Alwar Me Ghoomne Ke Jagah :राजस्थान राज्य देश का सबसे लोकप्रिय राज्य में से एक हैं। यहां पर देश के अलावा विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता हैं। राजस्थान के प्रमुख जिलों में से एक अलवर प्रमुख पर्यटक क्षेत्र में से एक हैं। अलवर जिले में घूमने के लिए कई सारे ऐतिहासिक बने हुए हैं, जिसको देखने के लिए देश के पर्यटक तो जाते ही हैं साथ ही विदेशी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता हैं।
अलवर जिले में कई सारे ऐसे स्थान बने हुए हैं, जहां पर बॉलीवुड की कई फिल्मों की शूटिंग भी की गई हैं। यह जिला अरावली पहाड़ से चारों तरफ से घिरा हुआ हैं। अरावली पहाड़ पर एक ऐतिहासिक किला बना हुआ हैं, जो बहादुर योद्धाओं को याद दिलाता हैं।
राजस्थान के अलवर जिले में घूमने के लिए कई सारी जगह हैं, जो की आपको इस लेख में जानने को मिलेगे। अलवर जिले में घूमने के लिए कौन कौन सी जगह हैं? अलवर जिले में घूमने के लिए कब जाए? अलवर का प्रसिद्ध भोजन क्या हैं? अलवर में कहा रुके? इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख में जानने को मिलेगे। इसके लिए आप यह लेख अंत तक पढ़े।
अलवर में घूमने की जगह | Alwar Me Ghumne ki Jagah
अलवर के बारे में रोचक तथ्य
- बाला किले में आपको कई सारे जानवर देखने को मिल जाते हैं।
- अलवर जिले के बाला किले की दूरी लगभग 595 किमी की दूरी पर स्थित हैं।
- 1775 में नरूका ने अपना मैं बालक ले पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया था।
- अलवर का भानगढ़ किला इंडिया का मोस्ट हॉन्टेड लिस्ट में से एक है।
अलवर में लोकप्रिय पर्यटक स्थल | Alwar Tourist Places in Hindi
अलवर का भानगढ़ किला
भानगढ़ किले के बारे में आपने इंटरनेट पर जरूर सुना होगा। भानगढ़ इंडिया का हॉन्टेड प्लेस में से एक हैं। अलवर जिले का यह किला सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमा के पास में स्थित हैं। भानगढ़ किले का निर्माण राजा मानसिंह प्रथम में 17वीं शताब्दी में करवाया था।
अलवर का यह किला देश के पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटकों का यहां पर आने-जाने का आना जाना लगा रहता हैं। यह किला अपने विशेष कलाकृतियों के द्वारा जाना जाता है। अब इस किले में स्थित ढांचा बचा हुआ हैं।
अलवर का यह किला सुबह 10 बजे खुलता है तथा शाम को 5 बजे के बाद बंद हो जाता हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके लिए के बारे में बहुत सारी डरावनी कहानियां प्रसिद्ध है। इस कारण से आरके लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इस किले में रात के समय जाना मना हो गया हैं।
लोगों का मानना है कि रात के समय इस महल से अजीब अजीब सी डरावनी आवाजें आती हैं जैसे कि किसी महिला का रोना, चूड़ियों की खनकना या फिर जानवरों का रोना आदि कई सारी आवाज यहां सुनाई देती हैं। इतिहास के अनुसार ऋषि बाला ने इस किले को बनते ही तहस नहस हो जाने का श्राप दिया था।
अलवर का बाला किला
बाला किला अरावली पहाड़ियों के हरे भरे मैदानों से घिरा हुआ हैं। इन पहाड़ियों से करीब 1000 फिट की ऊंचाई पर बना हुआ हैं। यह किला करीब 5 किमी लंबा और करीब 2 किमी चौड़ा हैं। बाला किले का निर्माण हसन खां मेवाती ने सन 15वी सताब्दी में करवाया था।
बाला किले में 6 मुख्य द्वार हैं, जिनको जय पोल, लक्ष्मण पोल, सूरत पोल, चांद पोल, अंधेरी पोल, कृष्ण पोल हैं। किले में लगभग 15 टॉवर और 51 छोटे टावर लगे हुए हैं। किले के मुख्य द्वार पर 446 गोलियों के छेद है जो की अंग्रेजो द्वारा चलाई गई थी।
बाला किले के अंदर कई सारी मूर्ति स्थापित हैं, जिनमे से तोप वाले हनुमान, चक्रधारी हनुमान, करडी माता मंदिर, सीताराम मंदिर आदि।
अलवर का सिटी पैलेस
सिटी पैलेस अलवर में स्थित हैं। सिटी पैलेस को करीब 17वी शताब्दी में बनाया गया था। इस पैलेस का निर्माण सन 1793 ईस्वी में राजा बख्तावर सिंह ने करवाया था। पैलेस को बनाने में राजस्थानी और शिल्पकला के मिश्र के द्वारा बनाया गया हैं। पैलेस में करीब 15 ढालू वाले बड़े टावर और 51 छोटे टावर हैं।
इसके अलावा इसमें एक झील भी हैं। सबसे खास बात इस पैलेस की यह है की पैलेस में 6 द्वार बने हुए हैं। इन द्वारो के चारों तरफ मंदिर हैं। आप पैलेस के किसी भी द्वार से जाए, आप श्री कृष्ण तक तो पहुंच ही जाएंगे।
सिटी पैलेस में घूमने के लिए हाथी गाड़ी का इस्तेमाल किया जाता हैं। सिटी पैलेस में एक संग्रहालय भी हैं, जिसमे आपको राजस्थानी और मुगल शासक के अवशेष मौजूद हैं।
विजय मंदिर महल
सन 1918 में इस महल का निर्माण राजा जय सिंह ने करवाया था। इस महल को अलवर की सुंदरता के रूप में भी जाना जाता हैं। मंदिर की शिल्प और सौंदर्य कला के माध्यम से इसका निर्माण किया गया हैं। इस मंदिर महल की सरंचना बिल्कुल जहाज के आकार का बनाया गया हैं।
विजय मंदिर महल देश का सबसे सुंदर महल में से एक हैं। महल में करीब 105 कमरे हैं। प्रत्येक कमरे को बेहतरीन ढंग से सुजजित किए हुए हैं। विजय मंदिर महल को देखने के लिए प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक इस महल को देखने के लिए आते हैं।
हनुमान जी का पांडुपोल मंदिर
हनुमान जी का यह मंदिर करीब 5000 वर्ष से अधिक पुराना मंदिर हैं। हनुमान जी के पांडुपोल मंदिर का संबंध महाभारत काल से हैं। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को भक्तो का जमावड़ा रहता हैं। यह मंदिर अरावली की पहाड़ी के उधानो के बीच में स्थित है।
इस जगह का उल्लेख महाभारत काल में भी है। कहा जाता है कि जब भीम ने एक पहाड़ी पर अपना गदा मारा तो वहां से एक दरवाजा निकला। इसमें हनुमान जी की मूर्ति लगी हुई थी। यह वही जगह है, जहां पर हनुमान जी ने भीम को ज्ञान प्रदान किया था।
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नीलकंठ महादेव मंदिर
भगवान शंकर के इस मंदिर का निर्माण राजा मथानदेव ने 6वीं शताब्दी के आसपास करवाया था। अलवर से इस मंदिर की दूरी करीब 65 किलोमीटर हैं। नीलकंठ महादेव में शंकर जी की मूर्ति स्थापित है, जो की लगभग 4 फिट की हैं। शिव की यह मूर्ति नीलम पत्थर के द्वारा बनी हुई हैं।
मंदिर का गुंबद पत्रों के द्वारा बनाया गया है तथा इसमें कई अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं। महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां पर भक्तों के काफी भीड़ रहती हैं। पर्यटकों का भी यहां आना जाना हमेशा लगा रहता हैं।
सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान
अरावली की पहाड़ियों में करीब 800 वर्ग क्षेत्र में यह राष्ट्रीय उद्यान बना हुआ हैं। यह जगह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इस उद्यान में आपको हरी हरी घास, पेड़, पौधे आदि और कई सारी चीजे देखने को मिलेगी। सन 1982 को इस उद्यान को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला था।
शुरुआत में इस जगह पर काफी ज्यादा पेड़ थे। सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में आपको सबसे अधिक रॉयल बंगाल टाइगर हैं। सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में आपको कई प्रकार के वन्य जीव देखने को मिलेगे।
शांभर, चीतल, बारहसिंगा, हिरण, लैंगर्स आदि और भी कही जंगली जानवर यहां देखने को मिल जाएंगे। सरिस्का राष्ट्रीय अभ्यारण पूरे वर्ष खुला रहता हैं। यदि आप इसमें जाना चाहते है तो आपको 80 रुपए की टिकट लेनी होगी। वही यदि कोई विदेशी पर्यटक इस जगह को देखने के लिय जाएगा तो उसको 470 की टिकट को लेना होगा।
अभ्यारण में घूमने के लिए आप जीप आदि का भी प्रयोग कर सकते हैं। एक जीप में 6 लोग आराम दे बैठ सकते हैं। तो आपको सिर्फ 2650 रुपए में अपने लिए एक जीप को बुक करते हैं।
अलवर का गणेश, लक्ष्मी नारायण मंदिर
अलवर में अरावली पहाड़ी के अलावा मोती डूंगरी पहाड़ी भी हैं। दूर से देखने पर यह बिलकुल मोती जैसे दिखाई देती हैं। मोती डूंगरी की इस पहाड़ी पर वर्ष 1882 में राजा मंगल सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। लोगों का कहना है की एक बार मगल सिंह गाड़ी लेकर उसमें गणेश की प्रतिमा रखकर कही जा रहे थे।
अचानक से गाड़ी रुक गईं तो राजा ने वही पर गणेश जी का मंदिर बनवा दिया था। इसके अलावा यहां पर हनुमान जी, विष्णु जी तथा अन्य कई देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित हैं।
कंपनी बाग
यह जगह अलवर शहर के बिल्कुल बीचों बीच में स्थित हैं। इस जगह का निर्माण महाराजा शिवदान सिंह ने वर्ष 1868 में इसका निर्माण करवाया था। लोग यहां पर अपने परिवार और बच्चो के साथ पिकनिक मनाने के लिए आते हैं।
इसके पास में ही एक चर्च भी बनी हुई हैं। इसके अलावा पास में ही एक फेमस मार्केट हैं। जहां पर लोग शॉपिंग आदि करते हैं। यह जगह घूमने के उद्देश्य से सबसे अच्छी हैं।
मुसी महारानी की छतरी
यह छतरी अलवर की सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक जगह में से एक हैं। इस छतरी को वर्ष 1815 में विनय साइन शख्स ने राजा बख्तावर सिंह तथा उनकी पत्नी मुसी की याद में बनवाई थी। मुसी महारानी की यह छतरी बलुआ लाल पत्थर से बनी हुई थी।
नीमराणा की बावड़ी
नीमराणा की बावरी अलवर की सबसे प्रमुख जगहों में से एक हैं। नीमराणा की यह बावरी महल के बिल्कुल पास में ही स्थित हैं। इस बावरी के 70 चरण है तथा बावरी में नीचे की तरफ जाने पर यह बिल्कुल छोटा होता चला जाता हैं। अलवर की नीमराणा की बावड़ी में 9 मंजिला इमारत बनी हुई हैं।
इस बावड़ी की प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई लगभग 20 फीट की है। इस बावड़ी का उपयोग अलवर के लोग पीने के लिए तथा सिंचाई करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। पर्यटक लोग दूर दूर से नीमराड़ा की बावरी को देखने के लिए आते हैं।
अलवर में खाने का प्रसिद्ध भोजन
जब आप किसी भी जगह पर घूमने के लिए जाते हैं तो जाहिर सी बात है उस जगह का खाना खाना तो जरूर चाहेंगे। यदि आप तीखा चटपटा खाना पसंद करते हैं तो आप अलवर का खाना अवश्य खाएं।
अलवर या यूं कहें कि राजस्थान के लगभग सभी व्यंजन देश में पसंद किए जाते हैं। यहां का प्रसिद्ध भोजन झाझरिया, चिकन मसाला, मिर्ची बड़ा, गाजर का हलवा, जलेबी, इमरती आदि बहुत से व्यंजन यहां के प्रसिद्ध है। अलवर आने पर आप इन सभी प्रकार के व्यंजन का आनंद ले सकते हैं।
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अलवर में रुकने की जगह
अलवर में रुकने के लिए यहां पर आपको गेस्ट हाउस या फिर रेंट पर रूम उपलब्ध हो जाते हैं। यह रूम आपको होटल आदित्य सबसे बड़े निजी भी आप होटल को लेना चाहते हैं तो आपको थोड़ी अधिक कीमत देनी होगी।
आप अपनी सुविधा अनुसार किसी भी जगह पर होटल आदि को बुक करके रह सकते हैं तथा कुछ ऐसी भी जगह होती है जो घूमने आए लोगों को रहने की सुविधा उपलब्ध करवाती हैं। आप वहां पर भी जाकर रह सकते हैं।
अलवर जाने का सबसे अच्छा समय
आपको तो पता ही होगा कि राजस्थान का टेंपरेचर गर्मियों के मौसम में कितना होता हैं। तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह करीब 50 डिग्री सेल्सियस गर्मियों में हो जाता है।
इस दौरान यदि आप अलवर जाते हैं, तो आप घूमने फिरने का मजा नहीं ले सकते हैं। अलवर में घूमने का सही समय अक्टूबर से लेकर मार्च महीने तक होता हैं। इस दौरान यहां की जलवायु सुखद रहती हैं।
अलवर कैसे पहुंचे?
राजस्थान राज्य के किस जिले में पहुंचना काफी आसान है इसके लिए आप रेल बस यहां से हवाई जहाज का सहारा ले सकते हैं।
हवाई जहाज से अलवर कैसे पहुंचे?
यदि आप हवाई जहाज के माध्यम से अलवर में घूमना चाहते हैं तो इसके लिए आपको जयपुर एयरपोर्ट पर उतरना होगा एयरपोर्ट से उतरने के बाद आप टैक्सी या रेंट पर कैप आदि को बुक कर करके पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा अलवर कैसे जाएं?
यदि कोई पर्यटक सड़क मार्ग से अलवर जाना चाहता है तो अलवर जाने के लिए कई सारे साधन है जिनका इस्तेमाल करके आप घूम सकते हैं। राजस्थान के प्रत्येक शहर के यहां पर जाने के लिए कई साधन चलते हैं वही जयपुर से अलवर के बीच की दूरी 150 किलोमीटर है।
FAQ
अलवर में घूमने के लिए कई सारी जगह है इसके लिए आपको यह देख अंत तक आना होगा।
अलवर जाने का सही समय अक्टूबर से लेकर मार्च महीने तक के बीच का समय होता है, जहां से आप अलवर की प्रमुख जगहों में घूम सकते हैं।
अलवर जिले मैं घूमने के लिए जाते हैं तो आपके पास 7 से ₹8000 होना अनिवार्य है।
निष्कर्ष
हमने अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख में आप सभी लोगों को अलवर में घूमने की जगह ( Alwar Me Ghumne ki Jagah) से संबंधित विस्तार पूर्वक से जानकारी प्रदान की हुई है और हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई आज की महत्वपूर्ण जानकारी आपके लिए काफी ज्यादा यूज़फुल और हेल्पफुल साबित हुई होगी। आपको अलवर घूमने में और वहां तक पहुंचने में हमारा यह लेख पूरी सहायता करेगा।
अगर हमारे द्वारा दी गई आज आज कि यह महत्वपूर्ण जानकारी आपके लिए जरा सी भी हेल्पफुल रही हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना ना भूले।
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