हरिद्वार उत्तराखंड राज्य में स्थित भारत का एक पवित्र शहर और प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। हरिद्वार में भारत की सबसे लंबी और पवित्र नदी गंगा बहती है। हरिद्वार के घाट के किनारे और पहाड़ी की चोटी पर कई प्राचीन देवी देवताओं को समर्पित मंदिर हैं। Haridwar ke Mandir देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पर आते हैं।
अगर आप भी हरिद्वार जाने का सोच रहे हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें। जिसमें हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिर (haridwar temple) के बारे में बताने के साथ ही वहां कैसे पहुंचे और सही समय के बारे में बताया है।
हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिर (Haridwar ke Mandir)
चंडी देवी मंदिर
चंडी देवी मंदिर हरिद्वार के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यह मंदिर नील पर्वत तीर्थ या सिद्धीपीठ के नाम से भी जाना जाता है। शिवालिक पहाड़ियों के नील पत्थर पर स्थित इस मंदिर के चारों तरफ खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए एक ट्रैकिंग पथ है। ट्रैकिंग के शौकीन लोगों के लिए यह जगह काफी प्रसिद्ध है।
इसके अलावा श्रद्धालु मंदिर तक रोपवे के जरिए भी पहुंच सकते हैं। रोपवे के सवारी के दौरान यहां का प्राकृतिक दृश्य मंत्रमुग्ध कर देता है। चंडी देवी मंदिर की नींव गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा आठवीं शताब्दी में रखी गई थी और एक पुजारी के द्वारा मंदिर में मूर्ति की स्थापना हुई थी।
औपचारिक रूप से इस मंदिर का निर्माण 1929 ईस्वी में कश्मीर के राजा सूचत सिंह के द्वारा किया गया था। नवरात्रि, चंडी चौदस और कुंभ मेला के दौरान यहां पर पर्यटकों की बहुत ज्यादा भीड़ उमड़ती है।
समय | सुबह 06:00 बजे से रात 08:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 4 किलोमीटर (हरिद्वार रेलवे स्टेशन) |
नजदीकी एयरपोर्ट | 72 किलोमीटर (जॉली ग्रांट देहरादून हवाई अड्डा, हरिद्वार) |
एड्रेस | W5MJ+G63, हरिद्वार, उत्तराखंड, 249408 |
भारत माता मंदिर
भारत माता मंदिर हरिद्वार में सप्त सरोवर घाट पर स्थित है। यह मंदिर हमारे देश के सभी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित है। मंदिर का उद्घाटन 1983 में प्रथम भारतीय महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा किया गया था। मंदिर 180 फीट ऊंचा है। भारत माता मंदिर 8 मंजिले का है।
इसके पहले मंजिल पर गुलाबी साड़ी में भारत माता की प्रतिमा को दर्शाते हुए भारत का एक विशाल 3D मानचित्र लगा हुआ है और संगमरमर के फर्श लगे हुए हैं। दूसरी मंजिल स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए हमारे देश के सभी शूरवीरों को समर्पित है। यहां पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां लगी हुई है।
तीसरी मंजिल रानी लक्ष्मी बाई, मीराबाई, सावित्रीबाई जैसे भारत की निडर मातृशक्ति को समर्पित है। चौथी मंजिल भारतीय पवित्र संतों को समर्पित है। पांचवी मंजिल में हमारी भारतीय संस्कृति के विभिन्न धर्म और हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़े कुछ क्षणों को सचित्र किया गया है।
छठी मंजिल पर हिंदू पौराणिक कथाओं की सभी देवी मां की पूजा की जाती है, इसे शक्ति मंदिर भी कहा जाता है। सातवीं मंजिल भगवान विष्णु को समर्पित है, जहां पर उनके 10 अवतारों के बारे में बताया गया। आठवीं मंजिल भगवान शिव को समर्पित है। इस मंजिल पर कैलाश पर्वत पर भगवान शिव को ध्यान मुद्रा में बैठे हुए दिखाया गया है।
समय | सुबह 05:00 बजे से रात 09:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 7 किलोमीटर (हरिद्वार रेलवे स्टेशन) |
नजदीकी एयरपोर्ट | 30 किलोमीटर (जॉली ग्रांट देहरादून हवाई अड्डा, हरिद्वार) |
एड्रेस | X5MV+R23 भारत माता मंदिर सप्त ऋषि, रोड, भूपतवाला, हरिद्वार, उत्तराखंड, 249404 |
मनसा देवी मंदिर
हरिद्वार में शिवालिक पहाड़ियों के बिलवा पर्वत पर स्थित मनसा देवी मंदिर हरिद्वार के पांच तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां पर स्थित यह मंदिर मां पार्वती की रूप मनसा देवी को समर्पित है। कहते हैं कि मनसा देवी भगवान शिव के मन से उत्पन्न हुई थी। इन्हें वासुकी नाग की बहन भी कहा जाता है।
मनसा देवी मंदिर उन चार स्थानों में से एक है, जहां पर समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को जब भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ ले जा रहा था तब गलती से नीचे गिर गया था। मनसा देवी मंदिर का निर्माण 1811 से 1815 के दौरान मणिमाजरा के राजा गोपाल सिंह के द्वारा करवाया गया था।
मनसा देवी के मंदिर तक पहुंचाने के लिए यात्री को पैदल चलना पड़ता है। इसके अलावा रोपवे की भी सवारी उपलब्ध है। मनसा का अर्थ होता है इच्छा। अपनी इच्छा पूर्ति के लिए श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं और मनसा देवी को फल फूल अर्पित करते हैं।
समय | सुबह 08:00 बजे से रात 05:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 3 किलोमीटर (हरिद्वार रेलवे स्टेशन) |
नजदीकी एयरपोर्ट | 72 किलोमीटर (जॉली ग्रांट देहरादून हवाई अड्डा, हरिद्वार) |
एड्रेस | – |
वैष्णो देवी मंदिर
हरिद्वार में सप्त ऋषि मार्ग पर स्थित वैष्णो देवी मंदिर जम्मू में स्थित वैष्णो देवी मंदिर की ही प्रतिकृति है। इस मंदिर की वास्तुकला बिल्कुल जम्मू के मां वैष्णो मंदिर की तरह ही है। इतना ही नहीं इस मंदिर में भी सुरंग और गुफा बने हुए हैं। यह मंदिर देवी लक्ष्मी, देवी काली और देवी सरस्वती तीन देवियों को समर्पित है।
यहां पर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के भी दर्शन होते हैं। मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह तक पहुंचने के लिए भक्त जनों को पहले फर्श पर चढ़ना पड़ता है और फिर रैंग कर सुरंग पार करनी होती है। यहां पर कुंभ मेला, मकर संक्रांति, गंगा दशहरा जैसे कई त्यौहार मनाए जाते है।
समय | सुबह 08:00 बजे से रात 08:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 5 किलोमीटर (हरिद्वार रेलवे स्टेशन) |
नजदीकी एयरपोर्ट | 44 किलोमीटर (जॉली ग्रांट देहरादून हवाई अड्डा, हरिद्वार) |
एड्रेस | जगदीश नगर, ज्वालापुर, हरिद्वार |
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दक्षेश्वर महादेव मंदिर
भगवान शिव और मां सती को समर्पित दक्षेश्वर महादेव मंदिर हरिद्वार के कनखल में स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मंदिर उसी स्थान पर बना हुआ है, जहां पर मां सती के पिता राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था। लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित न करने के कारण क्रोधित मां सती उस यज्ञ में इसी स्थान पर अग्नि में कूद गई थी।
मंदिर के बाई ओर एक दक्ष घाट है। मंदिर में एक बड़ा सा दक्ष कुंड भी बना हुआ है। मंदिर की वास्तुकलाप बेजोड़ है, जो नागर शैली को प्राथमिकता देता है। मंदिर के मध्य में भगवान शिव का एक विशाल मूर्ति स्थापित है। मंदिर के केंद्र में एक बड़ा सा शिखर है, जिसके चारों ओर एक छोटा गुंबद है।
समय | सुबह 06:00 बजे से रात 07:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 5 किलोमीटर (हरिद्वार रेलवे स्टेशन) |
नजदीकी एयरपोर्ट | 30 किलोमीटर (जॉली ग्रांट देहरादून हवाई अड्डा, हरिद्वार) |
एड्रेस | दक्षेश्वर महादेव मंदिर, कनखल, हरिद्वार, उत्तराखंड, 249407 |
मायादेवी मंदिर
माया देवी मंदिर उत्तराखंड के पवित्र शहर हरिद्वार में स्थित हरिद्वार की तीन शक्तिपीठों में से एक है। इसके अतिरिक्त दूसरा और तीसरा शक्तिपीठ मां चंडी देवी और मां मनसा देवी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी स्थान पर मां सती का नाभी भाग और हृदय गिरा था, जहां पर आज यह मंदिर स्थित है।
मंदिर में माया देवी की प्रतिमा इसके साथ ही देवी कामाख्या और देवी काली की भी मूर्ति स्थापित है। पहले हरिद्वार को मायापुरी के नाम से ही जाना जाता था। कुंभ मेला और नवरात्रि जैसे त्योहार के समय इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
समय | सुबह 06:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक, दोपहर 03:00 बजे से रात 09:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | 0.5 किलोमीटर (हरिद्वार रेलवे स्टेशन) |
नजदीकी एयरपोर्ट | 35 किलोमीटर (जॉली ग्रांट देहरादून हवाई अड्डा, हरिद्वार) |
एड्रेस | अपर रोड, बिड़ला घाट, हरिद्वार, उत्तराखंड, 249401 |
नीलेश्वर महादेव मंदिर
नीलेश्वर महादेव मंदिर महादेव को समर्पित हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर नील पर्वत की तलहटी में स्थित है। मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग, उनकी प्रतिमा, नंदी की एक मूर्ति को एक कांच के बक्से में बंद करके रखा गया है। इसके अतिरिक्त भगवान गणेश और अन्य देवी देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित है।
समय | – |
प्रवेश शुल्क | – |
रेलवे स्टेशन से दूरी | – |
नजदीकी एयरपोर्ट | – |
एड्रेस | चंडी घाट, सेतु निगम कॉलोनी, निकट, ऋषिकेश रोड, चाररास्ता, हरिद्वार, उत्तराखंड, 249401 |
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में आपने भारत का एक प्रमुख तीर्थ स्थल हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जाना। हमें उम्मीद है कि यह यह लेख आपके लिए जानकारी पूर्ण रहा होगा। हरिद्वार के मंदिर (haridwar ke mandir) से जुड़ी इस जानकारी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।
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