Bhubaneswar Me Ghumne ki Jagah : भगवान जगन्नाथ की नगरी को कौन नहीं जानता हैं? यह भुवनेश्वर राज्य का एक फेमस जिला हैं। भुवनेश्वर में घूमने के लिए कई सारी जगह हैं। इसके पूरी जिले में सर्वाधिक भक्तों का आना जाना लगा रहता हैं।
पूरी में भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध मंदिर के अलावा को सूर्य मंदिर, भगवान बौद्ध का धौलगिरी मंदिर, सफेद शेर, गुफाएं घूमने के लिए जगह हैं। भुवनेश्वर में मंडोर के अलावा आप चिल्का झील और डॉल्फिन भी डी खाने को मिल जाएगी।
भुवनेश्वर में घूमने की कौन कौन सी जगह है वह सभी आपको इस आर्टिकल में जानने को मिलेगा, इसके लिए आप आर्टिकल को अंत तक पढ़े।आज के इस आर्टिकल में हम आपको भुवनेश्वर में घूमने की कौन कौन सी जगह हैं ? भुवनेश्वर घूमने के लिए कब जाएं? भुवनेश्वर का प्रसिद्ध भोजन क्या हैं ? भुवनेश्वर घूमने के लिए कैसे जाएं? इन सभी प्रश्नों की जानकारी आपको लेख में मिलेगी। इसके लिए आप इस लेख को पूरा पढ़े।
भुवनेश्वर में घूमने की जगह | Bhubaneswar Me Ghumne ki Jagah
भुवनेश्वर के बारे में रोचक तथ्य
- भुवनेश्वर के भारत के मंदिर शहर के नाम से जानते हैं।
- ओडिशा के दो जुड़वा शहर भुवनेश्वर और कटक हैं।
- कलिंग युद्ध के दौरान भुवनेश्वर शब्द का सबसे पहला उल्लेख हुआ था।
- वर्ष 1948 में भुवनेश्वर को कटक राजधानी के रूप में घोषित किया गया था।
- भुवनेश्वर को कलिंग की राजधानी के रूप में जाना जाता हैं। इस जगह पर अशोक और कलिंग की सेना के बीच युद्ध लड़ा गया था।
भुवनेश्वर में लोकप्रिय पर्यटक स्थल ( Bhubaneswar Tourist Places in Hindi)
कोणार्क का सूर्य मंदिर
कोणार्क का सूर्य मंदिर हिंदू धर्म के लोगों का प्रसिद्ध मंदिर हैं। यह हिंदुओ का प्राचीन मंदिर हैं। वर्ष 1984 में यूनेस्को ने इस मंदिर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था। मंदिर को बहुत ही शानदार ढंग से बनाया गया हैं। यह मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित हैं। मंदिर के अंदर सूर्य भगवान की बहुत बड़ी प्रतिमा लगी हुई हैं।
मंदिर के अंदर एक विशाल रथ बना हुआ हैं। इस रथ में 12 पहिए लगे हुए हैं, जिसके 7 घोड़े मिलकर खींच रहे हैं। रथ के उपर सूर्य भगवान हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मंदिर का रंग देखने वाला होता हैं। सूर्य की किरण से मंदिर लालिमा से चमकने लगता हैं। इस मंदिर को भगवान श्री कृष्ण के पुत्र सांब ने बनवाया था।
ऐसा कहा जाता है की श्री कृष्ण के पुत्र कोढ़ हो गया था और इसके उपचार के लिए उन्होंने सूर्य भगवान की 12 वर्ष की कठिन तपस्या की थी। सूर्य भगवान ने प्रसन्न होकर उनकी बीमारी का अंत किया था। तपस्या करने के बा सांब चंद्रभागा नदी में स्नान करने के लिए गए थे। वहां पर उनको सूर्यदेव की एक मूर्ति मिली। उन्होंने उस मूर्ति को इस मंदिर में स्थापित कर दी थी।
जैन मुनि का उदयगिरी खंडगिरी की गुफा
जैन मुनि खंडगिरी, जो की भुवनेश्वर से करीब 6 किमी की दूरी हैं। यह ऊंची पहाड़ी पर स्थित हैं। इन गुफाओं को राजा खारवेल ने बनवाया था। उदयगिरि और खंडगिरी अलग अलग जगह पर हैं। उदयगीरी में कुल 18 गुफाएं है। खंडगिरी के 15 गुफाएं मौजूद हैं। इन गुफाओं को ईसा पूर्व में बनवाए गई थी। उदयगीरी की बाहरी हिस्से में मंदिर बना हुआ हैं।
इन गुफाओं को अलग अलग नामों से जाना जाता हैं। इसी में गणेश गुफा भी बनी हुई हैं, जिसमे आपको अलग अलग चित्र बने हुए हैं। गुफा में हाथी की कई सारी मूर्तिया और सीताहरण की पूरी घटना के चित्र गुफा में बने हैं। इसके अलावा इसमें अनंत गुफा, व्याग्र गुफा, सर्प गुफा आदि गुफा में भिन भिन प्रकार के चित्र बने हुए हैं।
सबसे अच्छी बात इस गुफा की यह की आप एक गुफा से दूसरी गुफा में सीढ़ी का प्रयोग करके जा सकते हैं। यदि आप जैन मुनि की गुफा को देखने के लिए जाते है तो आप वहा के बंदर से सावधान रहे। यहां पर बहुत अधिक संख्या में बंदर आते हैं। यदि आप कोई खाने पीने की वस्तु को छीन लेती हैं। इसलिए आप बंदरो से सावधान रहे।
चिल्का झील
चिल्का झील विश्व की दूसरी सबसे बड़ी झील हैं। यह भारत देश की सबसे बड़ी झील हैं। इस जगह पर जाने के लिए आप दो दिन पहले ही बस की बुकिंग करवानी होती हैं। यहां पर जाने के लिए आपको बस का इस्तेमाल करना होगा। बस से जाने पर आपको 150 रुपए की टिकट लेनी होगी। पूरी से चिल्का झील से दूरी करीब 40 किमी की हैं। यहां पर पहुंचने के लिए आपको कम से कम 2 घंटे का समय लगता हैं।
चिल्का झील में बोटिंग की कर सकते हैं लेकिन बोटिंग का किराया आपको अलग से देना होगा। यदि आप बोटिंग करना चाहते है तो आपको 250 रुपए प्रति व्यक्ति देना होगा। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे की यहां की एक बोट में करीब 15 से 18 लोग बैठते हैं। वही यदि आप अकेले बोटिंग करना चाहते है तो आपको 2000 रुपए से लेकर 4000 रुपए तक देने होंगे।
इस झील की लंबाई करीब 70 किमी से अधिक हैं। सबसे अधिक लोग डॉल्फिन को देखने के लिए आते हैं। जब आप झील में 90 मिनिट से अधिक की बोटिंग कर लेते है तो आप डॉल्फिन व्यू प्वाइंट पर पहुंच जाते हैं। यहां से आप डॉल्फिन को आसानी से देख सकते हैं। डॉलफिन आपको झील में गोते लगाते हुए मिल जाती है। आप डॉल्फिन की निम्न प्रजाति जैसे कॉमन डॉल्फिन, व्हाइट नोजेड डॉलफिन आदि देख सकते हैं। आप अपने दोस्तो, रिश्तेदार और परिवार के यहां पर घूमने के लिए जा सकते हैं।
चिल्का झील के में ही एक आइसलैंड बना हुआ हैं। प्रत्येक बोट इस आइसलैंड पर रुकती हैं। यहां पर समुद्र के बीचों बीच का मनोरम दृश्य को अपनी आंखो में कैद कर सकते हैं। झील के आस पास कई सारे मछुआरे रहते हैं। यह अपनी जीविका चलाने के लिए मोती को बेचते हैं।
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय झील का दृश्य काफी मनोरम होता हैं। झील के किनारे किनारे पर आपको कई प्रकार की मछलियां देखने को मिल जाती हैं। चिल्का झील के आस पास खाने के लिए कई प्रकार के रेस्टोरेंट बने हुए हैं। आप यहां के रेस्टोरेंट में सी फूड का आनंद ले सकते हैं।
नंदन कानन
भुवनेश्वर राज्य में स्थित नंदन कानन जू की करीब 400 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ हैं। जैसा इस जू का नाम है वैसे ही इसमें आपको दुर्लभ प्रजाति के जानवर देखने को मिल जाते हैं। इस जू में 126 प्रकार के अधिक से जानवरो की प्रजाति पाई जाती हैं। इसके अलावा आपको कई प्रकार के दुर्लभ हरे भरे पेड़ पौधे देखने को मिल जाते हैं। यह भुवनेश्वर का प्रसिद्ध चिड़ियाघर हैं।
नंदन कानन में सबसे अधिक सफेद बाघ हैं। अन्य किसी जगह पर सफेद बाघ नही होते हैं। सफेद बाघ के अलावा पंगोलियन, लुफ्तप्राय रटेल, जीव गिद्ध के अलावा घड़ियाल, हिप्पो आदि जानवर हैं। नंदन कानन सप्ताह के 6 दिन खुला रहता हैं। सोमवार के दिन नंदन कानन जू बंद रहता हैं।
इसके अलावा अक्टूबर महीने से लेकर मार्च महीने में 8 बजे से लेक शाम के 5 बजे तक खुलता हैं जबकि गर्मी के मौसम में 7:30 से 5:30 तक खुला रहता हैं। आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ चिड़ियाघर घूमने के लिए जा सकते हैं।
भगवान बुद्ध का धौलगिरी हिल्स
भुवनेश्वर से जगह की दूरी 10 किमी की हैं। इस जगह पर कलिंग और मौर्य साम्राज्य के बीच विशाल युद्ध हुआ था। कलिंग से हुए युद्ध के बाद मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को ग्रहण कर लिया था। इस जगह पर शांति के रूप में शांति पैगोडा बनाया था। इसी के पास में बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध के चरण के निशान वाले पत्थर भी यही हैं।
सम्राट अशोक के शिलालेख भी यहां मौजूद हैं। शांति स्तूप को सफेद पथरों के द्वारा बनाया गया हैं। दूर से देखने पर यह गुंबद नुमा प्रतीत होता हैं। आप अपने परिवार और दोस्तो के साथ यहां पर घूमने के लिए जा सकते हैं।
लिंगराज मंदिर
भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर करीब 20 किमी की दूरी पर स्थित हैं। इस मंदिर में भगवान शिव और विष्णु जी का त्रिभुनेश्वर रूप हैं। इस रूप को हरी हर के नाम से भी जानते हैं। यदि आप पूरी घूमते है तो आप इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जरूर आए। लिंगराज मंदिर काफी विशाल बना हुआ हैं। मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही आपको सबसे पहले भगवान गणेश का मंदिर देखने को मिलेगा।
इसके बाद क्रमश गोपालनी देवी, शिवजी के वाहन नंदी के बाद अंत में आपको लिंगराज मंदिर के दर्शन प्राप्त होते हैं। लिंगराज भगान के दर्शन करने के लिए आपको गर्भगृह में जाना होता हैं। मंदिर के गर्भ गृह में आठ फीट के मोटे खंभा बना हुआ है, जो की ग्रेनाइट का बना हुआ हैं।
यही पर भगवान लिंगराज का शिवलिंग बना हुआ हैं। यह मंदिर काफी पुराना हैं। लिंगराज का यह मंदिर करीब 1400 वर्ष से भी पुराना हैं। पुराणों की कथा के अनुसार देवी पार्वती ने इसी जगह पर दो असुर लिट्टी और वसा नामक असुर का वध किया था।
मंदिर के पास में ही एक नदी बहती हैं। जब देवी में असुर का संहार किया तो पार्वती देवी को प्यास लगी। भगवान शंकर ने एक सरोवर का निर्माण करवाया, जिसमे सभी नदियों का आह्वान किया। आज के समय में सरोवर को बिंदुसागर के नाम से जानते हैं। यह सरोवर मंदिर के पास में ही स्थित हैं।
चंद्रभागा समुद्र तट
यदि आपको भुवनेश्वर में प्राकृतिक सुंदरता का आनंद प्राप्त करना हो तो आप इस जगह पर जरूर जाए। इस जगह से आप समुद्र की लहरे को देखकर आपका मन प्रफुल्लित हो जाएगा। समुद्र में आप वाटर एक्टिविटी का भी मजा ले सकते हैं। यहां पर आप बोटिंग, तैराकी, और मोटर राइड का आनंद ले सकते हैं। प्रत्येक का आपको अलग अलग किराया देना होगा। यदि आप मोटर राइड करते है तो आपको 150 रुपए देने होगे।
पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के पुत्र सांब को कुष्ठ रोग हो गया था। इस रोग को दूर करने के लिए सांब ने नदी के किनारे आराधना की थी। जिससे उनका कुष्ठ रोग दूर हो जाए। सूर्य देव ने प्रसन्न होकर कुष्ठ रोग दूर कर दिया था।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की चंद्र भागा नदी इस जगह से करीब 2 किमी की दूरी पर हैं। लेकिन यहां पर पानी वर्ष में कुछ घंटों के लिए आता है बहुत से लोग इस पवित्र नदी में स्नान करके अपने रोग केस दूर करते हैं। आप भी समुद्र का आनंद लेने के लिए इस जगह पर आ सकते हैं।
जगन्नाथ मंदिर
भुवनेश्वर राज्य के उड़ीसा जिले के पूरी शहर में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर देश में नही बल्कि विदेश में काफी फेमस हैं। मंदिर में भगवान जगनाथ के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र के साथ बहन सुभद्रा के इस मंदिर में विराजे हैं। पूरी का आकार शंख के आकार का है इस कारण से इसको शंख क्षेत्र भी कहते है। आपकी जानकारी के लिए बता दे की विश्व की सबसे बड़ी रसोई जागनाथ मंदिर में ही हैं।
इस रसोई में प्रतिदिन करीब 25000 लोगों का खाना बनाया जाता हैं। जबकि रथ यात्रा के दौरान यहां पर एक लाख लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था होती हैं। भगवान जगनाथ की यह रथ यात्रा प्रति वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के दिन रथ यात्रा का आयोजन किया जाता हैं।
इस यात्रा के दौरान लकड़ी के बने हुए रथ में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा को बैठाकर पूरे नगर में भ्रमण करवाया जाता हैं। इस रथ यात्रा को देखने के लिए देश के कोने कोने से भक्तजन आते हैं। मंदिर के पास में ही बीच बना हुआ हैं। जिसमे लोग घूमने के लिए जाते हैं।
भगवान जगन्नाथ मंदिर में सबसे अधिक भीड़ जनवरी से लेकर मार्च महीने के बीच में होती हैं। इस दौरान आप दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। शाम के समय जगनाथ जी की आरती की जाती हैं। इस आरती में शामिल होने के लिए भक्तो की काफी भीड़ रहती हैं। आप अपने परिवार और रिश्तेदार के साथ इस जगह पर घूमने के लिए आ सकते हैं।
भुवनेश्वर में घूमने का सही समय
भुवनेश्वर बंगाल की खाड़ी के किनारे पर स्थित हैं। इस कारण यहां पर मानसून के मौसम में अधिक बारिश होती हैं। यदि आप यहां पर घूमना चाहते है तो आप सर्दी के मौसम में आए। सर्दी के मौसम में यहां का मौसम काफी अच्छा रहता हैं।
सर्दी के मौसम में न अधिक गर्मी होती है न अधिक सर्दी। इस दौरान आप घूमने के लिए आ सकते हैं। गर्मी के मौसम में अधिक गर्मी होती हैं। पर्यटक भी गर्मी में अधिक नही आते हैं। इसलिए घूमने के लिए सबसे अच्छा मौसम सर्दी का हैं।
भुवनेश्वर में रुकने की जगह
भुवनेश्वर में रुकने के लिए कई सारी जगह हैं। भुवनेश्वर के आस पास कई सारे होटल और स्टे होम बने हुए हैं, जिसमें आप रुक सकते हैं।
मंदिर के आस पास भी रुकने के लिए कई सारी जगह बनी हुई हैं। आप अपने बजट के अनुसार होटल का चयन करके रुक सकते हैं। वही पूरी में रुकने के लिए कई छोटी बड़ी धर्मशाला बनी हुई हैं जिसमें आप रुक सकते हैं।
भुवनेश्वर का प्रसिद्ध भोजन
बहुत कम लोगों को यहां के खाने के बारे में पता होता हैं। भुवनेश्वर का खाना स्वाद और पौष्टिक के लिए जाना जाता हैं। यहां के प्रसिद्ध खाने में सबसे पहले खिचड़ी का नाम आता हैं। इस खिड़की को जग्गनाथ मंदिर में भोग के रूप में खिलाते हैं। इसके अलावा चुंगड़ी मलाई, मचा घात, दलमा, पखला भाटा, दही वाडा, आलू दम, छेना पोडा, कनिका, पुलाक आदि कई फेमस व्यंजन हैं।
यदि आप इस राज्य में घूमने के लिए जाते है तो आप इन डिश का स्वाद एक बार जरूर ले। पुलाफ जो की करिबियाई देशों में अधिक खाया जाता है वो व्यंजन भी आपको यही पर मिल जाएगा।
भुवनेश्वर में घूमने का खर्चा
यदि आप भुवनेश्वर घूमने के लिए जाना चाहते है तो आपको कम से कम 4 से 5 दिन लगेगा। इसके लिए आपके पास कम से कम 10,000 रुपए के आस पास का बजट होना चाहिए। तब आप यहां के पर्यटक स्थल को आसानी से घूम सकते हैं।
भुवनेश्वर घूमने के लिए कैसे जाए
भुवनेश्वर आप रेल मार्ग, वायुमार्ग और सड़क मार्ग से आसानी से जा सकते हैं।
सड़क मार्ग से कैसे जाए?
यदि आप सड़क मार्ग से भुवनेश्वर जाना चाहते हैं तो आप राज्य के नेशनल हाईवे के द्वारा आसानी से जा सकते हैं। वही पूरी शहर को भारत के सभी मुख्य शहरों से जोड़ दिया गया हैं। इसके लिए कई सारी प्राइवेट कंपनी की बस सुविधा उपलब्ध हैं। आप AC और NON AC बस के द्वारा यहां पर आ सकते हैं। इसके अलावा उड़ीसा राज्य सरकार कई टूरिस्ट बस को चलाता हैं। आप इन बस के द्वारा भी घूम सकते हैं।
वायुयान से कैसे जाएं?
यदि आप हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते है तो आपको भुवनेश्वर में बीजू पटनायक एयरपोर्ट पर उतरना होगा। इस एयरपोर्ट से आप किसी भी राज्य से आ सकते हैं। यहां पर कई गवर्मनेट और प्राइवेट एयरलाइंस की फ्लाइट सुविधा उपलब्ध हैं।
रेलमार्ग से कैसे जाएं?
रेल मार्ग से यदि आप यात्रा करना चाहते हैं तो आप देश के सभिनप्रमुख शहरो से यहां पर आ सकते हैं। आप अपने शहर से डायरेक्ट भुवनेश्वर के लिए ट्रेन से आ सकते हैं।
FAQ
भुवनेश्वर घूमने जाने का सही समय सर्दी के मौसम में हैं। इस समय यहां पर न अधिक गर्मी होती है और न अधिक सर्दी होती हैं।
भुवनेश्वर को मंदिर के शहर के नाम से भी जानते हैं। घूमने के लिए प्रसिद्ध जगहों के लिए आप लेख को पूरा पढ़े।
वैसे तो खाने के लिए कई सारे भोजन है। यहां के लोग सबसे अधिक खिचड़ी खाते हैं। भुवनेश्वर आने पर यहां की प्रसिद्ध खिचड़ी का लाभ प्राप्त करे।
भुवनेश्वर घूमने जाने के लिए आप सड़क मार्ग, वायु मार्ग और रेल मार्ग का चयन करके जा सकते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने आपको भुवनेश्वर में घूमने वाली सभी जगह के बारे में सारी जानकारी दी हैं। इसके अलावा वहां का प्रसिद्ध भोजन क्या हैं? इसके बारे में भी बताया है। उम्मीद करता हूं यह लेख आपको पसंद आया होगा। यदि आपको लेख पसंद आया तो इसे शेयर जरूर करे।
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