10+ पुरी में घूमने की जगह, खर्चा और जाने का समय

Puri Me Ghumne ki Jagah : पुरी भारत के ओडिशा राज्य का एक शहर है, जो समुद्र तट पर बसा हुआ है। यह शहर भगवान जगन्नाथ के मंदिर के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। यह शहर एक धार्मिक स्थल है, जिस कारण यहां पर लाखों की संख्या में प्रत्येक वर्ष श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं।

Puri Me Ghumne ki Jagah

श्री जगन्नाथ मंदिर के अतिरिक्त भी अन्य कई प्राचीन मंदिर पुरी में स्थापित है। इसके अतिरिक्त पुरी का समुद्र तटीय भी काफी प्रसिद्ध है, जहां पर पर्यटकों की भीड़ हमेशा ही जमा रहती हैं। यदि आप भी पुरी जाने की योजना बना रहे हैं तो बिल्कुल सही लेख पर आए हैं क्योंकि आज के लेख में हम आपको पुरी की यात्रा से जुड़ी आवश्यक जानकारी देने वाले हैं तो लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

पुरी में घूमने की जगह | Puri Me Ghumne ki Jagah

पुरी के बारे में रोचक तथ्य

  • पुरी में आयोजित होने वाली जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा देशभर में प्रख्यात है।
  • पुरी में स्थित भगवान श्री कृष्ण को समर्पित मंदिर जगन्नाथपुरी भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
  • इतिहास में कभी पुरी में भील जाति के लोगों का शासन हुआ करता था।
  • पुरी का समुद्र तट भारत के सबसे साफ सुथरे समुद्र तटों में से एक है।
  • पुरी के जगन्नाथ मंदिर में आयोजित होने वाला लंगर दुनिया का सबसे बड़ा लंगर माना जाता है।

पुरी में लोकप्रिय पर्यटक स्थल ( Puri Tourist Places in Hindi)

पुरी बीच

यदि आप पुरी जाते हैं तो वहां के साफ-सुथरे और सफेद मिट्टी और कांच जैसे साफ पानी में स्नान करने का आनंद ले सकते हैं। हम बात कर रहे हैं पुरी बीच की, जो श्री जगन्नाथ मंदिर से मात्र 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस बीच को भारत के सबसे साफ और सुंदर समुद्र तटों में से एक माना जाता है।

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Golden Beach
Image: Golden Beach

इस बीच पर आपको विभिन्न राज्यों और शहरों से आए भारतीयों के अतिरिक्त कई विदेशी इस बीच के सुंदर वातावरण का आनंद लेते हुए नजर आ जाएंगे। यहां पर समुद्र से मिलने वाली मोती और अन्य प्रकार के सामानों को स्थानीय विक्रेता बेचते हैं।

इस बीच पर सबसे अत्यधिक आनंद नवंबर के महीने में आता है क्योंकि इस महीने में यहां पर पुरी बीच महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोगों के अलावा देश-विदेश के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा

पुरी भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। यह रथयात्रा जून और जुलाई माह के समय निकाली जाती है, जिस दौरान श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है।  यह रथयात्रा यहां से शुरू होते हुए यहां से कुछ दूर स्थित गुंडिचा मंदिर तक जाकर समाप्त होता है। यह रथयात्रा लगभग 9 दिनों तक चलता है।

Ratha Yatra
Image: Ratha Yatra

इस रथयात्रा के दौरान कई सारे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, इसके साथ ही भगवान श्री जगन्नाथ , उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की लकड़ी की प्रतिमा बनाकर विशाल रथ पर स्थापित किया जाता है।

यह रथयात्रा 5 किलोमीटर तक की दूरी की होती है। यदि आप पुरी के इस धार्मिक और प्रसिद्ध रथयात्रा में शामिल होना चाहते हैं तो आपको जून से जुलाई महीने के बीच में पुरी जाना पड़ेगा।

जगन्नाथ मंदिर

पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान देशभर में प्रख्यात है और उड़ीसा का पुरी शहर जगन्नाथ मंदिर के लिए ही जाना जाता है। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के अतिरिक्त उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विग्रह भी स्थापित किए गए हैं।

Shri Jagannatha Temple Puri
Image: Shri Jagannatha Temple Puri

इन तीनों विग्रह को एक विशेष प्रकार की लकड़ी से बनाया गया है, जिसे 12 वर्ष में बदल दिया जाता है। इस मंदिर में चार प्रमुख द्वार बनाए गए हैं और मुख्य मंदिर में चार कक्ष बने हुए हैं। इस मंदिर में आयोजित होने वाला लंगर दुनिया का सबसे बड़ा लंगर माना जाता है।

इस रसोई में बनने वाला भोजन कभी भी श्रद्धालुओं के लिए कम नहीं होता। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में गंग वंश के शासकों द्वारा किया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला भी बहुत उत्कृष्ट और आकर्षक है।

नरेंद्र पोखरी

नरेंद्र पोखरी जिसे नरेंद्र टैंक भी कहा जाता है। यह एक विशाल और पवित्र तालाब है, जो पुरी के जगन्नाथ मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर दंडी माला साही क्षेत्र में बना हुआ है। इस पोखरी को ओडीशा का सबसे बड़ा टैंक कहा जाता है। इस पोखरी का निर्माण 15 वी शताब्दी में राजा नरेंद्र देव राय द्वारा कराया गया था।

Narendra Pokhari
Image: Narendra Pokhari

यह तालाब जमीन से 10 फीट नीचे की गहराई तक का है। इस पोखरी के मध्य भाग में एक मंदिर भी स्थापित है जिसे चंदन मंडप कहा जाता है। इसके अतिरिक्त आसपास के क्षेत्र में भी कई छोटे-बड़े मंदिर स्थापित किए गए हैं। इस पवित्र तालाब में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं के लिए 16 घाटों का निर्माण भी कराया गया है।

इस तालाब का मुख्य घाट चंदन पुष्कारिणी के नाम से जाना जाता है। प्रतिवर्ष वैशाख महीने में यहां पर चंदन यात्रा का त्योहार मनाया जाता है, जिस दौरान इस तालाब के आसपास स्थित सभी छोटे-बड़े मंदिरों में स्थापित देवी देवताओं की मूर्तियों को चंदन का लेप लगाया जाता है और उसे इस पवित्र तालाब के जल से स्नान कराया जाता है।

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लोकनाथ मंदिर

लोकनाथ मंदिर पुरी में स्थित 11 वीं शताब्दी में निर्मित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित भगवान शिव के शिवलिंग को स्वयं भगवान राम ने निर्मित किया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम माता सीता की खोज में यहां तक आ गए थे और इसी जगह पर उन्हें भगवान शिव का ध्यान करने की इच्छा होती है और फिर भी यहीं पर बैठकर भगवान शिव की आराधना करने लगते हैं।

Lokanatha Temple
Image :Lokanatha Temple

इस बात का पता जब गांव वालों को चलता है तो शिवलिंग की प्रतिकृति के रूप में लौकी लेकर आते हैं जिसके बाद भगवान राम लौकी को शिवलिंग के रूप में स्थापित करते हैं और फिर भगवान शिव की पूजा करते हैं। उसी समय से इस स्थान को लुक्का नाथ कहा जाने लगा जिसका नाम बदलकर लोकनाथ आगे रख दिया गया।

बात करें इस मंदिर की वास्तुशिल्प की तो यह मंदिर 4 खंडों में विभाजित है। मंदिर को मुख्य रूप से पत्थरों से बनाया गया है। मंदिर को 30 फिट ऊपर बनाया गया है। मंदिर की दीवाल पर हिंदू धर्म के अलग-अलग देवी-देवताओं की मूर्तियां भी चित्रित की गई है।

मंदिर के परिसर में सत्यनारायण मंदिर के अंदर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पीतल से बनी हुई मूर्तियां स्थापित की गई है। मंदिर के भीतरी भाग में भी एक छोटा सा मंदिर और बना हुआ है, जिसमें सूर्य नारायण भगवान और चंद्र नारायण भगवान की मूर्तियां स्थापित की गई है।

इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव की एक शिवलिंग स्थापित है, जो हमेशा ही जलमग्न रहती है। माना जाता है कि मां गंगा भगवान शिव के शिवलिंग के ऊपर हमेशा ही धारा के रूप में बैठी रहती हैं। शिवरात्रि से पहले आने वाले पिंगोधर एकादशी के समय इस शिवलिंग के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है।

यदि आप सावन के महीने में पुरी जाते हैं तो इस मंदिर के दर्शन करने जरूर जाएं क्योंकि इस दौरान यहां पर सावन के सोमवार का बहुत बड़ा मेला भी आयोजित किया जाता है।

गुंडिचा मंदिर पुरी

भगवान जगन्नाथ मंदिर से कुछ ही दूर गुंडिचा मंदिर है, जिसे भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर भी माना जाता है। यह मंदिर पुरी में सबसे प्राचीन मंदिर है और भगवान जगन्नाथ की यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर यहीं पर समाप्त होती है। रथ यात्रा के समय श्री जगन्नाथ पश्चिम द्वार से प्रवेश करते हुए पूर्व द्वार से मंदिर से बाहर निकलते हैं।

इस रथयात्रा को यहां पर गुंदीचा यात्रा, घुसी यात्रा इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है। बात करें इस मंदिर की वास्तुकला की तो हल्के भूरे रंग के पत्थरों से इस मंदिर को कलिंग वास्तु शैली के प्रयोग से बनाया गया है। मंदिर की सुरक्षा के लिए चारों तरफ 20 फीट ऊंची और 5 फीट चौड़ी दीवार भी बनी हुई है।

Shree Gundicha Temple
Image: Shree Gundicha Temple

इस मंदिर को भगवान जगन्नाथ का उद्दान घर भी कहा जाता है। मंदिर में प्रवेश करने के लिए दो द्वार भी बनाए गए हैं एक पश्चिम दिशा में स्थित है और दूसरा पूर्व दिशा में स्थित है। पश्चिम दिशा में स्थित द्वार मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार है। इस मंदिर का निर्माण महारानी गुंडीचा ने किया था, जो श्री जगन्नाथ मंदिर के संस्थापक महाराजा इंद्रद्युम्न की पत्नी थी।

पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि गुंडीचा भगवान श्री कृष्ण की अपार भक्त थी। भगवान कृष्ण पर उनकी आस्था देख भगवान कृष्ण से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हुए हर साल उनके यहां आने का वचन देते हैं। माना जाता है उसी समय से जगन्नाथ की यात्रा शुरू हुई थी।  यदि आप पुरी जाते हैं तो सुबह के 6:00 बजे से लेकर दोपहर के 3:00 बजे तक और फिर दोपहर के 4:00 बजे से लेकर 10:00 बजे रात तक के बीच इस मंदिर का दर्शन कर सकते हैं।

पुरी में प्रसिद्ध स्थानीय भोजन

पुरी अपनी धार्मिक स्थान और सुंदर पर्यटन स्थलों के अतिरिक्त यहां के खानपान के लिए भी काफी लोकप्रिय है। पुरी में उड़ीसा की पारंपरिक स्थानीय भोजन परोसे जाते हैं, जिसका स्वाद आपके लिए एक नया अनुभव हो सकता है। यहां पर विभिन्न तरह के स्थानीय पारंपरिक भोजन परोसे जाते हैं, जिसका स्वाद लाजवाब होता है।

जिसमें आपको मीठे, तीखे, खट्टे स्वादो का मिश्रण देखने को मिलता है। स्थानीय भोजन के अतिरिक्त यहां पर कई तरह के स्ट्रीट फूड भी बेचे जाते हैं। इसके अतिरिक्त आपको यहां पर कांटिनेंटल फूड का भी स्वाद लेने को मिल सकता है। आइये जानते हैं पुरी के कुछ स्थानीय लोकप्रिय व्यंजन के बारे में।

खिचडी

खिचड़ी बहुत आम व्यंजन है, जो भारत के लगभग हर राज्यों में और सभी घरों में आम रूप से बनते हैं। लेकिन, पुरी में खिचड़ी प्रमुख व्यंजन है क्योंकि यहां पर भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी का ही भोग लगाया जाता है। यहां पर खिचड़ी को शुद्ध घी में  चावल, दाल और साग सब्जियों को मिलाकर पकाया जाता है, जो अद्वितीय स्वाद लाता है। यही कारण है कि यहां पर खिचड़ी का स्वाद आपको अन्य जगह की तुलना में काफी अलग-अलग सकता है।

चुंगडी मलाई

यदि आप उड़ीसा के आसपास के किसी राज्य से हैं या उड़ीसा के रहने वाले हैं, तब तो आपने इस व्यंजन का नाम सुना ही होगा लेकिन यदि आप किसी अन्य दूर राज्य से हैं तो शायद यह व्यंजन आपके लिए अलग स्वाद का अनुभव होगा। यह व्यंजन ना केवल पुरी में बल्कि उड़ीसा का एक लोकप्रिय व्यंजन है।

यह एक तरह का मलाईदार करी होता है जिसे नारियल के दूध से बनाया जाता है और इसमें अद्वितीय स्वाद लाने के लिए कई प्रकार के मसाले भी ऐड किए जाते हैं और फिर इस करी को चावल के साथ परोसा जाता है।

मचा घांत

यदि आप मांसाहारी खाने के शौकीन हैं, तो आप उड़ीसा में इस स्वादिष्ट और लाजवाब व्यंजन के स्वाद का आनंद ले सकते हैं। यह मछली से तैयार  लोकप्रिय और उड़ीसा में साधारण रुप से बनने वाला व्यंजन है। प्याज, आलू, लहसुन और अन्य कई प्रकार के मसालों के मिश्रण से तैयार ग्रेवी में तली हुई मछली डालकर व्यंजन को तैयार किया जाता है।

छेना पोडा

छेना पोड़ा उड़ीसा के हर एक नुक्कड़ और कोने में बेचा जाने वाला मिठाई है जो विशेष रुप से जगन्नाथ मंदिर में भोग लगाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। माना जाता है यह भगवान जगन्नाथ की पसंदीदा मिठाई भी है यही कारण है कि यहां पर यह मिठाई बहुत अत्यधिक मात्रा में बिकती है।

उड़ीसा का यह एक स्थानीय मिठाई है, जिसे दूध से बनाए गए छेना,सूजी और चीनी इत्यादि को भूनकर बनाया जाता है। इसे बनाने में काफी समय लगता है क्योंकि इन सभी मिश्रण को तब तक भूंजा जाता है जब तक की यह लाल ना हो जाए।

कनिका

कनिका उड़ीसा में विशेष रूप से परोसा जाने वाला एक मीठा पुलाव है। इसे भगवान जगन्नाथ के 56 भोग में से एक माना जाता है। इस भोजन को उड़ीसा में चिकन या मटन करी के साथ परोसा जाता है।

पाखरा भाटा

गर्मियों के दौरान पुरी की यात्रा करते समय ठंडक का आनंद लेने के लिए पाला भाटा व्यंजन का स्वाद ले सकते हैं जिसे उड़ीसा के लगभग हर घर में दैनिक रूप से बनाया जाता है।

इसे पके हुए चावल और दही को साथ में कई घंटों तक भिगोकर छोड़ दिया जाता है और फिर यह व्यंजन तैयार होता है जिसे तली हुई मछली, आलू, पापड़ जैसी चीजों के साथ परोसा जाता है। 

दाल्मा

इस व्यंजन के नाम सुनते ही आपको लग रहा होगा कि यह दाल से बनाया एक विशेष प्रकार का व्यंजन होगा। बिल्कुल सही है लेकिन इसे केवल दाल से ही नहीं बनाया जाता इसमें मूंग दाल के अतिरिक्त बैंगन, पपीता, आम , कद्दू जैसे कई सब्जियों को भी जोड़ा जाता है, जो इसके स्वाद को लाजवाब बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता। पुरी की यात्रा के दौरान अपनी भूख को तृप्त करने के लिए इस लाजवाब व्यंजन का स्वाद ले सकते हैं।

सनतुला

सनतुला हरि सब्जियों को उबालकर बनाया जाने वाला एक सब्जी है। इस सब्जी में आलू, कच्चे पपीते, टमाटर, बैंगन से लेकर अन्य कई प्रकार के सब्जियों का मिश्रण होता है जिस कारण यह काफी पोस्टिक सब्जी होता है और इसके स्वाद भी काफी लाजवाब होते हैं। इस सब्जी को कम तेल और कम मसालों के साथ तैयार किया जाता है।

पुरी घूमने का सबसे अच्छा समय

वैसे तो पुरी भर भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल और एक धार्मिक स्थान है जिस कारण यहां पर साल के हर महीने पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आना-जाना बना रहता है। लेकिन, पुरी घूमने का पूरा आनंद लेना चाहते हैं तो अक्टूबर से फरवरी तक का महीना सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इस दौरान यहां पर मौसम काफी सुखद होती है।

वैसे पुरी जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए प्रसिद्ध है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। यदि आप भी इस रथयात्रा में शामिल होना चाहते हैं तो जून से जुलाई के महीने के दौरान जा सकते हैं। हालांकि इस दौरान आपको यहां पर चिलचिलाती गर्मी और आद्रता वाली जलवायु का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इससे बचने के लिए आप अपने साथ हेट, गोगल,स्काफ और अन्य आवश्यक वस्तुएं रख सकते हैं।

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पुरी कैसे पहुंचे?

पहुंचने के लिए सड़क, रेलवे और हवाई तीनों मार्ग उपलब्ध है।

यदि आप सड़क मार्ग के जरिए पुरी आना चाहते हैं, तो बता दें कि पुरी भारत के विभिन्न शहरों से राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा सड़कों से अच्छी तरीके से जुड़ा हुआ है। आप निजी वाहन से या फिर राज्य द्वारा संचालित बसों से भी पुरी आ सकते हैं। उड़ीसा के अन्य प्रमुख शहरों से नियमित रूप से बस पुरी आती है।

पुरी जाने के लिए यदि आप हवाई मार्ग का चयन करना चाहते हैं, तो पुरी का सबसे निकटतम हवाई अड्डा भुनेश्वर का बीजू पटनायक हवाई अड्डा है जिसके लिए भारत के विभिन्न बड़े शहरों के हवाई अड्डे से नियमित रूप से प्लेंन उड़ान भरती है। इस हवाई अड्डा से पुरी की दूरी 60 किलोमीटर है।

वैसे यदि भारत से बाहर किसी अन्य देश से पुरी की यात्रा करने आना चाहते हैं, तो यहां से सबसे निकटतम हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पड़ता है जो कोलकाता में स्थित है। यहां से पुरी 512 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आप चाहे तो ट्रेन मार्ग के जरिए या फिर बस के जरिए पुरी पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग पुरी पहुंचने के लिए काफी सुलभ और सस्ता माध्यम है। धार्मिक स्थान होने के कारण भारत के लगभग सभी राज्यों और शहरों से पुरी के लिए नियमित रूप से ट्रेन आती है। आपको बहुत आसानी से आपके शहर से पुरी के लिए ट्रेन मिल जाएगी। पुरी के लिए आपको ट्रेन नहीं मिलती है, तो उड़ीसा के अन्य शहरों के किसी स्टेशन के लिए टिकट बुक करवा सकते हैं और फिर वहां से बस या टैक्सी के द्वारा पुरी पहुंच सकते हैं।

पुरी में रुकने की जगह

पुरी भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल साथ ही एक धार्मिक स्थल भी है, जिसके कारण यहां पर काफी अधिक तादाद में लोगों का आगमन होता है। इस कारण यहां पर काफी छोटे बड़े होटल लो बजट से लेकर हाय बजे तक के उपलब्ध है। पुरी में स्थित लगभग सारी होटल ऑनलाइन होटल बुकिंग की सुविधा देते हैं।

आप इनके ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर यहां पर रूम बुक करवा सकते हैं। इन होटलों में हर साल तरह-तरह के डिस्काउंट ऑफर भी दिए जाते हैं, उस दौरान रूम बुक करवाने से आपको सस्ते में रूम मिल जाता है। पुरी में ठहरने के लिए होटल के अतिरिक्त कई निजी धर्मशालाएं भी बनी हुई है। धर्मशाला में आप बहुत कम शुल्क में रह सकते हैं वहां पर खाने-पीने की सारी सुविधा दी जाती है।

पुरी कैसे घूमे?

पुरी घूमने के लिए आप अनेक माध्यम का चुनाव कर सकते हैं। वहां पर आपको साइकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा यहां तक कि टू व्हीलर से लेकर फोर व्हीलर तक के वाहन किराए पर भी मिल जाते हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी वाहन का चयन कर सकते हैं।

हालांकि पुरी घूमने के लिए साइकिल रिक्शा सबसे किफायती विकल्प है। वैसे आप दूसरे वाहनो का भी चयन कर सकते हैं लेकिन वे इसकी तुलना में थोड़ा सा महंगा पड़ सकता है।

FAQ

क्या पुरी में खरीदारी कर सकते हैं?

यदि आप पुरी में कुछ खरीदारी करना चाहते हैं तो इसके लिए स्थानीय बाजार बहुत ही उत्तम स्थान है खरीदारी करने के लिए। यहां पर आने वाले विभिन्न पर्यटको और श्रद्धालु के लिए स्थानीय बाजार में हस्तशिल्प , बांस और मनके से बनी कई प्रकार की आकर्षक वस्तुएं बेची जाती है। इसके अतिरिक्त जगतनाथ भगवान, कृष्ण भगवान की चित्र, मूर्तियां भी बेची जाती हैं। यहां पूजा पाठ से संबंधित कई प्रकार की वस्तुएं भी मिलती है जिसमें शंख, अलग-अलग तरह की मोतियों से बनी हुई मालाएं और अन्य कई धार्मिक वस्तुएं खरीद सकते हैं।

पुरी कहां पर स्थित है?

पुरी उड़ीसा राज्य में स्थित है।

पुरी किस चीज के सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है?

पुरी जगन्नाथ मंदिर और यहां की जगन्नाथ यात्रा के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है।

निष्कर्ष

आज के लेख में हमने आपको उड़ीसा का एक प्रमुख शहर पुरी में घूमने की जगह ( Puri Me Ghumne ki Jagah) से जुड़ी आवश्यक जानकारी दी। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपकी पुरी यात्रा को और भी ज्यादा आनंददायक बनाने में मदद करेगा। लेख कैसा लगा ? इसका जवाब कमेंट में लिखकर जरूर बताएं और इस आर्टिकल को सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करें।

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4 thoughts on “10+ पुरी में घूमने की जगह, खर्चा और जाने का समय”

  1. अति सरहानीय ओर ज्ञान वर्धक जानकारी दी ह बहुत बहुत धन्यवाद जी आपका

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