Puri Me Ghumne ki Jagah: पुरी भारत के चार धामों में से एक धाम है, जो उड़ीसा राज्य के समुद्र तट पर मौजूद है। इस धाम को जगन्नाथपुरी के नाम से भी जाना जाता है, जो हिन्दुओं का एक पवित्र धाम है। पुरी भगवान जगन्नाथ के मंदिर के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। यहां लाखों की संख्या में प्रत्येक वर्ष श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
पुरी से उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर के बीच की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। यह धार्मिक स्थल के साथ ही पर्यटन स्थल भी है। यहां पर आप समुद्री तट का आनंद ले सकते हैं। श्री जगन्नाथ मंदिर के अतिरिक्त भी अन्य कई प्राचीन मंदिर पुरी में स्थापित है। इसके अतिरिक्त पुरी में मठ और समुद्र तट भी काफी प्रसिद्ध है, जहां पर पर्यटकों की भीड़ हमेशा ही जमा रहती है।
यदि आप भी पुरी जाने की योजना बना रहे हैं तो बिल्कुल सही लेख पर आए हैं क्योंकि इस लेख में पूरी टूरिस्ट प्लेस से जुड़ी आवश्यक जानकारी देंगे। यहां पर जगन्नाथ पुरी में घूमने की जगह, जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए, पुरी के आसपास पर्यटन स्थल, पुरी में कहा ठहरे आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
पुरी के बारे में रोचक तथ्य
- पुरी में आयोजित होने वाली जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा देशभर में प्रख्यात है।
- पुरी में स्थित भगवान श्री कृष्ण को समर्पित मंदिर जगन्नाथपुरी भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
- इतिहास में कभी पुरी में भील जाति के लोगों का शासन हुआ करता था।
- पुरी का समुद्र तट भारत के सबसे साफ सुथरे समुद्र तटों में से एक है।
- पुरी के जगन्नाथ मंदिर में आयोजित होने वाला लंगर दुनिया का सबसे बड़ा लंगर माना जाता है।
पुरी में लोकप्रिय पर्यटक स्थल ( Puri Tourist Places in Hindi)
पुरी बीच
यदि आप पुरी जाते हैं तो वहां के साफ-सुथरे और सफेद मिट्टी और कांच जैसे साफ पानी में स्नान करने का आनंद ले सकते हैं। हम बात कर रहे हैं पुरी बीच की, जो श्री जगन्नाथ मंदिर से मात्र 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस बीच को भारत के सबसे साफ और सुंदर समुद्र तटों में से एक माना जाता है।
इस बीच पर आपको विभिन्न राज्यों और शहरों से आए भारतीयों के अतिरिक्त कई विदेशी बीच के सुंदर वातावरण का आनंद लेते हुए नजर आ जाएंगे। यहां पर समुद्र से मिलने वाले मोती और अन्य प्रकार के सामानों को स्थानीय विक्रेता बेचते हैं।
इस बीच पर सबसे अत्यधिक आनंद नवंबर के महीने में आता है क्योंकि इस महीने में यहां पर पुरी बीच महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोगों के अलावा देश-विदेश के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यह जगह पूरी में घूमने की जगह में सबसे बेस्ट जगह में से एक है।
समय | सुबह 05:00 बजे से रात 10:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी | 1.3 किलोमीटर |
बस स्टैंड से दूरी | 3.1 किलोमीटर |
हवाईअड्डे से दूरी | 60 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर) |
जगन्नाथ रथ यात्रा
पुरी भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। यह रथयात्रा जून और जुलाई माह के समय निकाली जाती है, जिस दौरान श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। यह रथयात्रा यहां से शुरू होते हुए यहां से कुछ दूर स्थित गुंडिचा मंदिर तक जाकर समाप्त होती है। यह रथयात्रा लगभग 9 दिनों तक चलती है।
इस रथयात्रा के दौरान कई सारे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके साथ ही भगवान श्री जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की लकड़ी की प्रतिमा बनाकर विशाल रथ पर स्थापित किया जाता है।
यह रथयात्रा 5 किलोमीटर तक की दूरी की होती है। यदि आप पुरी के इस धार्मिक और प्रसिद्ध रथयात्रा में शामिल होना चाहते हैं तो आपको जून से जुलाई महीने के बीच में पुरी जाना होगा।
जगन्नाथ मंदिर
पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान देशभर में प्रख्यात है और उड़ीसा का पुरी शहर जगन्नाथ मंदिर के लिए ही जाना जाता है। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के अतिरिक्त उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विग्रह भी स्थापित किए गए है।
इन तीनों विग्रह को एक विशेष प्रकार की लकड़ी से बनाया गया है, जिसे 12 वर्ष में बदल दिया जाता है। इस मंदिर में चार प्रमुख द्वार बनाए गए है और मुख्य मंदिर में चार कक्ष बने हुए है। इस मंदिर में आयोजित होने वाला लंगर दुनिया का सबसे बड़ा लंगर माना जाता है।
इस रसोई में बनने वाला भोजन कभी भी श्रद्धालुओं के लिए कम नहीं होता। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में गंग वंश के शासकों द्वारा किया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला भी बहुत उत्कृष्ट और आकर्षक है।
समय | सुबह 05:30 बजे से रात 09:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी | 2.8 किलोमीटर |
बस स्टैंड से दूरी | 1.9 किलोमीटर |
हवाईअड्डे से दूरी | 60 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर) |
कौन प्रवेश कर सकता है | हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध धर्म के लोग ही दर्शन कर सकते हैं |
दर्शन के लिए जरूरी दस्तावेज | आधार कार्ड |
प्रसाद में क्या लें जाएं | सूखा प्रसाद – लड्डू, नारियल या सूखी मिठाई गीला प्रसाद – मिक्स चावल, मालपुआ, साग-भाजा या सब्जी |
ड्रेस कोड | क्या नहीं पहने- पुरुष और महिलाएं हॉफ पैंट, शॉर्ट्स और कटी फटी जींस में दर्शन नहीं कर सकते इसके साथ ही महिलाओं की स्लीवलेस ड्रेस में प्रवेश पर भी रोक है। क्या पहने- पुरुषों के लिए ड्रेस कोड में कुर्ता, पैजामा, धोती और गमछा। इसके साथ ही महिलाएं ड्रेस कोड कमीज़, साड़ी और सलवार में दर्शन कर सकती है। |
नरेंद्र पोखरी
नरेंद्र पोखरी जिसे नरेंद्र टैंक भी कहा जाता है। यह एक विशाल और पवित्र तालाब है, जो पुरी के जगन्नाथ मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर दंडी माला साही क्षेत्र में बना हुआ है। इस पोखरी को ओडीशा का सबसे बड़ा टैंक कहा जाता है। इस पोखरी का निर्माण 15 वी शताब्दी में राजा नरेंद्र देव राय द्वारा कराया गया था।
यह तालाब जमीन से 10 फीट नीचे की गहराई तक का है। इस पोखरी के मध्य भाग में एक मंदिर भी स्थापित है, जिसे चंदन मंडप कहा जाता है। इसके अतिरिक्त आसपास के क्षेत्र में भी कई छोटे-बड़े मंदिर स्थापित किए गए है। इस पवित्र तालाब में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं के लिए 16 घाटों का निर्माण भी कराया गया है।
इस तालाब का मुख्य घाट चंदन पुष्कारिणी के नाम से जाना जाता है। प्रतिवर्ष वैशाख महीने में यहां पर चंदन यात्रा का त्योहार मनाया जाता है, जिस दौरान इस तालाब के आसपास स्थित सभी छोटे-बड़े मंदिरों में स्थापित देवी देवताओं की मूर्तियों को चंदन का लेप लगाया जाता है और उसे इस पवित्र तालाब के जल से स्नान कराया जाता है।
समय | सुबह 06:00 बजे से रात 08:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी | 2.7 किलोमीटर |
हवाईअड्डे से दूरी | 58 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर) |
जगन्नाथ मंदिर से दूरी | 1 किलोमीटर |
एड्रेस | अतहर नाला रोड, पुरी |
लोकनाथ मंदिर
लोकनाथ मंदिर पुरी में स्थित 11 वीं शताब्दी में निर्मित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित भगवान शिव के शिवलिंग को स्वयं भगवान राम ने निर्मित किया है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम माता सीता की खोज में यहां तक आ गए थे और इसी जगह पर उन्हें भगवान शिव का ध्यान करने की इच्छा होती है और फिर भी यहीं पर बैठकर भगवान शिव की आराधना करने लगते हैं।
इस बात का पता जब गांव वालों को चलता है तो शिवलिंग की प्रतिकृति के रूप में लौकी लेकर आते हैं, जिसके बाद भगवान राम लौकी को शिवलिंग के रूप में स्थापित करते हैं और फिर भगवान शिव की पूजा करते हैं। उसी समय से इस स्थान को लुक्का नाथ कहा जाने लगा, जिसका नाम बदलकर लोकनाथ रख दिया गया।
यह मंदिर 4 खंडों में विभाजित है। मंदिर को मुख्य रूप से पत्थरों से बनाया गया है। मंदिर को 30 फिट ऊपर बनाया गया है। मंदिर की दीवाल पर हिंदू धर्म के अलग-अलग देवी-देवताओं की मूर्तियां भी चित्रित की गई है। मंदिर के परिसर में सत्यनारायण मंदिर के अंदर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पीतल से बनी हुई मूर्तियां स्थापित की गई है।
मंदिर के भीतरी भाग में भी एक छोटा सा मंदिर और बना हुआ है, जिसमें सूर्य नारायण भगवान और चंद्र नारायण भगवान की मूर्तियां स्थापित की गई है। इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव की एक शिवलिंग स्थापित है, जो हमेशा ही जलमग्न रहती है। माना जाता है कि मां गंगा भगवान शिव के शिवलिंग के ऊपर हमेशा ही धारा के रूप में बैठी रहती है।
शिवरात्रि से पहले आने वाले पिंगोधर एकादशी के समय इस शिवलिंग के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है। यदि आप सावन के महीने में पुरी जाते हैं तो इस मंदिर के दर्शन करने जरूर जाएं क्योंकि इस दौरान यहां पर सावन के सोमवार का बहुत बड़ा मेला भी आयोजित किया जाता है।
समय | सुबह 05:00 बजे से रात 09:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी | 4.6 किलोमीटर |
बस स्टैंड से दूरी | 4.7 किलोमीटर |
हवाईअड्डे से दूरी | 60 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर) |
जगन्नाथ मंदिर से दूरी | 2 किलोमीटर |
एड्रेस | जगन्नाथ मंदिर के पास, लोकनाथ मंदिर रोड, पुरी, ओडिशा, 752001 |
गुंडिचा मंदिर पुरी
पूरी टूरिस्ट प्लेस में गुंडिचा मंदिर का विशेष स्थान है। भगवान जगन्नाथ मंदिर से कुछ ही दूर गुंडिचा मंदिर है, जिसे भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर भी माना जाता है। यह मंदिर पुरी में सबसे प्राचीन मंदिर है और भगवान जगन्नाथ की यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर यहीं पर समाप्त होती है।
रथ यात्रा के समय श्री जगन्नाथ पश्चिम द्वार से प्रवेश करते हुए पूर्व द्वार से मंदिर से बाहर निकलते है। इस रथयात्रा को यहां पर गुंदीचा यात्रा, घुसी यात्रा इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है। बात करें इस मंदिर की वास्तुकला की तो हल्के भूरे रंग के पत्थरों से इस मंदिर को कलिंग वास्तु शैली के प्रयोग से बनाया गया है। मंदिर की सुरक्षा के लिए चारों तरफ 20 फीट ऊंची और 5 फीट चौड़ी दीवार भी बनी हुई है।
इस मंदिर को भगवान जगन्नाथ का उद्दान घर भी कहा जाता है। मंदिर में प्रवेश करने के लिए दो द्वार भी बनाए गए है। एक पश्चिम दिशा में स्थित है और दूसरा पूर्व दिशा में स्थित है। पश्चिम दिशा में स्थित द्वार मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार है। इस मंदिर का निर्माण महारानी गुंडीचा ने किया था, जो श्री जगन्नाथ मंदिर के संस्थापक महाराजा इंद्रद्युम्न की पत्नी थी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि गुंडीचा भगवान श्री कृष्ण की अपार भक्त थी। भगवान कृष्ण पर उनकी आस्था देख भगवान कृष्ण से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हुए हर साल उनके यहां आने का वचन देते हैं।
माना जाता है उसी समय से जगन्नाथ की यात्रा शुरू हुई थी। यदि आप पुरी जाते हैं तो सुबह के 6:00 बजे से लेकर दोपहर के 3:00 बजे तक और फिर शाम 4:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे के बीच इस मंदिर का दर्शन कर सकते हैं।
समय | सुबह 06:00 बजे से दोपहर 03:00 बजे तक शाम 04:00 बजे से रात 09:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी | 1.4 किलोमीटर |
बस स्टैंड से दूरी | 1.4 किलोमीटर |
हवाईअड्डे से दूरी | 58.1 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर) |
जगन्नाथ मंदिर से दूरी | – |
एड्रेस | जगन्नाथ मंदिर के पास, पुरी, ओडिशा, 752002 |
यह भी पढ़े: 10+ उड़ीसा में घूमने की जगह, खर्चा और जाने का समय
बेड़ी हनुमान मंदिर
बेडी हनुमान मंदिर की विशेषता और विश्व प्रसिद्ध होने का कारण है इस मंदिर में स्थित हनुमान जी की मूर्ती बेडियों में जकड़ी हुई है। मंदिर अपनी वास्तु कला और इतिहास के कारण बहुत ही मशहूर है। लेकिन यह भारत की एकमात्र ऐसा हनुमान मंदिर है, जहां पर हनुमान जी की प्रतिमा हमें बेडियों में जकड़ी हुई नजर आती है, जिसके पीछे की कहानी बहुत ही रोचक है।
पुरी में भगवान जगन्नाथ का मंदिर है, जिसकी स्थापना राजा इंद्रद्युम्न ने की थी। कहते हैं कि यह मंदिर समुद्र के किनारे स्थित होने के कारण तीन बार समुद्र की लहरों ने इस मंदिर को नुकसान पहुंचाया था। इसीलिए इस मंदिर की रक्षा का दायित्व स्वयं भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को दिया था।
लेकिन एक बार हनुमान जी जगन्नाथ भगवान को बताएं बिना अयोध्या चल गए थे और फिर समुद्र की लहर शहर में घुस आई और इस मंदिर को भी नुकसान पहुंचाई। इसीलिए भगवान जगन्नाथ जी ने हनुमान जी को बेडी में जकड़ के उन्हें शतर्क रहके मंदिर की रक्षा करने का आदेश दिया।
समय | सुबह 06:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | प्रति व्यक्ति 5 रूपये |
पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी | 1.3 किलोमीटर |
बस स्टैंड से दूरी | 3 किलोमीटर |
हवाईअड्डे से दूरी | 60 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर) |
जगन्नाथ मंदिर से दूरी | 3.4 किलोमीटर |
एड्रेस | चक्र तीर्थ रोड, पुरी, ओडिशा, 752002 |
समुद्री तट
पुरी विभिन्न मंदिरों और खूबसूरत पर्यटन स्थलों के साथ ही समुद्री तट के लिए प्रसिद्ध है। यहां का समुद्र तट एक खूबसूरत हनीमून डेस्टिनेशन भी है, जहां पर पर्यटक सूर्योदय और सूर्यास्त का शानदार नजारा देख सकते हैं। इसके अलावा समुद्र में तैर सकते हैं, रेतीले समुद्र तट पर टहल सकते हैं और भी कई तरह के गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।
यहां के स्थानीय स्वादिष्ट व्यंजनों का भी आप लुफ्त उठा सकते हैं। यहां पर स्थानीय शिल्प कारीगरी की दुकान भी लगती है। यहां की यात्रा की याद में उसे खरीद सकते हैं। पुरी के समुद्र तट की सैर करने का सबसे अच्छा समय नवंबर के महीने में होता है।
क्योंकि इस दौरान यहां के बीच पर पारंपरिक महोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें यहां के स्थानीय लोगों की जीवन शैली, संस्कृति और कलात्मक कौशल देखने को मिलते हैं। इस दौरान यहां पर दिन और रात में बहुत ही सुंदर नजारा देखने को मिलते हैं।
कोणार्क सूर्य मंदिर
पुरी में देखने लायक जगहों में से एक पुरी से तकरीबन 34 किलोमीटर दूर स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर है। मंदिर का निर्माण गंग वंश के राजा नरसींह देव प्रथम के द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर का निर्माण कलिंग वास्तु शैली में किया गया है। कहते हैं कि इस मंदिर के निर्माण में तकरीबन 12 वर्ष का समय लगा था।
कोणार्क सूर्य देव मंदिर तकरीबन 700 साल पुराना है। यह वही मंदिर है, जिसे हम भारतीय ₹10 के नोट पर देखते हैं। अपने गहरे रंग के कारण यह मंदिर ब्लैक पैगोडा के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की भव्यता और इसके लोकप्रियता के कारण यह यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल है।
इस मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किए गए पत्थर को बाहरी देश से मंगाया गया था। कहा जाता है कि इस मंदिर को लेटराइट, खोंडा लाइट और क्लोराइट जैसे तीन प्रकार के पत्थर से बनाया गया है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसे रथ आकार में बनाया गया है।
रथ पर भगवान सूर्य देव विराजमान है और रथ को सात घोड़े खींचते हुए नजर आते हैं। यह सात घोड़े सप्ताह के 7 दिनों को प्रदर्शित करते हैं। रथ में 12 जोड़े पहिए हैं, जो साल के 12 महीनो को इंगित करता है।
समय | सुबह 06:00 बजे से रात 08:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी | 30 किलोमीटर |
बस स्टैंड से दूरी | 6 मिनिट की दूरी |
हवाईअड्डे से दूरी | 65 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर) |
जगन्नाथ मंदिर से दूरी | 35 किलोमीटर |
एड्रेस | कोणार्क, ओडिशा 752111 |
नंदनकानन चिड़ियाघर
पशु प्रेमियों के लिए पुरी में देखने लायक जगहों में से खूबसूरत जगह नंदकानन चिड़ियाघर है। नंद कानन का अर्थ होता है स्वर्ग का बगीचा। यह चिड़ियाघर तकरीबन 437 हेक्टर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इसकी स्थापना 1960 में हुई थी और 1979 से इस चिड़ियाघर को जनता के लिए खोल दिया गया।
इस चिड़ियाघर में 1660 से भी ज्यादा विभिन्न प्रकार के जीव जंतु और जानवर रहते हैं। यह चिड़ियाघर 166 प्रजातियां के जानवरों का घर है। जिसमें 81 विभिन्न प्रजाति की पंक्षियां, 18 विभिन्न प्रजाति के सरीसृप और 67 प्रजाति के स्तनधारी जानवर पाए जाते हैं।
यह चिड़ियाघर साल 2009 में वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जू एंड एक्वेरियम में शामिल होने वाला भारत का पहला चिड़ियाघर है। यहां पर पर्यटक जंगल सफारी कर सकते हैं और विभिन्न प्रकार के जानवरों को देखने का लुप्त उठा सकते हैं। इस चिड़ियाघर में एक वनस्पति उद्यान भी है। यहां पर 134 एकड़ में फैला हुआ कंजिया झील भी है।
समय | अप्रैल से सितंबर- सुबह 07:30 बजे से शाम 05:30 बजे तक अक्टूबर से मार्च- सुबह 08:00 बजे से रात 05:00 बजे तक सोमवार को बंद रहता है। |
प्रवेश शुल्क | 3 से 12 साल के लिए 10 रूपये 12 साल से अधिक के लिए 20 रूपये विदेशी व्यक्ति के लिए 100 रूपये |
भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से दूरी | 17.1 किलोमीटर |
बस स्टैंड से दूरी | – |
हवाईअड्डे से दूरी | 17.7 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर) |
जगन्नाथ मंदिर से दूरी | – |
एड्रेस | – |
चिल्का झील
पुरी में देखने लायक खूबसूरत जगहों में से एक भारत की सबसे बड़ी तटीय अनूप झील और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्ध खाड़ी अनूप झील चिल्का झील है। चिल्का झील 30 किलोमीटर चौड़ी और 70 किलोमीटर लंबी है। यह तकरीबन 3 मीटर गहरी है।
चिल्का झील खारे पानी की एक लैगून झील है। दिसंबर से जून तक इसका जल खारा रहता है लेकिन वर्षा ऋतु में इसका जल मीठा हो जाता है। यह समुद्र का ही एक भाग है, जो महानदी के द्वारा लाई गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग होकर एक छीछली झील हो गया है।
चिल्का झील पुरी से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह झील स्थानीय और प्रवासी पंछियों का निवास स्थान है। यहां पर 160 प्रजाति के पंछी देखने को मिलते हैं। यहां पर मंगोलिया, लद्दाख, मध्य एशिया जैसे कई दूर जगहो से पंछी उड़कर आते हैं।
इस झील में मछलियों का तादाद भी बहुत है। इस प्रकार यह झील एक लाख से भी ज्यादा मछुआरों की आजीविका का माध्यम है। यहां पर आने वाले पर्यटक इस झील में नाव की सवारी कर सकते हैं और खूबसूरत मछलियों को देखने का आनंद ले सकते हैं।
रघुराजपुर आर्टिस्ट विलेज
उड़ीसा राज्य के पुरी में एक ऐसा गांव मौजूद है, जो पुरी तरीके से कलाकारों से भरा हुआ है। इस गांव का नाम है रघुराजपुर जो कि एक विरासत शिल्प गांव है, जहां पर केवल 100 लोग ही रहते हैं। लेकिन हर एक घर में पूरे परिवार में कोई ना कोई एक सदस्य पेंटर जरूर है और कोई ऐसा वैसा पेंटर नहीं बल्कि किसी को नेशनल तो किसी को इंटरनेशनल अवार्ड प्राप्त है।
इस गांव की कला पांच ईसा पूर्व की कला है। इसी गांव में डॉक्टर जगन्नाथ महापात्र का जन्म हुआ था, जो कि एक प्रमुख पट्ट चित्र कलाकर है। इन्होंने रघुराजपुर गांव के विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है। इस गांव में कुछ कलाकार ताड के पत्ते पर खूबसूरत नकाशी प्रदर्शित करते हैं।
यह एकमात्र ऐसा गांव है, जहां पर पाटस नामक पारंपरिक सजावट होती है। इस सजावट का इस्तेमाल इस गांव से 14 किलोमीटर दूर जगन्नाथ मंदिर में शुरू होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव के दौरान भगवान जगन्नाथ के सिंहासन के नीचे और तीन रथो पर किया जाता है।
इस गांव में ताड के पत्ते के नक्काशी के अलावा, लकड़ी की नक्काशी, गाय के गोबर के खिलौने, पत्थर की नक्काशी, टसर पेंटिंग, पपीयर-मचे के खिलौने और मुखौटे जैसे कई तरह के शिल्प कलाकारी यहां पर होती है।
समय | सुबह 06:00 बजे से रात 10:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी | 10 किलोमीटर |
बस स्टैंड से दूरी | – |
हवाईअड्डे से दूरी | बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर |
जगन्नाथ मंदिर से दूरी | मात्र कुछ ही किलोमीटर की दूरी |
एड्रेस | रघुराजपुर, जगन्नाथबल्लावा, ओडिशा, 752012 |
विमला टेम्पल
विमल मंदिर उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में स्थित देशभर के 52 मुख्य शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर जगन्नाथ मंदिर के परिसर में स्थित है। देवी विमला को जगन्नाथ भगवान जगन्नाथ की तांत्रिक पत्नी कहा जाता है। इसके साथ ही मंदिर की परिसर की रक्षक भी मानी जाती है। इसीलिए जगन्नाथ की पूजा करने से पहले भक्तजन देवी विमला को ज्यादा सम्मान देते हैं।
भगवान जगन्नाथ को चढ़ाने वाला प्रसाद सबसे पहले इसी मंदिर में चढ़ाए जाते हैं। देवी विमला शक्ति स्वरूप प्रसाद को ग्रहण करती है, उसके बाद ही प्रसाद लोगों में बांटे जाते हैं। शरद नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में 16 दिनों तक दुर्गा पूजन का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस मंदिर के बगल में पवित्र तालाब रोहिणी कुंड स्थित है।
मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की ओर है। मंदिर के निर्माण में बलुए पत्थर और लेटराइट का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर का निर्माण देऊला शैली में किया गया है। विमल मंदिर का जीर्णोद्धार 2005 में किया गया था। इस मंदिर का रखरखाव भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण भुनेश्वर के द्वारा किया जाता है।
समय | सुबह 05:00 बजे से रात 10:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी | 3 किलोमीटर |
बस स्टैंड से दूरी | – |
हवाईअड्डे से दूरी | 60.2 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर) |
जगन्नाथ मंदिर से दूरी | 3 किलोमीटर |
एड्रेस | पुरी, ओडिशा, 752001 |
अर्धासिनी मंदिर पुरी
उड़ीसा के पुरी में स्थित अर्धासिनी मंदिर भगवान श्री कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा को समर्पित है। इस मंदिर में सुभद्रा देवी की कई पौराणिक चित्र की छवि देखने को मिलती है। यहां पर उनकी प्रतिमा की नियमित रूप से पूजा की जाती है।
यह मंदिर पुरी तरीके से सफेद संगमरमर पत्थर में बना हुआ है। हालांकि यह एक छोटी संरचना है लेकिन इसकी वास्तुकला बेहद ही खूबसूरत है। इसीलिए पुरी में यह एक आकर्षक मंदिर है।
स्कन्द पुराण में लिखा गया है कि देवी सुभद्रा ने इस शहर में एक बार आए बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए बाढ़ का आधा पानी पी लिया था। यह मंदिर जगन्नाथ मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जगन्नाथ पुरी यात्रा के दौरान यहां पर श्रद्धालुओं की बहुत ज्यादा भिड़ उमडती है।
स्वर्गद्वार बीच
हिंदू धर्म के प्रति आस्था रखने वाले लोगों के लिए पुरी में स्वर्ग द्वार बीच बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है। यह बीच न केवल उड़ीसा राज्य बल्कि पूरे देश भर में प्रसिद्ध है। इस बीच को लेकर ऐसी धारणा है कि जो भी व्यक्ति इस द्वार से होकर समुद्र के पानी में डूबकी लगाता है, उसे बहुत ही आसानी से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इतना ही नहीं जो यहां पर अंतिम सांस लेता है, उसे सीधे ही स्वर्ग में जाने का सौभाग्य मिलता है। कहते हैं कि जिस क्षेत्र को स्वर्गद्वार कहा जाता है असल में वह एक शमशान घाट है। क्योंकि यहां पर एक ऐसे व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया गया था, जो कि हिंदू धर्म का अनुयाई था।
समय | सुबह 06:00 बजे से शाम 07:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी | 3.5 किलोमीटर |
बस स्टैंड से दूरी | 3.6 किलोमीटर |
हवाईअड्डे से दूरी | 60 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर) |
जगन्नाथ मंदिर से दूरी | कुछ ही किलोमीटर की दूरी |
एड्रेस | स्वर्गद्वार सी बीच रोड, पुरी, ओडिशा, 752001 |
सुदर्शन क्राफ्ट म्यूजियम
जिन लोगों को कला में रुचि है ऐसे कला काम पसंद करने वाले लोगों के लिए पुरी में एक छोटी सी घूमने लायक जगह है सुदर्शन क्राफ्ट म्यूजियम। इस म्यूजियम का निर्माण कलाकार और कला प्रेमी आधुनिक शिल्प कौशल के विकास को देख सके इस उद्देश्य से श्री सुदर्शन साहू के द्वारा किया गया था। इसलिए इस म्यूजियम का नाम सुदर्शन शिल्प संग्रहालय रखा गया है।
इस संग्रहालय में पेंटिंग, मूर्तियां, पत्थर और लकड़ी पर की गई कलाकृतियां जैसी कई सारे चीजों का संग्रह है। यहां पर न केवल कलाकृतियों का अच्छा संग्रह है बल्कि यहां पर कलाकारों को अपना कला प्रदर्शित करने का भी अवसर मिलता है।
जिन लोगों को कला में रुचि है वह यहां पर अपने शिल्प को कार्य स्थल में प्रदर्शित करते हैं। उनके लिए यहां पर एक शोरूम बना हुआ है, जहां पर वे अपने कला को प्रदर्शित कर सकते हैं। इस म्यूजियम में एक छोटा सा बौद्ध मंदिर भी है।
समय | सुबह 08:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक दोपहर 02:00 बजे से रात 08:00 बजे तक शनिवार और रविवार को बंद |
प्रवेश शुल्क | 5 रूपये/व्यक्ति (भारतीय) 50 रूपये/व्यक्ति (विदेशी) |
पुरी रेलवे स्टेशन से दूरी | 400 मीटर |
बस स्टैंड से दूरी | 1.4 किलोमीटर |
हवाईअड्डे से दूरी | 59 किलोमीटर (बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर) |
जगन्नाथ मंदिर से दूरी | कुछ ही दूरी |
एड्रेस | स्टेशन रोड, पुरी, ओडिशा, 752001 |
पुरी के समुद्र बीच
- स्वर्गद्वार तट
- गोल्डन बीच (पुरी बीच)
- नीलाद्रि तट
- सी माउथ बीच
- बलिघाई बीच
- चंद्रभागा समुद्रतट
- रामचंडी तट
पुरी में प्रसिद्ध मठ
- गोबर्धन मठ
- सुनगोसाईं मठ
- एमार मठ
- बड़ा झाड़ू मठ
- बड़ा छटा मठ
- सना झाड़ू मठ
- त्रिमाली मठ
- रामजी मठ
- राघबा दास मठ
- गंगामाता मठ
- बड़ा उड़िया मठ
- मंगू मठ
- राधाबल्लव मठ
- राधाकांत मठ
- पापुड़िया मठ
- जगन्नाथबलवा मठ
पुरी में प्रसिद्ध स्थानीय भोजन
पुरी अपनी धार्मिक स्थान और सुंदर पर्यटन स्थलों के अतिरिक्त यहां के खानपान के लिए भी काफी लोकप्रिय है। पुरी में उड़ीसा की पारंपरिक स्थानीय भोजन परोसे जाते हैं, जिसका स्वाद आपके लिए एक नया अनुभव हो सकता है।
यहां पर विभिन्न तरह के स्थानीय पारंपरिक भोजन परोसे जाते हैं, जिसका स्वाद लाजवाब होता है। जिसमें आपको मीठे, तीखे, खट्टे स्वादो का मिश्रण देखने को मिलता है।
स्थानीय भोजन के अतिरिक्त यहां पर कई तरह के स्ट्रीट फूड भी बेचे जाते हैं। इसके अतिरिक्त आपको यहां पर कांटिनेंटल फूड का भी स्वाद लेने को मिल सकता है। आइये जानते हैं पुरी के कुछ स्थानीय लोकप्रिय व्यंजन के बारे में।
खिचडी
खिचड़ी बहुत आम व्यंजन है, जो भारत के लगभग हर राज्यों में और सभी घरों में आम रूप से बनते हैं। लेकिन, पुरी में खिचड़ी प्रमुख व्यंजन है क्योंकि यहां पर भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी का ही भोग लगाया जाता है।
यहां पर खिचड़ी को शुद्ध घी में चावल, दाल और साग सब्जियों को मिलाकर पकाया जाता है, जो अद्वितीय स्वाद लाता है। यही कारण है कि यहां पर खिचड़ी का स्वाद आपको अन्य जगह की तुलना में काफी अलग-अलग सकता है।
चुंगडी मलाई
यदि आप उड़ीसा के आसपास के किसी राज्य से हैं या उड़ीसा के रहने वाले हैं, तब तो आपने इस व्यंजन का नाम सुना ही होगा लेकिन यदि आप किसी अन्य दूर राज्य से हैं तो शायद यह व्यंजन आपके लिए अलग स्वाद का अनुभव होगा। यह व्यंजन ना केवल पुरी में बल्कि उड़ीसा का एक लोकप्रिय व्यंजन है।
यह एक तरह का मलाईदार करी होता है, जिसे नारियल के दूध से बनाया जाता है और इसमें अद्वितीय स्वाद लाने के लिए कई प्रकार के मसाले भी मिलाए जाते हैं और फिर इस करी को चावल के साथ परोसा जाता है।
मचा घांत
यदि आप मांसाहारी खाने के शौकीन है तो आप उड़ीसा में इस स्वादिष्ट और लाजवाब व्यंजन के स्वाद का आनंद ले सकते हैं। यह मछली से तैयार लोकप्रिय और उड़ीसा में साधारण रुप से बनने वाला व्यंजन है। प्याज, आलू, लहसुन और अन्य कई प्रकार के मसालों के मिश्रण से तैयार ग्रेवी में तली हुई मछली डालकर व्यंजन को तैयार किया जाता है।
छेना पोडा
छेना पोड़ा उड़ीसा के हर एक नुक्कड़ और कोने में बेची जाने वाली मिठाई है, जो विशेष रुप से जगन्नाथ मंदिर में भोग लगाने के लिए भी उपयोग की जाती है। माना जाता है यह भगवान जगन्नाथ की पसंदीदा मिठाई भी है। यही कारण है कि यहां पर यह मिठाई बहुत अत्यधिक मात्रा में बिकती है।
उड़ीसा का यह एक स्थानीय मिठाई है, जिसे दूध से बनाए गए छेना, सूजी और चीनी इत्यादि को भूनकर बनाया जाता है। इसे बनाने में काफी समय लगता है क्योंकि इन सभी मिश्रण को तब तक भूंजा जाता है जब तक की यह लाल ना हो जाए।
कनिका
कनिका उड़ीसा में विशेष रूप से परोसा जाने वाला एक मीठा पुलाव है। इसे भगवान जगन्नाथ के 56 भोग में से एक माना जाता है। इस भोजन को उड़ीसा में चिकन या मटन करी के साथ परोसा जाता है।
पाखरा भाटा
गर्मियों के दौरान पुरी की यात्रा करते समय ठंडक का आनंद लेने के लिए पाला भाटा व्यंजन का स्वाद ले सकते हैं, जिसे उड़ीसा के लगभग हर घर में दैनिक रूप से बनाया जाता है।
इसे पके हुए चावल और दही को साथ में कई घंटों तक भिगोकर छोड़ दिया जाता है और फिर यह व्यंजन तैयार होता है, जिसे तली हुई मछली, आलू, पापड़ जैसी चीजों के साथ परोसा जाता है।
दाल्मा
इस व्यंजन के नाम सुनते ही आपको लग रहा होगा कि यह दाल से बना एक विशेष प्रकार का व्यंजन होगा। बिल्कुल सही है लेकिन इसे केवल दाल से ही नहीं बनाया जाता इसमें मूंग दाल के अतिरिक्त बैंगन, पपीता, आम, कद्दू जैसे कई सब्जियों को भी जोड़ा जाता है, जो इसके स्वाद को लाजवाब बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता। पुरी की यात्रा के दौरान अपनी भूख को तृप्त करने के लिए इस लाजवाब व्यंजन का स्वाद ले सकते हैं।
सनतुला
सनतुला हरि सब्जियों को उबालकर बनाया जाने वाला एक सब्जी है। इस सब्जी में आलू, कच्चे पपीते, टमाटर, बैंगन से लेकर अन्य कई प्रकार के सब्जियों का मिश्रण होता है, जिस कारण यह काफी पोस्टिक सब्जी होता है और इसके स्वाद भी काफी लाजवाब होते हैं। इस सब्जी को कम तेल और कम मसालों के साथ तैयार किया जाता है।
जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए
उड़ीसा राज्य में स्थित जगन्नाथ पुरी एक धार्मिक और विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यहां पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु देश भर से साल के हर महीने घूमने के लिए आते हैं।
धार्मिक और विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल होने के कारण पुरी जाने का सही समय वर्ष भर रहता है। लेकिन यहां की जगन्नाथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है। अगर आप इस यात्रा में शामिल होना चाहते हैं तो फिर आपको जून से जुलाई महीने के बीच आना होगा।
इसके अलावा puri jane ka sahi samay बताएं तो अक्टूबर से मार्च के बीच जगन्नाथ पुरी घूमने के लिए सबसे अनुकूल समय होता है। इस दौरान ना ज्यादा ठंडी होती है ना गर्मी होती है और ना ही बारिश होती है। बाकी महीने में आपको यहां पर अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ सकता है।
पुरी कैसे पहुंचे?
पुरी पहुंचने के लिए सड़क, रेलवे और हवाई तीनों मार्ग उपलब्ध है।
सड़क मार्ग
यदि आप सड़क मार्ग के जरिए पुरी आना चाहते हैं तो बता दें कि पुरी भारत के विभिन्न शहरों से राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा सड़कों से अच्छी तरीके से जुड़ा हुआ है। आप निजी वाहन से या फिर राज्य द्वारा संचालित बसों से भी पुरी आ सकते हैं। उड़ीसा के अन्य प्रमुख शहरों से नियमित रूप से बसें पुरी आती है।
हवाई मार्ग
पुरी जाने के लिए यदि आप हवाई मार्ग का चयन करना चाहते हैं तो पुरी का सबसे निकटतम हवाई अड्डा भुनेश्वर का बीजू पटनायक हवाई अड्डा है, जिसके लिए भारत के विभिन्न बड़े शहरों के हवाई अड्डे से नियमित रूप से प्लेंन उड़ान भरते हैं। इस हवाई अड्डे से पुरी की दूरी 60 किलोमीटर है।
वैसे यदि भारत से बाहर किसी अन्य देश से पुरी की यात्रा करने आना चाहते हैं तो यहां से सबसे निकटतम हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पड़ता है, जो कोलकाता में स्थित है। यहां से पुरी 512 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आप चाहे तो ट्रेन मार्ग के जरिए या फिर बस के जरिए पुरी पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग
रेल मार्ग पुरी पहुंचने के लिए काफी सुलभ और सस्ता माध्यम है। धार्मिक स्थान होने के कारण भारत के लगभग सभी राज्यों और शहरों से पुरी के लिए नियमित रूप से ट्रेन आती है। आपको बहुत आसानी से आपके शहर से पुरी के लिए ट्रेन मिल जाएगी।
पुरी के लिए आपको ट्रेन नहीं मिलती है तो उड़ीसा के अन्य शहरों के किसी स्टेशन के लिए टिकट बुक करवा सकते हैं और फिर वहां से बस या टैक्सी के द्वारा पुरी पहुंच सकते हैं।
पुरी में कहा ठहरे
पुरी भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल साथ ही एक धार्मिक स्थल भी है, जिसके कारण यहां पर काफी अधिक तादाद में लोगों का आगमन होता है। इस कारण यहां पर काफी छोटे बड़े होटल कम बजट से लेकर अधिक बजट तक के उपलब्ध है। पुरी में स्थित लगभग सारी होटल ऑनलाइन होटल बुकिंग की सुविधा देते हैं।
आप इनके ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर यहां पर रूम बुक करवा सकते हैं। इन होटलों में हर साल तरह-तरह के डिस्काउंट ऑफर भी दिए जाते हैं, उस दौरान रूम बुक करवाने से आपको सस्ते में रूम मिल जाता है।
पुरी में ठहरने के लिए होटल के अतिरिक्त कई निजी धर्मशालाएं भी बनी हुई है। धर्मशाला में आप बहुत कम शुल्क में रह सकते हैं, वहां पर खाने-पीने की सारी सुविधा दी जाती है।
पुरी कैसे घूमे?
पुरी घूमने के लिए आप अनेक माध्यम का चुनाव कर सकते हैं। वहां पर आपको साइकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा यहां तक कि टू व्हीलर से लेकर फोर व्हीलर तक के वाहन किराए पर भी मिल जाते हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी वाहन का चयन कर सकते हैं।
हालांकि पुरी घूमने के लिए साइकिल रिक्शा सबसे किफायती विकल्प है। वैसे आप दूसरे वाहनो का भी चयन कर सकते हैं लेकिन वे इसकी तुलना में थोड़ा सा महंगा पड़ सकता है।
निष्कर्ष
इस लेख में उड़ीसा का एक प्रमुख शहर जगन्नाथपुरी में घूमने की जगह (Puri Me Ghumne ki Jagah) से जुड़ी आवश्यक जानकारी दी। साथ ही जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए, पुरी में कहा ठहरे आदि के बारे में जाना है।
हमें उम्मीद है कि यह लेख आपकी पुरी यात्रा को और भी ज्यादा आनंददायक बनाने में मदद करेगा। लेख कैसा लगा ? इसका जवाब कमेंट में लिखकर जरूर बताएं और इस आर्टिकल को सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करें।
यह भी पढ़े
10+ भुवनेश्वर में घूमने की जगह, खर्चा और जाने का समय
जाने गंगा सागर कहां है?, सब तीर्थ बार बार गंगासागर एकबार
10+ द्वारका में घूमने की जगह, द्वारकाधीश मंदिर दर्शन समय
15+ हरिद्वार में घूमने की जगह, दर्शनीय स्थल और हरिद्वार कब जाना चाहिए?
Good
Thanks very much for your guidance please guide for other nearest places from puri for two days
Good 👍
अति सरहानीय ओर ज्ञान वर्धक जानकारी दी ह बहुत बहुत धन्यवाद जी आपका