्र परिवहन बसों द्वारा भी यहां पर घूमने के लिए जा सकते हैं।

ट्रेन द्वारा एलोरा कैसे पहुंचे?

ट्रेन द्वारा एलोरा की गुफा देखने के लिए आपको औरंगाबाद जाना होगा, जो कि मुंबई और पुणे से कई सारी ट्रेन इस जगह पर जाती हैं।

एलोरा की गुफा के पास में ही जलगांव रेलवे स्टेशन हैं। आप यहां से टैक्सी को बुक करके जा सकते हैं।

एलोरा की गुफा घूमते समय किन बातों का ध्यान रखें?

एलोरा की गुफा यात्रा के दौरान कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है ताकि यात्रा के दौरान किसी भी तरह की दुर्घटना ना हो।

  • अगर एलोरा की गुफा की यात्रा आप बारिश के मौसम में करते हैं तो उस दौरान अच्छे क्वालिटी के जूते या स्लिपर अपने साथ जरूर रखें। क्योंकि बरसात के समय यहां पर पत्थरों पर फिसलने का डर रहता है।
  • एलोरा की गुफा में कई सारी गुफाएं हैं। इन तमाम गुफाओं को देखने में 3 से 4 घंटे का समय लग सकता है। उस समय अपने साथ पानी की बोतल जरूर रखें।
  • एलोरा की गुफाओं में कई सारे बंदर होते हैं। ऐसे में अपने सामान पर थोड़ा ध्यान रखना जरूरी है।

एलोरा गुफा घूमने का खर्चा

एलोरा गुफा (alora ki gufayen) जो महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। यह एक ही जगह पर स्थित महाराष्ट्र का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।

एलोरा के अंदर ही बहुत सारे गुफा है और इन तमाम गुफाओं को घूमने के लिए 3 से 4 घंटे का समय लग सकता है। इस तरह आप 1 दिन के अंदर ही एलोरा की गुफा घूम कर आ सकते हैं।

ऐसे में एलोरा की गुफा घूमने का खर्चा काफी कम है। हालांकि आपकी यात्रा का खर्चा यातायात के माध्यम, यात्रा के दिन एवं खानपान पर निर्भर करता है। आप कम से कम बजट में भी एलोरा की गुफा घूम कर आ सकते हैं।

एलोरा की गुफा इमेज (Ellora Caves Photos)

FAQ

एलोरा की गुफा कहां स्थित हैं?

एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है।

एलोरा घूमने जाने के लिए सबसे अच्छा समय क्या हैं?

एलोरा की गुफा घूमने जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से लेकर मार्च के महीने तक हैं।

एलोरा की गुफा की टिकट फ़ीस कितनी है?

एलोरा के गुफा में सभी भारत के वासियों के लिए टिकट शुल्क ₹40 है। वहीं विदेशी नागरिकों के लिए टिकट शुल्क ₹600 है। अगर कोई वीडियो कैमरा अंदर लेकर जाता है तो उसके लिए उन्हें अतिरिक्त ₹25 का भुगतान करना पड़ता है।

एलोरा में घूमने के लिए कितनी गुफाएं हैं?

एलोरा में घूमने के लिए सिर्फ 34 ही खोली गई हैं।

एलोरा की गुफा कब बंद रहती हैं?

एलोरा की गुफाएं वर्षभर खुली रहती हैं।

एलोरा की गुफा किस धर्म से संबंधित है?

एलोरा की गुफा में हिंदू धर्म की 17 गुफाएं, बौद्ध धर्म की 12 गुफाएं और जैन धर्म की 5 गुफाएं बनी हुई है।

निष्कर्ष

इस लेख में उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एलोरा गुफा घूमने की सारी जानकारी (Ellora Caves In Hindi) से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी दी है।

उम्मीद है कि यह लेख आपकी एलोरा गुफा की यात्रा को सुलभ बनाने में आपकी मदद करेगा। लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो कमेंट में लिखकर जरूर बताएं।

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