वृंदावन उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित भगवान श्री कृष्णा की भूमि है। यह जगह राधा कृष्ण के अमर प्रेम की कहानी को जीवंत कर देती है। यहां पर 5000 से भी ज्यादा छोटे बड़े मंदिर है, जिसमें वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर की लिस्ट भी काफी बड़ी है। ज्यादातर मंदिरों की खोज 1515 इस्वी में महाप्रभु चैतन्य के द्वारा की गई है।
कई सारे vrindavan ke mandir सैकड़ो वर्ष पुराने हैं। यहां के मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि संरचना और वास्तु कला की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस लेख में मथुरा वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर के बारे में विस्तार से जानेंगे।
वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temples in Vrindavan)
कई वृंदावन के मंदिर ऐसे है, जो अपने आप में बहुत ही महत्व रखते हैं और उनको देखने के लिए और दर्शन के लिए भक्त सिर्फ भारत ही नहीं विदेशों से भी आते हैं।
यदि आप भी वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर कौन कौन से हैं के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां पर हम वृंदावन मंदिर लिस्ट (vrindavan temple list) शेयर कर रहे हैं। साथ ही मंदिर में आरती समय, दर्शन समय, वहां कैसे पहुँच सकते है के बारे में बताया है।
वृंदावन का प्रेम मंदिर
वृंदावन में स्थित प्रेम मंदिर भगवान श्री कृष्ण-राधा और राम-सीता को समर्पित है। मंदिर का निर्माण पांचवें जगतगुरु कृपालु महाराज के द्वारा की गई थी। मंदिर के निर्माण में सफेद संगमरमर पत्थर का इस्तेमाल किया गया है, जो कि इटली से मंगाए गए थे।
मंदिर के निर्माण में तकरीबन 11 साल का समय लगा है। यह मंदिर 125 फीट ऊंचा, 115 फीट चौड़ा और 122 फीट लंबा है। मंदिर में 94 कला मंडित स्तंभ है। मंदिर की शांति और सौंदर्य श्रद्धालु को बहुत ही आकर्षित करती है।
यहां पर सतरंगी रोशनी रात के समय मंदिर को एक खूबसूरत लुक देता है। मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की झांकियां, झूलन लीला, कालिया नाग दमन लीला जैसे कई सारे चित्रण बहुत ही रमन्य ढंग से प्रस्तुत किए गए है।
सुबह | शाम | ||
समय | दर्शन एवं आरती | समय | दर्शन एवं आरती |
05:00 AM | आरती एवं परिक्रमा | 04:30 PM | आरती एवं दर्शन |
06:30 AM | भोग (दरवाज़ा बंद) | 05:30 PM | भोग |
08:30 AM | दर्शन एवं आरती | 07:00 PM | परिक्रमा |
11:30 AM | भोग | 08:10 PM | शयन आरती |
12:00 PM | शयन आरती और द्वार बंद | 08:30 PM | द्वार बंद |
समय | सुबह 05:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक शाम 04:30 बजे से रात 08:30 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 12 किलोमीटर (मथुरा जंक्शन) |
बस स्टैंड से दूरी | 15 किलोमीटर |
नजदीकी हवाईअड्डा | 164 किलोमीटर (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली) |
एड्रेस | रमन रेती, जिला मथुरा, रमन रेती, वृन्दावन, उत्तर प्रदेश, 281121 |
निधिवन मंदिर
निधिवन वृंदावन में स्थित भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी से संबंधित पवित्र स्थल है। माना जाता है कि यह वही जगह है, जहां पर भगवान श्री कृष्णा गोपियों के साथ रास लिला करते थे। ऐसी धारणा आज भी है कि रात्रि में भगवान श्री कृष्ण इस स्थान पर आते हैं और यहां पर राधा के साथ रासलीला करते हैं।
निधिवन को तुलसी वन के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान पर रंग महल नामक मंदिर है, जहां पर रासलीला होने के बाद भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी रात्रि व्यतीत करते हैं।
रंग महल का पाट सुबह 5:00 बजे खुलता है, जिसके बाद श्रद्धालु यहां पर आते हैं और राधा रानी को श्रृंगार सामग्री चढ़ाते हैं। इस मंदिर के पास में बाहर ललिता कुंड है। कहा जाता है कि इस कुंड का निर्माण स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने किया था।
समय | सुबह 08:00 बजे से दोपहर 11:00 बजे तक शाम 05:30 बजे से रात 07:30 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 13 किलोमीटर (मथुरा जंक्शन) |
बस स्टैंड से दूरी | – |
नजदीकी हवाईअड्डा | 180 किलोमीटर (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली) |
एड्रेस | गोपीनाथ बाग, वृंदावन, उत्तर प्रदेश |
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राधा रमण मंदिर
भगवान श्री कृष्ण का राधा के प्रति अटूट प्रेम को दर्शाता राधा रमण मंदिर वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 1542 के लगभग गोपाल भट्ट गोस्वामी के द्वारा किया गया था। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा असली शालिग्राम के रूप में प्रतिष्ठित है।
इन शालिग्राम पत्थर के बारे में कहा जाता है कि गोपाल भट्ट गोस्वामी जब नेपाल गए थे तो वहां पर काली गंडकी की में नदी में स्नान करने के दौरान उन्हें 12 साल ग्राम पत्थर मिले थे। जब वह वृंदावन से लौट रहे थे, उसे समय एक शालिग्राम पत्थर भगवान श्री कृष्ण के रूप में प्रकट हुए।
इस मंदिर के परिसर में गोपाल भट्ट गोस्वामी जी की समाधि भी बनी हुई है। इसके साथ ही मंदिर में श्री चैतन्य महाप्रभु के अत्यंत मूल्यवान वस्त्र को भी संजो के रखा गया है। साल भर इस मंदिर में कई तरह के त्यौहार मनाया जाते हैं, जिसमें झूलन यात्रा, चंदन यात्रा, रामनवमी विशेष है।
समय | सुबह 08:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक शाम 06:00 बजे से रात 08:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
आरती का समय | सर्दी- सुबह 05:30 बजे (मंगल आरती) गर्मी- सुबह 04:00 बजे (मंगल आरती) |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 2 किलोमीटर (वृन्दावन रेलवे स्टेशन) |
बस स्टैंड से दूरी | 12 किलोमीटर (मथुरा बस स्टैंड) |
नजदीकी हवाईअड्डा | 147 किलोमीटर (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली) |
एड्रेस | पंचायत मंदिर श्री राधारमण जी महाराज, केशी घाट, वृन्दावन, उत्तर प्रदेश, 281121 |
इस्कॉन वृन्दावन मंदिर
वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक इस्कॉन वृंदावन मंदिर है। मंदिर का उद्घाटन 1975 में श्रील प्रभुपाद के द्वारा किया गया था। कहा जाता है कि इसी स्थान पर भगवान श्री कृष्ण और बलराम ने अपने बचपन के ज्यादातर समय व्यतीत किए थे। मंदिर के निर्माण में सफेद संगमरमर पत्थर का इस्तेमाल किया गया है।
मंदिर के परिसर में तीन मंदिर है, जिसमें पहला मंदिर भगवान श्री कृष्ण और उनके भाई बलराम को समर्पित है। दूसरा मंदिर श्री चैतन्य महाप्रभु और नित्यानंद को समर्पित है। तीसरा मंदिर भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। मंदिर की संरचना बहुत ही आकर्षक है। जटिल नक्काशिदार दीवारें, गुंबद और सुंदर सिढि़या, तोरण द्वार मंदिर की खूबसूरती को बढाते हैं।
सुबह | शाम | ||
समय | दर्शन एवं आरती | समय | दर्शन एवं आरती |
5:00 | मंगला आरती | 4:30 | धोप आरती |
5:30 | तुलसी आरती | 6:30 | संध्या आरती |
7:15 | गुरु पूजा | 7:30 | गीता प्रवचन |
7:30 | प्रवचन | 8:00 | सायन आरती |
8:30 | शृंगार आरती | ||
12:00 | राजभोग |
समय | गर्मी- सुबह 04:30 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक, शाम 04:30 बजे से रात 08:00 बजे तक सर्दी-सुबह 04:30 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक, शाम 04:00 बजे से रात 08:15 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 17 किलोमीटर (मथुरा जंक्शन) |
बस स्टैंड से दूरी | – |
नजदीकी हवाईअड्डा | 167 किलोमीटर (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली) |
एड्रेस | भक्तिवेदांत स्वामी मार्ग, रमण रेती, वृन्दावन, उत्तर प्रदेश, 281121 |
श्री रंगजी मंदिर
वृंदावन में स्थित प्रसिद्ध मंदिरों में से एक श्री रंगजी मंदिर भी है। यह मंदिर द्रविड़ शैली में निर्मित भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। इस मंदिर को रंगनाथ जी मंदिर भी कहा जाता है।
मंदिर का निर्माण 1851 में सेठ गोविंद दास और सेठ राधा कृष्ण जी के मार्गदर्शन में श्री रंगदेशी स्वामी जी के समर्पण में किया गया था।
आरती समय और दर्शन निम्न प्रकार है:
मंगला आरती और विश्वरूप दर्शन | प्रातः 05.30 बजे |
दिव्य आराधना | प्रातः 06.30 से 07.30 बजे तक |
भोग और प्रसाद वितरण | प्रातः 08.00 बजे से 09.00 बजे तक |
दर्शन | प्रातः 11.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक |
दर्शन द्वार बंद | सर्दी- दोपहर 12.00 बजे से 03.00 बजे तक गर्मी- प्रातः 11.00 बजे से सायं 04.00 बजे तक |
संध्या आरती | सर्दी- सायं 06.00 बजे से 06.30 बजे तक गर्मी- सायं 06.30 बजे से सायं 07.00 बजे तक |
सायंकालीन भोग और प्रसाद वितरण | शाम 07.00 बजे से 07.30 बजे तक |
रात्रि आराधना | 07.30 बजे |
भोग | रात्रि 08.30 बजे से 09.00 बजे तक |
दर्शन द्वार बंद | रात 09.00 बजे |
यह समय सर्दी और गर्मी के दौरान परिवर्तन हो सकता है।
समय | सुबह 08:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक शाम 03:00 बजे से रात 07:30 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 14 किलोमीटर (मथुरा जंक्शन) |
बस स्टैंड से दूरी | – |
नजदीकी हवाईअड्डा | 164 किलोमीटर (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली) |
एड्रेस | रंगनाथ मंदिर, गोदा विहार, वृन्दावन, उत्तर प्रदेश, 281121 |
बांके बिहारी मंदिर
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का मुख्य और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां पर भगवान श्री कृष्ण की “कुंज बिहारी” नाम से पूजा की जाती है। श्री बांके बिहारी बांके और बिहारी दो शब्दों के मेल से बना हुआ है। बांके का अर्थ झुका हुआ होता है और बिहार का अर्थ आनंदी होता है।
इस मंदिर को यह नाम देने का कारण है कि इस मंदिर में भगवान श्री कृष्णा की प्रतिमा त्रिभुवन मुद्रा में है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण तीनों कोणों में झुके हुए नजर आते हैं। इस मंदिर का निर्माण 1862 में किया गया था। मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी वास्तुकला से प्रेरित है। मंदिर के मेहराब और खंबे यहां की विशेषता है।
आरती | गर्मी के समय | सर्दी के समय |
---|---|---|
दर्शन | प्रातः 07:45 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक | प्रातः 08:45 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक |
श्रृंगार आरती | प्रातः 08:00 | प्रातः 09:00 बजे |
राजभोग | सुबह 11:00 से 11:30 बजे | दोपहर 12:00 बजे से 12:30 बजे तक |
राजभोग एवं समापन | दोपहर 12:00 बजे | दोपहर 01:00 बजे |
दर्शन | शाम 05:30 से 09:30 बजे तक | शाम 04:30 से 08:30 बजे तक |
शयन भोग | 08:30 बजे से 09:00 बजे | शाम 07:30 बजे से 08:00 बजे तक |
शयन आरती एवं समापन | रात्रि 09:30 बजे | रात्रि 08:30 बजे |
समय | गर्मी- प्रातः 07:45 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक, शाम 05:30 बजे से रात्रि 09:30 बजे तक सर्दी- प्रातः 08:45 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक, शाम 04:30 बजे से रात्रि 08:30 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 12 किलोमीटर (मथुरा जंक्शन) |
बस स्टैंड से दूरी | – |
नजदीकी हवाईअड्डा | 161 किलोमीटर (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली) |
एड्रेस | गोदा विहार, मदन मोहन बांके बिहारी रोड, वृन्दावन, उत्तर प्रदेश, 281121 |
वल्लभ मंदिर
वृंदावन में मथुरा रेलवे स्टेशन से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर स्थित वल्लभ मंदिर राधा वल्लभ संप्रदाय से संबंधित है। इस मंदिर को 1670 ईस्वी में मुस्लिम शासक के द्वारा नष्ट कर दिया गया था, जिसके बाद उसी जगह पर एक नया मंदिर बनाया गया। नए मंदिर का निर्माण 1871 में किया गया था। यह मंदिर वृंदावन के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है, जो बहुत ही आकर्षक है।
इस मंदिर में राधा रानी की मुकुट की पूजा की जाती है। यहां पर पहले राधा रानी की पूजा होती है फिर भगवान श्री कृष्ण की पूजा होती है। राधा वल्लभ मंदिर में राधा रानी के जन्मदिन पर 9 दिनों का राधा अष्टमी महोत्सव का आयोजन होता है।
आरती और दर्शन | समय |
---|---|
मंगल आरती | प्रातः 05:00 बजे से प्रातः 05:30 बजे तक |
सुबह के दर्शन | प्रातः 07:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक |
शाम के दर्शन | शाम 06:00 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक |
संध्या आरती | शाम 06:30 बजे से 07:00 बजे तक |
समय | प्रातः 05:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक, शाम 06:00 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 13 किलोमीटर (मथुरा जंक्शन) |
बस स्टैंड से दूरी | – |
नजदीकी हवाईअड्डा | 169 किलोमीटर (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली) |
एड्रेस | राधा वल्लभ घेरा, गोतम नगर, वृन्दावन, उत्तर प्रदेश, 281124 |
राधा मदन मोहन मंदिर
वृंदावन में प्राचीन मंदिरों में से एक राधा मदन मोहन मंदिर महत्वपूर्ण इतिहास को प्रदर्शित करता है। ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स के अनुसार इस मंदिर की नींव 15वी शताब्दी के बीच मुल्तान के व्यापारी कपूर रामदास के द्वारा रखी गई थी।
माना जाता है कि औरंगजेब के शासनकाल में इस मंदिर में स्थित भगवान श्री कृष्ण की मूल प्रतिमा को राजस्थान के करौली में स्थानांतरित कर दिया गया था। 18 वीं शताब्दी में भगवान श्री कृष्ण की मूल प्रतिमा की प्राप्ति हुई और फिर 19वीं शताब्दी में यमुना के किनारे पहाड़ी पर नंदकुमार बसु के द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया।
मंदिर के निर्माण में लाल बलुए पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। यह मंदिर उत्तर भारतीय स्थापत्य शैली में बना हुआ है। मंदिर की ऊंचाई लगभग 50 फिट है। मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है।
समय | गर्मी- प्रातः 06:00 बजे से प्रातः 11:00 बजे तक, शाम 05:00 बजे से रात्रि 09:30 बजे तक सर्दी- प्रातः 07:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक, शाम 04:00 बजे से रात्रि 08:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 09 किलोमीटर (मथुरा जंक्शन) |
बस स्टैंड से दूरी | – |
नजदीकी हवाईअड्डा | 200 किलोमीटर (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली) |
एड्रेस | बांकेबिहारी कॉलोनी, वृन्दावन, उत्तर प्रदेश, 281121 |
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में आपने राधा कृष्ण के प्रेम को दर्शाता भूमि वृंदावन में स्थित प्रमुख मंदिरों के बारे में जाना। यह सभी मंदिर बहुत ही प्राचीन और भगवान श्री कृष्ण और राधा के अटूट प्रेम की निशानी है।
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