Coorg Me Ghumne ki Jagah

कुर्ग की उत्पत्ति कोडगु से हुई थी। इसका मतलब माता का आना होता है और यह नाम कावेरी माता को समर्पित था।  कुर्ग शहर जो आठवीं शताब्दी में बसा था और यहां पर सबसे पहले गंगा वंश के द्वारा शासन किया गया।

यह शहर कई अन्य शासकों की राजधानी भी रह चुका है। जैसेः चोल, चालुक्य और पांडव इत्यादि कुर्ग शहर पर 1947 तक अंग्रेजों का शासन था और अंग्रेजों का एक कार्यालय भी कुर्ग शहर में बना हुआ था।

 राजा की सीट

कूर्ग जो की मदिकेरी के नजदीक स्थित हैं। यहां के राजा पर जहां अपना समय मनोरंजन के लिए बिताते थे, आज के समय में उसको राजा की  सीट के नाम से पहचाना है। उस जगह पर कूर्ग के राजा इस बाग़ में बैठा करते थे और अपना समय बिताते थे।

नीलकंडी झरना

कूर्ग में स्थित यह झरना जिसे हनी वैली के नाम से भी पहचाना जाता है। लेकिन इस झरने को नीलकंडी झरना भी कहते हैं। कूर्ग में स्थित यह झरना जहां पर लगभग 50 फीट से अधिक ऊंचाई से पानी नीचे गिरता है

     स्वर्ण मंदिर (नामड्रोलिंग मठ)

नामड्रोलिंग मठ जहां पर तिब्बत वास्तुकला और कलाकारी की संस्कृति देखने को मिलती है और तिब्बत की संस्कृति का यह मठ एक बेहतरीन उदाहरण है। नामड्रोलिंग मठ जो कुर्ग हिल स्टेशन से 34 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

  इरुप्पू झरना

कर्नाटक के कूर्ग जगह को पहाड़ी इलाके के रूप में जाना जाता है। यहां पर 170 फीट की ऊंचाई से गिरते हुए झरने पर्यटकों के मन को मोह लेते हैं। यहां पर प्रकृति का सौंदर्य काफी आकर्षक है

ताडियनडामल पीक

कूर्ग हिल स्टेशन की सबसे ऊंची चोटी, जिसे ताडियनडामल पीक के नाम से पहचाना जाता है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 1748 मीटर की है। 

    भगामंडला

यहां पर तीन नदियों का संगम होता है। कावेरी नदी, कनिका नदी और सुज्योति नदी तीनों इसी स्थान पर मिलती है। ऐसा माना जाता है कि कावेरी नदी कावेरा ऋषि को भगवान ब्रह्मा के आशीर्वाद के रूप में मिली थी। यहां पर 3 नदियों का मौजूद संगम और प्राकृतिक सौंदर्य देखने लायक है।

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