इस लेख में Dwarka Me Ghumne ki Jagah, द्वारका मंदिर दर्शन समय, द्वारका जाने का समय, द्वारका कैसे पहुंचे और अन्य शहरों से द्वारका की दूरी आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।
गुजरात राज्य में सोराष्ट्र प्रायद्वीप के पश्चिमी भाग पर अरब सागर के किनारे स्थित द्वारका शहर एक पवित्र स्थान है। इस शहर में कुछ दूरी पर स्थित भगवान श्री कृष्ण के मंदिर द्वारकाधीश मंदिर को भारत के चार तीर्थ धामों में से एक माना जाता है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, द्वारका शहर भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा ही बसाया गया था। यूं तो द्वारका शहर में द्वारकाधीश मंदिर के अतिरिक्त रुक्मणी मंदिर और भारत के 12 ज्योतिर्लिङ्ग में से एक नागेश्वर मंदिर भी स्थित है।
जन्माष्टमी के दौरान द्वारका शहर में देशभर से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। यदि आप भी इस पावन नगरी को घूमने जाना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए बहुत ही जानकारीपूर्ण साबित हो सकता है। क्योंकि इस लेख में द्वारका टूरिस्ट प्लेस (Dwarka Tourist Places in Hindi) के बारे में बताया है।
द्वारका के बारे में रोचक तथ्य
- द्वारकाधीश मंदिर की चोटी पर लगे हुए ध्वज की लंबाई 75 मीटर है। दिन में कम से कम 5 पांच बार इसको बदला जाता है।
- मंदिर को बनाने के लिए चालुक्य शैली का इस्तेमाल किया गया था।
- द्वारकाधीश मंदिर को बनाने में रेत और चूना पत्थर का इस्तेमाल किया गया था।
- भगवान श्री कृण का यह मंदिर एक टुकड़े पर बना हुआ है।
- मंदिर में 72 स्तम्भ बने हुए है।
द्वारका में घूमने की जगह (Dwarka Me Ghumne ki Jagah)
रुक्मणी देवी मंदिर
द्वारका शहर में रुक्मणी देवी बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्थल है। रुक्मणी देवी भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी को समर्पित मंदिर है, जो द्वारका शहर से केवल दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वैसे यह द्वारिकधीश मंदिर से थोड़ा दूर है, जिसके पीछे की पौराणिक कथा यह है कि एक बार रुक्मणी देवी ने महान ऋषि दुर्वासा को क्रोध दिला दिया था, जिसके कारण क्रोध में आकर उन्होंने रुक्मणी देवी को भगवान श्रीकृष्ण से अलग होने का श्राप दे दिया था।
यही कारण है कि इनका मंदिर द्वारकाधीश से दूर बना हुआ है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के दौरान किया गया है और इसकी वास्तुकला बेजोड़ है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करती है।
द्वारकाधीश मंदिर
द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर प्रमुख मंदिर है, जिसका निर्माण भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के बाद भगवान विश्वकर्माजी से करवाया था। कहा जाता है कि इस जगह पर मंदिर बनवाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने समुद्र देव से जमीन मांगी थी।
वैसे बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा बनाया गया मूल द्वारकाधीश मंदिर कई लाख साल पहले ही समुद्र में डूब चुका है। वर्तमान में मौजूद मंदिरों को चालुक्य शैली में बनाया गया है।
हालांकि मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के अतिरिक्त बलराम, वासुदेव, रूपमनी और रेवती जैसे देवी देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित हैं। पांच मंजिल का यह मंदिर चूना पत्थर और रेत के माध्यम से बनाया गया है। इस मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्तजन गोमती नदी में स्नान करते हैं।
गीता मंदिर
द्वारका में स्थित प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक गीता मंदिर भागवत गीता को समर्पित मंदिर है, जिसका निर्माण 1970 में बिड़ला उद्योगपति परिवार के द्वारा किया गया था। इस मंदिर के निर्माण में सफेद संगेमरमर पत्थर का प्रयोग किया गया है।
इस मंदिर की खासियत यह कि मंदिर के दीवारों पर पवित्र ग्रंथ भगवद गीत के कई छंद अंकित किये गए है। इस मंदिर के निर्माण का उद्देश्य भी हिंदुओं के धार्मिक पुस्तक भगवद गीत की शिक्षाओं और उसके मूल्यों को संरक्षित करना था। इस मंदिर में दर्शक गणों को ठहरने के लिए परिसर में व्यवस्था भी की गई है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
गुजरात के सौराष्ट्र जिले में गोमती नदी और बेट द्वारका द्वीप के बीच में स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से दूसरा ज्योतिर्लिङ्ग है। यह मंदिर अपने आप में विशिष्ट हिंदू वास्तुकला की विशेषता रखता है, जिसे शिवलिंग पत्थर से बनाया गया है। जिसे द्वारका शीला के नाम से भी जाना जाता है।
इस शिवलिंग के पत्थर पर छोटे चक्र बने हुए हैं और तीन मुखी रुद्राक्ष के आकार का स्वरूप दिया गया है। मंदिर में भगवान शिव की 80 फिट की ऊंची प्रतिमा भी स्थापित है। इस मंदिर में अन्य नागेश्वर मंदिरों के विपरीत, यहाँ के मूर्ती और शिवलिंग दक्षिण की ओर स्थापित है।
इस मंदिर को नागनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर के दर्शन करने आता है, वह हमेशा जहरीले जीव जंतुओं से दूर रहता है।
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गोपी तालाब
द्वारका में एक और प्रमुख पर्यटन स्थल गोपी तालाब है। गोपी तालाब भगवान श्रीकृष्ण के बचपन की याद मानी जाती है। इसी जगह पर भगवान श्रीकृष्ण वृंदावन की अन्य गोपियों के साथ रासलीला किया करते थे।
कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण से दूर रहने की बेचैनी में आखिरी बार वृंदावन से गोपियां यहाँ पर नृत्य करने पहुंची थी। यहां पर पहुंचने के बाद आपको एक अलग ही भाव महसूस होगा।
सुदामा सेतु
द्वारका में एक और खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक सुदामा सेतु है। इस पुल का उद्घाटन साल 2016 में गुजरात के मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के द्वारा किया गया था। इस पुल का नाम भगवान श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र सुदामा के नाम पर पड़ा है। इस पूल से गोमती नदी को पैदल पार किया जा सकता है।
यह सस्पेंशन ब्रिज प्राचीन जगत मंदिर और द्वीप पर पवित्र पवित्र पंचकुई तीर्थ को जोड़ता है। इस मार्ग में आपको प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर और पांच पांडव कुंवे भी देखने को मिलेंगे। इसके अतिरिक्त यहाँ से अरब सागर का सुहाना दृश्य बहुत ही मनमोहक लगता है। इस सुदामा सेतु मार्ग पर ऊंट की सवारी का भी आनंद लिया जा सकता है।
स्वामी नारायण मंदिर
द्वारका में अरब सागर के तट पर स्थित स्वामीनारायण मंदिर द्वारका में बहुत ही लोकप्रिय खूबसूरत मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार स्वामी नारायण जी को समर्पित है।
इस मंदिर को नई तकनीकों और आधुनिक वास्तुकला की मदद से निर्मित किया गया है। लेकिन इसकी दीवारों पर उभरे हुए नक्काशी और उसकी खूबसूरत वास्तुकला पर्यटकों को यहाँ रुकने के लिए बाध्य कर देती है।
बेट द्वारका
द्वारका में 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेट द्वारका, द्वारका के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। माना जाता है कि इसी जगह पर भगवान श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र सुदामा आए थे और पहली बार इसी जगह पर उनसे भेंट हुई थी।
इस जगह पर भगवान श्रीकृष्ण सहित सुदामा की मूर्ति स्थापित है और उनकी पूजा की जाती है। जो भी भक्तजन यहां पर आते हैं, वे चावल चढ़ाते हैं। यह मानकर कि जो भी चावल चढ़ाएंगा, वह कई वर्षों तक गरीब के रूप में जन्म नहीं लेगा।
बेट द्वारका एक तौर पर छोटा सा टापू है, जिसका प्रयोग बंदरगाह के रूप में भी किया जाता है। यहां पर भगवान कृष्ण को समर्पित प्रमुख केशव रायजी मंदिर भी स्थित है, जिसे वल्लभाचार्य के द्वारा 5 साल पहले बनाया गया था। यहां पर विभिन्न मंदिरों के दर्शन के साथ ही नाव की सवारी का भी आनंद ले सकते हैं।
द्वारका बीच
द्वारका में शाम गुजारने के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय सबसे सुन्दर जगह द्वारका बीच है। जहां का संध्याकाल पर्यटकों को काफी आकर्षित करते हैं और संध्याकाल को प्राकृतिक दृश्य देखने लायक होता है। यह समुद्र तट पर्यटकों के बीच अपने समुद्री जीवन, शिविर, समुद्री भ्रमण और पिकनिक के लिए लोकप्रिय है।
गोमती घाट
अगर आप द्वारका में एक खुशनुमा संध्याकाल का आनंद लेना चाहते हैं तो गोमती घाट देखने जरूर जाएं, जो द्वारका में प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। गोमती नदी गंगा नदी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है, जो हिंदू धर्म में अधिक पूजनीय नदियों में से एक है।
इस नदी के मुहाने पर गोमती घाट स्थित थे। द्वारकाधीश मंदिर का दर्शन करने से पहले भक्तजन यहाँ पर आकर स्नान करते हैं। यहां से द्वारकाधीश मंदिर पहुंचने के लिए लगभग 56 सीढ़ियों को चढ़ने की जरूरत पड़ती है। संध्या के समय यहाँ का दृश्य बहुत आकर्षक होता है।
गोमती नदी और अरब सागर के संगम को देखने का भी एक अलग ही आनंद आता है। इस प्राकृतिक सुंदर दृश्य को देखने के अलावा यहां पर आप नाव की सवारी का भी आनंद ले सकते हैं।
डनी पॉइंट
अगर आपको एड्वेंचर करने का शौक है तो द्वारका में बिल्कुल एक ऐसा ही जगह है, जो आपके काम की है। उस जगह का नाम है डनी पॉइंट, जो बैट द्वारका के चरम छोर पर स्थित तीनों ओर से समुद्र से घिरा हुआ है। यहां आप तैराकी, सनबाथिंग, बर्ड वॉचिंग और कैंपिंग का आनद ले सकते हैं।
इतना ही नहीं यहाँ पर कई एड्वेंचर कंपनियां एवं गुजरात पर्यटन के द्वारा रात में ट्रैकिंग, डॉल्फिन देखने और समुद्री जैव विविधता जैसी कई रोमांचिक गतिविधियों लिए समुद्र के किनारे रात्रि शिविर का आयोजन किया जाता है। उस शिविर में आप शामिल हो सकते हैं। यहाँ पर बने टेंटों में आप रात गुजार सकते हैं।
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द्वारका के दर्शनीय स्थल
- समुद्रा नरायन टेम्पल द्वारका
- रुक्मिणी देवी मंदिर
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
- सुदामा सेतु ब्रिज
- द्वारका बीच
द्वारका जाने का समय
द्वारका शहर ज्यादा बड़ा नहीं है। ऐसे में अगर आप द्वारका शहर जाना चाहते हैं तो दो से तीन दिनों की योजना बना सकते हैं। इतने ही दिन में आप पूरे द्वारका को अच्छे से घूम सकते हैं।
बात करें द्वारका किस मौसम में जाए तो द्वारका जाने के लिए सबसे उचित मौसम नवंबर से फरवरी तक का होता है। क्योंकि इस दौरान यहाँ का अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस होता है और न्यूनतम नौ डिग्री सेल्सियस होता है, जो यात्रा के लिए काफी अनुकूल होता है।
वहीं मई से जून जुलाई के महीनों में ज्यादा गर्मी होने के कारण यात्रा करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। वैसे जन्माष्टमी के समय द्वारका में पर्यटकों की काफी ज्यादा भीड़ रहती है।
द्वारका पहुंचने का माध्यम
द्वारका तक पहुंचने के लिए सड़क, रेलवे और हवाई तीनों में से किसी भी मार्ग की सहायता ली जा सकती है। भारत के किसी भी राज्य से इन तीनों मार्गों के जरिए द्वारका शहर पहुंचा जा सकता है।
ट्रेन से द्वारका कैसे पहुंचे?
अगर आप ट्रेन मार्ग के जरिए द्वारका पहुंचना चाहते हैं तो वैसे ट्रेन माध्यम तो यात्रा के लिए बहुत ही सस्ता और सुलभ माध्यम है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि द्वारका में कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं बना हुआ है।
हालांकि यहाँ से नज़दीकी रेलवे स्टेशन जामनगर और राजकोट का पड़ता है। आप भारत के किसी भी शहर से राजकोट या जामनगर पहुँच सकते हैं और फिर वहाँ से रिक्शा या ऑटो से द्वारका शहर पहुँच सकते हैं।
राजकोट से द्वारका 207 किलोमीटर की दूरी पर है, वहीं जामनगर 132 किलोमीटर की दूरी पर है। अहमदाबाद से भी ब्रॉडगेज माध्यम से द्वारका पहुँच सकते हैं।
सड़क से द्वारका कैसे पहुंचे?
द्वारका जाने के लिए सड़क मार्ग का भी प्रयोग किया जा सकता है। आप चाहें तो अपने निजी वाहन से द्वारका जा सकते हैं या गुजरात राज्य की परिवहन बसों के जरिए भी भारत के किसी भी राज्य से या फिर गुजरात के ही किसी जिले से द्वारका पहुँच सकते हैं।
हवाई मार्ग से द्वारका कैसे पहुंचे?
अगर आप द्वारका जल्दी पहुंचना चाहते हैं और हवाई मार्ग का चयन करना चाहते हैं तो बता दें कि द्वारका में कोई भी हवाई अड्डा नहीं है। लेकिन द्वारका का सबसे निकटतम हवाई अड्डा जामनगर हवाई अड्डा पड़ता है, जो 145 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
यह हवाई अड्डा मुंबई, दिल्ली जैसे कई प्रमुख शहरों से जुड़ी हुई है। इसके अतिरिक्त आप भारत के किसी भी हवाई अड्डे से अहमदाबाद पहुँच सकते हैं, जो द्वारका से 463 किलोमीटर की दूरी पर है और यहाँ से बस से द्वारका पहुँच सकते हैं।
द्वारका कैसे घूमे?
अब बात करें द्वारका पहुंचने के बाद द्वारका कैसे घूमें तो द्वारका में घूमने के लिए कई विभिन्न तरह के जगह है, जिसके बारे में हमने आपको उपरोक्त लेख में बताया है।
इन जगहों को घूमने के लिए कम से कम 2-3 दिन का समय चाहिए। आप ऑटो, कैब या ई रिक्शा को बुक करके इन तमाम जगहों को घूम सकते हैं। वैसे द्वारका ज्यादा बड़ा नहीं है तो आप पैदल भी द्वारका घूम सकते हैं, जो ज्यादा मनोरंजक होगा घूमने के लिए।
द्वारका घूमने का खर्चा
अगर आप द्वारका घूमने जाना चाह रहे हैं तो बेशक आप को पहले से ही बजट बनाकर जाना होगा। द्वारका घूमने का खर्चा कितना होगा यह आपके द्वारा वहाँ तक पहुंचने के लिए चयन की गई यात्रा का माध्यम और वहाँ पर कितने दिनों के लिए आप रुकने वाले हैं, उस समय पर निर्भर करता है।
अगर आप द्वारका हवाई मार्ग से जाते हैं तो आपको ज्यादा महंगा पड़ेगा। वहीं आप सस्ते में रेलवे मार्ग से जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त वहाँ पर रुकने और खाने पीने का खर्चा लगेगा। इस तरह अगर आप 4-5 दिन का भी द्वारका टूर का प्लान बनाते है तो कम से कम ₹10,000 से ₹15,000 का बजट एक व्यक्ति का होना जरूरी है।
द्वारका मंदिर दर्शन समय
अगर आप द्वारका जाते हैं और द्वारकाधीश मंदिर का दर्शन करना चाहते हैं तो इसके दर्शन समय के बारे में जानना बहुत ही जरूरी है। द्वारकाधीश मंदिर सुबह 6:30 बजे से लेकर दोपहर 1:00 बजे तक खुला रहता है।
इस बीच भक्तजन मंदिर परिसर में जा सकते हैं और मंदिर में आरती में हिस्सा भी ले सकते हैं। वैसे इस बीच भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना होता है। मंदिर परिसर में घुसने से पहले मोबाइल या कैमरा ले जाने की अनुमति नहीं दी जाती है।
द्वारका धीश से विभिन्न शहरों की दूरी
शहर | दूरी |
---|---|
सूरत | 699 km |
सोमनाथ | 233 km |
अहमदाबाद | 471 km |
बैट द्वारका | 33 km |
दिल्ली | 1411 km |
जयपुर | 1083 km |
कोलकत्ता | 2461 km |
द्वारका से बेट द्वारका की दूरी | 30 km |
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में भगवान श्रीकृष्ण के लोकप्रिय पावन द्वारका के दर्शनीय स्थल के बारे में जाना। द्वारका में घूमने की जगह कौन कौन सी है, द्वारका कब जांये और द्वारका कैसे पहुंचे इन तमाम चीजों के बारे में इस लेख में विस्तृत जानकारी दी।
हमें उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद द्वारका गुजरात के पर्यटन स्थलों के बारे में आप विस्तार से जान पाए होंगे और इससे द्वारका की यात्रा आपके लिए आसान हो जाएगी।
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Jai sri krishna ji…October last week me hotels or dharamshala room mil jata hai ya before booking karana padega
mil jayega
Great informetin
Thank
U
आपकी दी गई जानकारी काफी उपयोगी है
आनेवाले समय में अगर हम द्वारका घूमने जायेंगे तो ये जरूर हमारे काम आयेगी ..
धन्यवाद.. 🙏🙏😊