हमारा देश भारत जहां पर घूमने की जगह में मंदिर और धार्मिक स्थल बहुत अधिक है, जिसमें राजस्थान के जैसलमेर जिले का रामदेवरा भी शामिल है। रामदेवरा में लोकदेवता बाबा रामदेव जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है। रामदेवरा मंदिर के पीछे बहुत ही बड़ा और पुराना इतिहास छुपा हुआ है।
जैसलमेर में स्थित यह धार्मिक स्थल सन 1442 में बाबा रामदेव जी के समाधि लेने के पश्चात बना है। कहा जाता है कि सन 1442 में बाबा रामदेवजी ने यहां पर जीवित समाधी ली थी। रामदेवजी को हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग भावपूर्वक मानते हैं।
बाबा रामदेव जी की समाधि लेने के पश्चात बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने यहां पर समाधि के चारों तरफ भव्य मंदिर का निर्माण किया। बाबा रामदेव जी को राजस्थान के लोक देवता के रूप में भी जाना जाता है। रामदेवरा का यह विश्वविख्यात मंदिर जोधपुर-जैसलमेर हाईवे पर पोकरण से 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
इस लेख में रामदेवरा मंदिर कहां है, रामदेवरा में घूमने की जगह (ramdevra me ghumne ki jagah), रामदेवरा के आसपास घूमने की जगह (places to visit near ramdevra), रामदेवरा जाने का रास्ता आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
रामदेवरा के बारे में रोचक तथ्य
- रामदेवरा आज के समय में बाबा रामदेव जी के मंदिर के नाम और रणुजा से फेमस है। रामदेवरा का इतिहास कई सालों पुराना है। ऐसा बताया जाता है कि बाबा रामदेव जी ने कुल 24 पर्चे बताए थे और राक्षस भैरव का वध किया था।
- भैरव राक्षस ने काफी समय तो बाबा रामदेव जी के खिलाफ अपनी शक्ति को जारी रखी। लेकिन बाद में हार मानकर आत्मसमर्पण कर दिया।
- बाबा रामदेव जी के यहां मक्का-मदीना से आए हुए मेहमानों को पांच पीपली उगा कर एक नया परचा दिया था।
- बाबा रामदेव जी ने मेवाड़ के सेठ दलाजी को पुनर्जीवित किया था और सिरोही के एक अंधे साधु के नेत्र के खोल दिए।
- पश्चिमी राजस्थान के लोगों का राम सरोवर तालाब के निर्माण के बाद जल संकट से दूर किया।
- ऐसे बाबा रामदेव जी ने कुल 24 पर्चे दिखाए थे और कई समस्याओं का समाधान किया था। इन्हीं पर्चो की वजह से बाबा रामदेव जी का मंदिर आज पूरे भारत में नहीं पूरे विश्व में विख्यात है।
रामदेवरा में लोकप्रिय पर्यटक स्थल (Ramdevra Tourist Places in Hindi)
वैसे तो ramdevra ghumne ki jagah के लिए सबसे मशहूर स्थल बाबा रामदेव का मंदिर है। लेकिन अन्य कई धार्मिक स्थल है, जहां पर आप जा सकते है, जिनकी सूची निम्न है:
रामदेवरा मंदिर (Ramdevra Mandir)
रामदेवरा में बाबा रामदेव जी का मंदिर एक पर्यटक स्थल और धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है। बाबा रामदेव जी के मंदिर में रोजाना लाखों शरणार्थी दर्शन करने पहुंचते हैं। रामदेवरा में स्थित बाबा रामदेव जी का मंदिर जहां सबसे ज्यादा भीड़ भाद्रपद मास में रहती है। रामदेव जी का यह लोकप्रिय मंदिर जहां श्रद्धालु देश के हर कोने से दर्शन लाभ के लिए आते हैं।
रामदेव जी का मंदिर सुबह 4:00 बजे से लेकर शाम 9:00 बजे तक द्वार खुला रहता है। यह समय यात्रियों की सुविधा अनुसार सर्दी और गर्मी के मौसम में बदला भी जाता है। रामदेवरा मंदिर में कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है। यह मंदिर रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
परचा बावड़ी
रामदेव जी के मंदिर के पास एक पर्चा बावड़ी स्थित है, जो देखने लायक है। इस बावड़ी का निर्माण विक्रम संवत 1857 में संपूर्ण हुआ था। इस बावड़ी में लाखों श्रद्धालु सैकड़ों सीढ़ियां नीचे उतरकर दर्शन करने के लिए जाते हैं। इस बावड़ी के जल की शुद्धता और पवित्रता अधिक है। ऐसा माना जाता है कि इस बावड़ी में स्नान करने से हजारों पाप धुल जाते हैं।
डाली बाई कंगन
रामदेव जी के मंदिर में डाली बाई का कंगन स्थित है। जितने भी श्रद्धालु रामदेवरा बाबा रामदेव जी के दर्शन करने पहुंचते है, वहीं पास में स्थित पत्थर का बना डाली बाई कंगन, जो लाखों लोगों के लिए एक आस्था का प्रतीक माना जाता है।
ऐसा माना गया है कि इस कंगन की अंदर से निकलने वाले लोगों के सारे रोग दूर हो जाते हैं। डाली बाई का कंगन डाली बाई की समाधि के पास ही स्थित है।
डालीबाई बाबा रामदेव की मुंहबोली बहन थी, जो बाबा रामदेव को एक पेड़ की नीचे नवजात शिशु के रूप में मिली थी। डाली बाई की समाधी बाबा रामदेव जी की समाधी के मात्र कुछ मीटर की दूरी पर ही मौजूद है।
गुरु बालीनाथ जी का धुणा
रामदेवरा के पास बाबा रामदेव जी के गुरु बालीनाथ जी का धुणा आश्रम मौजूद है। गुरु बालीनाथ जी का धुणा रामदेवरा से 12 किलोमीटर दूर पोकरण में स्थित है। ऐसा बताया जाता है कि बाबा रामदेव जी ने अपने बालक अवस्था में यहीं पर शिक्षा ग्रहण की थी। ऐसा भी बताया जाता है कि गुरु बालीनाथ जी ने ही बाबा रामदेव जी को भैरव राक्षस से बचाने के लिए इसी आश्रम में छुपाया था।
आज भी यहां पर पोकरण के पश्चिम में सालम सागर और रामदेव सर तालाब स्थित है। जहां पर गुरु बालीनाथ जी के आश्रम पर प्रति वर्ष मेले का आयोजन होता है और मेले के दौरान आज के समय में भी लाखों लोग गुरु बालीनाथ जी के धुणें पर आकर अपनी श्रद्धा को अर्पित करते हैं।
गुरु बालीनाथ जी के धुणा के पास ही पुराने समय की प्राचीन बावड़ी स्थित है, जो श्रद्धालु रामदेवरा बाबा रामदेव जी के दर्शन करने जाते हैं। उनमें से अधिकतर लोग गुरु बालीनाथ जी के धुणा पर भी गुरु महाराज के दर्शन करने अवश्य जाते हैं।
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पंच पीपली
बाबा रामदेव जी के कई पर्चे आज भी विख्यात है। उसमें से एक पर्चा इस पंच पीपली से जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि एक समय मक्का मदीना से पांच पीर बाबा रामदेव जी के यहां रामदेवरा में अतिथि बनकर आए थे।
उस समय उन अतिथियों ने भोजन के समय खुद के कटोरे के अलावा भोजन ग्रहण करने का प्रण बाबा रामदेव जी के सामने आया तब ऐसा बताया जा रहा है कि बाबा रामदेव जी ने रामदेवरा गांव के पूर्व में स्थित ऐका गांव में पांच पीपली को लगाकर अपना एक पर्चा बताया।
यह पांचो पिपलियां रामदेवरा से 12 किलोमीटर दूर ऐका गांव में आज भी स्थित है और इसीलिए बाबा रामदेव जी को पीरों के पीर रामसा पीर के नाम से भी जाना जाता है।
रुणीचा कुआं
रुणीजा कुआं जो बाबा रामदेव जी के चमत्कार से निर्मित एक कुआं है और वहां पर बाबा रामदेव जी का एक छोटा सा मंदिर भी बना हुआ है। यह कुआं रामदेवरा से 2 किलोमीटर पूर्व की दिशा में स्थित है। यहां पर तंवर वंश की कुलदेवी मां चिल्लाय का मंदिर भी है।
राक्षस गुफा
रामदेवरा में बाबा रामदेव जी की अवतार से पहले भूतड़ा जाति का भैरव नाम का राक्षस रहता था। इस राक्षस का आतंक आसपास के सभी इलाकों में फैला हुआ था। यह राक्षस 36 कोस दूर से ही मनुष्य की सुगंध को सुघ कर मनुष्य का वर्ग पता किया करता था। लेकिन यह राक्षस गुरु बालीनाथ जी से बहुत ज्यादा डरता था।
भैरव राक्षस की यह गुफा आज भी रामदेवरा मंदिर से 12 किलोमीटर दूर पोकरण के निकट स्थित है और आज भी इस क्षेत्र में बाबा रामदेव जी को प्रसाद चढ़ाने और पूजा करने के पश्चात भैरव राक्षस को बाकला चढ़ाने का रिवाज है।
रामदेव जी पैनोरमा
रामदेवरा मंदिर के पास ही पैनोरमा स्थित है। यहां पर बाबा रामदेव जी के द्वारा दिखाए गए, सभी पर्चों का विस्तृत उल्लेख किया गया है और यहां पर सभी और अलग-अलग आकृतियों और फोटो के माध्यम से सहेज कर रखा गया है।
यह पैनोरमा किसी म्यूजियम से कम नहीं है। रामदेवरा घूमने वाले लोगों के लिए यहां जाना एक सुनहरा अवसर है।
राम सरोवर
पश्चिमी राजस्थान में पानी का संकट आज भी है और पुराने जमाने में भी पानी का संकट बहुत अधिक था। इसलिए पश्चिमी राजस्थान में पानी के संकट को देखते हुए रामदेव जी ने एक तालाब खुदवाया था, जिसे राम सरोवर के नाम से जाना जाता है।
यह तालाब रामदेव जी के मंदिर के पीछे की तरफ है, यह तालाब 150 एकड़ में फैला हुआ है और 25 फीट गहरा है। एक तालाब के पानी से आज भी पश्चिमी राजस्थान के कई गांवों में पानी की पूर्ति होती है। इस तालाब में आप बोटिंग भी कर सकते हैं।
पालना झूलना
बाल्यकाल से ही रामदेवजी ने कई प्रकार के पर्चे देने शुरू कर दिए थे जब रामदेवजी पालने में सो रहे थे तब पास में ही दूध गर्म हो रहा था अधिक गर्म हो जाने के कारण वह उनने लगा तब माता मैणादे दूध को नीचे रखने के लिए दौड़ी तब रामदेवजी ने दूध को अपने पर्चे से नीचे उतार दिया मां मैणादे यह देख अचंभित हो उठी।
डाली बाई की जाल
ramdevra mandir से 3 किलोमीटर की दूरी पर NH11 पर डाली बाई की जाल मौजूद है। ऐसा कहा जाता है कि जब रामदेवजी छोटे थे तब एक जाल के नीचे एक नवजात शिशु मिला था। जिसे बाद में डाली बाई नाम दिया गया और रामदेवजी ने डाली बाई को मुहबोली बहन बना लिया था।
डाली बाई ने अपने सम्पूर्ण जीवन काल में दलित लोगों का काफी उद्धार किया और रामदेवजी की भक्ति में लीन रहती थी। जब रामदेव जी ने जीवित समाधी ली तो डाली बाई ने भी 2 पूर्व जीवित समाधी ले ली थी।
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रामदेवरा के पास घूमने की जगह और पर्यटक स्थल (Ramdevra Near Tourist Places)
रामदेवरा में घूमने का पर्यटक स्थल रामदेवरा के अलावा जैसलमेर में कई सारे पर्यटक स्थल है, जो रामदेवरा से काफी नजदीक पड़ते हैं। रामदेवरा से जैसलमेर की दूरी 108 किलोमीटर है।
जैसलमेर का किला
जैसलमेर का किला पूरे राजस्थान में ही नहीं विश्व भर में फेमस है। जैसलमेर के किले को सोनार का किला भी कहा जाता है। जैसलमेर में देखने लायक बहुत सारी जगह है, जिसमें जैसलमेर का किला भी शामिल है। जैसलमेर का किला बहुत बड़ा है और जैसलमेर दुनिया भर के सबसे बड़े जिलों में से एक है।
इस किले को राव जैसल द्वारा बनाया गया था, जिसे जैसलमेर का सबसे शक्तिशाली शासक माना जाता है। जैसलमेर किले के पास थार का रेगिस्तान स्थित है, जो इस जिले के सौंदर्य को और अधिक बढ़ा देता है। जैसलमेर किले का प्रवेश द्वार भी देखने लायक है।
जैसे ही व्यक्ति जैसलमेर जिले के प्रवेश द्वार पर पहुंचता है, तो वहां पर आपको स्वागतकर्ता के रूप में लोग मिल जाएंगे। यह हमारे राजस्थान की संस्कृति को बढ़ावा देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसलमेर किले का प्रवेश द्वार शीशम की लकड़ी का बना हुआ है और इसकी ऊंचाई लगभग 60 फीट की है।
डेजर्ट सफारी
जैसलमेर में सबसे फेमस घूमने की जगह डेजर्ट सफारी ही है और जितने भी पर्यटक जैसलमेर में घूमने के लिए आते हैं। उन में से 95% प्रतिशत पर्यटक सिर्फ डेजर्ट सफारी के लिए ही आते हैं।
डेजर्ट सफारी में घूमने का मजा कुछ अलग ही है। यहां विदेशों से पर्यटक पहुंचते हैं। गर्मियों में दिन के समय यहां चिलचिलाती गर्मी लोगों को डेजर्ट सफारी का आनंद उठाने में अड़चन पैदा करती है।
इसलिए यदि गर्मियों में पर्यटक जाते हैं, तो सुबह या शाम के समय ही डेजर्ट सफारी में घूमते हैं। अन्यथा अक्टूबर से लेकर अप्रैल के बीच डेजर्ट सफारी जाने का समय सबसे बेहतर माना जाता है। जैसलमेर की डेजर्ट सफारी की सुनहरी रेत जो डेजर्ट सफारी के सौंदर्य को कई गुना और बढ़ा देती है।
यहां पर विदेशी और देश के अलग-अलग जगहों से आए हुए पर्यटकों को ऊंट पर और जिप्सी सफारी की सुविधा प्रदान कराई जाती है। कैमल सफारी 90 मिनट की होती है, तो दूसरी तरफ जबकि सफारी 45 मिनट की होती है।
इस अवधि के दौरान आने वाले पर्यटकों को डेजर्ट सफारी की सैर करवाई जाती है। सफारी के अलावा यहाँ पर राजस्थानी संगीत, नृत्यु और भोजन का आनंद भी ले सकते है।
पटवों की हवेली
जैसलमेर में पर्यटक स्थलों की कमी नहीं है। पर्यटक स्थलों की सूची में पटवों की हवेली का नाम भी शामिल है। पटवों की हवेली, जो जैसलमेर की शान को चार चांद लगाती है। पीले रंग के करामाती शेड में डूबी पटवों की हवेली जो जैसलमेर में आने वाले सभी पर्यटकों का मन मोह लेती है।
पटवों की हवेली को पटवा गांव के एक अमीर व्यापारी के द्वारा बनाया गया और उसी के पश्चात इस पर्यटक स्थल का नाम पटवों की हवेली पड़ गया। पटवों की हवेली जैसलमेर में एक प्रभावशाली स्मारक भी है।
पटवा गांव के इस अमीर व्यापारी ने अपने पांच बेटों के लिए अलग-अलग इमारतों का निर्माण किया था। इन पांचों सदन का निर्माण 19वीं शताब्दी में किया गया। उस समय इन पांचों हवेलियों को बनाने में लगभग 60 साल लगे थे।
पटवा एक ब्रोकेड्स व्यापारी थे। इसलिए इनके द्वारा बनाई गई हवेली को ब्रोकेड मर्चेंट की हवेली के नाम से भी जाना जाता है। पटवों की हवेली का निर्माण बहुत ही अद्भुत तरीके से किया गया। यहां पर 60 से अधिक बाल कहानियां और एक सुंदर वास्तुकला के खंभे मौजूद है, जो इस हवेली को खूबसूरत बनाते हैं।
डेजर्ट कल्चर सेंटर एंड म्यूजियम
राजस्थान आज भी पुरानी संस्कृति और पुरानी पहचान को कायम रखे हुए हैं। राजस्थान के जैसलमेर में स्थित यह म्यूजियम जहां पर आप को समृद्ध संस्कृति की विरासत देखने को मिलेगी।
डेजर्ट कल्चर सेंटर एंड म्यूजियम में कई ऐसी दुर्लभ सामग्रियों को संग्रहित किया गया है, जो आज के समय में पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। यहां पर आपको दुर्लभ राजस्थानी वस्त्र बर्तन और हथियार का एक अनूठा संगम देखने को मिलेगा।
विदेशी पर्यटक यहां पर भारी संख्या में पहुंचते हैं और राजस्थान की संस्कृति और पुराने बर्तन और सामान का निरीक्षण करते हैं।यहां पर संगीत और वाद्य यंत्र भी संग्रहित है।
जैसलमेर के प्रसिद्ध म्यूजियम में आपको कई कवियों और साहित्यकारों द्वारा लिखे गए प्राचीन ग्रंथ का संग्रहालय मिल जाएगा। यहां के भ्रमण के लिए समय निर्धारित किया गया है। इस संग्रहालय में पर्यटकों को सिर्फ शाम 5:30 मिनट से लेकर रात 8:00 बजे तक निर्धारित किया है।
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डेजर्ट नेशनल पार्क
जैसलमेर के लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में डेजर्ट नेशनल पार्क का नाम भी शामिल है। जैसलमेर शहर के पास डेजर्ट नेशनल पार्क, जो 3162 वर्ग किलोमीटर मे फैला हुआ सबसे बड़ा नेशनल पार्क है। यह नेशनल पार्क जो भारत पाकिस्तान सीमा से लेकर बाड़मेर तक बहुत ही बड़ा क्षेत्रफल कवर करता है।
जैसलमेर के इस डेजर्ट नेशनल पार्क में राज्य सी वन्यजीवों को देखने का मौका मिलता है। यहां पर आपको जबकि सफारी की सुविधा मिलती है जबकि सफारी के माध्यम से आप इस नेशनल डेजर्ट पार्क केंद्र घूमने का आनंद उठा सकते हैं। यहां पर आपको अलग-अलग प्रजातियों के हजारों की संख्या में जानवर देखने का मौका मिलता है।
ताज़िया टॉवर और बादल महल
जैसलमेर का ताजिया टावर प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक माना जाता है। ताजिया टावर जो राजपूताना के आर्किटेक्चर का प्रतीक माना जाता है। यदि आप भी राजपूताना की और कि ट्रेक्टर के शौकीन हैं, तो आपके लिए ताजिया टावर का अनुभव करना मतलब की ताजा टॉवर का भ्रमण करना एक सुनहरा मौका है।
यह ताजिया टावर अमर सागर गेट के पास स्थित है। ताजिया टावर में कई अलग-अलग प्रकार के मुस्लिम इमाम के मकबरे की प्रति कृतियां उपलब्ध है। यह पांच मंजिला टावर, जहां पर हर मंजिल में अलग अलग कहानी का विश्लेषण किया जा रहा है। ताजिया टावर की हर मंजिल की बालकनी का डिजाइन अद्भुत है।
लोद्रवा
जैसलमेर जिले का यह एक गांव जिसे लोदुरवा या लोदरवा के नाम से भी जाना जाता है। जैसलमेर के उत्तर-पश्चिम में 15 किलोमीटर दूर यह गांव 1156 ईस्वी तक भाटी राजवंश की प्राचीन राजधानी थी। यहां के स्थापत्य खंडहरों और आसपास के रेत के टीलों के की वजह से आज यह गाँव जैसलमेर का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बन चूका है।
यहां का जैन मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है, जो 23 वें तीर्थंकर को समर्पित है। इसके अलावा हिन्दू धर्म के लिए भी ऋषभनाथ मंदिर, सांभवननाथ मंदिर, हिंगलाज माता मंदिर और चामुंडा माता मंदिर काफी मशहूर है।
इस गांव से एक प्रेम कहानी भी जुड़ी है, जो राजकुमारी मूमल और महेंद्र के प्यार को बयां करती है। स्थानीय लोककथाओं में इस प्रेम कहानी को अक्सर सुनाया जाता है।
कुलधरा गांव
कुलधरा गांव का नाम तो आपने जरूर सुना होगा। इंडिया के मोस्ट हन्टेड प्लेस के लिस्ट में यह गाँव का नाम मौजूद है। जैसलमेर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुलधरा गांव अपनी स्थापत्य सुंदरता और इतिहास की वजह से पर्यटकों की सूची में अपना अलग ही आकर्षण जमा रही है।
इस गांव के साथ कई अलग-अलग कहानियां जुडी है। रिपोर्ट के अनुसार इस गांव को पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था। एक ज़माने में यह समृद्ध गांव किसी प्रतिकूल घटना के चलते आज भूतिया खंडर में बदल गया है। कुलधरा गांव घूमने के लिए आप सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक जा सकते है। रात को यहां जाना खतरे से खाली नहीं है।
रामदेवरा में रुकने की जगह
ramdevra mandir के पास काफी धर्मशालाएं बनी हुई है, जहां पर आप रुकने के लिए ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों तरीके से बुकिंग कर सकते हैं।
इसके अलावा यदि आप निजी होटल में रुकना चाहते हैं तो रामदेवरा के आसपास आपको कई बेहतरीन होटल मिल जाएंगे।
रामदेवरा घूमने का सही समय
रामदेवरा एक धार्मिक स्थल है और किसी भी धार्मिक स्थल पर घूमने के लिए कोई उचित समय नहीं होता। आप जब अपना मन करें तब जा सकते है। लेकिन मौसम के आधार पर देखा जाएं, तो बाबा रामदेव जी के मंदिर के दर्शन करने और रामदेवरा में घूमने का सही समय अक्टूबर से मार्च है।
क्योंकि गर्मियों में जैसलमेर का तापमान अधिक रहता है, जो साधारण तथा ज्यादातर लोगों को यह मौसम सूट नहीं करता है। बल्कि रामदेवरा घूमने के लिए अधिकतर लोग भाद्रपद मास में जाते हैं, क्योंकि भाद्रपद में रामदेवरा में बाबा रामदेव जी का मेला लगता है और इस मेले में लाखों की संख्या में दर्शनार्थी बाबा रामदेव जी के दर्शन करने देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं।
अतः बाबा रामदेव जी के मंदिर और रामदेवरा घूमने का सही समय अक्टूबर से मार्च तक है। लेकिन भाद्रपद मास में भी लोग रामदेवरा घूमने के लिए जाते हैं। भाद्रपद मास यानी अगस्त से सितंबर के बीच बाबा रामदेव जी का मेला प्रतिवर्ष लगता है। इस समय रामदेवरा घूमने का अलग ही नजारा रहता है।
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रामदेवरा में खाने के लिए स्थानीय भोजन
राजस्थान पुरानी संस्कृति से आज भी पूरी तरीके से जुड़ा हुआ है और आज भी पुरानी संस्कृति के भोजन राजस्थान में अवश्य मिलते हैं। यहां के पारंपरिक भोजन में आपको दाल बाटी चूरमा, पंचधारी लड्डू, मसाला रायता, पोहा, जलेबी, कड़ी पकौड़ा इत्यादि व्यंजन खाने के लिए मिल जायेंगे।
रामदेवरा कैसे पहुंचे?
रामदेवरा पहुंचने के लिए आपके पास रेल मार्ग और सड़क मार्ग की सुविधा उपलब्ध रहती है। आप अपनी इच्छा अनुसार किसी भी रास्ते का चयन करते हुए रामदेवरा पहुंच सकते हैं। हवाई मार्ग के तौर पर प्रॉपर रामदेवरा में आपको हवाई अड्डा नहीं मिलेगा। आप जैसलमेर या जोधपुर हवाई अड्डे के माध्यम से रामदेवरा तक पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग से रामदेवरा कैसे पहुंचे?
रामदेवरा में रेलवे स्टेशन मौजूद है और रामदेवरा रेलवे नेटवर्क राजस्थान के कई लोकप्रिय शहरों से जुड़ा हुआ है। जैसे जोधपुर से रोजाना 4 से 5 ट्रेन रामदेवरा के लिए जाती है तो जैसलमेर से भी रामदेवरा का रेलवे संपर्क रेगुलर है।
इसके अलावा अन्य शहरों से आने वाले लोग वाया जोधपुर, वाया जैसलमेर, वाया बाड़मेर के रास्ते रेल मार्ग से रामदेवरा पहुंच सकते हैं। जोधपुर से रामदेवरा के लिए ट्रेन का नाम और रवाना होने का समय निम्न है:
ट्रेन का नाम | जोधपुर से रवाना होने का समय | रामदेवरा पहुंचने का समय | चलने का दिन |
---|---|---|---|
(22931) Bandra Terminus – Jaisalmer SF Express | 04:00 AM | 06:37 AM | शनिवार |
(20492) Sabarmati – Jaisalmer Express (Jaisalmer SF Exp.) | 06:20 AM | 09:23 AM | नियमित |
(04826) Jodhpur – Jaisalmer Passenger Special | 02:00 PM | 05:25 PM | नियमित |
(15014) Ranikhet Express | 04:50 PM | 07:36 PM | नियमित |
(14087) Runicha Express | 09:30 PM | 01:45 AM | नियमित |
यदि आप उतर भारत की तरफ से रामदेवरा आ रहे हैं तो आप सबसे बीकानेर पहुंचे और वहां से रामदेवरा के लिए आसानी से ट्रेन मिल मिल जाएगी। यहां पर हम बीकानेर से रामदेवरा के लिए ट्रेन की जानकारी शेयर कर रहे हैं।
ट्रेन का नाम | बीकानेर से रवाना होने का समय | रामदेवरा पहुंचने का समय | चलने का दिन |
---|---|---|---|
(14704) Jaisalmer Expres (From Lalgarh Junction) | 07:40 AM | 10:55 AM | नियमित |
(12468) Leelan SF Express | 11:20 PM | 02:30 AM | नियमित |
सड़क मार्ग से रामदेवरा कैसे पहुंचे?
रामदेवरा पहुंचने के लिए आपको सरकारी और निजी बस की सुविधा मिल जाएगी। इसके अलावा आप अपने खुद के वाहन से भी रामदेवरा सड़क मार्ग के माध्यम से पहुंच सकते हैं। सड़क का नेटवर्क पूरी तरह से रामदेवरा से जुड़ा हुआ है।
रामदेवरा जाने का रास्ता जाने तो जोधपुर से रामदेवरा जाने के लिए आपको जोधपुर जैसलमेर हाईवे के होते हुए पोकरण और पोकरण से 12 किलोमीटर दूर स्थित रामदेवरा का रास्ता आपको मिल जाएगा।
मुख्य जगह | दूरी |
---|---|
रामदेवरा से भादरिया कितना किलोमीटर है? | 57.8 km |
जोधपुर से रामदेवरा कितना किलोमीटर है? | 182.4 km |
उज्जैन से रामदेवरा कितना किलोमीटर है? | 761.6 km |
पोकरण से रामदेवरा कितना किलोमीटर है? | 12.6 km |
बीकानेर से रामदेवरा कितना किलोमीटर है? | 213.8 km |
उदयपुर से रामदेवरा कितना किलोमीटर है? | 425.0 km |
कोटा से रामदेवरा कितना किलोमीटर है? | 555.4 km |
रामदेवरा से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है? | 420.2 km |
रामदेवरा से जैसलमेर कितना किलोमीटर है? | 118.6 km |
बाड़मेर से रामदेवरा कितना किलोमीटर है? | 193.4 km |
जयपुर से रामदेवरा कितने किलोमीटर है? | 441.1 km |
हवाई मार्ग से रामदेवरा कैसे पहुंचे?
रामदेवरा में हवाई मार्ग की कोई सुविधा नहीं है। लेकिन दूर से आने वाले पर्यटक जोधपुर या फिर जैसलमेर हवाई अड्डे तक हवाई मार्ग से रामदेवरा पहुंच सकते हैं। वहां से बस, ट्रेन या किसी गाड़ी के माध्यम से रामदेवरा तक जा सकते हैं।
जगह का नाम | दूरी |
जोधपुर से रामदेवरा | 182 किलोमीटर |
जैसलमेर से रामदेवरा | 118 किलोमीटर |
रामदेवरा में कैसे घूमे?
रामदेवरा पहुंचने के पश्चात रामदेवरा कैसे घूमे इसके बारे में यदि हम बात करें तो रामदेवरा पहुंचने के बाद आपको ऑटो और निजी वाहन मिल जाएंगे। जिनके माध्यम से आप रामदेवरा मंदिर के दर्शन करने के साथ-साथ रामदेवरा के अन्य दर्शनीय स्थल और पर्यटक स्थलों के पर घूम सकते हैं।
उसके पश्चात यदि आप जैसलमेर की तरफ घूमना चाहते हैं तो निजी वाहन या रेल मार्ग के माध्यम से आप जैसलमेर पहुंचकर जैसलमेर की सैर कर सकते हैं।
रामदेवरा घूमने का कितना खर्चा आएगा?
रामदेवरा में रहने की व्यवस्था पर्यटकों के लिए कई समाज के बने निजी धर्मशाला में बहुत कम पैसों के साथ रहने की व्यवस्था मिल जाएगी। रामदेवरा घूमने का ख़र्चा आपके लोकेशन, आप कहाँ पर रुकते हो और खाने पीने पर निर्भर करता है।
अतः यदि आप राजस्थान के किसी भी जिले से रामदेवरा घूमने के लिए जाते हैं, तो 5,000 से 7,000 में आप पूरे रामदेवरा का भ्रमण आसानी से कर सकते हैं। यदि आप राजस्थान से बाहर से आते हैं तो प्रति व्यक्ति 10,000 से 15,000 तक का खर्चा रामदेवरा घूमने में आ सकता है।
रामदेवरा घूमने के लिए साथ में क्या रखें?
रामदेवरा में हर जगह आपको आपके सुविधा के अनुसार हर वस्तु मिल जाएगी। आप पैसे के साथ-साथ अपना कोई भी पहचान प्रूफ जरूर रखें, जैसे आधार कार्ड और पैन कार्ड आदि।
यदि आप रामदेवरा सर्दियों में घूमने जा रहे हैं, तो आपको अपना स्वेटर या कंबल साथ में अवश्य रखना होगा। क्योंकि जनवरी और दिसंबर के महीनों में यहां थोड़ी ठंड पड़ती है।
यदि आप गर्मियों में रामदेवरा घूमने जा रहे हैं तो आपको कोई भी स्पेशल वस्तु साथ रखने की जरूरत नहीं है। गर्मी के दिनों में आप पानी की एक बोतल अपने साथ जरूर रखें।
रामदेवरा फोटो गैलरी (Ramdevra Tourist Places Images)
निष्कर्ष
भारत में जैसलमेर पर्यटक स्थलों की वजह से प्रसिद्ध है, लेकिन जैसलमेर में रामदेवरा की पहचान सभी पर्यटक स्थलों में अलग ही है। रामदेवरा, जहां बाबा रामदेव जी का मंदिर है और यहां रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा रामदेव जी के दर्शन करने पहुंचते हैं।
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको रामदेवरा में घूमने की जगह (Ramdevra Me Ghumne ki Jagah) और रामदेवरा घूमने में कितना खर्चा आएगा, रामदेवरा कब जाना चाहिए? आदि के बारे में संपूर्ण जानकारी दी है।
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