सारनाथ जगह उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग वाराणसी से 10 किलोमीटर दूर स्थित है। सारनाथ की लोकप्रियता बौद्ध और जैन धर्म के तीर्थ यात्रियों की वजह से अत्यधिक है।
सारनाथ का पुराना नाम सारंगनाथ था, जिसका अर्थ मर्गों के नाथ है। इसी शब्द से सारनाथ शब्द की उत्पत्ति हुई। इससे पहले सारनाथ का नाम ऋषि पतंन था।
डियर पार्कसारनाथ से 1 किलोमीटर दूर स्थित सिहपुर गांव में स्थित है। कहा जाता है की यहाँ पर भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
चौखड़ी स्तूप को बौद्ध धर्म की संस्कृति और महत्वपूर्ण स्मारकों से जोड़ा गया है। यहां प्रतिवर्ष पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक रहती है।
भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ की एक प्रतिमा सारनाथ में बनी हुई है। अशोक स्तंभ सारनाथ में 50 मीटर लंबा एक स्तुप बना हुआ है।
इस मंदिर में भगवान बुद्ध की मूर्ति लगी हुई है। इस मंदिर में घूमने के लिए बौद्ध धर्म से संबंधित थाईलैंड, तिब्बत, चीन और जापान से भारी संख्या में यात्री यहां घूमने के लिए आते हैं।
इस स्तूप की ऊंचाई लगभग 143 सीट है। इस स्तुप में ना तो कोई खिड़की है और ना ही दरवाजा हैं। यहां मानव और पक्षियों के कई चित्र बने हुए हैं। इन चित्रों में की गई कलाकारी देखने लायक है।
महाबोधि सोसाइटी में बनाया मंदिर जिस के प्रवेश द्वार पर एक बड़ी सी घंटी लगी हुई है। विदेशी पर्यटकों के लिए यह मंदिर काफी आकर्षक और देखने लाइक है।
यहां गर्मियों में घूमने का मजा नहीं आता है क्योंकि गर्मियों के समय यहां का माहौल थोड़ा गर्म रहता है। लेकिन यहां जाने का सबसे उत्तम समय अक्टूबर से मार्च तक है।