उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित बरसाना ब्रज के चौरासी कोस में बसा एक धार्मिक और पवित्र स्थल है। हर साल यहां पर कृष्ण भक्त भगवान कृष्ण की रासलीला और यहां की बरसाना होली का आनंद उठाने के लिए लाखों की संख्या में इकट्ठा होते हैं।
बरसाना की लट्ठमार होली देश-विदेश में प्रख्यात है। यह ऐसी होली है, जिसमें पुरुष महिलाओं को रंग लगाते हैं और महिलाएं उन्हें लाठी से पिटती है।
यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। लठमार होली के समय मंदिर के प्रशासन की तरफ से गुलाल के साथ-साथ मिठाइयों को भी फेंका जाता है, जिसे श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
बरसाना भगवान कृष्ण की प्रेयसी राधा का जन्म स्थान भी है, जो वृंदावन से सटा हुआ है। बरसाना में द्वापर युग के कई सारी रहस्यमई मंदिर, राधा रानी मंदिर और भगवान कृष्ण राधा के संग और अन्य गोपियों के संग की रासलीला का झलक भी यहां पर पर्यटकों को चारों तरफ देखने को मिलता है।
यदि भगवान श्री कृष्ण के नटखटपन और उनके रासलीलाओ के झांकियां देखने बरसाना जाना चाहते हैं तो बिल्कुल सही लेख पर आए हैं।
इस लेख में बरसाना के दर्शनीय स्थल, बरसाना में घूमने की जगह (Barsana me Ghumne ki Jagah), बरसाना के प्रसिद्ध मंदिर (Barsana ke Pramukh Mandir), बरसाना कैसे पहुंचे आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।
बरसाना के बारे में रोचक तथ्य
- बरसाना और वृंदावन एक दूसरे से सटे हुए है। वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण का पालन-पोषण हुआ वहीं बरसाना में मां लक्ष्मी की साक्षात रुप राधा रानी का जन्म हुआ था। माना जाता है भगवान श्री कृष्ण अक्सर अपने ग्लाले शाखाओं के साथ बरसाना में राधा और उनकी सखियों से मिलने आते थे। भगवान श्री कृष्ण का बचपन इन्ही दो गांव के बीच में बिता।
- बरसाना के बीचो-बीच एक पहाड़ की चोटी पर राधा रानी का मंदिर है। बरसाना में राधा की मां कीर्ति का भी मंदिर बनाया गया है।
- बरसाना में भगवान श्रीकृष्ण की कई चंचल और नटखट कृतियों की झांकियां दिखाई गई है। यहां पर राधा रानी के साथ उनकी कई रास लीलाओं को भी दिखाया गया है।
- बरसाना में बांके बिहारी, कीर्ति मंदिर, मान मंदिर, मोर कुटी, चित्र सखी मंदिर, ललिता मंदिर, नन्द गांव का मंदिर, भोजन थाली मंदिर, दोउ मिलवां मंदिर जैसी कई सारी ऐतिहासिक और धार्मिक मंदिर है।
- बरसाना की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है।
बरसाना में घूमने की जगह (Barsana Tourist Places in Hindi)
राधा कृष्ण बाग़
बरसाना में राधा मंदिर के दर्शन के बाद कुछ ही दूर राधा कृष्ण बाग है। यह बाग पर्यटकों के लिए बहुत ज्यादा आकर्षण का जगह है।
क्योंकि प्रकृति के सुंदर वातावरण के बीच बसे इस बाग में भगवान श्री कृष्ण और राधा की प्रेम लीला के साक्षात दर्शन होते हैं।
यहां पर कई सारे पेड़-पौधे हैं, जिनमें से कुछ पेड़ लगभग आज से 5000 वर्ष पुराने यानी कि द्वापर युग के समय के माने जाते हैं।
कहा जाता है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी यहां पर बैठे हुए थे तब धूप से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने दो वृक्ष को उत्पन्न किया था और वही वृक्ष आज भी मौजूद है।
राधा रानी मंदिर
बरसाना का राधा रानी मंदिर बरसाना के मानचित्र पर एक अद्वितीय स्थान रखता है। हालांकि यहां पर अन्य कई सारे धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल है लेकिन राधा रानी का मंदिर बहुत लोकप्रिय है।
यह मंदिर बरसाना के बीचो बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। कहा जाता है इस मंदिर को भगवान श्री कृष्ण के पोते ब्रजनाथ द्वारा 5000 साल पहले स्थापित किया गया था।
हालांकि इसके बाद यह मंदिर खंडहर में बदल गया था। लेकिन नारायण भट्ट द्वारा इस मंदिर को खोजने के बाद राजा वीर सिंह द्वारा 1675 ईस्वी में मंदिर को दुबारा बनाया गया।
हालांकि वर्तमान संरचना का निर्माण नारायण भट्ट ने राजा टोडरमल की मदद से करवाया था, जो मुगल राजा अकबर के दरबार के राज्यपाल थे। सफेद और लाल पत्थरों के इस्तेमाल से बनाया गया यह मंदिर वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति है।
जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा रानी का जन्म हुआ था और इस दिन बरसाना के इस राधा रानी के मंदिर को फूलों से सजाया जाता है और 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। बरसाना के धार्मिक स्थलों में यह स्थान प्रमुख आकर्षण है।
रतन कुंड श्याम शिला
बरसाना में कुछ ही दूर पर स्थित रतन कुंड श्याम शीला बरसाना का खूबसूरत दर्शनीय स्थल है।
यहां पर भगवान श्री कृष्ण का आज भी वह शिला मौजूद है, जहां पर वे बैठ कर बंसी बजाया करते थे और उस बंसी की मधुर धुन सुनने के लिए पशु, पक्षी, जीव, जंतु सभी उनके पास दौड़े चले जाते थे। इसी शीला के पास में रतन कुंड है।
कहा जाता है कि इस जगह पर राधारानी ने मोती बोए थे, जिसके कारण आज भी यहां पर मोतियों के पेड़ से भरे जंगल पाये जाते हैं।
मोतियों के पेड़ एक तरह से पेरु के पेड़ की एक प्रजाति होती है, जिसके फल मोती के समान ही दिखने में लगते हैं।
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ललिता सखी मंदिर बरसाना
ललिता सखी मंदिर राधा रानी की सखी का मंदिर है। राधा रानी कि 8 सखियां उनकी सबसे प्रिय थी और उनके बिना ब्रजमंडल की लीला अधूरी थी। उनके सखियों में ललिता राधा रानी से 2 दिन बड़ी थी।
इस मंदिर को बरसाना में स्थित ऊंचा गांव में निर्मित किया गया है। ललिता राधि रानी की ज्येष्ट सखी होने के कारण यहां पर उनके जन्मदिन को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। बरसाना जाने वाले दर्शनार्थी इस मंदिर का दर्शन करने जरुर आता है।
श्री राधा कुशल बिहारी मंदिर
बरसाना में राधा रानी मंदिर से तकरीबन 50 मीटर की दूरी पर हरे भरे पेड़ पौधों के बीच श्री राधा कुशल बिहारी मंदिर स्थित है। यह मंदिर अपनी प्राचीन शैली के लिए प्रसिद्ध है।
इस मंदिर की वास्तुकला काफी हद तक राजस्थानी किलो से मिलती जुलती है। मंदिर का निर्माण जयपुर रियासत के महाराजा सवाई माधव सिंह के द्वारा कराया गया था।
मंदिर के निर्माण में तकरीबन 14 साल का समय लगा था। मंदिर के सामने का हिस्सा बादाम रंग का है।
मंदिर के पास एक और छोटा सा मंदिर है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और राधा र की काले रंग के पत्थर और मिश्र धातु से बनी मूर्तियां स्थापित है।
प्रिया कुण्ड
ब्रज की धरती पर कदम कदम पर राधा और भगवान श्री कृष्ण के अनन्य प्रेम को दर्शाते हुए स्थान है, जिनमें से एक पीली पोखर है।
कहा जाता है कि इसी स्थान पर एक बार राधा रानी विवाह के समय भगवान श्री कृष्ण के नाम की मेहंदी से भरे हुए हाथ को धोने के लिए आई थी और यहां पर उन्होंने अपने हाथों से ही जल की धारा उत्पन्न की थी।
उसी जल की धारा से इस जलाशय का निर्माण हुआ। कहा जाता है कि आज भी इस जलाशय का पानी मेहंदी रंग का है।
यहां तक कि इस जलाशय के पानी को खाली भी करवाया गया। लेकिन दोबारा यह जलाशय मेहंदी रंग के पानी से भर गया। यह जलाशय 40 फीट गहरा है और बरसाना का एक महत्वपूर्ण दार्शनिक स्थल है।
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दान बिहारी मंदिर
बरसाना में स्थित विभिन्न मंदिरों में से एक खूबसूरत दर्शनीय स्थल दान बिहारी मंदिर है। यह मंदिर बरसाना का सबसे प्राचीन मंदिर है, जो तकरीबन 800 साल से भी ज्यादा पुराना है।
इस मंदिर से जुड़ी एक कथा यह भी है कि इस स्थान पर एक बार एक गरीब ब्राह्मण अपनी बेटी की शादी के लिए आवश्यक धन की व्यवस्था करने का संघर्ष कर रहा था। वह अपने दुख में भगवान श्री कृष्ण का नाम लेता है।
भगवान श्रीकृष्ण उसके दर्द से प्रभावित होते हैं और फिर राधा रानी के वजन जितना सोना उस गरीब ब्राह्मण को उपहार स्वरूप देते हैं। इसीलिए इस मंदिर का नाम दान बिहारी मंदिर पड़ा है।
फिसलनी शिला
बरसाना में स्थित फिसलन शिला बरसाना का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है, जो बरसाना से तकरीबन 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कहा जाता है कि इस जगह पर भगवान श्री कृष्ण और उनके ग्वाले सखा पहाड़ के ढलानी चट्टानों से फिसला करते थे और आज भी उसका निशान यहां पर बना हुआ है।
मान मंदिर बरसाना
मान मंदिर बरसाना स्थित गुफा के अंदर बना एक मंदिर है। यह बरसाना का खूबसूरत दर्शनीय स्थल है।
इस जगह को लेकर एक प्रसिद्ध किवदंती इस प्रकार है कि एक बार राधा रानी भगवान श्री कृष्ण से पूछती है कि वह कैसी लग रही है।
भगवान श्री कृष्ण राधाजी को चंद्रमा के समान सुंदर बताते हैं। लेकिन राधा रानी कहती है चंद्रमा में तो दाग होता है और इस बात से रूठ कर वो यहां आकर एक गुफा में बैठ जाती हैं।
भगवान श्री कृष्ण राधा रानी को मनाने के लिए प्रेम स्वरूप उनके चरणों में बैठ जाते हैं। इसीलिए इस मंदिर का नाम मान मंदिर पड़ा।
इस मंदिर के गुफा में भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के अन्य प्रेम को दर्शाता कई शीला के दर्शन कर सकते हैं।
भोजन थाली मंदिर
बरसाना से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर प्रकृति के सौंदर्य वातावरण के बीच स्थित यह जगह बरसाना का एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
इस जगह को लेकर एक रोचक तथ्य यह है कि इस स्थान पर जब भगवान श्री कृष्ण चोरी से दूध पी रहे थे तो उनके हाथों से दूध का कटोरा नीचे गिर जाता है, जिससे दूध की धारा पहाड़ के ढलान से नीचे की तरफ बहते चली जाती है और आज भी इन विशाल चट्टानों पर दूध की वह धारा के निशान देखने को मिलते हैं।
दोउ मिलवन
दोउ मिलवन बरसाना में कुछ ही दूर पर स्थित एक और खूबसूरत और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर बाल समय में भगवान श्री कृष्ण और राधारानी पहली बार मिले थे।
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कीर्ति मंदिर
बरसाना में रंगीली महल के करीब स्थित प्रसिद्ध कृति मंदिर को अद्भुत कलाकृतियों से आकर्षक बनाया गया है। यह मंदिर राधा रानी की मां जिनका नाम कीर्ति था, उनको समर्पित है।
यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर राधा रानी की मूर्ति को उनकी मां के गोद में बिठाया हुआ प्रदर्शित किया गया है। मंदिर के सामने एक गार्डन भी है, जहां पर दर्शनार्थी कुछ समय बैठ कर आराम कर सकते हैं।
प्रेमसरोवर
प्रेम सरोवर भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के अटूट प्रेम का एक साक्षी स्थान है। यह सरोवर नंद गांव और बरसाना के मध्य में स्थित है।
कहा जाता है कि इसी जगह पर राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण एक दूसरे से मिलने आया करते थे। इस जगह को लेकर एक किंवदंती इस प्रकार है कि एक बार राधा रानी भगवान श्री कृष्ण से यहां मिलने आती है।
लेकिन भगवान श्रीकृष्ण नहीं आते हैं तब राधाजी वियोग में आंसू बहाती है और उसी आंसू से इस सरोवर का निर्माण होता है।
चित्रासखी मंदिर बरसाना
चित्रसखी मंदिर मां राधा रानी के एक सखी का मंदिर है, जो बरसाना के चिकसौली गांव में स्थित है। कहा जाता है राधा रानी की यह सखी चित्र कला प्रेमी थी, जिन्होंने सर्वप्रथम भगवान कृष्ण का चित्र बनाया था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार राधा रानी के भाई मां यशोदा से भगवान श्री कृष्ण की एक तस्वीर मांगते हैं तब मां यशोदा चित्रा को बुलाकर भगवान श्री कृष्ण की एक सुंदर छवि बनाने के लिए बोलती है।
उसके बदले में वह चित्रा को मनचाही चीज देने का वचन देती है। छवि बनने के बाद चित्रा मां यशोदा को भगवान श्री कृष्ण को उन्हें दे देने की इच्छा मांगती है।
वचनबद्ध यशोदा मां इस बात को सहन नहीं कर पाती कि अपने लाडले कन्हैया को किसी और को कैसे दे दूं, जिसके कारण मां यशोदा मूर्छित होकर गिर पड़ती है।
तब भगवान श्रीकृष्ण चित्रा को मां यशोदा के वचन वापस लौटाने के लिए आग्रह करते हैं और एक रूप में चित्रा के कुंज में निवास करने का वचन देते हैं।
इस कारण यह मंदिर बरसाना जाने वाले दर्शनार्थियों के लिए काफी महत्त्व रखता है। चित्रासखी मंदिर में राधे श्याम की सेविका के रूप में चित्रशाखी को प्रदर्शित किया गया है।
यहां पर एक सुंदर बगीचा भी है, जहां पर दर्शनार्थी प्राकृतिक नैसर्गिक वातावरण के बीच विश्राम कर सकते हैं और शांति का अनुभव कर सकते हैं।
संकरी खोर
यह संकरी खोर ब्रह्मगिरि पर्वत और विलास पर्वत के बीच है। इस मार्ग से गोपिया नियमित रूप से अपने दूध उत्पादों को बाजार में बेचने के लिए ले जाती थी।
इस दौरान यहां पर भगवान श्री कृष्ण और उनके शाखाओं की टोली गोपियों को इस मार्ग से जाने के बदले में उनसे दूध, दही और माखन की मांग करते थे। गोपियों को उनकी मांग के अनुसार दूध, दही, मक्खन देने के बाद ही गोपियों को जाने देते थे।
चूंकि बाजार जाने के लिए यह एकमात्र मार्ग हुआ करता था, जिसके कारण गोपियों को उन्हें दूध दही देना पड़ता था और यदि गोपियां दूध, दही या मक्खन नहीं देती थी तो गोपियों के मटके को फोड़ देते थे।
भगवान श्री कृष्ण और उनके साथ सिखाओ के नटखट कृतियों की झांकियां संकरी खोर में प्रदर्शित की गई है।
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बरसाना में लोकप्रिय स्थानीय भोजन
बरसाना सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहां पर लाखों की संख्या में पर्यटक आते रहते हैं। ऐसे में यहां पर रेस्टोरेंट, ढाबे और स्टॉल की कमी नहीं है। यहां पर पर्यटकों को उत्तर भारत के विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेने का मौका मिल सकता है।
हालांकि यह एक धार्मिक स्थान होने के कारण यहां पर केवल शाकाहारी भोजन परोसे जाते हैं लेकिन भोजन का स्वाद लाजवाब होता है। बरसाना के पर्यटकों के बीच कुछ ज्ञलोकप्रिय व्यंजन निम्नलिखित हैं:
लस्सी
बरसाना यादव समुदाय से जुड़ा हुआ है, जो शुरुआत से ही गाय पालने के पेशे में जुड़े हुए थे। जिस कारण यहां पर दूध दही से बनने वाली कई साड़ी व्यंजन देखने को मिल जाती है।
उन्हीं में से एक लस्सी है, जिसे मिट्टी के कुल्हड़ में परोसा जाता है, जो मलाईदार दही और सूखे मेवों से तैयार किया जाता है। यहां के लस्सी का स्वाद आप कभी भी नहीं भूल सकते।
रबड़ी
बरसाना की रबड़ी काफी प्रसिद्ध है। तेज आंच पर दूध को गर्म करके रबड़ी को तैयार किया जाता है और मालपुआ या फिर अकेली भी उसे खाया जाता है। बरसाना की यात्रा के दौरान रबड़ी का स्वाद जरूर लें।
पेड़ा
मथुरा का पेड़ा देश भर में प्रसिद्ध है, जो बरसाना में जगह-जगह पर आपको मिल जाएगा। यहां पर पेड़े को प्रसाद के रूप में खरीदा जाता है। यह पेड़े अलग अलग स्वाद के साथ अलग-अलग आकार में बेचे जाते हैं।
इसके अतिरिक्त समोसा, कचौरी, मालपुआ और अन्य कई प्रकार की उत्तर भारतीय भोजन और देश भर में प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड बरसाना में मिलते है। तो बरसाना जाएं तो इन सभी स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद एक बार जरूर ले लें।
बरसाना कैसे पहुंचे?
बरसाना की यात्रा के लिए हवाई मार्ग का चयन करना चाहते हैं तो आप आगरा में स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय हवाई अड्डे की टिकट बुक कर सकते हैं।
यह हवाई अड्डा बरसाना का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, जो बरसाना से लगभग 115 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। आप 2 से 3 घंटे के भीतर किसी भी वाहन की मदद से हवाई अड्डे से बरसाना पहुंच सकते हैं।
बरसाना मथुरा के अंतर्गत आता है और उत्तर प्रदेश का यह जिला भारत के विभिन्न राज्यों के सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है।
यदि आप उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं तो यूपीएसआरटीसी द्वारा संचालित बस की यात्रा से यहां पहुंच सकते हैं और यदि आप किसी अन्य राज्य से है तो लग्जरी बस से यहां की यात्रा कर सकते हैं।
प्रसिद्ध स्थान | दूरी |
---|---|
वृंदावन से बरसाना की दूरी | 43.3 KM (NH 19/NH 44) |
मथुरा से बरसाना की दूरी | 50.1 KM (NH 19/NH 44) |
गोवर्धन से बरसाना की दूरी | 20.3 KM (MDR143W) |
नंद गांव से बरसाना की दूरी | 10.3 KM (MDR143W) |
गोकुल से बरसाना की दूरी | 61.1 KM (NH 19/NH 44) |
यदि बरसाना की यात्रा के लिए आप रेलवे मार्ग का चयन करना चाहते हैं तो बता दें कि बरसाना का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है, जो मथुरा में है। बरसाना मथुरा के अंतर्गत आता है।
यह रेलवे स्टेशन बरसाना से लगभग 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां के लिए आपको किसी भी शहर से ट्रेन मिल जाएगी। ज्यादातर लोग रेलवे मार्ग के जरिए बरसाना पहुंचने के लिए इसी रेलवे स्टेशन की टिकट बुक करते हैं।
बरसाना घूमने जाने का सही समय
अप्रैल से जून के महीने में बरसाना में तापमान 30 से 41 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है, जिसके कारण इस दौरान यहां पर यात्रा करना काफी घुटन भरा हो सकता है।
ऐसे में बरसाना घूमने का सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का होता है। नवंबर से मार्च के दौरान यहां पर तापमान लगभग 12 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जिससे वातावरण ठंडा और सुखद होता है।
यह यात्रा के लिए काफी अच्छा समय होता है। हालांकि बरसाना एक धार्मिक स्थल है, जिसके कारण साल के हर मौसम में यहां पर पर्यटकों की भीड़ होती है।
हालांकि बरसाना घूमने का ज्यादा आनंद राधा अष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी और होली के समय आता है क्योंकि यह तीनों पर्व वहां पर काफी धूमधाम से और शानदार शैली में मनाया जाता है।
बरसाना में रुकने की जगह
बरसाना उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है, जो धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है।
बात करें यहां की रुकने की जगह तो यहां पर आपको लिमिट मात्रा में ही होटल्स मिलते हैं, जहां पर आप बहुत कम बजट में रूम ले सकते हैं।
यहां के तकरीबन सभी होटल में रूम का किराया बहुत सस्ता होता है। 500 से 700 के बीच रूम का किराया हर दिन लिया जाता है।
इसके अतिथि यहां पर गेस्ट हाउस सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं, जहां पर आप रात में विश्राम कर सकते हैं। कई जगह पर धर्मशालाएं बनी हुई है, जहां पर आप मुफ्त में भी रह सकते हैं।
बरसाना कितने दिनों के लिए जाएं?
बरसाना ज्यादा बड़ा शहर नहीं है, यह मथुरा जिले का बस छोटा सा धार्मिक गांव है। आप बरसाना के सभी पर्यटन स्थलों को 2 दिन में आसानी से देख सकते हैं।
लेकिन अगर आप होली के दौरान यहां पर आते हैं तो आपको कम से कम 3 दिन रुकना ही चाहिए।
क्योंकि पर्यटन स्थलों के अतिरिक्त यह जगह लठमार होली के लिए बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है और उस समय यहां पर हर जगह काफी ज्यादा भीड़ रहती हैं।
बरसाना घूमने का खर्चा
जैसे हमने आपको पहले ही बताया कि बरसाना बहुत छोटा सा गांव है, जिसके कारण आपको यहां पर ज्यादा दिन ठहरने की जरूरत नहीं है।
अगर आप 2 दिन की भी योजना बनाते हैं तो आप ₹3000 से ₹4000 के बजट में बहुत आसानी से बरसाना घूम कर आ सकते हैं।
यहां पर 2 दिन ठहरने के खर्चे में कम से कम ₹1000 रूम का किराया, इसके अतिरिक्त ₹1000 खाने-पीने का खर्चा, ₹200 – ₹400 ट्रांसपोर्ट का खर्चा, ₹200- ₹300 प्रसाद का खर्चा शामिल है।
FAQ
नंदगांव बरसाना से 8.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
नहीं, वृंदावन और बरसाना दोनों अलग-अलग है लेकिन दोनों गांव समीप है। वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण का पालन पोषण हुआ था, वहीं बरसाना में राधा रानी का जन्म हुआ था।
नहीं, बरसाना कोई जिला नहीं है। बरसाना उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक धार्मिक जगह है, जहां पर भगवान श्री कृष्ण की प्रेयसी राधा रानी का जन्म हुआ था।
हां, बरसाना में सभी मंदिरों के बाहर कई सारे छोटे-छोटे स्टॉल और दुकान दिख जाएंगे, जहां पर दीया, मोमबत्ती इत्यादि पूजा पाठ से संबंधित चीजे साथ ही भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियां, कपड़े, साड़ी हस्तशिल्प और हाथ से बुने कई सारे उत्पाद भी बेचे जाते हैं, जिसे आप खरीद सकते हैं।
राधा रानी का मंदिर बरसाना में 250 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर स्थित है।
लठमार होली के बारे में मान्यता है कि होली के दिन भगवान श्री कृष्ण बरसाना राधा रानी से मिलने के लिए जाते हैं, जहां पर भगवान श्री कृष्ण और उनके ग्वाले सखा राधा और उनके सखियों के साथ छेड़खानी करते हैं। तब राधा रानी और उनकी सखियां हाथों में छड़ी लेकर उनके पीछे मारने के लिए भागती है। तब से ही बरसाना में लठमार होली खेलने की परंपरा है।
निष्कर्ष
भगवान श्री कृष्ण के नटखटपन और राधा और गोपियों के साथ उनकी रासलीला के बारे में आपने कई सारी कहानी सुनी होगी लेकिन उसकी एक झलक लेने के लिए बरसाना जरूर जाएं।
हम उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी बरसाना के दर्शनीय स्थल, बरसाना में घूमने की जगह (Barsana me Ghumne ki Jagah), बरसाना के प्रसिद्ध मंदिर, बरसाना कैसे पहुंचे आदि के बारे में जानकारी अच्छी लगी होगी।
यह जानकारी आपकी बरसाना की यात्रा को सुगम बनाने में मदद करेगी। यदि लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें।
साथ ही लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो आप कमेंट सेक्शन में जरूर लिखकर बताएं।
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🙏जय श्री राधे राधे जी🙏
मैं भी दिल्ली से बरसने गया था पर मैं ज्यादा समय वह नही रुक पाया पहुचते पहुचते मंदिर बन्द होने का समय हो चुका था लेकिन कोशिश करके पहुंच गया बहुत दिल को सकूँ मिला जितनी भी देर तक मैं मन्दिर रुका रहा और वापस आपने जगह आ चुका हूँ अगली बार चाहुगा की प्रभु के दरबार मे पहले से ज्यादा समय निकाल कर प्रभु जी की सेवा कर सकू 🙏जय श्री राधे राधे🙏