यहां पर Vrindavan Me Ghumne ki Jagah के बारे में बताएँगे जिसमें, वृंदावन के दर्शनीय स्थल, वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर, places to visit near vrindavan आदि के बारे बताया है।
हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण का अतुलनीय ओहदा है। भगवान कृष्ण को द्वापर युग का अवतरित इंसान माना जाता है। हिंदू धर्म में जितने भी देवताओं का वर्णन किया गया है, उन सभी देवताओं में सबसे अधिक साक्षात देवता का अवतार केवल कृष्ण को माना गया है।
कृष्ण की बाल लीलाओं से वृंदावन भरा पड़ा है। वृंदावन कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है, जो उनके बाल कांड के लिए प्रचलित है। अगर आप वृन्दावन टूरिस्ट प्लेस ढूंढ रहे हैं तो आज के लेख में हम आपको को विस्तार पूर्वक जानकारी प्रस्तुत करेंगे।
वृंदावन मुख्य तौर पर कृष्ण की बाल लीलाओं के लिए प्रसिद्ध है। वृंदावन को कृष्ण की बाल भूमि या बाल कर्म भूमि कहा जाता है। अनेक हिंदू धर्म के कृष्ण भक्त सालों भर वृंदावन की वादियों में श्रद्धालु बनकर आते हैं।
वृंदावन के बारे में रोचक तथ्य
वृंदावन भगवान कृष्ण की याद दिलाता है। यह हिंदू धर्म के लिए काफी पवित्र स्थल माना जाता है। मगर इस मंदिर से जुड़े अनेकों ऐसे राज हैं, जो आपको नहीं पता होगा। हमने कुछ फैक्ट्स नीचे बताए हैं:
- वृंदावन में आज भी बांसुरी की आवाज सुनाई देती है। यह आवाज सुनने के लिए लोग कई रातों तक वृंदावन में रुकते हैं।
- भारत का सबसे ऊंचा मंदिर जिसे प्रेम मंदिर कहा जाता है, जो कृष्ण और राधा को समर्पित है, वह वृंदावन में स्थित है।
- भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, जो वृंदावन से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- वृंदावन में आपको अनेकों ऐसे मंदिर मिल जायेंगे, जिनमें अप्रतिम कारीगरी की गई है।
- वृंदावन में बहुत से ऐतिहासिक धरोहर, सैकड़ों आश्रम और कई गौशालाएं हैं। यहां पर बहुत सारा विधवा आश्रम होने के कारण वृंदावन को विधवाओं का शहर भी कहा जाता है। यहां पर बड़ी संख्या में विधवाएं रहती हैं।
- वृंदावन अपने मंदिर और खूबसूरत वातावरण के साथ प्रमुख हिंदू स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
वृंदावन में घूमने की जगह (Vrindavan Tourist Places in Hindi)
वृंदावन मथुरा से 12 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है। मथुरा, वृंदावन और गोकुल कृष्ण के जीवन से जुड़े कुछ अमूल्य स्थान है। यह तीनों स्थान भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में मिलेंगे।
हर कोई वृंदावन में कृष्ण के बाल कांड को महसूस करने के लिए जाता है। हजारों श्रद्धालु सालों भर वहां कृष्ण और राधा की पूजा करते हैं। वृंदावन कृष्ण की बाल लीलाओं के लिए काफी अधिक प्रचलित है। इस वजह से वहां कृष्ण और राधा की अनेकों मूर्तियां हैं।
हम कृष्ण और राधा की प्रेम कथा के बारे में तो जानते ही हैं। ऐसी ही प्रेम की निशानी है वृंदावन। इस प्रचलित गांव में अनेकों वन, उपवन और मंदिर है, जिन्हें आप देखना चाहेंगे।
केसी घाटो
केसी घाट वृंदावन के धार्मिक स्थलों में से एक है। भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन का ज्यादातर समय वृंदावन में बिताया था और माना जाता है। इसी घाट पर भगवान श्री कृष्ण ने दुष्ट राक्षस केसी का वध किया था और उसके अत्याचार और दुष्टता से उनके मित्र व समुदायों को बचाया था।
धन वाणी
वृंदावन में घूमने लायक जगह में से एक धनवाणी है। माना जाता है भगवान श्री कृष्ण यहां पर रासलीला क्या करते थे। यहां पर सुबह 5:00 बजे से शाम के 8:00 बजे तक घूमने के लिए आ सकते हैं।
बंसीवट
वृंदावन में स्थित बंसीवट में पर्यटक को अत्यंत ही सुखद की अनुभूति होता है। इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण शरद पूर्णिमा के दिन वृंदावन के सभी गोपियों के साथ महारास लीला किए थे।
यहां पर एक वट का वृक्ष है, जो 5500 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। इसी वृक्ष के नीचे भगवान श्री कृष्ण ने बांसुरी बजाई, जिसकी मधुर धून सुन वृंदावन की सभी गोपियां अपने सभी कामकाज भूलकर इस पेड़ की ओर दौड़ पड़ी।
कहा जाता है कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से शिकायत की कि आप हमेशा राधा के साथ ही रासलीला करते हैं, जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण यहां पर वृंदावन के सभी गोपियों के साथ अनेकों रूप लेकर रासलीला खेले थे। कहा जाता है कि वंशीवट की तरफ कोई बरगद का वृक्ष नहीं है। इसलिए वृंदावन की यात्रा के दौरान श्रद्धालु निश्चित रूप से यह जगह घूमने आते हैं।
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राधा दामोदर मंदिर
श्री राधा दामोदर मंदिर वृंदावन के खूबसूरत धार्मिक पर्यटन स्थलों में से एक है, जो दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर वृंदावन में स्थित सात गोस्वामी मंदिरों में से एक है, जिसकी स्थापना 1542 में एक गुरु श्रील जीवा गोस्वामी द्वारा की गई थी।
मुगल काल में औरंगजेब ने इस मंदिर पर हमला भी किया, जिसके कारण इस मंदिर का काफी नुकसान हुआ। जिसके बाद 1740 में मूर्ति को जयपुर में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस मंदिर में दो प्रमुख खंड है। प्रार्थना कक्ष और दूसरे कक्ष में श्रील जीवा गोस्वामी, कृष्ण दास कविराज गोस्वामी, भुगर्भ गोस्वामी और श्रील रूप गोस्वामी की समाधि मौजूद है।
इस मंदिर में श्री दामोदर के साथ श्री राधा रानी और ललिता साक्षी की मूर्तियां हैं। इस मंदिर का दर्शन करने आने वाले भक्त अक्सर राधा दामोदर मंदिर की 4 परिक्रमा करते हैं। सुबह के 6:30 बजे से शाम के 9:30 बजे तक श्रद्धालु इस मंदिर का दर्शन करने आ सकते हैं।
यमुना नदी
वृंदावन शहर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है, जिसके कारण यह नदी वृंदावन में बेहद महत्व रखता है। यमुना नदी का भगवान श्री कृष्ण से गहरा संबंध है। यमुना नदी को भगवान श्री कृष्ण की बहन कहा जाता है। यह नदी गंगा के समान ही भारत की पवित्र नदी है।
ऐसी मान्यता है कि जो इस नदी के पावन जल में डुबकी लगाता है भगवान श्री कृष्ण जी उसके सभी पाप माफ कर देते हैं और उस व्यक्ति की शरीर और आत्मा शुद्ध हो जाती हैं। यही कारण है कि वृंदावन आने वाला हर एक श्रद्धालु यमुना नदी में डूबकी जरूर लगाता है। वृंदावन में यमुना नदी के बहुत सारे घाट है। यमुना नदी के घाटों पर नांव सवारी का भी विलुप्त उठा सकते हैं।
रंगजी मंदिर
वृंदावन-मथुरा मार्ग पर स्थित रंगजी मंदिर जो भगवान विष्णु के 108 दिव्य देशों में से एक हैं। इस मंदिर को श्री रंगनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जिसका निर्माण 1851 में किया गया था।
इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के दूल्हे रूप में मूर्ति स्थापित की गई है और इनकी दुल्हन अंडाल हैं। इस तरह इस मंदिर में भगवान कृष्ण और अंडाल की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर को उत्तर भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक माना जाता है।
मंदिर में पानी की भी व्यवस्था की गई है। इसके साथ यहां पर एक उद्यान भी है। इस मंदिर में दर्शकगण सुबह 6:00 बजे से रात्रि के 11:00 बजे तक आ सकते हैं।
राधाबल्लभ मंदिर
वृंदावन में एक और खूबसूरत दर्शनीय स्थल राधावल्लभ मंदिर है। यह मंदिर बांके बिहारी मंदिर से कुछ ही दूर गौतम नगर के पास स्थित है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।
यहां उन्हें राधावल्लभ के नाम से पूजा जाता है, जिसका अर्थ है राधा की पत्नी। इस मंदिर का निर्माण 1585 ईसवी में हरिवंश महाप्रभु के पुत्र श्री वन चंद्र के शिष्य सुंदर दास भटनागर ने किया था।
इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी दोनों का एक साथ दर्शन पा सकते हैं। वह दो नहीं बल्कि एक ही है कृष्ण और राधा एक दूसरे में समाहित है। कहा जाता है कि इन दोनों का दर्शन उन्हें मिलता है, जो सच्ची श्रद्धा से इस मंदिर में आता है।
मंदिर की वास्तुकला बेहद शानदार है। मंदिर के साज सजावट के कारण यह काफी आकर्षक लगता है। मंदिर के निर्माण में लाल बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। मंदिर की दीवार 10 फीट मोटी है।
कुछ लोक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि यह मंदिर उसी स्थान पर बना है जहां पर रासलीला के दौरान राधा रानी थक कर बैठ गई थी तब भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उनका पैर दबाने लगे थे। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के दुर्लभ दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ रहती हैं।
यह मंदिर हर दिन सुबह 5:00 बजे से दोपहर के 12:00 बजे तक और शाम के 6:00 बजे से लेकर 9:00 बजे तक खुला रहता है।
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प्रेम मंदिर
वृंदावन का कृष्ण और राधा के प्रेम लीला की वजह से भी जाना जाता है। इस वजह से वहां एक प्रसिद्ध प्रेम मंदिर बनाया गया है, जिसे बनाने में 11 वर्ष का समय और 100 करोड़ से अधिक की धनराशि लगी है। प्रेम मंदिर इटालियन करारा मार्बल से बना हुआ है। इस मंदिर पर जो कारीगरी की गई है, उस को देखकर आप भारतीय संस्कृति और शिल्प कला के नए रूप को देख पाएंगे।
मंदिर का निर्माण साल 2012 में जगत गुरु कृपालु जी महाराज के द्वारा शुरू किया गया था। मंदिर के परिसर में भगवान श्री कृष्ण, राधा, गोपियां और ब्रज वासियों के अनेक लीलाओं को मूर्तियों के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जो बहुत ही जीवंत लगता है।
प्रेम मंदिर खुलने का समय पूरे सप्ताह सुबह 5:30 बजे से रात के 8:30 बजे तक है। रात के समय मंदिर में लगी रंग बिरंगी लाइटों के कारण मंदिर और भी खूबसूरत लगता है।
कुसुम सरोवर
वृंदावन में स्थित कुसुम सरोवर गोवर्धन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर राधा कुंड के निकट स्थापित की गई है। यह स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट नमूना है, जिसका निर्माण जवाहर सिंह द्वारा उनके पिता सूरजमल की स्मृति में किया गया था।
उस दौरान यह कुंड कच्चा था। लेकिन 1675 के बाद ओरछा के राजा जिनका नाम राजा वीर सिंह था, उन्होंने इस कुंड को पक्का करवाया। उन्होंने अपनी रानी किशोरी के लिए यहां पर बाग बगीचे का भी निर्माण कराया, जिससे यह कुंड वर्तमान में काफी सुंदर और मनोरम लगता है।
मानसरोवर
वृंदावन की यात्रा में एक और खूबसूरत जगह मानसरोवर शामिल है। यह एक खूबसूरत झील है, जो वृंदावन के मुख्य शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर माठ तहसील में स्थित है।
इस झील को लेकर एक पौराणिक मान्यता है कि इस झील का निर्माण राधा की आंसुओं से हुआ था। कहा जाता है कि मथुरा जाने से पहले भगवान श्री कृष्ण वृंदावन के सभी गोपियों से इसी स्थान पर मिलते हैं और उनके साथ रासलीला करते हैं।
वह रासलीला इतनी खूबसूरत थी कि स्वयं भगवान शिव जी भी नारी का रूप लेकर इस रासलीला में शामिल होने के लिए आ गए थे। भगवान श्री कृष्ण शिव जी के इस रूप को पहचान गए थे और वे उनके साथ भी नृत्य करने लगे थे, जिसे देख राधारानी रुष्ट होकर एक पहाड़ी पर जाकर बैठ गई और रोने लगी।
वहीं पर उनके बहते आंसुओं से यह मानसरोवर झील उत्पन्न हुई। यह झील और उसके आसपास का वातावरण इतना मनमोहक है कि यहां से आपको जाने का मन नहीं करेगा।
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मदन मोहन मंदिर
वृंदावन में स्थित मदन मोहन मंदिर वैष्णव संप्रदाय का एक मंदिर है। हालांकि इस मंदिर के निर्माण और शिल्प के संबंध में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन प्रचलित कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि एक रामदास खत्री नामक व्यापारी हुए थे, जो अपने व्यापार से लदे हुए नाव से यमुना को पार करके आ रहे थे।
उसी दौरान उनकी नांव यमुना में फंस गई तब उन्होंने मदन मोहन जी की प्रार्थना की और भगवान मदन मोहन ने उन्हें दर्शन दिया। इसके बाद यहां पर मदन मोहन की मंदिर स्थापित की गई।
इस्कॉन मंदिर
1975 में इस्कॉन मंदिर को हजार से भी अधिक संस्कारों ने मिलकर वृंदावन में ऐसी जगह बनाया है, जहां माना जाता है कि भगवान कृष्ण वहां अपने दोस्तों के साथ खेलने और गया चढ़ाने आते थे।
इस्कॉन संस्था को तो लगभग आज पूरी दुनिया में सब कोई जानता है। हिंदू धर्म के प्रचारक के तौर पर इस संस्था को पूरे विश्व में प्रचलित मान्यता दी गई है।
बांके बिहारी मंदिर
अकबर के नवरत्न में शामिल तानसेन को लगभग हर कोई जानता है। उनके गुरु स्वामी हरिदास ने अपने भगवान श्री कृष्ण के लिए निर्माण आज से कई साल पहले किया था।
इस मंदिर में राजस्थान के कारीगरों ने खासतौर पर नक्काशी की है, जिसे देखने के लिए पूरे विश्व से लोग आते हैं। अगर आप भगवान श्री कृष्ण के अनुयाई हैं तो आपको इस मंदिर में अवश्य आना चाहिए।
श्री वृंदाकुंड
श्री वृंदा कुंड वृंदावन में स्थित ऐसी पवित्र और धार्मिक जगह है, जहां पर बैठकर वृंदा देवी रोज भगवान श्री कृष्ण और राधा के द्वारा बिताए जाने वाले दिनों के बारे में विचार करती थी। यहां पर वृंदा देवी की सुंदर प्रतिमा भी स्थापित हैं।
निधिवन
वृंदावन में स्थित अनेकों खूबसूरत दर्शनीय स्थलों में से एक निधिवन है। यह वृंदावन में स्थित सबसे रहस्यमई जगह है। निधिवन मंदिर प्रेम मंदिर से तकरीबन 4 किलोमीटर और बांके बिहारी मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कहा जाता है कि यह वही स्थान है, जहां पर भगवान श्री कृष्ण राधा रानी का श्रृंगार किये थे और उनके साथ महारास लीला की थी। वृंदावन की यात्रा के दौरान श्रद्धालु निधिवन घूमने जरूर आते हैं।
निधिवन में भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण का शयनकक्ष भी है। मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की खूबसूरत प्रतिमा विराजमान है। यह स्थान रहस्यमय है क्योंकि कहा जाता है आज भी भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी रासलीला करने के लिए यहां पर आते हैं।
यही कारण है कि शाम ढलते ही निधिवन के मंदिर बंद होने से पहले ही सभी जीव जंतु और मनुष्य यहां से चले जाते हैं। क्योंकि अगर कोई भी प्राणी दिव्य शक्ति को देख ले तो वह जीवित नहीं रह सकता है।
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सेवा कुंज
अगर वृंदावन की यात्रा के दौरान आप एक ऐसे जगह की तलाश में है, जहां पर आपको शांति का अनुभव हो और शांत वातावरण में आप मेडिटेशन कर सके तो वृंदावन का सेवा कुंज बहुत ही प्रसिद्ध जगह है।
कहा जाता है इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण और राधा ने बहुत समय व्यतीत किए थे। यहां पर खूबसूरत पेड़ और फूल पौधे हैं, जो यहां के वातावरण को बहुत ही मनमोहक बना देते हैं।
साधना करने के लिए यह जगह बहुत ही उचित है। यहां पर बैठने पर आपको शांति की अनुभूति होगी और आपको भगवान श्री कृष्ण के साथ निकटता महसूस होगी। यही कारण है कि वृंदावन की यात्रा के दौरान ज्यादातर लोग इस खूबसूरत जगह पर कुछ पल शांती के बिताने आते हैं।
वैष्णो देवी मंदिर
वृंदावन में एक और दर्शनीय स्थल वैष्णो देवी मंदिर है। यह मंदिर बांके बिहारी मंदिर से तकरीबन 8 किलोमीटर की दूरी पर और प्रेम मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
यह मंदिर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है। इस मंदिर के गर्भ ग्रह में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की प्रतिमाएं स्थापित की गई है। मंदिर के अंदर मां दुर्गा की 141 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा है। प्रतिमा के नीचे मां के चरणों में भगवान हनुमान जी बैठे हुए हैं।
गोविंद देव मंदिर
वृंदावन में घूमने लायक दार्शनिक स्थलों में से एक गोविंद देव मंदिर भी है, जो वैष्णव संप्रदाय का मंदिर है। इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही अनोखी है। इस मंदिर का निर्माण लाल रंग के पत्थरों से किया गया है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जिसका निर्मल 1550 ईसवी में किया गया था।
इस मंदिर की भव्यता का बखान करते हुए एक उद्धरण है कि जब औरंगजेब शाम को टहल रहे थे तब दक्षिण पूर्व से दूर से उन्हें एक रोशनी दिखी, जिसके बारे में पूछे तो पता चला कि यह चमक वृंदावन की इस भव्य मंदिर की है। 1670 में इस मंदिर का पुनः निर्माण कराया गया था।
पागल बाबा मंदिर
वृंदावन में एक 10 मंजिला मंदिर है, जो काफी खूबसूरत दिखता है। वह संगमरमर यह 10 मंजिली इमारत अपनी खूबसूरती से किसी का भी देना अपने वश में कर सकती है, वह मंदिर मार्ग के फूल के समान दिखती है।
माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण राधे के लिए यही अपनी बांसुरी बजाया करते थे। इस मंदिर की सुंदरता इतनी भव्य है कि कई घंटों तक लोग इसे दूर से निहारते रहते हैं।
इस मंदिर की खासियत यह है कि यह मंदिर सभी धर्म के लोगों को एकजुट और भाईचारा के साथ रहने का संदेश देता है। क्योंकि यह 10 मंजिले वाले मंदिर में पहले मंजिल में चर्च, दूसरे में मस्जिद, तीसरे में गुरुद्वार और चौथे में सनातन धर्म के मंदिर स्थित है।
मंदिर 800 फीट लंबा और 120 फीट चौड़ा क्षेत्र में फैला हुआ है। श्रद्धालु सुबह 5:30 बजे से लेकर दोपहर के 11:00 बजे और दोपहर के 3:00 बजे से रात के 9:00 बजे तक इस मंदिर का दर्शन कर सकते हैं।
कालियादेह घाट
वृंदावन में अनेकों दर्शनीय स्थलों में से एक खूबसूरत दर्शनीय स्थल कालियादेह घाट भी है। कहा जाता है कि यह वही घाट है, जहां पर भगवान श्री कृष्ण कदम वृक्ष पर चढ़कर इस नदी में कूदे और कालिया नाग के ऊपर चढ़कर नृत्य किए थे और यमुना नदी को कालिया नाग के जहर से मुक्त किये थे।
प्राचीन समय में इसी स्थान से यमुना नदी बहा करती थी, जो अब वर्तमान में 100 मीटर आगे खिसक चुकी है।
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वृंदावन के आसपास घूमने लायक जगह (Place to Visit Near Vrindavan)
वृंदावन के आसपास भी ऐसी कई जगह है, जहां आप घूमकर आनंद ले सकते हैं:
- कृष्ण जन्म भूमि मंदिर
- प्रेम मंदिर
- जामा मस्जिद
- कुसुम सरोवर
- द्वारकाधीश मंदिर
- रंगजी मंदिर
वृंदावन में 1 दिन में घूमने लायक जगह (Place to Visit in Vrindavan in One Day)
यदि आप वृंदावन आये है और आपके घूमने के लिए सिर्फ एक दिन का समय है तो आप निम्न जगह पर घूम सकते हैं:
- पागल बाबा मंदिर
- सेवा कुंज और निधिबन
- शाहजी मंदिर गोवर्धन हिल
- बांके बिहारी मंदिर
- गोविंद देव मंदिर
- श्री वृंदाकुंड
- इस्कॉन मंदिर
- मदन मोहन मंदिर
- गोविंद देव मंदिर
- राधा दामोदर मंदिर
वृंदावन के प्रसिद्ध और स्थानीय भोजन
वृंदावन में लोग वृंदावन में श्रद्धालु बन कर रह जाते है और कृष्ण के अनुयाई पूजा के भाव से जाते हैं। यह स्थान में हिंदू धर्म में काफी अधिक महत्व रखता है। यहां पूजा पाठ करने का इतना अधिक वातावरण होता है कि लोग खाने पीने पर ध्यान नहीं देते।
लेकिन अगर आप वृंदावन घूमने जा रहे हैं और वहां से कुछ खाने की प्रसिद्ध चीज लेकर आना चाहते हैं तो आपको बता दे वृंदावन उत्तर प्रदेश में स्थित है। इस वजह से अब उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध चीज खाने में लेकर आ सकते हैं।
भगवान श्री कृष्ण के साथ गाय का एक अनूठा रिश्ता रहा है। इस वजह से आप यह समझ सकते है कि दूध काफी अधिक होता है, इस वजह से दूध से बनने वाली चीज काफी अधिक प्रसिद्ध है।
खास तौर पर वृंदावन का पेड़ा दुनिया भर में प्रसिद्ध है। वृंदावन में माखन, घी और पेड़ा काफी अधिक प्रसिद्ध है। तो अगर आप वृंदावन में घूमने जा रहे हैं तो वहां से पेड़ा और माखन लाना ना भूलें, जो भगवान श्री कृष्ण को भी काफी अधिक पसंद है।
वृंदावन में रुकने की जगह (Vrindavan me Rukne ki Jagah)
अगर आप कुछ दिन की छुट्टी में वृंदावन घूमने जा रहे हैं तो आपको बता दें वृंदावन में अनेकों रुकने की जगह है। वृंदावन में प्रेम मंदिर, कृष्ण बलराम मंदिर, पागल बाबा का मंदिर कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां श्रद्धालुओं के लिए रुकने का अच्छा व्यवस्था किया गया है।
इसके अलावा आपको वृंदावन में एक से एक धर्मशाला और सराय मिल जाएंगे, उनमें से कुछ ₹500 से भी कम में उपलब्ध है। आपको कुछ ऐसे एसी डीलक्स रूम भी मिल जाएगी, जो ₹5000 प्रति बेड चार्ज करती है।
अगर इन प्रचलित मंदिर के अलावा आप कोई खास आश्रम में रुकना चाहते है तो हम आपको श्री राधा दामोदर धाम के आसर्म कम होटल का सुझाव देंगे, जहां आप कुछ दिन के लिए रुक सकते है।
यहां आपको ₹800 में अच्छी रुकने की सुविधा मिल जाएगी। इसके अलावा आपको और भी विभिन प्रकार के आश्रम और धर्मशाला मिल जायेंगे, जहाँ आप काम पैसे में रुक सकते है। अगर आपका बजट अच्छा है तो आपको एसी बिना एसी वाले होटल रूम भी मिल जाएंगे।
इसके अलावा हम अपने अनुभव से बताएं तो निधिवन सरोवर जो इस्कॉन मंदिर से थोड़ी दूर है, वहां रुकने के लिए काफी अच्छी जगह है। वहां उतना आरामदायक व्यवस्था किया गया है और उसके साथ ही आपको वृंदावन के जायकेदार खाने का लुफ्त उठाने का मौका भी मिलेगा। वहां से आपको वृंदावन के सभी मंदिर में जाने के लिए सीधे ऑटो या टैक्सी की सुविधा मिल जाएगी।
वृंदावन जाने का सबसे अच्छा समय
वृंदावन आप साल के किसी भी मौसम में जा सकते हैं। मगर सबसे खूबसूरत नजारा और सेल्फी खींचने लायक फोटो आपको नवंबर के महीने में मिलेगा।
वृंदावन उत्तर प्रदेश में है, जहां ठंड दक्षिण भारत के मुकाबले अधिक पड़ता है। इस वजह से हम सुझाव देंगे कि अगर आप भारत के निचले भाग से आ रहे हैं तो पर्याप्त मात्रा में ठंड से बचने के लिए स्वेटर और उन्हीं कपड़े लेकर आए।
ऐसा इस वजह से क्योंकि वृंदावन का नजारा ठंड के मौसम में कुछ अलग ही प्रतीत होता है। वहां ठंड के मौसम में आपको इतनी खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे कि आप “वाह” बोलने से रुकेंगे नहीं।
ठंड के मौसम के अलावा होली का महीना भी वृंदावन घूमने की एक खूबसूरत जगह है। कृष्ण और गोपियों की रासलीला किसी से नहीं छुपी है। इस वजह से होली के दिन वृंदावन में एक अलग ही किस्म की धूम मची रहती है।
आपको मार्च के महीने में होली में कुछ दिन बाकी हो तब वृंदावन जाना चाहिए। वहां की होली काफी चर्चित मानी जाती है। उस को देखने के बाद आप काफी अच्छा महसूस करेंगे।
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वृंदावन कैसे जाएं?
अगर आप उत्तर प्रदेश के किसी इलाके से वृंदावन जा रहे हैं तो आपको वहां जाने के लिए रेल मार्ग हवाई मार्ग और सड़क मार्ग के अनेकों विकल्प मिल जाएंगे। हम इनके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी नीचे दे रहे हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद आप किसी अन्य राज्य से भी वृंदावन घूमने आ सकते हैं।
अगर आप दिल्ली या उसके आसपास के इलाके से वृंदावन जाना चाहते हैं तो उस रास्ते पर सबसे तेज चलने वाली ट्रेन शकूरबस्ती मथुरा एक्सप्रेस है, जो शाम को 7:00 बजे दिल्ली के रेलवे स्टेशन से रवाना होती है।
अगर आप उत्तर प्रदेश के किसी अन्य जगह से ताल्लुक रखते हैं तो मशहूर ताज एक्सप्रेस का नाम आपने सुन रखा होगा। वह भी मथुरा जाने के लिए लोगों की लोकप्रिय एक्सप्रेस ट्रेन है।
रेल मार्ग से वृंदावन कैसे जाएं?
अगर आप भारत के किसी अन्य राज्य से वृंदावन घूमने जाना चाहते हैं तो हम सुझाव के रूप में आपको कहेंगे कि किसी एप्लीकेशन या रेलवे स्टेशन से जाकर वृंदावन जाने वाली ट्रेन के बारे में सटीक जानकारी एकत्रित कर लें।
आपको उत्तर प्रदेश आने के लिए कोई भी ट्रेन मिल जाएगी और उत्तर प्रदेश में लगभग सभी ट्रेन वृंदावन रेलवे स्टेशन पर जाती है।
सड़क मार्ग से वृंदावन कैसे जाएं?
वृंदावन जाने के लिए आपको बहुत सारे बस की सुविधा मिल जाएगी। मगर सुझाव के तौर पर हम आपको कहेंगे कि पहले मथुरा जाने वाले बस को चुने। मथुरा जाने के लिए आपको काफी सस्ते और जल्दी बस की सुविधा मिल जाएगी।
आप चाहे किसी भी राज्य से हो आपको उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध शहर मथुरा जाने का सड़क मार्ग किसी भी बस के जरिए मिल जाएगा। अगर ऐसा संभव ना हो तो आप उत्तर प्रदेश के किसी भी शहर के लिए एक बस ले लें और फिर आपको उत्तर प्रदेश के किसी शहर से मथुरा के लिए बस मिल जाएगी।
मथुरा से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर वृंदावन शहर स्थित है, जहां आप किसी भी ऑटो, टैक्सी या टेंपो के जरिए जा सकते हैं।
हवाई मार्ग से वृंदावन कैसे जाएं?
लगभग किसी भी राज्य से आपको वृंदावन जाने के लिए हवाई मार्ग के अनेकों हवाई जहाज मिल जाएंगे। अगर आप वृंदावन किसी और राज्य से जाना है तो आपको किसी भी राज्य से उत्तर प्रदेश के लखनऊ एयरपोर्ट तक के लिए हवाई जहाज मिल जाएगा।
ऐसा इस वजह से कह रहे हैं, क्योंकि मथुरा वृंदावन में एयरपोर्ट की सुविधा मौजूद नहीं है। लखनऊ एयरपोर्ट से आपको बस या सड़क मार्ग के किसी भी गाड़ी से वृंदावन तक जाना होगा।
अगर आप वृंदावन से बहुत दूर रहते हैं तो हवाई जहाज से आप लखनऊ तक आ सकते हैं। उसके बाद किसी सड़क मार्ग के रास्ते या लोकल ट्रेन के जरिए मथुरा स्टेशन या वृंदावन तक आ सकते हैं।
मुख्य शहरों से वृंदावन की दूरी निम्न है:
मुख्य शहर | दूरी |
---|---|
दिल्ली | 181.5 km |
मुंबई | 1,271.8 km |
जयपुर | 232.9 km |
लखनऊ | 398.6 km |
चेन्नई | 2,032.6 km |
कोलकाता | 1,405.0 km |
वृंदावन घूमने में कितना खर्च आएगा?
अगर आप वृंदावन घूमना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि वहां घूमने में आपको कितना खर्च आएगा। तो बता दें वृंदावन हिंदुओं का पवित्र स्थल है, जिसे घूमने फिरने से ज्यादा पूजा पाठ करने के लिए प्रचलित माना जाता है और पूजा करने में अधिक खर्च नहीं आता। इस वजह से हम कह सकते हैं कि वृंदावन कम पैसों में छुट्टी मनाने की सबसे अच्छी जगह है।
इस स्थान पर आपको घूमने के लिए अनेकों खूबसूरत उपवन और नजारे देखने को मिलेंगे। इसके अलावा भारत के प्रसिद्ध शिल्पकारों द्वारा रची गई अनेकों कलाकृतियां मंदिर पर साफ नजर आती है, जो इस जगह को अत्यधिक खूबसूरत बनाती है। मगर उन मंदिरों में घूमने के लिए आपको किसी भी प्रकार का शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है।
सरल शब्दों में खर्च की बात करें तो आप कम से कम ₹500 और अधिक से अधिक ₹5000 में रहने की शानदार जगह है, वृंदावन में पा सकते हैं। इसके अलावा खाने-पीने में आप अपने अनुसार खर्चा कर सकते हैं। एक व्यक्ति ₹500 में भी वृंदावन घूम सकता है और ₹5000 में भी आलीशान तरीके से वृंदावन घूम सकता है।
उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध शहर के बीच में स्थित होने की वजह से यहां तक पहुंचने के लिए आप को बड़ी सरलता से सड़क मार्ग ट्रेन मार्ग और वायु मार्ग के रास्ते मौजूद है। वृंदावन में जाकर बड़ी आसानी से आप किसी आश्रम या होटल में रुक सकते हैं।
वहां के नजारा और मंदिर के शिल्पकारी को देखने के लिए आपको किसी भी प्रकार का शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है। इस वजह से अब बड़ी ही कम दाम में वृंदावन आसानी से घूम सकते हैं। आप 1 से 2 दिन की छुट्टी में भी पूरा वृंदावन घूम सकते हैं।
वृंदावन घूमने के लिए साथ में क्या रखें?
वृंदावन में घूमने के लिए आपको अनेकों मंदिर देखने को मिलेंगे। इस वजह से पूजा की सामग्री अपने पास रख लें।
इसके अलावा भी कुछ अन्य आवश्यक चीजें हैं, जो किसी भी सफर में आप के लिए बहुमूल्य साबित हो सकती है, जिसकी एक संक्षिप्त सूची आपको नीचे प्रस्तुत की गई है।
- वृंदावन एक प्रसिद्ध स्थल है, जहां अब बड़ी आसानी से मंदिर और हिंदुओं के पवित्र स्थल को देख पाएंगे। इस वजह से हम आपको सुझाव देंगे कि पूजा पाठ करने के लिए सामान ना लेकर जाएं। क्योंकि वहां आपको पूजा पाठ करने के लिए सभी प्रकार की सुविधा मिल जाएगी।
- वृंदावन घूमने का सबसे सही समय ठंड के मौसम में होता है। उत्तर प्रदेश में होने की वजह से वृंदावन में ठंड काफी अधिक पड़ती है। इस वजह से आपको गर्म कपड़े ऊनी कपड़े रखने की आवश्यकता है। अगर आप उत्तर प्रदेश के आसपास के इलाकों से है तो आपको वहां के ठंड का अंदाजा होगा। मगर आप किसी अन्य राज्य से आ रहे हैं तो आपको बता दें कि वहां काफी अधिक ठंड होती है। अगर आप मार्च में होली मनाने के लिए वृंदावन जा रहे हैं तो अधिक ठंड वाले कपड़े ले जाने की आवश्यकता नहीं है। मगर फिर भी छोटे-मोटे गर्म कपड़े की जरूरत फिर भी आपको पड़ सकती है।
- कोरोना के बाद आप कहीं भी घूमने जा रहे हैं आपको अपने साथ टीकाकरण की वेरिफिकेशन कागज रखना आवश्यक है। अगर अपने कोरोना की दोनों टीकाकरण प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पार कर लिया है तो इसकी एक आवश्यक वेरिफिकेशन कागज अपने पास रख लें। इसके अलावा अपना आईडी कार्ड और जिस मार्ग से आप जा रहे हैं, उसके आवश्यक टिकट और अन्य दस्तावेज के साथ आवश्यक पैसे अपने साथ रख लें।
- पूरा वृंदावन आप दो से तीन दिन में घूम सकते हैं। इस वजह से आपको अत्यधिक सामान ले जाने की आवश्यकता नहीं है। अपनी आवश्यकता अनुसार ही समान लेकर जाएं।
वृंदावन फोटो गैलरी (Vrindavan Tourist Places Images)
निष्कर्ष
इस महत्वपूर्ण लेख में आपको वृन्दावन में जाने की जगहें, वृंदावन पर्यटन स्थल, वृन्दावन में घूमने की जगह (Vrindavan Me Ghumne ki Jagah), वृंदावन के दर्शनीय स्थल से संबंधित विस्तार पूर्वक से जानकारी प्रदान की है।
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